यह नाराण दत्त तिवारी का मामला मेरी समझ के परे है।
ताजा समाचार के अनुसार, उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया है।
८६ की आयु में क्या कोई मर्द ऐसी मर्दानगी का प्रदर्शन कर सकता है?
एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन तीन महिलाओं के साथ बिस्तर पर लेटे लेटे रति-क्रीडा करने की क्षमता रख सकता है?
क्या ये महिलाएं उनकी पोतियाँ के बराबर नहीं होंगी?
भारतीय परंपरा को ध्यान में रखते हुए क्या हम तिवारी जी के बारे में ऐसा सोच भी सकते है?
मेरा मानना है कि इस उम्र पहुँचते पहुँचते हम इन प्रवृत्तियों को पीछे छोड़ जाते हैं
क्या यह कोई राजनैतिक षडयन्त्र है?
जरा टाइमिंग पर ध्यान दीजिए।
आन्ध्र प्रदेश वैसे भी जल रहा है। तेलंगाना अभियान ने राज्य को चीर दिया है।
सरकार पर और दबाव डालने के लिए क्या यह किसी की साजिश है?
क्या कोइ राज भवन जैसी सुरक्षित स्थान में ही घुसकर ऐसा स्टिंग ऑपरेशन कर सकता है?
तिवारी जी एक जाने माने और अनुभवी राजनैतिक भी हैं।
क्या वे ऐसी मूर्खता वाली हरकत कर सकते हैं?
ऐसी हरकत को कैसे कोई गुप्त रख सकता है?
क्या राज भवन के कर्मचारी यह भाँप नहीं सकते की क्या हो रहा है?
यह कैसे संभव है कि कोई राज्य पाल के शयन कक्ष में घुसकर एक ऐसा कैमरा लगा दे और एंगल भी ऐसा एडजस्ट कर दे कि सब कुछ रिकॉर्ड हो जाए?
ऐसा स्टिंग ऑपरेशन मेरे विचार में संभव ही नहीं।
सब जानते हैं कि तसवीरें एडिट की जा सकती हैं और किसी का भी चेहरा किसी और की बदन के साथ जोडा जा सकता है और सक्षम एडिटिंग की सहायता से कुछ भी संभव है।
पर फ़िर भी:
कभी यह भी सोचता हूँ कि क्या मैं बेवकूफ़ हूँ?
क्या तिवारी जी का निजी जीवन ऐसा ही रहा है जो कुछ ही लोग जानते हैं और हम दक्षिण भारत के लोगों को कानों कान पता ही नही?
क्या ऐसे भी मर्द होते हैं जो इस उम्र में भी ऐसी क्षमताएं रख सकते है?
बिल क्लिन्टन का उदाहरण हम सब के पास है
पर क्लिन्टन तो केवल ६० के थे और महिला केवल एक
अगर यह बात सच है तो इसे विश्व में एक नया कीर्तिमान समझा जाए!
तिवारी जी का मैं बडा आदर करता था और अब भी करता हूँ
ईश्वर करे यह सब गलत हो।
पिछली बार जब मैं इस दुविधा में पड़ा था, मामला कान्ची शंकराचार्य पर लगा हत्या का आरोप था।
औरों के क्या विचार है?
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
I'm not surprised. ८५ साल की उम्र भी क्या कोई उम्र होती है बूढ़े होने की, वह भी आज के समय में? इस तरह के एक और मिलते-जुलते उदाहरण के लिए यहाँ देखिये: http://www.monstersandcritics.com/news/india/news/article_1309152.php/Rapist_Trinidad_swami_has_a_Nagpur_past?compage=260&comcount=311&comlimit=10
ReplyDeleteमुझे तो किसी षणयंत्र की बू आती है.
ReplyDeleteरही बात मिडिया की, उनको तो मसाला मिला और लगे उछालने:
न जाने कितना सच, न जाने कितना झूट!!
मिडिया मंत्र बस एक है, लूट सके तो लूट...
वैसे भी क्या राज भवन की सुरक्षा इतनी लचर है कि कोई बैडरुम तक पहुँच गया तस्वीर उतारने??
विश्वनाथ जी को इतने बाद देखना सुखद रहा, प्रणाम एवं नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी ने बहुत उचित प्रश्न उठाये हैं -पूरा मामला निश्चिततः एक षड्यंत्र का हिस्स्सा लगता है -राजभवन में स्टिंग आपरेशन -तारतार होती सुरक्षा ,भाड़े की दुश्चरित्रायें ,जासूसी कैमरा और एक निढाल सा व्यक्ति ! क्या है यह सब ? तिवारी जी बिचारे फस गए!
ReplyDeleteविश्वनाथ जी ने बहुत भोले-भोले से सवाल उठाए हैं.
ReplyDeletesriman ji,
ReplyDeleteari narayan datt tiwari sahab uttarpradesh aur uttranchal mein mukhymantri rahe hain . sri tiwari ji jab jab kangress ko chunaav ladvayein hain buri tarike se chunaav mein kangress haari hai. unke kaale kaarnaamo k sambandh mein rajnitik jagat mein charcha lucknow mein aaj bhi hoti rehti hai yah sab hamare aadhunik raja maharaj hain . maharajaon ki jaankaari k liye sir jemini das mantri kapoorthala state ne maharaja kitaab likhi hai padhne yogy hai jara sa usko bhi dekhein rahi baat shadyantr suraksha ya any savaalon ka uska koi arth nahi hai afsosh is baat ka hai ki unke kaarnaamo ki saja bahut baad mein mil rahi hai yah kary bahut pehle hona chahiye tha jisse log sabak lete uttar pradesh ki rajniti mein bahut saare chere paksh aur vipaksh mein unhi k padchinho mein chal rahe hain na ismein koi shadyantr hai na ismein koi bhayanak baat hai aur na ismein koi frod hai yahi inka asli jeevan charitr hai.
sadar
suman
ये सभी प्रश्न अभी बहुत दिनों तक अनुत्तरित रहेंगे। लेकिन तिवारी जी के व्यक्तित्व पर जो कालिख लगी है वह शायद ही कभी धुल पाए।
ReplyDeleteतिवाडी जी की माया वही जाने .
ReplyDeletePlease click :
ReplyDeletehttps://mail.google.com/mail/?hl=en&shva=1&ui=1&ov=0
Jawab mil jayega
मुझे तो साजिश की बू आती है। धन्यवाद्
ReplyDeleteकिसी पर आरोप नहीं, मगर सेक्सपर्ट कहते है, सेक्स किसी भी आयू में किया जा सकता है. 80 के हो या 85 के. मन के जवान (यहाँ रंगीन-मिजाज) होने की बात है.
ReplyDeleteदुसरी ओर कहा जा रहा है कि किसी महिला ने कन्याएं उपलब्ध करवाई थी और उसी महिला के साथ मिलकर अभियान को अंजाम दिया गया. यानी महिला तिवारी की विशवस्त थी अतः कैमरा लगाना मुश्किल नहीं था.
सत्य राम जाने.
सच क्या है यह तो वहीं जानता है जो कर्म करता है या भोगता है...। जब तक वे महिलाये सामने नही आती कुछ भी नही कहा जा सकता....यह षडयंत्र भी हो सकता है....। वैसे आज के माहौल को देख कर कहा जा सकता है कि यहां कुछ भी होना असंभव नही है....
ReplyDeleteतिवारी जी के क्या कहने...!
ReplyDeleteयूपी में तीन बार और उत्तराखण्ड में दो बार गद्दी सम्हाल चुके। केन्द्र में कई बार मन्त्री रहे। देश पर इतना एहसान किया है तो कुछ मजूरी वसूल लिया होगा। :)
हमारे संस्कार हमें यह मानने के लिए हमें सहमत नहीं होने देते ....बाकि समय और राजनीतिक पृष्ठभूमि में के मद्देनजर इसमें कोई आश्चर्य नहीं?
ReplyDeleteराजनीति के खेल में कुछ भी हो सकता है ..........
ReplyDeleteआदरणीय साहेब!
ReplyDeleteअतियन्त दुख और दर्द के साथ लिखना पड रहा है की नैतिकता का नाश करने पर तुले यह सटियाये बूढे घोडे लाल लगाम वाले नेताओ को नगा करके गधे पर बैठा कर खुले मैदान मे कोडे बरसाने चाहिए।
अथा धन अथा सोहरत, का यही एक रास्ता बनता है अनैतिकता। सभी राजनेता नोकरशाहो, के पास काले धन की अपार अर्जना के मद मे चूर होकर काले कारनामे किये थे और कर रहे है, शायद यह सिलसीला तब तक नही थमेगा जब तक घन बल नगण्य नही हो जाता है।
१९४९ को तेरापन्थ के आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत का अलख जगाया था। देश के राजनेताओ मे नैतिकता के हास को देख वे बडे ही चिन्तित रहते थे। आचार्य श्री तुलसी जी ने तत्कालिन राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू से कहा था जब तक राजनेताओ ki अनैतिकता par अकुश नही लगेगा देश समाज के लोगो का विकास असम्भ्व है। उन्होने अणुव्रत को अपनाने पर बल दिया।
सर आप कुछ और घटनाओ पर नजर डाले
१९७८ मे तत्कालिन रक्षामन्त्री बाबु जगजीवन राम के बेटे की सुर्या नामक मैगजिन मे एक महिला के साथ रिश्ते की तस्वीर छपने ए बाद देश शॉक रह गया था। इस मगजिन की एडीटर मेनका गान्धी थी।
२००६ मे गरमाई थी घाटी: मई २००६ मे ऐसा सेक्स विडियो सामने आया था जिसमे कश्मीर के कई नामी गरामी नेताओ नोकर शाहो को किशोरियो को आपतजनक स्थिति मे दिखाया गया था।
दिसम्बर २००५ मे सघ के एक नेता और बेजेपी के महासचिव सजय जोशी को एक स्टिग ऑपरेशन के विडियो मे एक अज्ञात महिला के साथ आपतजनिक स्थिति मे दिखलाया गया।
अमरमणि त्रिपाठी एव मधुमति का किस्सा तो जग जाहिर
उतराख्ण्ड के राजस्व मन्त्री हडक सिह को एक असमी महिला के साथ रिस्तो के आरोप मे २००३ मे इस्तिफा देना पडा। यह महीला बिन ब्याही मॉ बनी थी।
रक्षा ठेको मे करप्शन को उजागर करने के लिए स्टिग ऑपरेशन :वेस्ट एण्डः मे समता पार्टी के कोषाअध्यक्ष को कॉल गर्ल मागते देखा गया।
केरल मे अक्टुबर १९९७ कोझीकोड मे इस पार्लर को सेक्स ट्रेड और लडकियो को बरगलाने के लिऍ स्तेमाल किया गया था । इसमे मुस्लिम लिग के महसुर नेता पी के कुजलिकुट्टी अभियुक्त बने
ब्लोग चर्चा मुन्नाभाई की
what you have missed out is that age is not the factor . n d tiwari was notorious always and has a illegitimate child also . the child is now a fully grown up man who is fighting paternity case against him
ReplyDeleteevery man when caught says its a ploy to tarnish his image because he assumes that " only he has a image "
those woman are not coming out in open because they are worried of "social stigma " that will be aatached to their lifes now after the sting operation
age is no factor , to show "that a man is man " !!!!!!!!!
justifying such acts and waiting for proof is what indian society has always been doing and that is why babies like ruchika commit sucide and molestors like rathor get medals !!!!!!!!
शायद संगीता पुरी जी बतला सकेंगी कि उन पर क्या ग्रहण लगा है :) वैसे भी, हाल ही में एक महिला कार्यकर्ता ने उन पर आरोप लगाया था कि उसका पुत्र उन्हीं की देन है। बात डी एन ए टेस्ट तक भी गई थी पर अदालत ने केस रफ़ा दफ़ा कर दिया था।
ReplyDeleteउम्र गुजार चुके मानव का जो कृत्य दिखाया जा रहा, वह शर्मनाक व निंदनीय है।
ReplyDeleteकिन्तु किसी खदान के लाइसेंस के लिये जो स्त्रियाँ शिक्षित/ जागरूक/ नतीजों से बाखबर हो कर स्वयं को प्रस्तुत कर रहीं हैं उनका आकलन कौन करेगा?
खदान का लाइसेंस मिल जाता तो यही स्त्रियाँ इठलाती घूमती (मुझे मालूम है इस 'इठलाने' शब्द पर बहस की दिशा मोड़ी जाने वाली है)
वह बूढ़ा कहीं बाग में टहलने नहीं गया था और न ही वह स्त्रियाँ कमजोर, लाचार, अपहृत, भयभीत थीं या सुनसान रास्ते पर अकेली जा रहीं थीं।
कहा जा रहा है मर्द मर्द ही होता है यह बताने के लिये उम्र मायने नहीं रखती,
फिर तो औरत औरत ही होती है यह बताने के लिये नीयत मायने नहीं रखती।
ज्ञानदत्त जी, मैने जब यह खबर पढी ओर तिवारी जी का चित्र ओर उम्र देखी तो मुझे भी यह एक षणयंत्र ही लगा, ओर है भी, बाकी बाते आप ने अपने लेख मै लिखी है, इस लिये इन खबरो को ज्यादा तुल देने की जरुरत नही,
ReplyDeleteसच को आंखॊ से देखने के आलावा हमे कानो से देखने, ओर दिमाग से सोचने की भी जरुरत होती है कि यह केसी स्थितियो मै हो रहा है, ओर किन जगह पर हो रहा है,
आप का ओर जी विश्वनाथ जी का धन्यवाद जिन्होने इस बात से परदा ऊठाने कि कोशिश की है
यह एक भयानक षड्यंत्र है -राजभवन में भी ख़ुफ़िया कैमरे और और स्टेज्द शो ? और बलि का बकरा बनते तिवारी -ये बेहद खतरनाक संकेत हैं ! भाड़ में जाय तिवारी मगर राजभवन की सुरक्षा में भयानक चूक ,शिथिलता पर क्या कार्यवाही होनी चाहिए वक्त इसका भी है !
ReplyDeleteऔर इस तरह का यौनीय चारा लगाकर किसी भी को भी फांसा जा सकता है !क्या मानवीय (जैवीय ) भावनाओं को दुलराते हुए ऐसे स्टिंग आपरेशन किसी भी दृश्य से उचित हैं ?
साहेब !
ReplyDeleteक्या कहा जाय , हम इतने सूचना साधनों के रहते
भी निरुपाय से हैं .. उलटे ये साधन भी 'अपोजिट '
रोल में भी खेलने लगते हैं , दुनिया की गति किधर है !
.
.
पर , सेक्स का सम्बन्ध सिर्फ शारीरिक नहीं , मानसिक
भी हैं , ऐसी स्थिति में दिमाग की उम्र क्या और कैसी
है , यह भी मायने रखती है , नेता दिमाग से बूढ़े होते
हैं या नहीं , नहीं कह सकता , कमी तो कुछ होती नहीं
इनके पास , कोई भी शौक फरमा सकते हैं ,,,
तिवारी जी की रंगीन जिंदगी के बीते किस्से पूरे कुमाऊं और गढ़वाल की पहाड़ियों में मशहूर हैं। ये कांड तो कोई आश्चर्य लेकर नहीं आया है।...और यहां मैं भी रचना जी से शब्दशः सहमत हूँ।
ReplyDeleteइससे साबित होता है की राजनैतिक गन्दगी किस सीमा पर पहुँच चुकी है.
ReplyDeleteटिप्पणिय़ों के लिए सभी मित्रों को मेरा धन्यवाद।
ReplyDeleteइस विषय पर मैंने अन्य मंचों पर भी अंग्रेज़ी में लिखा था।
उत्तर/टिप्पणियाँ रोचक हैं।
ताजा समाचार के अनुसार, तिवारीजी का इस्तीफ़ा मंजूर हो गया है। सुना है कि सोनियाजी ने दबाव डाली थी, पार्टी को बदनामी से बचाने के लिए।
राजीवजी,
आपकी दी हुई कडी काम नहीं कर रही।
google mail का dialog box खुलता है।
कुछ और विचार मेरे पास आए हैं अन्य सूत्रों से:
एक सज्जन कह रहे हैं तिवारी जी ने कौनसा गैर कानूनी काम किया है? इस उम्र में यदि इतनी काबिलियत रखते हैं तो गर्व की बात है! चलो मोरारजी भाई से तो अच्छे ही हैं जो ३० साल की उम्र में ही यौन सम्बन्ध हमेशा के लिए त्याग दिया था? यदि आम सुखी वैवाहिक जीवन बिताते होते , तो कौन जाने, राजनीति में भी कुछ कर दिखाते! आजीवन इन्दिराजी का विरोध करना ही उन्का मकसद बन गया था। "His sexual frustration showed in his attitude".
एक और मित्र लिखते हैं:
क्या तिवारीजी के यहाँ महिलाओं का शोषण हो रहा था? अपनी मर्जी से वे तिवारी जी के शयन कक्ष में गई थीं। रात को राज्यपाल साहब अपने कमरे में क्या कर रहे हैं वह उनका निजी मामला है। मीडिया को इसमें क्यों रुची है? क्या महिलाओं ने फ़रियाद की थी? उनके साथ कोई ज़ोर - ज़बरदस्ती हुई थी? जाहिर है कि ऐसी गितिविधियाँ वर्षों से चलती थी और किसी को अब तक कोई परेशानी नहीं हुई है. यह आज की घटना कोई नयी घटना तो नहीं? बात का बतंगड बनाया जा रहा है।
कई मित्रों ने यह जानकारी दी है कि तिवारीजी के खिलाफ़ एक पैटर्निटी मुकदमा चल रहा है। उज्ज्वला के पुत्र रोहित ने दावा किया है कि तिवारी जी उनके पिता हैं। इस दावे में स्वयं उसकी मां उज्ज्वला का समर्थन भी है। यदि तिवारी जी निर्दोष हैं तो डी एन ए टेस्ट करने से क्यों कतरा रहे हैं?
औरों ने लिखा है की जनाब, किसी भी उम्र में मर्द मर्द ही रहता है। चाहे कुछ करने की क्षमता न हो, पर मन में इच्छा अवश्य होती रहती है। ज्यादातर मर्द इस इच्छा पर काबू कर लेते हैं या उन्हें अवसर ही नहीं मिलता पर कई लोग काबू नहीं कर पाते या नहीं करना चाहते। यह जरूरी नहीं कि उस रात तीन महिलाओं के साथ असली संभोग ही हुआ हो। रति क्रीडा के कई और तरीके भी होते हैं। आखिर कामसूत्र तो विश्व को हमारे देश की ही देन है! तो यह कहना कि उनकी आयु ८६ है और इसलिए यह कहानी झूठी है, तर्कहीन है। Passive sex का अनुभव किसी भी उम्र में किया जा सकता है।
वासना जब आदमी को जकड लेता है तो वह यह नहीं देखता के नारी की उम्र क्या है। महिलाओं की उम्र उनके पोतियों के बराबर होना कोई माइने नहीं रखती।
एक मित्र लिखते हैं की तिवारी जी की यह कमजोरी (या शक्ति?) उत्तराखण्ड में कई लोग जानते थे। उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है।
यह भी बताया जा रहा है कि लोग जितने बडे होते हैं, उनकी कारनामें उतनी ही बडी होती हैं। इटली के राष्ट्रपति के बारे में सब कुछ सार्वजनिक है। वे तो छाती पीठकर अपनी इस "शक्ति" के बारे में ऐलान कर रहे हैं। इन्डोनीसिया के पूर्व राष्ट्र्पति सुकार्नो के बारे में भी हम सुन चुके हैं। बिल क्लिन्टन को कौन नहीं जानता? ब्रिटेन में Profumo sex scandal के बारे में भी एक मित्रने याद दिलाया . १९४७ के पूर्व, हमारे कई राजा महाराजों के बारे में भी ऐसा (या यूं कहिए कि इस से भी बढिया किस्सा) सुनने को मिलता था। कौनसा तीर मारा है तिवारी ने?
अब तो नए चुटकुले भी circulate होने लगे हैं। सुना है कि viagra के competitor अपने पिल का नाम "Tiwari Plus" रखना चाहते हैं और उनको अपना Brand ambassador बनाना चाहते है!
मेरा सोच था कि यह एक षडयन्त्र है। इस पर एक सज्जन लिखते हैं कि मैं बिल्कुल भोला हूँ। दुनियादारी इस उम्र में भी नहीं सीखी! वह लिखते हैं "Grow up, man! every one is not like you!"
चलो अच्छा हुआ! मेरा रेप्युटेशन साफ़ है!
ज्ञानजी को मेरा यह अतिथि पोस्ट छापने के लिए धन्यवाद।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
@ श्री विश्वनाथ -
ReplyDeleteजब कल देर रात आपकी पोस्ट मिली, तो मैने सोचा कि लोगों की ताजा प्रतिक्रियायें देखी जायें। लिहाजा आजकी पोस्ट बदली जल्दी से।
और प्रतिक्रियायें मिली जम कर!
अगर आप साइड लेते और एक तरफा बात करते तो या तो अंगूठा चूस रहे होते या सारा दिन तर्कों को काउण्टर करने में लगा रहे होते! :-)
समार लाल जी से सहमत हूं।
ReplyDeleteRespected Vishvwanath ji please see e paper of India Express. This is not first time???
ReplyDeletehttp://epaper.indianexpress.com/IE/IEH/2009/12/27/index.shtml
and also you may want to see
https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=ee4843b97d&view=att&th=125cad845226175d&attid=0.2&disp=inline&realattid=0.2&zw
------------------
https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=ee4843b97d&view=att&th=125cad845226175d&attid=0.4&disp=inline&realattid=0.4&zw
तिवारीजी के अतीत को देखते हुए यह सब षड्यंत्र नहीं लगता। एक बड़ी पार्टी के शय्याशायी वरिष्ठ नेता नेता के अविवाहित रहने के पीछे की बातें भी कम अनैतिक नहीं हैं। पर उनका महिमामंडन आज भी किया जाता है।
ReplyDeleteहम अजित जी से सहमत्।
ReplyDeleteकईयों ने कहा कि महिलाओं के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी तिवारी ने। कहने का तात्पर्य ये था कि महिलाएं अपना मतलब साधने के लिए खुद को परोस रही थीं …अगर ऐसा मान भी लिया जाए तो बिचारे तिवारी जी की क्या मजबूरी रही कि उन्हों ने इस परोसने का विरोध नहीं किया या करना जरूरी नहीं समझा
क्या ऐसे भी मर्द होते हैं जो इस उम्र में भी ऐसी क्षमताएं रख सकते है? sambhav nahi hai ..ye ek sajis ho sakta hai..aur yadi sahi hai too..tiwariji wakai pure mard hai jo isa umra me 3-3 mahilao ko liptaye huye hai...
ReplyDeleteसब कुछ सम्भव है। आपके प्रश्न भी और आपके सन्देह भी। काजल की कोठरी में रहकर बेदाग निकल पाना असम्भवप्राय: है।
ReplyDeleteबडी बात यह है कि राज भवन जैसे सुरक्षित और निषेधित आवास परिसर भी 'ओपन टू एयर' होते जा रहे हैं।
पारदर्शिता का बढता दायरा हम सबको मुबारक हो।
इन्द्र कुमार जी की टिप्पणी -
ReplyDeleteI too dont know much about tiwariji but the question is why every time tiwariji is the centre of these type of controversies?? Earlier we have witnessed that a youngman had claimed to be his son and was even ready for DNA test but his plea was rejected by the court. This time also the news channel is confident that the tapes and recordings can stand any tests by the CFLs..
पुनश्च -इतना ज्ञानार्जन होने के बाद यह भी क्यूं छूटा रहे -
ReplyDeleteइन मामलों में गांधी जी ही पक्के खिलाड़ी निकले ,डंके की चोट पर सत्य के प्रयोग
किये और सबके चहेते भी बने रहे ! विश्वनाथ जी काफी परिपक्व हैं !
इनकी परिपक्व गेस्ट पोस्टें भविष्य में भी स्वागत योग्य होगीं !
Thanks once again to all readers and for the subsequent comments received after I posted my acknowledgement.
ReplyDeleteAs rightly pointed out by some of you, there is one issue here which is escaping the attention of everyone because it has no sleaze value.
The juiciness of the news about Tiwari's escapades has overshadowed the issue of security and privacy.
If even the Raj Bhavan can be invaded like this, it speaks volumes for the effectiveness of security measures in our country.
Right or wrong, moral or immoral, any human being has a right to some privacy.
While technology has been a blessing, it can mercilessly invade anyone's privacy. It used to be said that walls have hears. Now everything has ears and also eyes!
So what should future adventurers like Tiwari do? Switch off all lights perhaps and also cover themselves with blankets and perhaps wear a mask? May be that will work till the next technlogocial innovation penetrates opacity and darkness too.
Where will all this end finally?
God forbid we finally end up losing the fight for privacy and in disgust throw shame, caution and discretion to the winds and do what all animals do nonchalantly, that is copulate publicly without a care in the world.
It will shock us in the beginning perhaps but then soon we may get used to it.
Just wondering.
Regards to all
G Vishwanath
साफ रेप्युटेशन! मुबारक.
ReplyDeleteआदरनीय पाण्डेय जी,
ReplyDeleteसादर प्रणाम,
भाई सुरेश चिपलूनकर के ब्लॉग से आप का पता मिला. आप के विचार पढ़ कर लगा की मैं आब तक एक प्रबुद्ध विचारक की विचार गंगा से वंचित था.
आप के विचारों से हालांके मैं बिलकुल सहमत नहीं हूँ, फिर भी मैं आप के विचारों के प्रसंशा करता हूँ. आप के विचार आप की निर्मल सोच के प्रतिबिम्भ हैं.
जैसा आप के विचार हैं वैसा ही आप का व्यक्तित्व भी होगा. आप का निर्मल मन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होता की तिवारी जी जैसा उमरदराज आदमी एससी निम्न कोटि की भी हरकत bhee कर सकता है? कम से कम ८६ वर्ष के व्यक्ती के वारे में तो एसा soch कर to खुद अपने आप से भी घिन आने लगती है. अतः आप के द्वारा उठाई गई सभी प्रशन तो स्वाभाविक हैं पर क्या करें अपने देश के राजनीतिक चरित्र का? यहाँ तो हर शाख पर उल्लू बैठे हैं अंजाम को कोई कहाँ तक रोई? यहाँ तो राजनीती के har स्तम्भ पर भारस्ताचार के अक अलग कहानी लिखी है./ baat इतनी सी नहीं है उस से भी बढ़ा दुर्भायाग्य यह है की हम लोग हर चुनाव मैं in भ्रस्त stambhon को और पुख्ता karne मैं अपनी जान लगा देते हैं. phir prem से bolte हैं - जय हो
--
Regards
Dikshit Ajay K
ये लो भला... अगर मेरी कोई फार्मास्युटिकल कम्पनी होती तो अब तक ब्राण्ड अम्बेसडर बना चुका होता...
ReplyDeleteआदरनीय पाण्डेय जी,
ReplyDeleteसादर प्रणाम,
भाई सुरेश चिपलूनकर के ब्लॉग से आप का पता मिला. आप के विचार पढ़ कर लगा की मैं आब तक एक प्रबुद्ध विचारक की विचार गंगा से वंचित था.
आप के विचारों से हालांके मैं बिलकुल सहमत नहीं हूँ, फिर भी मैं आप के विचारों के प्रसंशा करता हूँ. आप के विचार आप की निर्मल सोच के प्रतिबिम्भ हैं.
जैसा आप के विचार हैं वैसा ही आप का व्यक्तित्व भी होगा. आप का निर्मल मन इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होता की तिवारी जी जैसा उमरदराज आदमी एससी निम्न कोटि की भी हरकत bhee कर सकता है? कम से कम ८६ वर्ष के व्यक्ती के वारे में तो एसा soch कर to खुद अपने आप से भी घिन आने लगती है. अतः आप के द्वारा उठाई गई सभी प्रशन तो स्वाभाविक हैं पर क्या करें अपने देश के राजनीतिक चरित्र का? यहाँ तो हर शाख पर उल्लू बैठे हैं अंजाम को कोई कहाँ तक रोई? यहाँ तो राजनीती के har स्तम्भ पर भारस्ताचार के अक अलग कहानी लिखी है./ baat इतनी सी नहीं है उस से भी बढ़ा दुर्भायाग्य यह है की हम लोग हर चुनाव मैं in भ्रस्त stambhon को और पुख्ता karne मैं अपनी जान लगा देते हैं. phir prem से bolte हैं - जय हो
--
Regards
Dikshit Ajay K
sriman ji,
ReplyDeleteari narayan datt tiwari sahab uttarpradesh aur uttranchal mein mukhymantri rahe hain . sri tiwari ji jab jab kangress ko chunaav ladvayein hain buri tarike se chunaav mein kangress haari hai. unke kaale kaarnaamo k sambandh mein rajnitik jagat mein charcha lucknow mein aaj bhi hoti rehti hai yah sab hamare aadhunik raja maharaj hain . maharajaon ki jaankaari k liye sir jemini das mantri kapoorthala state ne maharaja kitaab likhi hai padhne yogy hai jara sa usko bhi dekhein rahi baat shadyantr suraksha ya any savaalon ka uska koi arth nahi hai afsosh is baat ka hai ki unke kaarnaamo ki saja bahut baad mein mil rahi hai yah kary bahut pehle hona chahiye tha jisse log sabak lete uttar pradesh ki rajniti mein bahut saare chere paksh aur vipaksh mein unhi k padchinho mein chal rahe hain na ismein koi shadyantr hai na ismein koi bhayanak baat hai aur na ismein koi frod hai yahi inka asli jeevan charitr hai.
sadar
suman
श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी ने बहुत उचित प्रश्न उठाये हैं -पूरा मामला निश्चिततः एक षड्यंत्र का हिस्स्सा लगता है -राजभवन में स्टिंग आपरेशन -तारतार होती सुरक्षा ,भाड़े की दुश्चरित्रायें ,जासूसी कैमरा और एक निढाल सा व्यक्ति ! क्या है यह सब ? तिवारी जी बिचारे फस गए!
ReplyDeleteमुझे तो किसी षणयंत्र की बू आती है.
ReplyDeleteरही बात मिडिया की, उनको तो मसाला मिला और लगे उछालने:
न जाने कितना सच, न जाने कितना झूट!!
मिडिया मंत्र बस एक है, लूट सके तो लूट...
वैसे भी क्या राज भवन की सुरक्षा इतनी लचर है कि कोई बैडरुम तक पहुँच गया तस्वीर उतारने??
विश्वनाथ जी को इतने बाद देखना सुखद रहा, प्रणाम एवं नव वर्ष की शुभकामनाएँ.