Wednesday, May 6, 2009

गाज किसपर गिरेगी?


कुछ समय पहले मै खुडमुडी गाँव के श्री नगेसर से बात कर रहा था। उसे हम लोग बचपन ही से जानते हैं। मेहनत-मजदूरी कर पेट पालने वाला नगेसर अपने गठीले बदन के कारण गाँव मे लोकप्रिय रहा। इस बार वह एकदम बदल गया था। दो साल पहले जब वह बरसात के दिनो मे अपने दो साथियो खेत से लौट रहा था तभी बिजली गिर गयी। उसके दो साथी वहीं पर मर गये। नगेसर को ज्यादा शारीरिक क्षति नही हुयी पर मन से वह पूरी तरह खोखला हो गया।

ऐसे पेड़ जिनकी मूसला जड़ें अधिक गहरी नही जाती और दूसरी जड़ें सतह के पास फैली होती है बिजली से इंसानो की रक्षा कर सकते है। वैज्ञानिक कहते है कि जड़ों का मकडजाल चार्ज को डिफ्यूज कर देता है। इसलिये बिजली से बचने के लिये घर के आस-पास सागौन के पेड लगाने की सलाह दी जाती है।
Pankaj A श्री पंकज अवधिया का लेख। आप उनके लेख पंकज अवधिया लेबल सर्च में देख सकते हैं।
शरीर का कुछ भाग काला पड गया। मुझसे उसे जडी-बूटी की उम्मीद थी। मैने उसे परसा (पलाश) की लकडी दी और उसका पानी पीने को कहा। मैने उसे कुछ हर्बल मालाएँ भी दी। मुझे मालूम है कि ये जडी-बूटियाँ उसे बाहर से ठीक कर देंगी लेकिन मन की पीडा को वह आजीवन भोगता रहेगा।

बचपन मे घर के पास एक नीम के पेड़ पर बिजली (गाज) गिरी थी। उस चमक से डरकर मै कुछ समय के लिये बेसुध हो गया था। तब से मुझे आसमानी बिजली के कड़कने के समय बहुत भय लगता है। होम्योपैथी मे फास्फोरिकम नामक दवा के मरीज को तूफानो से बहुत डर लगता है मेरी तरह।

शहरो मे विभिन्न उपाय अपना कर हम आसमानी बिजली से काफी हद तक बच जाते है पर हमारे किसान बरसात मे खुले मे खेतों मे काम करते है। पानी से भरे धान के खेत आसमानी बिजली को आमंत्रित करने मे कोई कसर नही छोडते हैं। हर साल अनगिनत किसान और खेतीहर मजदूर आसमानी बिजली के गिरने से बेमौत मारे जाते हैं। उनके पास सुरक्षा के कोई कारगर उपाय नही है।

Farmer_in_Vietnamइस वियतनामी किसान को देखें। जो सिर पर बांस की छीलन से बनी दउरी पहने है, वह खुमरी सा है। उसके दोनो हाथ काम करने को मुक्त हैं। फोटो विकीमेडिया से

लोहे की डंडी वाले छाते आसमानी बिजली को आमंत्रित कर सकते हैं। पर यह संतोष की बात है कि ज्यादातर किसान अभी भी बाँस से बनी खुमरी (यह लिंक देखें) का प्रयोग करते हैं। खुमरी के कारण उनके दोनो हाथ काम करने के लिये स्वतंत्र होते हैं। किसान पेड़ों की शरण लेते हैं। यह जानते हुये भी कि बरसात के दिनो मे पेड़ों की शरण घातक सिद्ध हो सकती है।

क्या कोई विशेष पेड है जिस पर बिजली ज्यादा गिरती है? आप भले ही इस प्रश्न पर हँसे पर छत्तीसगढ के लोग महुआ, अर्जुन और मुनगा (सहजन) का नाम लेते है। उनका यह अनुभव विज्ञान सम्मत भी है। वैज्ञानिक शोध सन्दर्भ बताते है कि ऐसे बडे पेड़ जिनकी जड़ें भूमिगत जल तक पहुँचती हैं, उन पर बिजली गिरने की सम्भावना अधिक होती है। हमारे यहाँ 50-60 फीट गहरा कुँआ खोदने वाले कुछ तमिलनाडु के लोग हैं। वे उन पेड़ों के पास कुँआ खोदने के लिये तैयार हो जाते है जिन पर बिजली गिरी होती है। ऐसे पेड़ जिनकी मूसला जड़ें अधिक गहरी नही जाती और दूसरी जड़ें सतह के पास फैली होती है बिजली से इंसानो की रक्षा कर सकते है। वैज्ञानिक कहते है कि जड़ों का मकडजाल चार्ज को डिफ्यूज कर देता हैं। इसलिये बिजली से बचने के लिये घर के आस-पास सागौन के पेड लगाने की सलाह दी जाती है।

यदि आप खुली जगह मे हैं तो मौसम खराब होते ही झुककर बैठ जायें। झुककर बैठने का उद्देश्य सतह पर दूसरी चीजो की तुलना मे अपनी ऊँचाई कम करना है ताकि बिजली आप पर गिरने की बजाय ऊँची चीज पर गिरे। फैराडे के किसी नियम के अनुसार बन्द बक्सों मे बिजली नही गिरती है। यही कारण है कि गाड़ियों मे बिजली नही गिरती। पर किसान के लिये झुककर बैठना सम्भव नही है। आखिर वह कब तक बैठा रहेगा। खेतो के पास यदि सस्ते मे बन्द बाक्स बना दिये जाये तो भी किसान अन्दर नही बैठ सकता। यह व्यवहारिक उपाय नही है।

प्राचीन भारतीय ग्रंथ कहते है कि तुलसी की माला बिजली से शरीर की रक्षा करती है। यह भी कि जिस पर बिजली गिरी हो उसे तुलसी की माला पहननी चाहिये। दूसरी बात मुझे सही लगती है। मै ये अपने अनुभव से कह रहा हूँ। तुलसी की माला पहनने से बिजली नही गिरेगी - इसे आधुनिक विज्ञान की कसौटी मे परखना जरुरी लगता है।

पारम्परिक चिकित्सको के लिये जंगली पेडो पर बिजली गिरना किसी वरदान से कम नही है। जितनी जल्दी हो सके वे प्रभावित पेड तक पहुँचते है और लकडी एकत्र कर लेते है। इस लकडी का प्रयोग असाध्य रोगों की चिकित्सा मे होता है। इस पर आधारित एक लेख आप यहाँ पढ सकते है।

Lightening is beneficial too. By Pankaj Oudhia

ज्ञानदत्त जी के ब्लाग में किसान से जुडी इस महत्वपूर्ण समस्या पर चर्चा का मुख्य उद्देश्य ब्लाग पर आने वाले प्रबुद्ध पाठकों का ध्यान इस ओर आकर्षित करना है। मुझे विश्वास है कि किसानों को आसमानी बिजली के कहर से बचाने के लिये कारगर उपायों पर आपके विचारो से हम किसी ठोस निष्क़र्ष तक जरुर पहुँच पायेंगे। वैसे पारम्परिक चिकित्सक कहते हैं कि किसानो से ज्यादा खतरनाक परिस्थितियो मे खराब मौसम के दौरान बन्दर रहते हैं। पानी से भीगे पेड़ों मे वे मजे से रहते है। क्या कभी बन्दरो को आसमानी बिजली से मरते देखा है या सुना है? बन्दरों के पास समाधान छुपा है। मुझे उनकी बात जँचती है। यहाँ सारा मानव जगत सर्दी से त्रस्त होता रहता है वहीं दूसरी ओर यह वैज्ञानिक सत्य है कि बन्दरो को सर्दी नही होती।

पंकज अवधिया

(इस लेख का सर्वाधिकार श्री पंकज अवधिया के पास है)


23 comments:

  1. नयी जानकारियां मिली!!
    कुछ बातों से चिंतन करने को मजबूर हुआ .................
    अनुभवों से आपकी बातें सही लगती हैं!!
    इसी बहाने नयी खोजें हो सके तो अच्छा रहेगा !!
    बिजली गिरने के दौरान बंदरों को तो नहीं ...पर एनी पालतू जानवरों को बड़ी निरीहता से मरते देखा है !!


    प्राइमरी का मास्टर फतेहपुर

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  2. बिजली और तुलसी माला का पहनना...हम भी अपने खेत पर सुना करते थे और कुछ विकल्प न होने पर, धारण भी कर लेते थे..शायद इसी वजह से बच गये हों मगर इसकी प्रमाणिकता बस हमारा बचे रह जाना ही है और कुछ नहीं. :)

    अच्छा आलेख.

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  3. उपयोगी आलेख! पंकज जी की बहुत दिनों बाद आप के ब्लाग पर वापसी हुई।

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  4. जानकारी परक -अच्छा लेख !

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  5. बिजली को नाम दिया गाज
    मैंने पढ़ लिया गाजर
    फिर सोचा शीर्षक होना चाहिए था
    यह गाजर कब उगेगी

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  6. नयी जानकारियां हैं जी, समझ रहे हैं।

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  7. तुलसी की माला अगर कारगर है तो इससे सुलभ क्या होगा?


    बिजली गिरने पर झुकने वाली मूद्रा कम क्षति पहूँचाती है, क्योंकि बीजली छोटा रास्ता अपनाती है.

    अच्छा लेख.

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  8. सुना तो बहुत है. और अखबारों मे भी पढते रहे हैं. इससे बचाव के साधन विकसित किये जाने चाहियें.

    रामराम.

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  9. अभी कल ही बिना बारिश के हम लोंगो की तरफ बिजली गिर गयी और कई पशु मर गए ,आपकी जानकारी काम की है परन्तु अब बिजली गिरने की घटनाएँ ज्यादा हो रहीं है ,हम लोंगो की तरफ तो घरों पर भी बिजली गिर रही है हालाँकि अभी तक हम लोंगों के यहाँ यही मान्यता थी की पीपल और दूध वाले पेड़ों जैसे कटहल आदि पर ही बिजली गिरती है .

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  10. अत्यन्त उपयोगी आलेख । धन्यवाद ।

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  11. अच्छी और जन उपयोगी जानकारी।

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  12. बढ़िया लेख ! महुआ के नीचे बिजली गिराने वाली बात तो हमने भी सुनी है. और बंद बक्से में बैठने वाली भी. बाकी सब नया था.

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  13. पंकज जी की जानकारी से हम शुरू से अभिभूत रहे हैं....मैंने वनस्पति शास्त्र की ऐसी जानकारी रखने वाला दूसरा नहीं देखा....बिजली गिरनी वालीं जानकारी भी कमाल की है.
    नीरज

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  14. आसमानी बिजली के बहाने और बहुत सी जानकारियां भी मिलीं, शुक्रिया।

    -----------
    SBAI TSALIIM

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  15. बहुत सी नयी बातों का पता लगा, धन्यवाद

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  16. हमारी कृषि संस्‍कृति से जुड़ी परपराओं को विज्ञान की कसौटी पर परखा जाए तो न जाने कितनी खोजें कर ली जाएं, लेकिन ऐसा हो तब तो।

    खुमरी की जानकारी मेरे लिए नयी है। बिहार में इसका चलन नहीं है। खेत से लौटते वक्‍त बांस की ओड़ी या दौरी को माथे पर उलटा रखकर धूप से बचाव करते लोग जरूर देखे जाते हैं।

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  17. ऐसी बिजली किसी पर न गिरे . बचने के उपाय सच मे कारगर होंगे ही .

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  18. बहुत ही ज्ञानवर्धक आलेख, आप और पंकज जी को धन्यवाद। ३०वर्ष पहले एक वृद्ध से वाराणासी में मुलाकात हुई थी, जानकारियों का खजाना थे, नें ‘वज्र’ के विषय में बताया था कि लोहे की बनीं तलवार गाय के गोबर के ढ़ेर पर रख दी जाती थी और जब बिजली उस पर गिरती थी तो वह तलवार वज्र सी कठोर तो हो ही जाती थी साथ ही उसकी धार की तेजी और चमक भी स्थायी रहती थी।

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  19. आप सभी की सार्थक टिप्पणियो के लिये आभार। ज्ञान जी से अनुरोध था कि वे भी अपने विचार इस लेख मे जोडते पर सम्भवत: व्यस्तता के चलते वे ऐसा नही कर पाये। उन्होने अपने ब्लाग मे मुझे फिर से स्थान दिया उसके लिये मै उनका आभारी हूँ।

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  20. बहुत अच्छी जानकारी. अब ज़रा यह भी बताएं कि बन्दरों को सर्दी क्यों नहीं लगती?

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  21. बहुत सुन्दर! ........

    ठान ले तो जर्रे जर्रे को थर्रा सकते है । कोई शक । बिल्कुल नही ।
    अभी थोडी मस्ती में है । मौज कर रहे है ।
    पर एक दिन ठानेगे जरुर ....

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  22. बहुत ज्ञानवर्धक |

    इस रहस्य का कारण पता चलना चाहिए कि बंदरो को सर्दी नहीं होती|
    आज ही अपने घर के पीछे वाले पेड़ के निवासी एक वानरराज से इसकी जानकारी लेने की कोशिश करता हूँ |

    धन्यवाद,
    वैभव

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  23. ज्ञानवर्धक पोस्ट ही होती हैं ज्ञानजी के ब्लाग पर।
    शुक्रिया दोनो महानुभावों को...

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय