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Friday, July 17, 2009
ऑक्सफोर्ड स्कॉलर नकुल
यह श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ की अतिथि पोस्ट है:
हाल ही प्राप्त एक खुश खबरी चिट्ठा जगत के सभी मित्रों को देना चाहता हूँ।
मेरे २३ वर्षीय बेटे नकुल कृष्ण ने ( जो २००७ में भारत के पाँच रोड्स स्कॉलर में से एक था) , अपनी बी ए की पढ़ाई पूरी कर ली है। वह ऑक्स्फ़र्ड विश्वविद्यालय से "डिस्टिंक्शन" के साथ उत्तीर्ण हुआ है। परिणाम दो दिन पूर्व ही घोषित हुए।
रोड्स चयन समिति के सदस्यों का उसपर जो विश्वास था, उसकी पुष्टि उसने करके दिखाई है। समिति ने उसे हज़ारों श्रेष्ठ विद्यार्थियों में से चुना था जो सब इस छात्रवृत्ति के लिए प्रतिस्पर्धा में लगे हुए थे।
नकुल का रोड्स स्कॉलर के रूप में चयन पढ़ाई में सर्वश्रेष्ठ होने, संगीत में उसकी प्रतिभा (कर्नाटक शैली मे वह एक कुशल गायक है) अंग्रेज़ी रंगमंच में राष्टीय स्तर पर सफ़लता , अंग्रेज़ी गद्य और पद्य और वाद-विवाद में निपुणता और सामाजिक और पर्यावरण संबन्धी मामलों में उसके योगदान के आधार पर हुआ था।
ह्युमैनिटीज़ विषयों में ऑक्स्फ़ोर्ड विश्वविद्यालय में "डिस्टिंक्शन" पाना प्रशंसा दिलाने वाली उपलब्धि मानी जाती है। अब अपने आप को वह एक पक्का "ऑक्स्फ़र्ड स्कॉलर" कह सकता है।
उसे स्नातकोत्तर पढाई के लिए वहीं ऑक्स्फ़र्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश मिल गया है। दर्शनशास्त्र में उँची पढाई करने की इच्छा है उसकी।
पढाइ के लिए उसे क्लैरन्डन छात्रवृत्ति और साथ साथ ब्रिटिश सरकार की तरफ़ से भी छात्रवृत्ति मिलेगी।
मेरा बेटा पीएचडी पाने तक अपनी पढाई जारी रखना चाहता है।
दो साल के बाद अभी अभी घर लौटा था और तुरंत घर से हज़ारों मील दूर अरुणाचल प्रदेश रवाना हो गया है वह, एक विशेष अभियान के संबन्ध में।
रॉयल जोग्राफ़िक सोसाइटी द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के तहद वह अपने कुछ विदेशी सहपाठी छात्रों के साथ तवंग (अरुणाचल प्रदेश) में है इस समय।
इस विषय में अधिक जानकारी के लिए यह कड़ी देखिए।
संक्षिप्त में मेरे बेटे और उसके साथियों के बारे में एक लेख भी उपर दी गई कडी पर उपलब्ध है।
मान्यवर,आप सब को मैं अपने विस्तृत परिवार का सदस्य मानने लगा हूँ, और यह पोस्ट लिख कर अपनी खुशी आप सब से बाँटना चाहता हूँ।
सादर,
गोपालकृष्ण विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
मैं कुछ कहूं?
जब मैने यशस्वी भव! नकुल! प्रस्तुत की थी, तो मेरे मन में था कि श्री विश्वनाथ फालो-अप पोस्ट जरूर देंगे। और मैं श्रीमती और श्री विश्वनाथ की प्रसन्नता में सहभागी हूं।
आप श्री विश्वनाथ की सुझाई ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के उत्तरपूर्व भारत के अभियान की साइट देखें। उसमें नकुल का ब्लॉग भी है। उसमें यह भी है कि नकुल कृष्ण हिन्दी-अंग्रेजी में प्रवीण है और वर्तमान में तिब्बती भाषा सीख रहा है। कर्णाटक संगीत में दक्षता और तिब्बती म्यूजिकॉलॉजी में रुचि भी है उसे।
मैने देश का वह हिस्सा – तवांग – अरुणांचल देखा नहीं है। गूगल अर्थ पर लगे कुछ चित्र देखता हूं। पर पूरी दृढ़ता से मानता हूं कि वह मेरा देश है। नियंत्रण रेखा के इस पार और उस पार भी।
मैं अपने को भीषण अंतर्मुखी मानता हूं, पर यह लगता है कि इस नौजवान से मिलने पर बहुत कुछ बात करूंगा।
बधाई नकुल!
वर्ग:
Blogging,
G Viahwanath,
Varied,
जी विश्वनाथ,
ब्लॉगरी,
विविध
ब्लॉग लेखन -
Gyan Dutt Pandey
समय (भारत)
4:00 AM
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ढेर सारी बधाई ...नकुल ....नकुल के पिता ...और आपको भी !!
ReplyDeleteनकुल कृष्ण को बहुत बहुत बधाई और विश्वनाथ जी को भी. नकुल के उज्जवल भविष्य के हार्दिक शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteविश्वनाथ की को बहुत बहुत बधाइयाँ !
ReplyDeleteविश्वनाथजी और उनके परिवार को खूब सारी बधाईयां। नकुल को बधाई और शुभकामनायें।
ReplyDeleteविश्वनाथ जी को बहुत बहुत बधाइयाँ !
ReplyDelete( इससे पूर्व की टिप्पणी में 'जी' के स्थान पर 'की' लिख जाने से जो गलती हुई उसके लिए मैं विश्वनाथ जी से क्षमा प्रार्थी हूँ और ज्ञान जी से नाराज कि उन्होंने टिप्पणी को इसी रूप में प्रकाशित क्यों कर दिया.
इसका अर्थ यह न निकाला जाय कि मैं अपना दोष ज्ञान जी के सिर मढ़ रहा हूँ . हो सकता है कि उन्होंने भी टिप्पणी बिना पढ़े ही प्रकाशित कर दी हो )
पिता पुत्र को बधाई !
ReplyDeleteविश्वनाथ जी एवं नकुल जी को बधाई.
ReplyDeleteविश्वनाथ जी से आग्रह है कि वे अतिथि पोस्टों को नियमित लिखें या फिर स्वयं के चिट्ठे पर नियमित लिखें. उनके पास भी अनुभवों का, संस्मरणों का भंडार है और जिससे चिट्ठा समुदाय बहुत कुछ सीखेगा.
विश्वनाथ जी को बहुत बहुत बधाई! दर्शनशास्त्र पढ़ कर श्रेष्ठ दार्शनिक बने नकुल यही कामना है।
ReplyDeleteदर्शन ने दुनिया का मार्गदर्शन किया है। नयी दार्शनिक समस्याओं को सुलझाने में दर्शनशास्त्र पिछड़ रहा है। शायद उस कमी पूरा करे। यह जरूर है कि अब दार्शनिकों का काम पहले के मुकाबले बहुत कठिन है।
पिता पुत्र दोनों को बधाई..
ReplyDeleteनकुल के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बधाई और ढेरो शुभकामना साथ उनके पिता विश्वनाथ जी को भी . प्रस्तुति के लिए आभार.
ReplyDeleteपिता-पुत्र के साथ-साथ नकुल के ब्लागजगत के चाचा-चाची,मामा-मामी,बुआ-फ़ुफ़ा,मौसी-मौसा और तमाम रिश्तेदारों को इस रिश्तेदार की बधाई।
ReplyDeleteपिता पुत्र दोनों को बधाई..
ReplyDeleteआपको बधाई , होनहार नकुल को व उनके पिता विश्वनाथ जी से मिलवाकर
ReplyDeleteतमाम शुभकामनाओं के साथ बधाई स्वीकारें. खुशी हो रही है.
ReplyDeleteआदरणिय विश्वनाथ जी हम सब को परिवार का सदस्य ही मानते हैं, इस परिपेक्ष मे नकुल की उपलब्धि पर हम सबको गर्व है. चि. नकुल और श्रिमती और श्री विश्वनाथजी को विशेष बधाई और शुभकामनाएं देते हुये यह कहना चाहुंगा कि मैं बहुत प्रशन्नता का अनुभव कर रहा हूं. और चि. नकुल अभी तवांग में है यह जानकर और भी खुशी हुई.. अरुणाचल में तवांग मोनेस्ट्री मेरी पसंदीदा जगह है जहां मैं अनेक बार जा चुका हूं. एक दैवीय उर्जा वहां प्राप्त होती है. बहुत बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
यथा पिता तथा पुत्र...विश्वनाथ परिवार को बधाइयां॥
ReplyDeleteपढ़कर बहुत अच्छा लगा. ऐसे व्यक्तित्वों और उनके कार्यों की जानकारी मन में एक धनात्मक ऊर्जा का संचार करती है.
ReplyDeleteनकुल और माता-पिता को बहुत बधाई.
Sadhu sadhu !!
ReplyDeleteबहुत बधाई!!
ReplyDeleteबाढ़े पूत पिता के कर्मे।
ReplyDeleteयहाँ तो पिता पुत्र दोनों के कर्मों का फल परिलक्षित हो रहा है। बधाई और शुभकामनाएँ
बधाई और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteऐसी बातें प्रेरणा देती हैं। उन्हें मेरी हार्दिक शुभकामनाऍं।
ReplyDeleteबेटे नकुल,
ReplyDelete"यशस्वी भव्` " -
May Shri Krishna,
bless you !
एक बात और ,
आप दुनियाभर मेँ घूमो
किँतु,
सावधानी बरतना -
बिना वजह का
कोई भी जोखिम ना उठाना -
क्यूँकि आप होनहार युवा हो और आपकी प्रतिभा का और उससे उपजे सत्कर्मोँ का इस विश्व को इँतजार है विश्वनाथ दँपति को बधाई -
हम ,
आप की खुशी मेँ शामिल हैँ :)
-- लावण्या
सभी मित्रों को मेरा हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteनकुल जैसा पुत्र और आप जैसे मित्रों पाकर अपने आप को मैं धन्य समझता हूँ
इनसान को जीवन में और क्या चाहिए।
नकुल आज तेज़पुर छोड़कर तवंग के लिए रवाना हुआ है।
अब तक मोबाईल फ़ोन के जरिए संपर्क में रहे हैं।
पता नहीं तवंग में उसका फ़ोन काम करेगा भी या नहीं।
इन्टर्नेट की सुविधा भी सन्दिग्ध है।
पुन: संपर्क स्थापित होते ही उसे आप सब लोगों की शुभकामनाओं से अवगत कराऊँगा।
मुझे विश्वास है कि इससे उसका हौसला और बढ़ेगा।
जी विश्वनाथ
मेधावी-प्रतिभाशाली नकुल को और गर्व से दिपदिपाते आ.विश्वनाथ जी को बहुत-बहुत बधाई . हम सब इस खुशी में शामिल हैं और नकुल की सफलता पर बहुत रोमांचित हैं .
ReplyDeleteविश्वनाथजी और उनके परिवार को खूब सारी बधाईयां। नकुल को बधाई और शुभकामनाएं...!
ReplyDeleteपिता और पुत्र दोनों को... घणी बधाई.
ReplyDeleteदेखिये, एक वे हैं जिन्होंने अपने देश में शिक्षा का स्तर इतना ऊंचा रखा है...
और एक हम हैं जो मानविकी और सम्बद्ध विषयों को दो कौड़ी का समझते हैं!
पाश्चात्य दर्शनशास्त्र तो भाई बहुत सरखपाऊ है. बर्ट्रेंड रसल की किताब 'History of Western Philosophy' पढ़कर मेरे सर में तीन दिन तक दर्द होता रहा.
लेकिन नकुल को नहीं होगा.
Congrats Vishawnath ji and lots of blessings for Nakul
ReplyDeleteI feel honoured and humbled that Nakul was introduced to Hindi Blogworld thru my blog
बधाई नकुल!
ReplyDeleteनकुल के बारे में जानकार बहुत अच्छा लगा. विश्वनाथ जी को ढेरों बधाई. नकुल हर क्षेत्र में आगे बढे, यही कामना है.
ReplyDeleteविश्वनाथ जी और उनके परिवार को नकुल की सफ़लता पर बधाई और नकुल को भविष्य के लिए शुभकामनाएँ। :)
ReplyDeleteबहुत बधाइयाँ
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