Thursday, June 18, 2009

मक्खियां और तीसमारखां


Fly Swatting
अरुण द्वारा दिये लिंक पर जा कर मारी गई मक्खियां
अरुण अरोड़ा ने एक मक्खी-मारक प्रोग्राम का लिंक दिया। आप भी ट्राई करें।

मैं सामान्यत: अंगूठा चूसा (पढ़ें सॉलिटायर खेलना) करता था। पर यह ट्राई किया तो बहुत देर तक एक भी मक्खी न मरी। फिर फ्लाई स्वेटर का एंगल सेट हो गया तो मरने लगीं। कई मक्खियां मार पाया। अन्तत: मक्खी मारने की हिंसाबात ने इस प्रोग्राम पर जाना रोका।

लेकिन यह लगा कि यह चिरकुट इण्टरनेट-गेम पोस्ट ठेलक तो हो ही सकता है।

आप जब मक्खी मारते हैं तो एक ऐसे वर्ग की कल्पना करते हैं, जो आपको अप्रिय हो। और एक मक्खी मारने पर लगता है कि एक *** को ढ़ेर कर दिया।

उस दिन मैं एक महिला पत्रकार की पोस्ट पढ़ रहा था। भारत की नौकरशाही सबसे भ्रष्ट!  इस महावाक्य से कोई असहमति जता नहीं सकता। अब किसी जागरूक पत्रकार को यह मक्खी-मारक खेल खेलना हो इण्टरनेट पर तो मक्खी = नौकरशाह होगा। तीस मारते ही सेंस ऑफ सेटिस्फेक्शन आयेगा कि बड़े *** (नौकरशाहों) को मार लिया।

आप अगर किसी बिरादरी के प्रति खुन्दकीयता पर अपनी ऊर्जा न्योछावर करना चाहते हैं तो यह मक्खी मारक प्रोग्राम आपके बड़े काम का है। मैं यह इस लिये कह रहा हूं कि यह हिन्दी ब्लॉगजगत इस तरह की खुन्दकीयता का बहुत बड़ा डिसीपेटर है। यह बहुत से लोगों को लूनॉटिक बनने से बचा रहा है और बहुत से लूनॉटिक्स को चिन्हित करने में मदद कर रहा है।

अत: आप बस डिफाइन कर लें कि *** कौन जाति/वर्ग/समूह है, जिसपर आप वास्तविक जगत में ढेला नहीं चला सकते पर वर्चुअल जगत में ढेले से मारना चाहते हैं। और फिर हचक कर यह खेल खेलें। बस किसी व्यक्ति या जीव विशेष को आप *** नहीं बना सकते। आपको कई मक्खियां मारनी हैं। मसलन मैं *** को फुरसतिया, आलोक पुराणिक  या समीरलाल डिफाइन नहीं कर सकता! ये एक व्यक्ति हैं, वर्ग नहीं। और इनके प्रति वर्चुअल नहीं, व्यक्तिगत स्नेह है।

मक्खियां = नौकरशाह/पत्रकार/वकील/ब्लॉगर/हिन्दी ब्लॉगर/चिरकुट ब्लॉगर --- कुछ भी सेट कर लें।

आप किसे सेट करने जा रहे हैं?     


36 comments:

  1. सबसे बड़ा मक्खी मारक तो कल केमरे पर पकड़ा गया.. अब समझे उसे नेट प्रेक्टिस बहुत की और कहां की...

    एसा ही एक और गेम है.. उसमें एक पुतला होता है और पुतले तो आप ** कह सकते है... फिर मुक्के, लात, छड़ी बरसा अपना गुस्सा शांत कर सकते है.. बडे़ अहिसंक खेल है.. हिंग लगे न फिटकरी रंग चोखा आये...

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  2. "...बहुत से लूनॉटिक्स को चिन्हित करने में मदद कर रहा है।.."

    हे हे हे...
    तो, अब तक कितने चीह्न लिए गए सरदार?

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  3. हम तो *** को सेट कर रहें हैं. :) यह *** भी मजेदार है, स्माइली की तरह. भावी केसबाजी से बचने का जोरदार साधन.

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  4. मुबारक हो आप तो साठ मारखां हो गये.दो बार मार जो ली .

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  5. तीसमारखां बनने का सपना पूरा हो सकता है।

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  6. असली मक्खी तो ओबामा ने मारी है।;))

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  7. क्या कहने क्या कहने। मक्खी पर विकट पोस्ट है। पंगेबाजजी से राय मशविरा करते रहे हैं, उन्हे कई तरह की वैबसाइटों के बारे में पता रहता है।

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  8. अरूण जी के सानिध्‍य में हम भी सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन कर चुके है, मजेदार लगा।

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  9. जीव हत्या पाप है..

    ये जानते हुए भी एकाध को सेट करके मक्खी मार आये

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  10. लगता है आप मक्खिया मारने की योजना पर कार्य रत है इसी लिये ये नेट प्रेक्टिस की जा रही है. जीव जीवन अधिकार वालो ने लेख पढ लिया तो मेनका जी का अगला धरना इलाहाबाद मे ही होगा.वकील के बारे मे हम कुछ नही कहेंगे

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  11. अंगूठा चूसना सर्वोत्तम है :-)
    इसमें, समय के साथ दौड़ न लगायें तो इससे बढ़िया, कंप्यूटर पर कुछ नहीं. तरह तरह के पापड़ चखने के बावजूद, 1995, से मैं इसे निरंतर अपनाए हुए हूँ.
    बाकी मक्खीमारक झुनझुने तो मन बहलाने के बजाये, tension देते हैं.

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  12. भड़ास वाले ही प्रयोग कर सकते हैं. मजेदार पोस्ट..

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  13. गेम पसंद नहीं आया। इनडोर के लिए ब्लागिंग पर्याप्त नहीं है क्या? उस पर से ही समय के पहले ही उठा दिया जाता है।

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  14. मक्खी मारना अच्छी बात नहीं है, मेनका जाग जाएंगी :)

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  15. मार आये हम भी :)
    मिड सेम एक्साम्स के दौरान कोई न कोई न्यूज़ग्रुप पर ऐसे फ्लैश गेम पोस्ट कर देता फिर जो सिलसिला चलता... लोग अपने स्कोर पोस्ट करते जाते. जब मोनोटोनस लाइफ हो जाए तो ऐसी चीजें अच्छा काम करती हैं मन बदलने का.
    (रीडर में ये पोस्ट अभी तक अपडेट नहीं हुआ !)

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  16. हमेँ तो ब्लोग पढते हुए टीप्पणियाँ करने जितना ही समय मिलता है ..
    सोलीटेर कभी नहीँ खेला कम्प्युटर पे !
    ..अब ये गेम ..?
    - लावण्या

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  17. मक्खियां = नौकरशाह/पत्रकार/वकील/ब्लॉगर/हिन्दी ब्लॉगर/चिरकुट ब्लॉगर --- कुछ भी सेट कर लें।

    क्या एक से अधिक को सेट किया जा सकता है ?
    वीनस केसरी

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  18. गुरुदेव, मैने तो आपको असली मक्खी मारते भी देखा है। आपके ऑफिस में जाकर। वह भी पहली ही मुलाकात थी हमारी।

    ए.सी. काम नहीं कर रहा था। खिड़कियाँ खोली गयी थीं और वह नामुराद मक्खी हमारी प्लेट पर मंडरा रही थी। अखबार उठाकर आपने जो निशाना लगाया तो एक ही वार में उसे चित्त कर दिया।

    यहाँ कम्प्यूटर पर तो आपका अभ्यास और सध गया होगा।:)

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  19. हम हिंसाबात नही करेंगे जी।

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  20. मजेदार प्रविष्टि । रोचकता और मारक अभिव्यक्ति दोनों का मिला जुला स्वरूप । बेमतलब की बात पर मतलब की पोस्ट । धन्यवाद ।

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  21. यह तो विचित्र किन्तु सत्य पोस्ट है , अपना लक्ष्य वर्ग निश्चित करिये और माखी समझ के मारिये .वाह -मजेदार -कठिन और उत्क्रिस्ट .

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  22. सुझाव दो हैं,
    १. मक्खी मारक प्रोग्राम की बजाय ’पंचिग बैग’ को प्राथमिकता देनी चाहिये । इस बारे में मैं रंजन जी से सहमत हूँ ।
    २. खुन्दक को वर्ग विशेष से संकुचित कर व्यक्ति विशेष के स्तर पर ले आना चाहिये ।
    कारण निम्न हैं,
    १. आहत तो व्यक्ति ही करते हैं वर्ग नहीं । प्रयास कर वर्गीय खुन्दक का कारण खोजते खोजते व्यक्ति विशेष पर लायें । आप यदि अधिक प्रबुद्ध हैं तो वस्तु विशेष पर भी ला सकते हैं । इससे मानसिक प्रदूषण व विचारों के बहकने की सम्भावना कम होती है ।
    २. ’पंचिग बैग’ पर एक निश्चित चित्र लगाया जा सकता है । ’पंचिग बैग’ में भी वर्ग विशेष का चित्र कैसे बनायेंगे ?
    ३. एक वर्ग विशेष को मक्खी में रूप में देख पाने की कल्पनाशीलता होती तो गीता ज्ञान का आवाह्न कर खुन्दकीय मानसिकता से ऊपर उठ गये होते ।
    ४. यथार्थ के आसपास रहने के लिये और अधिक क्रोध शान्त करने के लिये ’पंचिग बैग’ को जब चाहे तब पिटाई कर सकते हैं । खुन्दकीय पीड़ा के शान्त करने के लिये पिटाई करने से अधिक सन्तोषप्रद यज्ञ नहीं है ।
    ५. यदि इण्टरनेट नहीं आ रहा है तो क्या आप अन्दर का उमड़ता क्रोध का गुबार जब्त कर लेंगे ? तो ऐसे आलम्बन क्यों रखे जायें ।
    ६. ’पंचिग बैग’ के माध्यम से व्यायाम भी होगा । शरीर की थकान से आपको नींद जल्दी आयेगी और दुःस्वप्न भी नहीं आयेंगे ।
    ७. ’वर्चुअल जीव हत्या’ न करने कारण ’वर्चुअल मनेका गाँधी’ का भी भय नहीं रहेगा ।

    आपने इस पोस्ट के बहाने ’स्ट्रेस मैनेजमेन्ट’ एक नयी चर्चा खोल दी है । सब कुछ पूर्व व्यवस्थित और क्रमवार तरीके से चल रहा है ।

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  23. आगे पढना छोडकर मक्खी मारने चला गया था
    पूरी तीस मारकर आया हुं।
    नमस्कार

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  24. मख्खी मारने का भी वक्त निकाल लिया? वाह , स्कोर कितना हुआ

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  25. आप Minesweeper खेलिए (अगर आप अभी न खेलते हों तो) - आपको जरूर पसंद आएगा!

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  26. मख्खी मारना तो आदिकाल से चला आ रहा मुहावरा है, जिसका आज नही कोई तोड़ नहीं, तभी तो जनाब ओबामा भी एक मख्खी मार कर खुद की मर्दानगी दिखा ही गए....................

    सुन्दर सकारात्मक व्यंगात्मक लेख पर हार्दिक आभार.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  27. अपने को यह खेल पसंद नहीं आया, मक्खी मारने में मज़ा नहीं और यह समझ ही नहीं आया कि मक्खियों के रूप में किनको देखें! :D

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  28. आपने किसको मारा? वैसे आजकल ओफ़िसो मे punchbags होते है जो stress-buster का काम करते है॥ आपको किसी पर गुस्सा आ रहा है, तो बस कल्पना किजिये और दीजिए दन-दना-दन.....

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  29. इतनी मक्खियां मारी और कोई चर्चा नहीं, उधर एक मक्खी मारने पर हेडलाइन बन जाती है!! बहुत अन्याय है रे सांबा, बहुत अन्याय.....:-)

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  30. आप सबको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...
    DevPalmistry

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  31. आपका स्नेह देख आँखे नम हो गई और गला रौंध आया. वरना *** में कैटेगराईज़ करने में आज की दुनिया में कौन किसे बख्शता है. :)

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  32. बहुत दिन बाद बापस आने पर आपकी बात मानते हुए आज २० मक्खियाँ मार लीं ! ऐसा ही कुछ नया सिखाते रहें ! जय हो...

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  33. kya kya karwate rahte hain aap bhi..
    dekhiye ab sabhi kam-dham chhorkar makhkhi maarne me lag gaye hain.. :)

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  34. मक्खी मारण मैं गया मक्खी मरी न कोय
    बैठी उडी मोरे गाल पर मारई इसे न कोय
    तमाचा मुझे पड़ेगा ...........
    @ P N S subramanyam
    कौन सा वाला ' भड़ास ' ये भी बता देते ......... :) .

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय