Saturday, December 19, 2009

मालगाड़ी या राजधानी एक्स्प्रेस?!

क्या राजधानी की तरह चली हमारी मालगाड़ी!

राजधानी एक्स्प्रेस दिल्ली से मुगलसराय तक नौ घण्टा समय लेती है। कालका मेल सवेरे सात बज कर सैतीस मिनट पर गाजियाबाद से चल कर शाम आठ बज कर दस मिनट पर मुगलसराय पंहुचती है।

Vidit Tiwari श्री विदित तिवारी, मुख्य गाड़ी नियंत्रक, इलाहाबाद रेल मण्डल अपने नियंत्रण कक्ष में। इन्ही के मण्डल में गाजियाबाद से मुगल सराय का खण्ड आता है।

यह मालगाड़ी कल सवेरे आठ बजकर तीस मिनट पर गाजियाबाद से निकली और शाम छ बज कर सत्रह मिनट पर मुगलसराय पंहुच गई थी। यानी कुल नौ घण्टे सैंतालीस मिनट में! कालका मेल को रास्ते में पीछे छोड़ती। जबरदस्त सनसनी का मामला था जी!

हमें हाल ही में बॉक्सएन एच.एल. (BOXNHL) वैगनों की रेक लदी दशा में ७५ कि.मी.प्र.घ. और खाली दशा में १०० कि.मी.प्र.घ. से चलाने की अनुमति कमिश्नर रेलवे सेफ्टी की अनुशंसा पर रेलवे बोर्ड ने प्रदान की है। उसके बाद खाली दशा में गति का पूरा पोटेंशियल दोहन कर पाने के प्रयास प्रारम्भ हुये।

Upendra Singh उत्तर-मध्य रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबन्धक श्री उपेंद्र कुमार सिंह। रेल-कर्मियों को उत्साहित करने के मुख्य उत्प्रेरक!

मालगाड़ी चालकों, स्टेशन मास्टरों और गाड़ी नियंत्रकों को उत्साह की दशा में लाने का कार्य किया उत्तर-मध्य रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबन्धक महोदय ने। एक ५९ बॉक्सएन एच.एल. की गाड़ी बारह घण्टे से कम में गाजियाबाद से मुगल सराय पंहुच गई। उसके बाद तो मामला रिकार्ड तोड़ने का बनता गया। एक अन्य गाड़ी दस घण्टे दस मिनट में यह दूरी तय कर गई। और यह तीसरी मालगाड़ी तो राजधानी एक्स्प्रेस की गति रेंज में आ गयी!

आने वाले दिनों में हो सकता है कि कोई मालगाड़ी राजधानी एक्स्प्रेस से भी कम समय ले!

इस शानदार सफलता का काम इलाहाबाद रेल मण्डल के कर्मियों नें किया है। मेरे पास इस मालगाड़ी का चित्र नहीं है; पर मैं इलाहाबाद मण्डल के चीफ ट्रेन कण्टोलर श्री विदित तिवारी का चित्र लगा रहा हूं, पोस्ट पर। यह बताने के लिये कि हमारे कर्मचारी कितना बढ़िया काम करते हैं। श्री विदित तिवारी रेल मन्त्री के पुरस्कार से सम्मानित कर्मी हैं।

हां, यह सनद के लिये कह दूं कि मैं उत्तर-मध्य रेलवे का मुख्य माल-यातायात प्रबन्धक हूं और मालगाड़ी प्रबन्धन में मेरी भी भूमिका है। 

कुल उनसठ बॉक्सएन एच.एल. (BOXNHL) वैगनों की यह मालगाड़ी डब्ल्यू.ए.जी.९ (WAG9) लोकोमोटिव युक्त, धनबाद के कोयला क्षेत्र से कोयला ले कर मुगलसराय के रास्ते दिल्ली-हरियाणा-पंजाब के विद्युत उत्पादन केंद्रों को जाती है। वापसी में यह हमें खाली दशा में गाजियाबाद में इसी इन्जन के साथ मिलती है। यह इंजन १०० कि.मी.प्र.घ. की रफ्तार पकड़ लेता है। यह कुल ७५० किलोमीटर की यात्रा करती है गाजियाबाद से मुगलसराय तक। जिस मालगाड़ी का ऊपर जिक्र है, उसकी औसत गति आई ७७ कि.मी.प्र.घ.! तुलना के लिये बता दूं कि एक सामान्य मालगाड़ी औसत रूप से ३२ कि.मी.प्र.घ. की रफ्तार से यह दूरी तय करती है।      


38 comments:

  1. पांडे जी, तो भारतीय रेल अब एक नए युग में प्रवेश कर रही है. आपको हार्दिक बधाई! यहाँ अमेरिका में तो रेल परवहन की हालत काफी खस्ता दीखती है. निकट भविष्य में भारत में बेहतर राजपथ और हवाई सेवा से क्या आप रेल परिवहन को कोई ख़तरा देखते हैं?

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  2. आप और आपका विभाग बधाई का पात्र है. ऐसे ही नये आयाम स्थापित होते रहें, अनेक शुभकामनाएँ.

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  3. अच्छी जानकारी। बहुत-बहुत बधाई। यह अच्छा क़दम है।

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  4. बहुत खूब -बधाईयाँ !

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  5. अब तक तो सवारी गाड़ियों के लेट होने की ही खबरे पढ़ी और देखी हैं ...
    मालगाड़ियों के द्रुत गति का रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए आपको बहुत बधाई ...!!

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  6. हम जब किसी रेलवे क्रॉसिंग पर रुककर गेट खुलने का इन्तजार करते हैं तो आते हुए इन्जन को देखकर यही मनाते हैं कि काश यह मालगाड़ी न होती। मालगाड़ी रेंगते हुए बहुत देर से पार होती है और कुछ ज्यादा ही लम्बी दिखती है। यात्री गाड़ी जल्दी निकल जाती है।

    अब मालगाड़ी भी राजधानी एक्सप्रेस का मुकाबला कर रही है तो निश्चित ही समय बदल रहा है। रोचक जानकारी।

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  7. आपको और आपके विभाग को इस उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनाएँ !
    आगे भी भारतीय रेल ऐसी ही उपलब्धियां हासिल करते हुए प्रगति के पथ पर बढती रहे |

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  8. बधाई!! वाकई अद्भुत..

    अच्छा है दीदी मंत्री है.. लालू होते तो कुछ सीटें मालगाडी में लगा कर मुसाफिर भी भेज देते.. राजधानी से ज्यादा किराए में :)

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  9. वाह ये तो बहुत ही अच्छी खबर है, इससे ट्राफ़िक की रफ़्तार भी तेज होगी, आपको भी बहुत बधाई..

    अब तो रेल्वे को इसमें २-३ यात्री वैगन भी लगाकर इसमें आरक्षण करना शुरु कर देना चाहिये और राजधानी का किराया वसूल करना चाहिये। यात्रियों को तो सुविधा होगी ही कि उनको नॉनस्टॉप गाड़ी मिलेगी साथ ही रेल्वे को फ़ायदा भी होगा।

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  10. हमारी रेलगाड़ियाँ भी इतनी तेज चलती हैं, और वो भी मालगाड़ी -जानकर अच्छा लगा । अभी परसों ही एक रेलवे क्रासिंग पर एक मालगाड़ी ने इतना वक्त लगाया कि धैर्य टूट गया ।

    आभार ।

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  11. Dil Khush HOi Gawa Padh ke Khaliha mein MAllGadi ki Rajdhani Chal.

    SOchat hun Kahe na Ehi MEin Dilli se
    Howrah Chalun Khalihe ta jaat Ba.

    By Shri Mohan PAndey

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  12. चलिये माल गाडी भी दौडी तेज़ी से वैसे ए.बी.बी से तेज़ दौड्ने वाले इन्जिन आज से २० साल पहले कमीशन लेकर खरीद लिये थे . जब इन इन्जिनो की जान्च हुइ थी तो मेरे पिता जी आर.सी.सी कमेटी मे थे .उस समय ट्रेक ही इस काबिल नही थे कि यह इन्जिन दौड पाते .

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  13. बहुत अच्छी और रोचक जानकारी---।
    पूनम

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  14. बधाई!
    अब बुल्लेट ट्रेन का इन्तज़ार रहेगा।
    बेंगळूरु से चेन्नै, कोच्ची, हैदराबाद, मदुरई, मंगलूरु, २ धंटे में!
    कब आएगा वो दिन?
    शुभकामानाएं!
    जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु

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  15. .
    .
    .
    जिन के उद्यम से यह संभव हुआ...उन सबको बधाई!

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  16. ओह तो ये बात है। इसीलिये छत्तीसगढ मे तेन्दुए मालगाडियो मे सवार होकर रायपुर शहर चले आते है- कम से कम जंगल विभाग का तो यही दावा है। :)

    हो सकता है भविष्य़ मे गति बढने से वे जंगल से रायपुर और रायपुर से जंगल अप-डाउन कर सके। कीप गोइंग।

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  17. बहुत बहुत बधाई.....अच्छा है कहीं तो तेजी आई.....वर्ना जहां देखो....वही बुरा हाल है......
    अब लालू होते तो इस तेजी का जरूर फायदा उठा लेते...वैसे ये बात अलग है कि उन्हे श्वेत पत्र का सामना करना पढ़ रहा है;)

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  18. इस शानदार उपलब्धि और नए रिकार्ड के लिए बधाई! ऐसे प्रयत्न ही देश को आगे बढ़ाते हैं।

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  19. बढिया है जी
    मगर हम तो हर रोज ममता को कोसते हैं। जिस दिन से ममता बनर्जी रेलमंत्री बनी हैं एक दिन भी हमारी ट्रेन टाईम पर नही पहुंची है। पहले ही सवारियां ठसाठस भरी होती थी, उसपर डिब्बे(कोच) और भी कम कर दिये गये हैं।
    लालू जी के समय में तो समय पर पहुंचने के मामले में सुधार काबिले तारिफ था।

    प्रणाम

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  20. देव !
    इस विषय की तो आप ही जान - पहचान रखते हैं ..
    '' नियंत्रण कक्ष '' कितना अच्छा शब्द ! ऐसा नियंत्रण
    जो अपने कक्ष तक ही रह सके :)
    .............. मालगाड़ी का शास्त्र दिलचस्प है :(
    ........... अब तो सोच रहा हूँ कि इन्सान के बदले 'माल' हो जाऊं , यही
    बेहतर होगा , कम-से-कम मालगाड़ी का हिस्सा बनूँगा :)

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  21. बहुत बहुत बधाई जी, लेकिन एक बात यह भी तो है कि माल गाडी कही रुकती नही, ओर मुसाफ़िर गाडी बार बार रुकती है, एक बार रुकने पर हम करीब ऎक घंटा पीछे हो जाते है....

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  22. इस प्रकार की विकासोन्मुखी उपलब्धियों के लिए किसी चैनल के पास समय कहां, सनसनियों से समय बचे तो सोचें...यही हैं वे क्रांतियां जो किसी भी राष्ट्र के जीवन में चुपचाप करवट लेती हैं.

    और हां,..."आने वाले दिनों में हो सकता है कि कोई मालगाड़ी राजधानी एक्स्प्रेस से भी कम समय ले!"...उसी दिन से लोग भी मालगाड़ी का टिकट मांगने लगेंगे, यह भी हो सकता है :)

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  23. मालगाडियॉं ही तो रेल्‍वे की वास्‍तविक 'कमाऊ बेटियॉं' हैं। रेल का अर्थशास्‍त्र इन्‍हीं पर निर्भर है। कमा कर देनेवाली बेटी को तो प्रथमिकता और सम्‍मान मिलना ही चाहिए। फिर, यह सम्‍‍मान तो इनका, खुद का कमाया हुआ है।
    बधाइयां और अभिनन्‍दन। समस्‍त सम्‍बन्धितों को साधुवाद। और इतनी अच्‍छी जानकारी देने के लिए आपको धन्‍यवाद।

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  24. " यानी कुल नौ घण्टे सैंतालीस मिनट में! कालका मेल को रास्ते में पीछे छोड़ती। जबरदस्त सनसनी का मामला था जी"

    बधाई सरजी॥ पर एक संशय है.... कहीं ये लालू बजट जैसा मैनिपुलेशन तो नहीं है... दीदी देख रही है, सावधान :)

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  25. आपके कारण रेलवे के बारे में नयी जानकारियां लगातार मिलती रहेंगी, ऐसी हम सब आपसे उम्मीद करते हैं ! आपके नेतृत्व में, भारतीय रेलवे ने, कछुआ गाड़ी को भी इस गति से दौड़ा दिया, अतः बधाई स्वीकार करें !

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  26. बड़े दिनों के बाद विश्वनाथ जी को देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई.

    और आपकी खुशी का अंदाजा लगा सकता हूं. मुझे एक घटना याद हो आई है कोई दस वर्ष पहले की. एक प्रॉडक्शन यूनिट में शिफ़्ट इन्चार्ज था. हम तीन इंजीनियर और कोई सत्तर वर्कर्स. रात्रि कालीन शिफ़्ट में हम लोगों ने कम्पनी के इतिहास में एक नया कीर्तिमान बनाया था. सामान्य उत्पादन पन्द्रह सौ यूनिट का होता था, ज्यादा हुआ तो सत्रह-अठारह सौ. लेकिन उस रात हमने दो हजार यूनिट को पार किया (२०२३ पर जाकर आंकड़ा रुका था. (ऐसा फ़िर कभी नहीं हो सका) सभी का उत्साह देखते ही बनता था. आह... क्या बात थी, अवर्णनीय. आठ घंटे की थकान पर रिकॉर्ड बनाने की ललक बहुत भारी थी. आम तौर पर शिफ़्ट समाप्त होने की आतुरता से प्रतीक्षा करने वाले वर्कर्स तक उस रात चाह रहे थे कि घड़ी थोड़ा मंद पड़े और हम कीर्तिमान रचें. पीछे छूट गया वह समय...

    काम के आनन्द को बनाये रखने के लिये अपने आप को भी पुरस्कृत करना चाहिये. आपने कैसे सेलेब्रेट किया?

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  27. इलाहाबाद रेल मण्डल के कर्मियों को ढेर सारी बधाई।

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  28. जबर्दस्त खबर है ज्ञानदा ये तो। क्या अन्य मंडलों में भी इस तरह के प्रयोग या पहल होने वाली है? बहुत दिनों बाद सरकारी तंत्र से एक उत्सावहवर्धक खबर मुझे जानने को मिली है।
    इसमें यकीनन आप जैसे अफसरों का बड़ा हाथ है।

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  29. इस लेख पर आना एक उपलब्धि रही - बहुत दिनों के बाद पंकज अवधिया जी के दर्शन भए। आज कल लिखते नही हैं - या हमें ही नहीं दिखता? उनके हम फैन हैं। उम्मीद है मेरी बात उन तक पहुँचेगी।
    ___________________
    लखनऊ से एक नॉन स्टॉप मालगाड़ी (बीच में सिरफ गोरखपुर स्टॉप) मेरे गाँव के टीसन तक चलवा दीजिए न - बड़ी मुसीबत होती है गोरखपुर से आगे जाने में। हम माल डिब्बे में ही चल लेंगे। बस स्वच्छ टॉयलेट चाहिए। ... दी तक यह माँग पहुँचा दीजिए। आखिर ब्लॉग दुनिया का सोर्स पानी कब काम आएगा ?

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  30. बहुत हीं सुखद समाचार है यह । बस यह गति नियमित रहे ।

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  31. बधाई ! कुछ तो अच्छा हो रहा है... अभी तो मैं आईआरसीटीसी से परेशान हूँ :)

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  32. आदरणीय पाण्डेय जी,
    बहुत अच्छी खबर सुनायी आपने। आपको और विभाग के सभी अधिकारियों को हार्दिक बधाई।
    लेकिन मुझे याद है काफ़ी पहले एक बार गंगा गोमती के किसी ड्राइवर महोदय को कई बार बिफ़ोर टाइम लखनऊ पहुंचने पर वार्निंग दे दी गयी थी?
    शुभकामनाओं के साथ।
    हेमन्त कुमार

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  33. रंजना जी की टिप्पणी:
    वाह ! इसके लिए तो आप और पूरा टीम ही बधाई का पत्र है....यह बिलकुल ही नयी और रोचक जानकारी थी हमारे लिए..

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  34. Bravo & Well done ....May you break more records & establish newer ones
    this coming year.

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  35. बशुत अच्छी जानकारी है आपको व रेल विभाग को बधाई

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय