Saturday, May 9, 2009

चाय की दुकान पर ब्लॉग-विमर्श


Mike इलाहाबाद में ब्लॉगिंग पर गोष्ठी हुई। युवा लोगों द्वारा बड़ा ही प्रोफेशनली मैनेज्ड कार्यक्रम। गड़बड़ सिर्फ हम नॉट सो यंग लोगों ने अपने माइक-मोह से की। माइक मोह बहुत गलत टाइप का मोह है। माइक आपको अचानक सर्वज्ञ होने का सम्मोहन करता है। आपको अच्छे भले आदमी को कचरा करवाना है तो उसे एक माइक थमा दें। वह गरीब तो डिरेलमेण्ट के लिये तैयार बैठा है। जो कुछ उसके मन में पका, अधपका ज्ञान है – सब ठेल देगा। ज्यादा वाह वाह कर दी तो एक आध गजल - गीत – भजन भी सुना जायेगा।  

Mikeaastraमाइक-आक्रमण से त्रस्त युवा और अन्य
ब्लॉगिंग को उत्सुक बहुत युवा दिखे। यह दुखद है कि वे मेरे ठस दिमाग का मोनोलॉग झेलते रहे। यह मोनोलॉग न हो, इसके लिये लगता है कि हफ्ते में एक दिन उनमें से ५-७ उत्सुक लोग किसी चाय की दुकान पर इकठ्ठा हों। वहां हम सारी अफसरी छोड़-छाड़, प्रेम से बात कर पायें उनसे। ऑफकोर्स कट चाय और एक समोसे का खर्चा उन्हें करना होगा।


34 comments:

  1. माइक मोह छोड़कर गली नुक्कड़ और चलते फिरते होटलों में भी ब्लॉग विमर्श करने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए.और सही भी है.

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  2. इसके लिये लगता है कि हफ्ते में एक दिन उनमें से ५-७ उत्सुक लोग किसी चाय की दुकान पर इकठ्ठा हों। वहां हम सारी अफसरी छोड़-छाड़, प्रेम से बात कर पायें उनसे। ऑफकोर्स कट चाय और एक समोसे का खर्चा उन्हें करना होगा। हमें तहे दिल से मन्जूर है यह प्रस्ताव। अगला फिक्स्चर कहाँ रहेगा? जल्द सूचित करिएगा।

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  3. चाय कि थड़ी का आईडिया अच्छा है... पर कभी कभी ओपचारिक आयोजन भी चलेगा.... गोष्ठी की तस्विरें देखी..अच्छी है..

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  4. Dear Sir
    I am new to Blogging world. I found the seminar taja hawaain very informative but yes there was some distraction because most of the time was spent in only welcoming and creating environment for the seminar. Dr. Kavita Vachaknavi ji repeated her presentation of Vigyan parishad.


    How can I post the comment in Hindi? please help me.

    Arun Tiwari

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  5. माइक हाथ में हो और प्रबुद्ध श्रोतागण सामने तो दिमाग का प्रोसेसर भी तेज चलने लगता है । मानसिक हलचल तो सबका ही विषय है ।

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  6. सही सुझाया है आपनें .

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  7. चाय की दुकान भी वह जहाँ कोई अन्य सुविधा हो न हो पर कोई आप को वहाँ से उठाने वाला न हो, बहुत काम की है। माइक मोह बहुत परेशान करता है। यह वैसे ही है जैसे बहुत लोग बहुत बड़ी बड़ी पोस्टें ठेलते हैं। बिना इस विचार के कि उन्हें कोई पढ़ भी रहा है या नहीं। मैं ने तो ऐसे भाषण करने वाले भी देखे हैं जो घंटों तक दीवार को भाषण सुना सकते हैं। कवि भी जो फर्शों और कुर्सियों को महाकाव्य सुना सकते हैं।

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  8. हमने भी माईक को घंटो थामा है.. पर बोलोने के लिए नहीं लोगो को बुलाने के लिए.. तब एंकरिंग करते थे अब एंकर टेक्स्ट लिखते है फर्क कुछ खास नहीं है.. चाय की तड़ी का ख्याल अच्छा है. नितांत भारतीय..

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  9. पर, यहाँ टिप्पणी करने वाला माइक आज कहाँ है, जी ?
    मैं विरोध में बहिर्गमन कर रहा हूँ !

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  10. आईडिया अच्छा है।
    अहा! जिंदगी मैगजीन के ताजा अंक से जानकारी मिली कि कैसे अहमदाबाद के एक युवा ने ऐसे ही फ़्री चाय के कांसेप्ट के आधार पर हफ़्ते में एक दिन लोगों को आमंत्रित कर जन-जागरूकता का अभियान छेड़ा है और इस अभियान को सफलता मिल रही है। यहां तक कि इस अभियान से लोग मुंबई में भी ऐसे ही अभियान शुरु कर चुके हैं।

    तो फिर ब्लॉगिंग के लिए भी ऐसा ही फ्री चाय का कांसेप्ट क्यों नहीं आ सकता।

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  11. इस खबर का लिंक यह रहा

    http://www.ahmedabadmirror.com/index.aspx?page=article&sectid=3&contentid=20090406200904060248137172757e222&sectxslt=&pageno=1

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  12. बहुत गलत बात है जी, जो लोग इलाहाबाद में नहीं रहते वो तो आप के ज्ञान से भी जायेगे और चाय समोसे से भी। हम ने फ़ोटोस में देखा कि आप के सामने लैपटॉप रखा था तो यकीनन आप ने पॉवर पोंइंट प्रेसेन्टेशन किया होगा, हमें भी दिखाइए, चाय और समोसे उधार रहे मय सूद वसूल लिजिएगा लेकिन दिखाइए तो …:)

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  13. माइक थाम कर विमर्श करना तो साहित्यिक हो गया जी...ब्लॉगिंग तो कुछ और ही चीज है. कटींग चाय के साथ हो संगोष्टी तो कोई बात भी हो....

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  14. हम ना बोलता माइक देखकर, हम तो बोलने के पैसा मांगता हूं। भईया धंधा यही है। मास्टरी की नौकरी में यही सुख है कि बकवास सुनाने के भी पैसे मिलते हैं, हाय अफसर इस सुख से वंचित है। वैसे ब्लागर मीट एक ही बहुत है। बहुत ज्यादा नियमित होने से मामला गड़बड़ हो जाता है। फिजूल की चिरकुटईयां ज्यादा हो जाती हैं।

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  15. आलोक पुराणिक को भी पढ़ लिए..अपनी तो किस्मत ही खोटी निकली:

    न अफसर है, न मास्टर और न इलाहाबादी...चलते हैं जी यहाँ से भारी मन से.

    तस्वीर में देखकर लगा था कि इस बार तो ट्यूब के जगह बाल्टी भर गई होगी कई दिन के मटेरियल के लिए...कल से जुगाली शुरु होगी क्या??

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  16. सर जी एक बार हम भी गए थे ऐसे ही बैठक में. बहुत पहले पहुँच गए. रेस्टोरेंट का नाम भी कुछ फ्रेंच सा था. सोफे पे बैठ कर जब उनका मेनू कार्ड देखा तो पाया कि एक काफ़ी ७५ रुपये की थी. हम चुप चाप खिसक लिए. बड़ी प्रसन्नता हुई आपके कट चाय और समोसे के संग वाले सुझाव से. .

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  17. खैर चाहे माइक सहित हो या गली-नुक्कड़ खड़े-खड़े। दोनों तरह की बकैती में हम माहिर हैं। अगली बार वाला जहां भी हो समय से बता दीजिएगा। छुट्टी का जुगाड़ थोड़ा कठिन होता है ना

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  18. तो कब आ रहे हैं फतेहपुर (अपने पड़ोस में ) सोचिये तब तक मैं चाय की दुकानों का सर्वे कर के आता हूँ !!
    इलाहाबाद में तो कटरा में लक्ष्मी चौराहा पर ही ज्यादा उठा बैठा हूँ?
    ज्यादा औपचारिकतायें होने से मूल विषय भटक जाता है !! फिर माइक का तड़का??

    प्राइमरी का मास्टरफतेहपुर

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  19. इसीलिये मैंने आक्रान्त होकर आपसे पूंछा था ( अब आप से ही क्यों पूंछा था ? ) की मुझे कितनी देर बोलना है ? मगर जब आप कुछ भी न बोले तो मैंने भी थोडा अपना माईक मोह दिखा ही दिया ! शंकर शंकर ! ( क्षमां करे क्षमा करें )
    यह ससुरी माईक है ही बड़ी कुत्ती चीज -पूरी तरह सहमत ! और क्या क्या मानसिक हलचल रही ? मेरी तो उपलब्धियां ही उपलब्धियां रहीं ! (ज्ञान ) साहित्य और लालित्य दोनों की जोड़ी -माने आपके साथ ही आदरणीय रीता जी से मुलाकात ! अनूप जी जो शरीफ शरारतों का मानो कोई मौका ही हाथ से नहीं जाने देना चाहते ! सिद्धस्थ सिद्धार्थ का शिष्टाचार और कुशल वक्ता वाचकनवी को सुनना ,इमरान महान की शेरो शायरी -यह सब कया कोई कभी भी भूल सकता है ?
    सब कुछ अविस्मर्णीय !

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  20. रांची में हमलोगों ने भी 'ब्‍लागर मीट' से अधिक इंज्‍वाई चाय पीने के बहाने किया।

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  21. बहुत बढिया आईडिया है. चाय और समोसे के साथ.

    रामराम.

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  22. आनंद दायक रहा सभी से मिलना,

    मेरे लिये सबसे खास बात ये रही कि एक महिला जो ब्‍लागर लग रही थी। उन्होने मुझसे कहा कि तुम अब तक कहाँ थे ? और व्‍यक्तिगत लघु बात हुई, पर मै उन्‍हे पहचान नही सका। करीब 2-3 मिनट बाद ने सहृदय से विनम्रता के साथ क्षमा प्राथी हो कर पूछा कि मै आपको पहचान नही पाया तो किसी ने बताया कि मिसेज पांडेय है, फिर थोड़ा और चर्चा हुई। दो बार घर जहाँ हुआ पर उनसे ऐसे ही मिलना तय लिखा था। एक लघु मिलन में उनकी एक अच्‍छी छवि स्‍मृति पटल पर बनी हुई है।

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  23. बिना माइक बिना फूल बिना मुख्य अतिथि के कोई गोष्ठी हो तो आना चाहूँगा .

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  24. aur sir kabhee dilli mein ee bloggers kee addebaajee karnee ho to hamein maukaa dijiyegaa, ham lassi kaa intjaam rakhenge.....
    garmee mein theek rahgaa..

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  25. सत्य वचन.
    हाय माइक ने हवा से भर दिया, वरना वह भी आदमी कमज़ोर था.
    (स्वर्गीय काका हाथरसी से क्षमा याचना के साथ)

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  26. बहुत बढ़िया प्रस्ताव है. हमारे लिए तो चाय की दुकान ही ठीक रहेगी. माइक के आगे तो मुझे जो आता है वह सब भूल जाता है.

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  27. "ऑफकोर्स कट चाय और एक समोसे का खर्चा उन्हें करना होगा। " हां भई, गुरुदक्षिणा तो देना ही पडे़गा ना :)

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  28. आपने कहाँ तो बिलकुल सही मगर एक बात कहना चाहूँगा की जब जब ब्लॉग्गिंग पर कहाँ जा रहा था तब तब तो हमें कोई दिक्कत नहीं हुई थी मगर कुछ मिनट ऐसे भी रहे जब ब्लॉग्गिंग को छोड़ कर पता नहीं क्या क्या कहाँ गया तब तो ऐसी ऊब लगी की क्या कहें
    आपने जो स्लाइड आगे सरका दिए उनका मलाल हुआ और ज्यादा क्या कहे बाकी तो सफल आयोजन था जैसा की ब्लॉग्गिंग में भी होता रहा है सुनने वाले कम मिले (शायद मुझे ऐसा लगता है)
    मुझे तो बिलकुल भी नहीं लगा की किसी ब्लॉगर द्वारा माइक का अनुचित फायदा उठाया गया
    आपसे शिकायत है की आपने जल्दी जल्दी में निपटा दिया
    इमरान ने भी अच्छा सञ्चालन किया
    जब ब्लॉग्गिंग का परिचय दिया गया तब ये जरूरी था की ब्लॉग बनाने की प्रक्रिया की भी स्लाइड बना कर दिखाई जाये जिसकी कमी खली
    मुख्य अतिथी जी ने जब ब्लोगिंग पर बोलना शुरू किया वो पल यादगार है क्योकि मैंने तो कल्पना नहीं की थी की वो भी एक ब्लॉगर हैं

    ऐसा आयोजन बार बार हो इस कामना के साथ
    आपका वीनस केसरी


    और हाँ अगर आप से मुलाकात का सौभाग्य फिर मिलने का मौका मिले तो उसके लिए कट चाय तो क्या जो आप कहे सब हाजिर करने के लिए तैयार है हम

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  29. @ Tiwariji

    internet par hindi anuprayog vishay par jab bhi kisi shrotavarg ke samne baat hogi to vahi baat hogi, aisa nahin hai ki aadhe anuprayog ek seminar mein bataye jayein va shesh aadhe doosre kisi karyakram mein.keval ek maien hi nahin koi bhi vakta yadi hindi anuprayog ki vartmaan sthiti par baat karega, to ye sab baat hi aayengi.ab aap use 10 baar sunein ya 1 baar. yah aap ka durbhagya tha ki aap ne ek hi din mein 2 alag alag sansthaon ke karyakram mein ek hi vakta ko suna.

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  30. बहुत अच्छा लगा सचित्र रीपोर्ट देखकर - आभार !

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  31. बढि़या रहा आयोजन...त्रिवेणी तट पर कई कई धाराओं का संगम हो गया...
    अब कहते हैं कि चाय की दुकान पर ही सही रहती है सब तरह की धाराएं ....यही सही। हम तो उसका लाभ भी नहीं ले पाएंगे। अलबत्ता अपने सैलून में भोपाल की तरफ घूमने निकलिएगा तो बताइएगा...।

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  32. आपने लिखा यह दुखद है कि वे मेरे ठस दिमाग का मोनोलॉग झेलते रहे। लेकिन अफ़सोस कि वीनस केसरी के अलावा किसी ने इस बात का खंडन नहीं किया। कित्ती तो खराब बात है जी। सच कहने की हिम्मत बहुत कम लोगों में होती है। केवल केशरी ने सच बोला।

    मुझे तो कार्यक्रम बहुत मजेदार लगा। एकदम घरेलू टाइप। माइक होता ही है उपयोग के लिये। सदुपयोग करें या दुरुपयोग। आगे अगले महीने इलाहाबाद जाना है तो वहीं किसी चाय की दुकान पर हो जाये जमावड़ा। शिवकुटी में या फ़िर ट्रेजरी के पास की किसी की किसी दुकान में। कर इंतजाम भाई सिद्धार्थ जी!

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  33. चाय और समोसा पर तो हम भी खर्चने को तैयार हैं लेकिन...

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  34. बाकी सभौ ठीक है लेकिन थोड़ा विस्तार से बताते कि कैसे झिलाया वहाँ मौजूद लोगों को, आप तो बस छोटी सी टिप्पणी में निपटा गए मामला! ;) :D

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय