पर क्या यह सोच सही है? ऐसा कर हम उस विकलांग को एक कोने में नहीं धकेल देते? उसके मन में और भी कुंठायें नहीं उपजा देते? सही उत्तर तो मनोवैज्ञानिक ही दे सकते हैं. अपने अनुभव से मुझे लगता है कि विकलांग व्यक्ति को हम जितनी सामान्यता से लेंगे उतना ही उसका भला होगा और उतना ही हम अपने व्यक्तित्व को बहुआयामी बना सकेंगे.
उत्तर-मध्य रेलवे के महाप्रबन्धक श्री बुधप्रकाश का बेटा विकलांग है. पर किसी भी सार्वजनिक अवसर पर वे उसे अपने साथ ले जाना नहीं भूलते. लड़के की विकलांगता उन्हें आत्म-दया से पीड़ित कर उनके व्यक्तित्व को कुंठित कर सकती थी. लेकिन विकलांगता को उन्होने सामान्य व्यवहार पर हावी नहीं होने दिया है. कल हमारे यहां 52 वां रेल सप्ताह मनाया गया. इस समारोह में हमारे महाप्रबन्धक ने उत्कृष्ट कार्य के लिये कर्मचारियों व मंडलों को पुरस्कार व शील्ड प्रदान किये. समारोह में जब वे मंचपर पुरस्कार वितरण कर रहे थे तब उनका बेटा व्हील चेयर पर समारोह का अवलोकन कर रहा था. समारोह के बाद व्हील चेयर पर बाहर जाते समय कुछ अधिक समय लगा होगा - बाहर जाने की जल्दी वाले लोगों को कुछ रुकना पड़ा होगा. पर वह सब एक व्यक्ति को सामान्य महसूस कराने के लिये बहुत छोटी कीमत है.
जरूरी है कि हम किसी को लंगड़ा, बहरा, अन्धा, पगला, एंचाताना जैसे सम्बोधन देने से पहले सोचें और उस व्यक्ति में जो सरल-सहज है, उसे सम्बोधित करें – उसकी विकलांगता को नही.
आप अपने आस-पास के विकलांगों को देखें – उनकी क्या स्थिति है?
ज्ञानदत्त जी
ReplyDeleteइस मामले में यहाँ अमरीका में पूरी कोशिश की जाती है कि विकलांगो को पूरी तरह से सामान्य जीवन बीताने दिया जाए। यदि वे ड्राइव कर सकते हैं तो कारों के लिए कार्ड मिल जाते हैं, हर पार्किंग में विकलांगो के लिए अलग से पार्किंग होती है हर शौचालय में भी इस बात पर ध्यान दिया जाता है। हर होटल में ऐसे कमरे होते हैं जो खास इसी ध्यान से बनाए जाते हैं इत्यादि। इस बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं
http://en.wikipedia.org/wiki/Americans_with_Disabilities_Act
पंकज
सच कहा अक्सर विकलांगों से ऐसा व्यवहार किया जाता है कि वे खुद को एक तरह से दोषी समझने लगते हैं। जरुरत इस बात की है कि समाज उनके प्रति अपना नजरिया बदले।
ReplyDeleteविकलांगों के प्रति एक सहज सहानुभूति थी और है। हाँ अब तकलीफ ज्यादा होती है ,जब उन्हें वांछित सुविधा नहीं मिलती या हिकारत से कोई देखता है तब।
ReplyDeleteआज इसे दुबारा पढ़ा। विकलांगता मन की ज्यादा होती है। मेरे यहां एक दरबान है, पैर से लाचार। शारीरिक विकलांग कोटे में आया। प्रतियोगी परीक्षाऒं के लिये तैयारी कर रहा है। उसका आत्मविश्वास देखकर ताज्जुब भी होता है और खुशी भी।
ReplyDeleteज्ञानदत्त जी
ReplyDeleteइस मामले में यहाँ अमरीका में पूरी कोशिश की जाती है कि विकलांगो को पूरी तरह से सामान्य जीवन बीताने दिया जाए। यदि वे ड्राइव कर सकते हैं तो कारों के लिए कार्ड मिल जाते हैं, हर पार्किंग में विकलांगो के लिए अलग से पार्किंग होती है हर शौचालय में भी इस बात पर ध्यान दिया जाता है। हर होटल में ऐसे कमरे होते हैं जो खास इसी ध्यान से बनाए जाते हैं इत्यादि। इस बारे में आप यहाँ पढ़ सकते हैं
http://en.wikipedia.org/wiki/Americans_with_Disabilities_Act
पंकज