सवेरे घूमने जाती मेरी मां ने खबर दी कि शिव कुटी के एतिहासिक मन्दिर पर बहुजन समाज पार्टी का झण्डा फहरा रहा है. चित्र देखें:
(शिव कुटी में कोटेश्वर महादेव मंदिर का कंगूरा - आयत में बसपा का ध्वज)
शिव कुटी का कोटेश्वर महादेव का मन्दिर उस स्थान पर है जहां वनवास जाते समय भगवान राम ने गंगा पार कर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी. तुलसी ने उस विषय में लिखा है:
मुदित नहाइ किन्हि सिव सेवा। पूजि जथाबिधि तीरथ देवा।
राम का शिवलिंग का कोटेश्वर महादेव के रूप में पूजन उनके एक महत अभियान का संकल्प था.
अब जब कोटेश्वर महादेव के पुरी-पुजारी गण; मुफ्त में बंटे बाटी-चोखा और अन्य माल से तृप्त; बसपा का झण्डा शिव मन्दिर पर फहरा रहे हैं, तो समय बदला जानिये मित्रों! बहन जी ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की वकालत कर एक मुद्दा तो झटक ही लिया है. आगे, जैसी सरकार बनाने में जरूरत पड़े, राम मन्दिर बनाने का मुद्दा भी वे भजपा से हड़प लें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये. क्या पता टेण्ट में बैठे राम लला का परमानेण्ट निवास बनाने की निमित्त बसपा बन जाये।
कौन कहता है गिरगिट ही रंग बदल सकता है।
हा-हा! क्या बात है .
ReplyDeleteअर्शीवाद नही भगवान के सिंर पर सवार होने की कोशिस है।
ReplyDeleteकौन कहता है गिरगिट ही रंग बदल सकता है।
ReplyDeleteसियासी दलों को तबियत से निहारो यारों.
--बहुत खूब, पाण्डेय जी.
आपकी पैनी नज़र के क्या कहने!
ReplyDeleteइस पर उड़न तश्तरी जी ने जो फरमाया है, बहुत सटीक है।
Bahan jee is 'Manuwaadi' Tulsi Das ko kosh rahee hongi.Unhein is baat par gussa aata hoga ki Tulsi ne apni chaupaaee mein Ram ke nadee parkar Shiv ki pooja karke wahan Shivling sthaapit karne ki baat ka warnan karke bahan jee ke liye raasta kathin kar diya......
ReplyDeleteSochiye agar Tulsi Das jee ne aisa nahin kiya hota to kya hota...Bahan jee apne party ke ghoshna patra mein is baat ka jikra karti ki ek dalit yaani ki Kewat ne ek sawarn Ram ko apni naav par baithakar yahin to nadi paar karaaya tha.Isliye Daliton aur sawarnon ki dosti ke naam par Bahan jee ne ye mandir yahan banwaaya.....
मैं चुनाव आयोग के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (http://www.and.nic.in/election/MCC-AMENDMENT.pdf) के प्रावधान 1.(3) एवं 1.(6) की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. शिवकुटी के मन्दिर पर बसपा के झण्डे से इनका उलंघन हुआ प्रतीत होता है. चुनाव आयोग एम.सी.सी. के उलंघन पर बहुत सख्त है. पर हिन्दी ब्लॉगरी इतनी शैशवावस्था में है कि उसके दांत ही नहीं हैं. कोई उसे सीरियसली लेता ही नहीं/पढता नहीं।
ReplyDeleteमीडिया अपने में या सरकारी प्रेस रिलीज में ही मस्त है। ब्लॉगों को कौन खंगाले!