अंगुलिमाल को बुद्ध चाहिये थे, पश्चाताप के लिये। मुझे नहीं लगता कि जस्टिस तहिलियानी के कोर्ट में बुद्धत्व का वातावरण रहा होगा। खबरों के अनुसार तो वे स्वयं अचकचा गये थे इस कंफेशन से।
केस तो १३४ गवाहों के बाद डेड-एण्ड में जा रहा था। ओपन एण्ड शट केस। अब सरकार सफाई देने लगी है कि उस बन्दे पर कोई दबाव नहीं है। पाकिस्तान कहने लग गया है कि उसके कंफेशन के पीछे उस पर दबाव है!
स्मार्ट और धूर्त बधिक! रीयल स्मार्ट! इसका वकील भी इसके पीछे है क्या?
(ऊपर दैनिक भास्कर का पन्ना।)
अब इस कथा के विस्तार का आनन्द लेते लेते आम जन भूल जायेगा कि क्या माजरा था, तब तक नया मसला सामने आ जायेगा.
ReplyDeleteअपराध कुबूल तो हल्ला! न कुबूले तो हल्ला। आफ़त है!
ReplyDeleteइतने दिनों बाद अपने कर्मों के बारे में दिव्यज्ञान प्राप्त करने वाले 'कसाबाचार्य' के चक्षु संग्रहालय में रखे जा सकते हैं :)
ReplyDeleteदेर आयद-दुरुस्त आयद.
ReplyDeleteजरूर कोई न कोई लफडा है
ReplyDelete"अपना अजमल कसाब कसाई तो बहुत स्मार्ट निकला जी।"
ReplyDeleteयहाँ 'अपना' शब्द न होता तो भी चलता !
केस तो १३४ गवाहों के बाद डेड-एण्ड में जा रहा था। ओपन एण्ड शट केस। अब सरकार सफाई देने लगी है कि उस बन्दे पर कोई दबाव नहीं है। पाकिस्तान कहने लग गया है कि उसके कंफेशन के पीछे उस पर दबाव है!
ReplyDeleteन्याय को अपना कार्य करना चाहिए।
पता नहीं ऊँट किस करवट लेटेगा...
ReplyDeleteकसाब ने इस लिया कबूला जब पकिस्तान ने उसे वहाँ का नागरिक मान लिया | वरना ये तो मरते दम तक कबूलने वाले नहीं थे | इन्हें भली भांति पता है की जब इतने सारे लोगों ने इसे देखा है| होटल के कैमरों में ये कैद हैं | इसलिए बचने का तो सवाल ही नहीं, इसलिए कबूलने में ही थोडी बहुत भलाई नजर आई | खैर जो भी हो अब सजा हो जानी चाहिए पर फांसी के बदले उम्रकैद |
ReplyDeleteअब क्या कहें
ReplyDeleteपाकिस्तानी? आतंकवादी, वधिक? और स्मार्ट?
ReplyDeleteअच्छा मज़ाक है, Smartness is directly proportional to generocity (~ Swami Anuraganand Saraswati)
इतने सारे साफ़ सबूत हैं कि उसे कोई वकील नहीं बचा सकता है.
चलिए, कुछ तो हुआ इस केस में। मामला आगे तो बढ़ा...!वरना हम तो इसे अफ़्जल गुरू का भाई मान बैठे थे जो शायद उससे भी बड़ी पहुँच वाला साबित होता।
ReplyDeleteआपने अच्छा किया जो विवेक जी की आपत्ति स्वीकार करते हुए ‘अपना’ विशेषण खारिज कर दिया। :)
क्या होगा इससे भी.. मौत की सजा.. फिर १० साल इंतजार... हल्ला कसाब को अभी फांसी पर नहीं चढाया.. सरकार कमजोर.. वगैरह वगैरह...
ReplyDeleteसमझ नहीं आता ये इंसाफ क्या चीज है?
आज TOI के पेज ४ (ध्यान दें पेज ३ नहीं) नंदा जी छाये थे.. सजा कम हो गई.. पूरा खानदान था.. खुश थे न्याय हुआ.. पूरा पेज नंदा के गीत गा रहा था.. और जो ६ लोग मर गये उनका जिक्र भी नहीं था... क्या हुआ उनके मां बाप का बीबी बच्चों का.. जिन्दा भी है या नहीं... उनको न्याय मिला या नहीं किसी को परवाह नहीं पर नंदा को न्याय मिला..
दोनों बाते इसलिये जोड़ दी की हमारी व्यवस्था और कानुन भी सडांध मार रहे है... कसाब आयेगें जायेगें.. क्या फर्क पडने वाला...
मुझे नहीं लगता कि कसाब को फ़ाँसी होगी।
ReplyDeleteयदि फ़ाँसी का निर्णय लिया भी जाता है तो फ़िर क्षमा याचना से अपने को बचाने की कोशिश करेगा।
सरकार को उसपर निर्णय लिने में कई साल लगेंगे।
उधर पाकिस्तान सरकार सरब्जीत की फ़ाँसी भी रोक रखेगी।
Bargaining के लिए।
कहेंगे आप कसाब को फ़ाँसी मत दीजिए, हम सरब्जीत को नहीं देंगे।
इस बीज लश्कर कोई विमान अपहरण करके कसाब को छुडवाने की कोशिश भी करेगा।
सही कहा गया है "We are a soft state"
कानूनी सलाहकार ऐसा चमत्कार करवाते रहते है. अभी तो कई बार चौंकना है.....
ReplyDeleteअगर न कबूलता तो ?वैसे पाकिस्तान के मंत्री इस ब्यान की कोई अहमियत नहीं मानते ....अजीब बात है एक ऐसा देश जिसका राष्टपति कबूलता है की उसके अपने कारणों से आतंकवाद का जन्म हुआ अब वे उसके बस से बाहर है ...जो बाहर घूम रहे है उन्हें सजा देने की हिम्मत उसमे नहीं है .फिर कहता है शान्ति वार्तालाप करो हम पीड़ित है ...अजीब फिलोसफी है हमारे देश की .......क्या कोई जानता है प्रति व्यक्ति आय कितनी है कश्मीर में सरकार की आर्थिक सहायता से......भारत से ढेरो मेट्रो से भी बेहतर ....उस पर वहां ये आलम है की अगर निजी झगडो में कोई प्रेमी दुसरे प्रेमी को मार डालता है तो इल्जाम सेना पे...शोपिया काण्ड में किसी ने कहाँ उस रात वहां ट्रक गुजरा था आर्मी का......तो इल्जाम आर्मी पे.....तोड़ो फोडो...
ReplyDeleteअब वकील से पूछकर कबूला है तो कोई वकीलियाई चाल जरुर होगी इसमे.
ReplyDeleteरामराम.
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से रिवर्स होकर गाडी अब चर्चगेट की ओर निकल पडी़। अब एक और गेट खुल जाएगा, हमारे कानून की ऐसी-तैसी करने के लिए:)
ReplyDeleteदिमागी करतूतें हैं जी, साफ चीजों को भी ये सरकारी तंत्र लेंस लगाकर दिखातें हैं
ReplyDeleteअपराध कबूलने के बाद हम तुंरत रक्त पिपासु हो जाते हैं.मूल मुद्दा तो ये है कि कसाब जैसे अनपढ़ लोंडों ने देश की अलीट सुरक्षा एजेन्सी को तीन दिन छकाये रखा. अगले संभावित हमलों को लेकर हम कितने तैयार हैं?
ReplyDeleteजब तक उस का मूल बयान नहीं पढ़ा जाए, कुछ भी कहना असंभव है।
ReplyDeleteकल कांग्रेस के प्रवक्ता ने बताया कि कसाब का कुबूलनामा केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से हुआ है.
ReplyDeleteइस बात का मतलब क्या समझा जाय?
आदरणीय ज्ञानदतजी
ReplyDeleteअब कोई चकपकाये के नही, हॉ आज पाकिस्थान के विदेश मन्त्री यह बात को लेकर बोखला पडे - पता नही कसाब ने किस दबाव मे कंफेशन किया।
कबुलनामे के बाद अब न्याय प्रक्रिया समाप्त समझे। सजा मुकरर तो होगी किन्तु कबुलनामे की वजह से हो सकता है महाराष्ट्र पुलिस को कसाब की देखभाल जवॉई राजा की तरह आजीवन करनी पडे।
आभार/
जय हिन्द जय महाराष्ट्र
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
Pakies have forced his back to wall...what else could he do...
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