गर आतिश-ए-दोज़ख बर रू-ए-जमीं अस्त।
हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त!
यह पूरी पोस्ट चुरातत्वीय है। मेरा योगदान केवल भावना अभिव्यक्ति का है। आतिश-ए-दोज़ख से (मैं समझता हूं) अर्थ होता है नर्क की आग। बाकी मीन-मेख-मतलब आप निकालें।
|| MERI MAANSIK HALCHAL ||
|| मेरी (ज्ञानदत्त पाण्डेय की) मानसिक हलचल ||
|| मन में बहुत कुछ चलता है ||
|| मन है तो मैं हूं ||
|| मेरे होने का दस्तावेजी प्रमाण बन रहा है यह ब्लॉग ||
गर आतिश-ए-दोज़ख बर रू-ए-जमीं अस्त।
हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त!
यह पूरी पोस्ट चुरातत्वीय है। मेरा योगदान केवल भावना अभिव्यक्ति का है। आतिश-ए-दोज़ख से (मैं समझता हूं) अर्थ होता है नर्क की आग। बाकी मीन-मेख-मतलब आप निकालें।
ज्ञानदा,
ReplyDeleteदुष्यंत साब का शेर याद आ रहा है,
नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे
होठो पे आ रही है जुबां, और भी खराब...
संदर्भ मेरी कमअक्ली से ग़लत भी हो सकता है, पर भाव यही है कि दुनियाभर के धर्मान्धों, कट्टर, अतिवादियों को दोज़ख़ की आग में जलना पड़े....और ये मुमकिन है तो इसकी जो भी कीमत हो सकती है, हम लोगों को अदा करनी चाहिए...
मीन-मेख-मतलब : ऐसा मंजर देखने के बाद क्या निकाला जाए सिवाय हालातों पे दुख जताने के.
ReplyDeleteइस के विरुद्ध हम एक जुट हो कर आवाज तो लगा सकते हैं।
ReplyDeleteक्या कहे ? ऐसे हालात अपने यहाँ भी हो सकते है अगर अभी भी नहीं चेते तो
ReplyDeleteIt pains me to see such atrocities on a young girl whose fault was eastablished by the Zealots. :-(
ReplyDeleteAt such times, i ask where is GOD ?
Why is HE , silent ?
Poor US is knocking at the wrong doors…right door is ISI.
ReplyDeleteकितना कुछ बदलता है, हमारे पाणिनि भी आज के पख्तून इलाके से थे. शायद ये भयानक सच हो कि उनकी संतति आज इन्ही लडाकों में से एक हो!
ReplyDeleteस्वात घाटी को पकिस्तान का स्विट्जरलैंड कहा जाता है. हमने बहुत ही खूबसूरत चित्र देखे थे परन्तु सहेज कर नहीं रखा.
ReplyDeleteइस तरह के वहशी और निर्मम लोगों को सभ्य समाज झेल रहा है.!
पाकिस्तान में टेरर साइकिल का अंत अब आ लिया है, जिन तालिबानों को उन्होने पोसा था, वोही अब उन्हे कोस रहे हैं। इस्लामाबाद अब निशाने पर है। इस्लामाबाद पर काबिज तालिबान सिर्फ जरदारी की नहीं, दिल्ली की भी चिंता का सबब है। इस चुनावी हल्ले में ये इशू लगभग अननोटिस्ड जा रहा है।
ReplyDeleteआप भावना अभिव्यक्ति में सफल रहे .
ReplyDeleteपता नहीं ये लोग फिर से इंसान बाण पाएंगे या नहीं.. पर भविष्य के गर्भ में बहुत कुछ छिपा है.. हमारे समाज में भी पहले स्त्रियों के लिए सटी प्रथा थी.. विधवाओ के लिए अलग नियम थे.. वक़्त बदलता है.. वहा थोडी देर से बदलेगा.. पर बदलेगा..
ReplyDeleteजिन हाथों ने काडे फटकारे है उन्ही हाथों में पाकी परमाणू बम होगा. आगे स्थिति भयानक है. इसलिए भारत को मजबूत सरकार चाहिए, न की मौका परस्तों की.
ReplyDeleteShe was flogged cause she was found with a guy who was not her husband. But I think that girl was very lucky cause flogging is very 'soft' pusnishment in 'Shariyat'. I have seen cutting of hands or stoning scenes on net.
ReplyDeleteआपकी भावना मे हम जैसे सैकड़ों-लाखो लोगो की भावनाएं छिपी हुई है।
ReplyDeleteहे भगवान !
ReplyDeleteकभी जन्नत को भी रश्क़ होगा इस सरज़मीन से. अब तो दोज़ख़ के शर्माने के ज़माने हैं.. ख़ुदा के नाम पे जो पाकीज़गी की जा रही है .... उन के ख़ुदा की तो क्या कहें .. हम जैसे कुछ इंसान ही शर्मसार हो लिया करें .....
ReplyDeleteसनाख्वाने-तक़दीज़े-मशरिख कहाँ है?
ReplyDeleteजिन्हें नाज़ है मानवाधिकार पर वो कहाँ है?????
बहुत दर्द नाक हालात हैं. और दुख की बात है कि वहां कोई कुछ नही कर सकता. बहुत जघन्य और दिल को हिला दिया इस घटना ने.
ReplyDeleteरामराम.
हूँ !
ReplyDeleteहौलनाक!
ReplyDeleteभाई ज्ञान जी,
ReplyDeleteभले ही आपकी पोस्ट, जैसा की आप स्वीकारते हैं "पूरी पोस्ट चुरातत्वीय है।" किन्तु मानवीय हरकत के अधोपतन का जीता जागता नमूना है.
किसी धर्म या महजब में ऐसी हरकत वन्दनीय नहीं.
फिर महजब के नाम पर जंग लड़ने वालों पर लोग क्या स्वेच्छा से योगदान दे रहे है विशश्वत नहीं लगता, विश्श्वस्त तो यह लगता की लोगों में भयंकर भय पैदा करा कर जेहाद के नाम पर हर वो कुछ किया जा रहा है, जिसकी स्वीकृति किसी महजब में नहीं है.
फोटो से भावना अभिव्यक्ति को शक्ति मिली , सत्य है पर आज ऐसे कृत्य कहाँ नहीं हो रहे हैं, बस नहीं है तो उसकी ऐसी तस्वीर.
ऐसी तस्वीरें सामने न आने पाए इसके भी पुख्ता उपाए आजकल उठाय जाने लगे हैं.
जहाँ हर गलत काम को सामने लाने पर रोक, टोक, परेशानियाँ, परिवार पर संकट जैसे खतरे हो वंहा ऐसे ही कृत्य अपना और प्रसार करेंगे इसमें तनिक भी संदेह नहीं और फिर लोहा ही लोहे को कटेगा यह भी निश्चित है.
चन्द्र मोहन गुप्त
अरुन्धति रॉय कहाँ है?
ReplyDeleteतीस्ता सेतलवाड कहाँ है?
यह दृश्य हृदय विदारक है.
ReplyDeletekisi news site me pakistan ke liye ek report ke hawale se jo para tha, ise dekh ke yehi laga ki shartiya woh sahi ho sakta hai agar aisa hi chala to.
ReplyDeletelekin ye tay hai swarg aur nark isi duniya me hain, unhe dekhne ke liye marne ka intzar karne ki jaroorat nahi
'चुरातत्वीय' पोस्ट के माध्यम से गूगल अर्थ का सुन्दर और लॉस एंजल्स टाइम्स का वीभत्स चित्र उपलब्ध कराने हेतु आभार.
ReplyDeleteचित्र देखकर ऐसी शर्मनाक मानसिकता पर अफ़सोस ही जाहिर किया जा सकता है.
वास्तव में दोजख (नरक से क्या कम है) दिख रहा है . मानवता को चूर चूर करता हुआ चित्र.
ReplyDeleteसर, यह खबर देख कर बहुत ही दुःख हुआ था। परमात्मा सब को सदबुद्धि प्रदान करे, यही प्रार्थन है।
ReplyDeleteसौ फीसद सही.
ReplyDeleteजिस समाज के सज्जन, निष्क्रिय और मौन रहें तथा दुर्जन सक्रिय और मुखर - वहां यह सब अनिवार्य और अपरिहार्य ही है।
ReplyDeleteभारत भी इसी मुकाम पर चल पडा है। देखते जाइए, यहां भी यह सब होगा।
हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त!
ReplyDeleteपाकिस्तान में टेरर साइकिल का अंत अब आ लिया है, जिन तालिबानों को उन्होने पोसा था, वोही अब उन्हे कोस रहे हैं। इस्लामाबाद अब निशाने पर है। इस्लामाबाद पर काबिज तालिबान सिर्फ जरदारी की नहीं, दिल्ली की भी चिंता का सबब है। इस चुनावी हल्ले में ये इशू लगभग अननोटिस्ड जा रहा है।
ReplyDeleteज्ञानदा,
ReplyDeleteदुष्यंत साब का शेर याद आ रहा है,
नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे
होठो पे आ रही है जुबां, और भी खराब...
संदर्भ मेरी कमअक्ली से ग़लत भी हो सकता है, पर भाव यही है कि दुनियाभर के धर्मान्धों, कट्टर, अतिवादियों को दोज़ख़ की आग में जलना पड़े....और ये मुमकिन है तो इसकी जो भी कीमत हो सकती है, हम लोगों को अदा करनी चाहिए...