मैने अपने महाप्रबन्धक महोदय को एक ई-मेल भेजी थी - साढ़े तीन एम.बी. के अटैचमेण्ट के साथ। उनके यह कहने पर कि वह उन्हें मिली नहीं, मैने पुन: प्रेषित कर दी – मुझे अटैचमेण्ट के आधार पर प्रशासनिक सपोर्ट की जरूरत थी। पर दूसरी बार भी उन्हें मेल न मिलने पर अजीब लगा, सो मैं व्यक्तिगत रूप से उनके पास पेन ड्राइव में ई-मेल के अटैचमेण्ट ले कर पंहुच गया।
वहां उन्होने जब अपने ई-मेल को ध्यान से सर्च किया तो पाया कि मेल को, गूगल, स्पैम (Spam) फिल्टर में डाले बैठा था।
तब स्पैम पर चर्चा चली। स्पैम का मतलब क्या है - उन्होंने पूछा। मैने कहा कि स्पैम को मैं कचरे के रूप में ही जानता हूं। यानी, अनायाचित, थोक के भाव भेजी गई ई-मेल। शब्द के मूल के बारे में तो पता नहीं।स्पैम निश्चय ही कचरा वेराइटी का मांस रहा होगा/है। मैने पढ़ा कि यह अमेरिका में काफी लोकप्रिय है, पर इसे आर्थिक तंगी से जोड़ कर देखा जाता है - यह सस्ता जो है। जो सस्ता और उपेक्षित सो स्पैम! स्पैम को निश्चय ही जंक फूड माना जाता होगा और जंक फूड के समतुल्य जंक मेल। लिहाजा जंक मेल स्पैम हो गया।
अब हमारे साम्य/समाजवादी एक आन्दोलन चला सकते हैं कि कचरा मेल को स्पैम न कहा जाये। सस्ते और लोकप्रिय उत्पाद की छीछालेदर गरीब का अपमान है।
वैसे हम नॉन-लहसुनप्याजेरियन के लिये स्पैम, "स्पैम" हो या चिकेन-कबाब, क्या फर्क पड़ता है। दोनो ही वर्जनीय हैं!
“स्पैम” का चित्र विकीपेडिया के इस पेज से।
अच्छी जानकारी। कॉर्पोरेट मेल सिस्टम में साथी कर्मचारियों के मेल स्पैम में नहीं जाते। हाँ, अटैचमेंट साइज पर सीमा है, यदि उस सीमा से अधिक है तो पॉप अप संदेश आता है और मेल जाता ही नहीं।
ReplyDeleteस्पैम का ओरिजिन जान प्रसन्नता हुई। ढूढ़ कर निकाला है आप ने। हम उत्तर भारतीय हिन्दू सर्वाहारियों के लिए भी त्याज्य है। हमनें अपनी जाति व्यवस्था यहाँ भी फैला रखी है;)
स्पैम के बारे में जानकारी देने के लिए आभार !!
ReplyDeleteसही है - "सस्ते और लोकप्रिय उत्पाद की छीछालेदर गरीब का अपमान है।"
ReplyDeleteएक मजेदार शब्द - ’नॉन-लहसुनप्याजेरियन’ । हम भी इसी श्रेणी के हैं ।
मैं तो आजकल अपने मेल बक्से से अनायाचित पोस्ट-लिंक्स को भी स्पैम में डाल देता हूँ। यानि कि जो भाईलोग अपनी पोस्ट की सूचना मेल भेंज कर देते हैं उनकी कोई कायदे की मेल भी भविष्य में मेरे पास नहीं पहुँच पाएगी।
ReplyDelete‘नॉन-लहसुन-प्याजेरियन’ बने रहना बाहर जाने पर कैसे सम्भव हो पाता है?
बहुत बढिया जानकारी मिली स्पैम शब्द की. किन्ही अर्थों में इसे ब्लागिंग पर भी फ़िट बैठाया जा सकता है?:)
ReplyDeleteरामराम.
नॉन-लहसुनप्याजेरियन जैसे कई नई शब्दावलिओं के जन्मदाता के रूप में आप स्थापित हो रहे हैं ,मैं हिंगलिश के कई एक शब्दों को आप से सीख रहा हूँ . . आप द्वारा दिया गया शब्द -ग्लोकल (global+local) भी अब चर्चा में आ गया है.http://manjulmanoj.blogspot.com/2009/04/blog-post_07.html
ReplyDeleteजानकारी के लिए आभार. और "नॉन-लहसुनप्याजेरियन" जैसे शब्द के लिए भी.
ReplyDeleteअनायाचित या अयाचित !
ReplyDeleteआपने बहुत जानकारीपरक बात बताई -स्पैम पर तो चर्चा हुयी कभी फिस
पर भी करें !
क्या ग्लोकल शब्द सचमुच ज्ञान जी का ही दिया हुआ है -अगर ऐसा है तो क्या कहने !
ReplyDelete@ श्री अरविन्द मिश्र - ग्लोकल पर मैं अपना इण्टेलेक्चुअल कापीराइट नहीं जताऊंगा! :)
ReplyDeleteवैसे यहां मुंबई मे जमकर बादल बरस रहे हैं। खिडकी के बाहर से बौछारें आ रही हैं....मॉनीटर पर कुछ बूंदे चमकात्मक हो रही हैं और FM पर गाना बज रहा है - टिप टिप बरसा पानी....
ReplyDeleteऐसे माहौल में बैठे ठाले स्पैमवा के ओरिजिन की जानकारी अच्छी लगी।
अजित वडनेरकर जी के पेट पर लात न मारिये :)
ReplyDeleteवैसे बहुत अच्छा लगा यह पोस्ट पढ़कर ! धन्यवाद !
ज्ञानजी आपने घणा ज्ञान बढ़ा दिया स्पैम के बारे में। जय हो।
ReplyDeleteअब पता चला ये स्पैम क्या होता है ।
ReplyDeleteलहसून,प्याज तो शुरू हो गया है मगर कवाब से दूरी बनी हुई है।
ReplyDeleteइस बडिया जानकारी के लिये आभार्
ReplyDeleteअब लहसन और प्याज़ स्पैम में नहीं आते।:)
ReplyDeleteनित नये शब्दों के रचियता को मेरा प्रणाम
ReplyDeleteस्पैम विश्लेषण ज्ञानवर्द्धक लगा। शुक्रिया।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नॉन-लहसुनप्याजेरियन
ReplyDelete:-D
अच्छी जानकारी दी आप ने, लेकिन हम स्पेम मै भी एक नजर डाल लेते है उसे डिलीट करने से पहले,
ReplyDeleteइस संदर्भ में साम्य/समाजवादी का ज़िक्र निरर्थक व अनुचित लगा।
ReplyDeleteस्पेम का अर्थ जाना यानि की कचरा मेल ....
ReplyDeleteशायद यह सच है कि यह शब्द मांस से जुड़ा है पर अन्तरजाल के परिपेक्ष में यह दूसरे कारण से आया। यह कारण विकिपीडिया में यहां विस्तार से लिखा है।
ReplyDeleteवैसे भी हमारे यहां गूगल के स्पैम में पश्चिम का ही कचरा ज्यादा रहता है :)
ReplyDeleteनयी जानकारी मिली हमेशा की तरह आपके ब्लॉग से...धन्यवाद.
ReplyDeleteनीरज
यानी स्पैम को जितना गया गुजरा समझता था, उतना है नहीं.... :)
ReplyDeleteशब्द घड़ने में मास्टर हो गए हैं आप :) जय हो...
ज्ञान वर्धन हुआ. आजकल हमारे वर्डप्रेस ब्लॉग पर कुछ अच्छी टिप्पणियों को भी स्पेम में डाल दिया जाता है.
ReplyDeleteएक और हिन्गलिश शब्द मुझ से ले लिजीये - मौकाटेरियन, ये मेरे उन मित्रों के लिये है जो सामान्यत: शाकाहारी टीटोटलर रहते हैं लेकिन मौका (मुफ्त में) मिलने पर पाला बदल लेते हैं।
ReplyDeleteराजनीति वाले इसे अर्जुन सिंह अटल बिहारी जार्ज फर्नान्डीज़ आदि का नाम भी दे सकते हैं
ReplyDeleteआज यहाँ भी शब्दों का सफर हो गया.. मेरा सामन्य ज्ञान बढ़ा.. आभार..
ReplyDeletespam की फोटो बदली है या मेरी नजरें धोखा खा रही है.. शायद सुबह मैने कोइ और फोटो देखी थी..
देशाटन पर एक नॉन लहसुन प्याजेरियन .कैसे काम चलाया इस पर एक पोस्ट आ जाये.
ReplyDeleteहाँ तो आप जैसे शाकाहारी नॉन लहसुनप्याजेरियन लोग इस बात पर भी हल्ला कर सकते हैं कि कचरा ईमेल को वेजिटेरियन बनाया जाए और मांसाहार से न जोड़ा जाए! ;)
ReplyDelete" स्पैम " की निर्मात्री कँपनी पहले अपने उत्पाद के शब्द के दुरुपयोग से बहुत त्रस्त थी किँतु अब, बुरा नहीँ मानते हुए,
ReplyDeleteअमरीका के आर्थिक तँगी के दिनोँ मेँ,
बढचढ कर पुन: विज्ञापन देने मेँ व्यस्त है -
और "ग्लोकल" शब्द से जुडी
कई दुविधाएँ आज आम हो चली हैँ -
आप "नोनप्याजलहसुनिया टाइप "
हैँ ये आज ही पता चला :) जी ..
क्योँ ना, सौ. रीता भाभी जी से , आपकी पारँपारिक कुछ रेसिपी शेर करवाई जाये ?
हमेँ भी लाभ होगा -
- लावण्या
’नॉन-लहसुनप्याजेरियन’
ReplyDeleteभविष्य में आपको निमंत्रित करेंगे तो ये बात बहुत काम आयेगी :)
आज आपकी फोटो अखबार में देखी आई नेक्स्ट में :)
वीनस केसरी
अब तो स्पैम में और भी जाने की इच्छा नहीं होगी । हम लोग भी एक नामकरण प्रतियोगिता कर लें कुछ शब्दों के लिये ।
ReplyDeleteरोचक जानकारी रही स्पैम के बारे में।
ReplyDelete110 CAROD KI AABADI MAIN HUM BHI SPAM HUA CHAHTE HAIN...
ReplyDeleteDONO HI TARIKE KA !!
JAISA AAPNE BATAYA AUR JAISA APKO LAGA !!
स्पैम के बारे में जानकारी देने के लिए बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteतो स्पैम यहाँ से आया !
ReplyDeleteस्पैम पर पोस्ट: स्पैम बॉक्स में ही फीड चली गई..अब पढ़ पाये-बताईये.
ReplyDelete" स्पैम " की निर्मात्री कँपनी पहले अपने उत्पाद के शब्द के दुरुपयोग से बहुत त्रस्त थी किँतु अब, बुरा नहीँ मानते हुए,
ReplyDeleteअमरीका के आर्थिक तँगी के दिनोँ मेँ,
बढचढ कर पुन: विज्ञापन देने मेँ व्यस्त है -
और "ग्लोकल" शब्द से जुडी
कई दुविधाएँ आज आम हो चली हैँ -
आप "नोनप्याजलहसुनिया टाइप "
हैँ ये आज ही पता चला :) जी ..
क्योँ ना, सौ. रीता भाभी जी से , आपकी पारँपारिक कुछ रेसिपी शेर करवाई जाये ?
हमेँ भी लाभ होगा -
- लावण्या
राजनीति वाले इसे अर्जुन सिंह अटल बिहारी जार्ज फर्नान्डीज़ आदि का नाम भी दे सकते हैं
ReplyDeleteइस संदर्भ में साम्य/समाजवादी का ज़िक्र निरर्थक व अनुचित लगा।
ReplyDeleteमैं तो आजकल अपने मेल बक्से से अनायाचित पोस्ट-लिंक्स को भी स्पैम में डाल देता हूँ। यानि कि जो भाईलोग अपनी पोस्ट की सूचना मेल भेंज कर देते हैं उनकी कोई कायदे की मेल भी भविष्य में मेरे पास नहीं पहुँच पाएगी।
ReplyDelete‘नॉन-लहसुन-प्याजेरियन’ बने रहना बाहर जाने पर कैसे सम्भव हो पाता है?
अच्छी जानकारी। कॉर्पोरेट मेल सिस्टम में साथी कर्मचारियों के मेल स्पैम में नहीं जाते। हाँ, अटैचमेंट साइज पर सीमा है, यदि उस सीमा से अधिक है तो पॉप अप संदेश आता है और मेल जाता ही नहीं।
ReplyDeleteस्पैम का ओरिजिन जान प्रसन्नता हुई। ढूढ़ कर निकाला है आप ने। हम उत्तर भारतीय हिन्दू सर्वाहारियों के लिए भी त्याज्य है। हमनें अपनी जाति व्यवस्था यहाँ भी फैला रखी है;)