मुझे लगता है की अपना कैरी बैग ले कर बाजार जाना बड़ा ही इफेक्टिव तरीका है प्लास्टिक पर अपनी निर्भरता कम करने का। इसके अलावा निम्न उपाय किये जा सकते हैं:
- प्लास्टिक सेशे का प्रयोग कम कर दें। जहाँ तक हो बड़ी क्वान्टिटी में ख़रीदें और कोशिश करें कि वह शीशे के जार में हो.
- जो खुला या बिना प्लास्टिक के कंटेनर के मिले, उसे लेने में रूचि दिखाएँ। मसलन अनाज खुला लें और अपने थैले में ही भरवा लें।
- घर में रखने के लिए शीशे के जार या स्टील के कंटेनर का प्रयोग करें।
- किराने की दुकान का प्रयोग करें अगर सुपर मार्केट/बिग बाजार आप के कैरीबैग को मान्यता नहीं देता। वालमार्ट या बिग बाजार शायद प्लास्टिक के उपयोग को बंद करने वाले अन्तिम लोग हों।
- प्लास्टिक का रिप्लेसमेंट तलाशें। कई चीजें कागज, शीशे या लकडी/मिटटी की मिल सकती हैं। प्लास्टिक के खडखडिया कप की बजाय कुल्हड़ को वरीयता दें।
- अगर प्लास्टिक का कैरीबैग लेना ही पड़े तो मोटा और मजबूत लें, पतली फट जाने वाली पन्नी नहीं।
- आपका प्लास्टिक कम करना आपके सामान्य व्यवहार का अंग हो, कोई मेनिया नहीं।
प्लास्टिक की सही रि-साइक्लिंग नहीं हो पाना ही सारे कचरे का कारण है। बैंगलोर में प्लास्टिक कचरे को गर्म कोलतार में डालकर पिघला कर सड़के बनाने में इस्तेमाल करने का प्रयोग किया गया।
ReplyDeleteक्लिक इफेक्टिव...बडा धांसू शब्द है।
ReplyDeleteखैर मैने पिछली पोस्ट भी पढी थी और ये भी पढी है... :)
इतना तो मैं भी करता हूं कि छोटी मोटी चीजों के साथ थेली नही लेता..चाहे जेब में ही डाल लूं :)
जानकारीपूर्ण सुंदर लेख ।
ReplyDeleteआपके उपाय अनुकरणीय हैं!
ReplyDeleteपाण्डेय जी; लेख बहुत अच्छा है लेकिन हरीराम जी ने बताया है कि प्लास्टिक की सही रि-साइक्लिंग नहीं हो पाना ही सारे कचरे का कारण है.
ReplyDeleteकोई अच्छा सा हल जरूर निकलेगा
बड़ी भली बातें की आपने..
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