हवा में उमस है. मित्रों, पुरवाई नहीं चल रही. वातानुकूलित स्टेल हवा ने हमारा भी संतुलन खराब कर रखा है. हिन्दी पर कोई साफ-साफ स्टैण्ड ही नहीं ले पा रहे हैं. कभी फ्लिप तो कभी फ्लॉप. ज्यादातर फ्लॉप. हमारे एवरग्रीन टॉपिक - कॉर्पोरेट के पक्ष और समाजवाद/साम्यवाद को आउटडेट बताने के ऊपर भी कुछ लिखने का मन नहीं कर रहा. अज़दक जी के ब्लॉग का हाइपर लिंक बना कर लिखें तो कितना लिखें!
ऐसे में, लगता है नॉन-कण्ट्रोवर्शियल बनना बेस्ट पॉलिसी है. इसके निम्न 10 उपाय नजर आते हैं:
- अपने ब्लॉग को केवल फोटो वाला ब्लॉग रखें. फोटो के शीर्षक भी दें – "बिना-शीर्षक" 1/2/3/4/... आदि.
- लिखें तो टॉलस्टाय/प्रेमचन्द/परसाई जी आदि से कबाड़ कर और उन्हे कोट करते हुये. ताली बजे तो आपके नाम. विवाद हो तो टॉलस्टाय/प्रेमचन्द/परसाई के नाम.
- समीर लाल जी की 400-500 टिप्पणियां कॉपी कर एक फाइल में सहेज लें. रेण्डम नम्बर जेनरेटर प्रयोग करते हुये इन टिप्पणियों को अपने नाम से बिना पक्षपात के ब्लॉग पोस्टों पर टिकाते जायें. ये फाइल वैसे भी आपके काम की होगी. आप 2-2 डॉलर में बेंच भी सकते हैं. समीर जी की देखा देखी संजीत त्रिपाठी हैं - वो भी हर जगह विवादहीन टिपेरते पाये जा रहे हैं.
- आपको लिखना भी हो तो कविता लिखें. ढ़ाई लाइनों की हायकू छाप हो तो बहुत अच्छा. गज़ल भी मुफीद है. किसी की भी चुराई जा सकती है - पूरे ट्रेन-लोड में लोग गज़ल लिखते जो हैं. मालगाड़ी से एक दो कट्टा/बोरा उतारने में कहां पता चलता है. कई लोगों का रोजगार इसी सिद्धांत पर चलता है.
- दिन के अंत में मनन करें – कहीं कुछ कंट्रोवशियल तो नहीं टपकाया. हल्का भी डाउट हो तो वहां पुन: जा कर लीपपोती में कुछ लिख आयें. अपने लिये पतली गली कायम कर लें.
- बम-ब्लास्ट वाले ब्लॉगों पर कतई न जायें. नये चिठ्ठों पर जा कर भई वाह – भई वाह करें. किसी मुहल्ले में कदम न रखें. चिठ्ठे रोज बढ़ रहे हैं. कमी नहीं खलेगी.
- फिल्मों के रिव्यू, नयी हीरोइन का परिचय, ब्लॉगर मीट के फोटो, झुमरी तलैया के राम चन्दर को राष्ट्रपति बनाया जाये जैसे मसले पर अपने अमूल्य विचार कभी-कभी रख सकते हैं. उसमें भी किसी को सुदर्शन, हुसैन, चन्द्रमोहन, मोदी जैसे नाम से पुकारने का जोखिम न लें.
- धारदार ब्लॉग पोस्ट लिखने की खुजली से बचें – जितना बच सकें. खुजली ज्यादा हो तो जालिमलोशन/जर्म्सकटर/इचगार्ड आदि बहुत उपाय हैं. नहीं तो शुद्ध नीम की पत्ती उबला पानी वापरें नहाने को.
- अगर खुजली फिर भी नहीं जा रही तो यात्रा पर निकल जायें. साथ में लैपटॉप कतई न ले जायें. वापस आने पर फोटो ब्लॉग या ट्रेवलॉग में मन रमा रहेगा. तबतक खुजली मिट चुकी होगी.
- हो सके तो हिन्दी ब्लॉगरी को टेम्पररी तौर पर छोड़ दें. जैसे धुरविरोधी ने किया है. बाद में वापस आने का मन बन सकता है - इसलिये अपना यू.आर.एल. सरेण्डर न करें. नहीं तो सरेण्डर करते ही कोई झटक लेगा.
मैं रेलवे का उदाहरण देता हूं. कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो अचानक सब खोल में घुस जाते हैं. संरक्षा सर्वोपरि लगती है. तात्कालिक तौर पर यह लगता है कि कुछ न हो. गाड़ियां न चलें. उत्पादन न हो. जब एक्टिविटी न होगी तो संरक्षा 100% होगी. पर 100% संरक्षा मिथक है. असली चीज उत्पादन है, एक्टिविटी है. संरक्षा की रिपोर्ट पर मनन कर अंतत: काम पर लौटते हैं. पहले से कहीं अधिक गहनता से लदान होता है, गाड़ियां चलती हैं, गंतव्य तक पहुंचती हैं. संरक्षा भी रहती है और उत्पादन का ग्राफ उत्तरमुखी होने लगता है. कुछ ही महीनों में हमारी रिपोर्टें उत्पादन में रिकॉर्ड दर्ज करने लगती हैं.
ये हिन्दी ब्लॉगरी कोई अलग फिनॉमिना थोड़े ही होगा? क्यों जी?
गुरुदेव अब कहा टालस्टाय और परसाई जी को पढते फ़िरेगे,तैयार माल आपके ब्लोग पर है ना,
ReplyDeleteहम तो सोच रहे है कल से इसी मे से पुराने आलेखो को छापना शुरू करदे,टिपियारे का टंटा भी खत्म ,आखिर कम से कम आप तॊ टिपियाने आ ही जाओगे "वाह वाह अच्छा लिखा है "लिखने,
:)
क्या सलाह दी है गुरु...अक्षरशहः सही..मान गये महाराल
ReplyDeleteसमीर लाल जी की 400-500 टिप्पणियां कॉपी कर एक फाइल में सहेज लें. रेण्डम नम्बर जेनरेटर प्रयोग करते हुये इन टिप्पणियों को अपने नाम से बिना पक्षपात के ब्लॉग पोस्टों पर टिकाते जायें.
--यह बःई सही है. ईबुक जारी किये देता हूं. और संजीत हमारा शिष्य है तो वही न करेगा जो हमसे सिखेगा..प्रिय शिष्य है भाई. :)
कुछ इस तरह की कविताएं लिखें-नान कंट्रोवर्सियल ब्लागबाजी के लिए-
ReplyDeleteतुम मैं
मैं तुम
हूं हूं
क्यूं क्यूं
हे हे हे हे
करतचरड0दहडदगा
गदहदजग38-0
पकतरवपकचरयटच
तकतकंसलटतैट
तकचतटतौस
(यह जंबोरी बोली की कविता है)
सिर्फ मतलब पूछने के लिए ही सैकड़ों बंदे आपके ब्लाग पर आयेंगे।
आलोक पुराणिक
करतचरड0दहडदगा
ReplyDeleteगदहदजग38-0
पकतरवपकचरयटच
तकतकंसलटतैट
तकचतटतौस
---सैकडों मे से पहला...जरा आलोक जी मिल कर मतलब समझाया जाये...कहीं जंबोरी में हमें गाली तो नहीं बकी गई है..वरना हम चले नारद के पास शिकायत लेकर आप दोनों की. बिना बैन कराये दम न लेंगे.. हा हा!!
दाल-रोटी की चिंता में ही लगे हैं हम जी। जी तमाम तरह के वाद, समाजवाद वगैरह में अपनी आस्था नहीं है, मैं मसाजवाद का समर्थक हूं। मसाजवाद तो समझ ही रहे हैं ना। इस पर एक पोस्ट जल्दी आयेगी।
ReplyDeleteआलोक पुराणिक
आपकी तरफ से एसएमएस आ जाते हैं जी, हमारी तऱफ से नहीं जा पाते पेंडिंग रहते हैं, क्या तकनीकी पेंच हैं जी।
ReplyDeleteआलोक पुराणिक
मान गये गुरु} क्या लिखा है? हम अपने तीस दिन से कम के अनुभव के अधार पर कुछ इस सूची मे जोडना चाहेंगे। ये अच्छा टिप्पणकार बनने के लिये काफ़ी सहायक हैं । ज्ञानदत्त जी जब सिखला रहे हो तो सभी विध सिखलओ । चिठ्ठा लिखते क्यो है, वाह वाह सुनने के लिये। हा, कुछ चिठ्ठा जीव बदनाम हो नाम कमाने मे मानते है, वो खुद का रासता ढूंढ लेते हैं ।
ReplyDeleteकिसी के जन्मदिन या एसा ही कुछ यादगार अवसर हो तो आप बहुत कम लिख बहुत ज्यादा हरकुलेशन मे रह सकते हैं। जैसे कि सुनीता जी को बधाई, आपके चिठ्ठे के एक वर्ष पर बधाई....
कुछ शब्दों का उपयोग कीजिये बहुत खूब, बहुत अच्छा, काफ़ि सटीक ....
ऊ सब तौ ठीके है दद्दा पन जे 250 शब्द से जादा नही न हो गया का।
ReplyDeleteचलौ इ ठीक किया 250 से जादा लिखै हो।
हम जैसन बच्चों को ऐसन टिप्स मिलत रहना चाहिए बड़े बुजुर्गों से ( यह बड़े बुजुर्ग कह देना इस बात का सूचक होता है ना कि चलो सिंहासन खाली करो कि नई पीढ़ी आती है, हे हे हे!)
आपके दिए गए इन टिप्स को जरुर आजमाया जाएगा!
बाकी रही विवादहीन टिप्पणी वाली बात तो दद्दा! इहां का से का विवाद मोल लइहैं, का मिलिहै, कोशिश इहै बस कि द्विपक्षीय वार्ता हुई जाए बस! विवाद की जगह ही ना रहे!
आदरणीय अंग्रेजी में बिलाग संहिता लिखा जा रहा है इसलिए हिन्दी में इस संहिता को लिखना अति आवश्यक हो गया है समय समय पर इस पर लिखे लेखों को संकलित कर दिल्ली ब्लाग मीट किया जायेगा फिर कर्णधार काका दादा लोगों से साइन करा के भारत में लागू कर दिया जायेगा । अच्छा किया आपने कंडिकाओं को लिख कर । रही बात टिपियाने की तो ‘ज्ञान का धार कटार सम’ टिपियायें तो मुस्किल ना टिपियांयें तो मुस्किल कुछ दिन पहले रवि भाई नें अंग्रेजी स्कूलों वाला रेंकिंग स्टाईल टिप्पि डब्बा के बारे में लिखा था संजीत भाई जैसे निर्विवाद टिप्पणीकार भाई लोग अपने बिलाग में उसे चटकाया है उसका परयोग करें तो ही अच्छा है ‘कोटवार’ के माघ्यम से मुनादी करा दी जावे कि सभी रेंकिंग स्टाईल टिप्पि अपने अपने बिलाग में लगा लेवें ताकि 1 2 3 4 किया जा सके ।
ReplyDeleteभई यहां तो हमारी रिसर्च का बहुत सा मेटीरिल बिखरा पडा है ! ग्यानदत्त जी ऎसी दमदार ऎनालिटिकल पोस्टों के लिए धन्यबाद..
ReplyDeleteमित्रों, मैने अपेक्षा की थी कि मुझे कुछ प्रतिक्रियायें पोस्ट के भाग-2 पर मिलेंगी. पर सभी को भाग-1 ही जमा. भाग-1 तो मैने मात्र कंटिया फंसाने को लिखा था - अन्यथा लोग भाग-2 पढ़ते ही नहीं!
ReplyDeleteअब देखें अगर उस(भाग-2) पर कुछ कह सकते हों तो.
क्या सूत्र बने हैं। निर्विवाद से हैं। उम्मीद है मौलिक होंगे। कोई ब्लागर इन सूत्रों पर दावा कर विवाद पैदा कर सकता है।
ReplyDeleteज्ञानजी, जब आप एक बार लेख पोस्ट कर चुके होते हैं तो यह पाठक के मनमर्जी पर है कि वो आपकी कटिया देखता है या लुटिया। पहला भाग बहुत अच्छा लिखा। दूसरे भाग में विचार अच्छा है लेकिन पहले भाग की मौज के नीचे दब गया। पिछले दिनों जो हल्ला-गुल्ला/गुलगपाड़ा हुआ उससे लोगों की समझ के स्तर का पता चला। भाषा पर पकड़ का भी। यह अपने आप में एक उपलब्धि रही।
ReplyDeleteयह सही है संरक्षा को नियमों के अनुसार पालन करें उत्पादन ठप्प हो जाये। अच्छा लिखा। वैसे आपको बतायें कि हमने इस विषय पर पहले एक लिखा था-स्वर्ग की सेफ़्टी पालिसी। ब्लाग से संबंधित शाश्वत नियम भी (हर सफ़ल ब्लागर एक मुग्धा नायिका होता है) आप देखिये तो मजा आयेगा। वैसे भी आप काफ़ी लोकप्रिय हैं ,सफ़ल भी। :)
अच्छा ज्ञान दिया ज्ञानदत्त जी, आजमाएंगे, धन्यवाद!
ReplyDeleteगुरु जी नये ब्लागर्स को गुरुमंत्र देने के लिये धन्यवाद ।
ReplyDeleteगुरु जी नये ब्लागर्स को गुरुमंत्र देने के लिये धन्यवाद ।
ReplyDeleteक्या सूत्र बने हैं। निर्विवाद से हैं। उम्मीद है मौलिक होंगे। कोई ब्लागर इन सूत्रों पर दावा कर विवाद पैदा कर सकता है।
ReplyDeleteकुछ इस तरह की कविताएं लिखें-नान कंट्रोवर्सियल ब्लागबाजी के लिए-
ReplyDeleteतुम मैं
मैं तुम
हूं हूं
क्यूं क्यूं
हे हे हे हे
करतचरड0दहडदगा
गदहदजग38-0
पकतरवपकचरयटच
तकतकंसलटतैट
तकचतटतौस
(यह जंबोरी बोली की कविता है)
सिर्फ मतलब पूछने के लिए ही सैकड़ों बंदे आपके ब्लाग पर आयेंगे।
आलोक पुराणिक
क्या सलाह दी है गुरु...अक्षरशहः सही..मान गये महाराल
ReplyDeleteसमीर लाल जी की 400-500 टिप्पणियां कॉपी कर एक फाइल में सहेज लें. रेण्डम नम्बर जेनरेटर प्रयोग करते हुये इन टिप्पणियों को अपने नाम से बिना पक्षपात के ब्लॉग पोस्टों पर टिकाते जायें.
--यह बःई सही है. ईबुक जारी किये देता हूं. और संजीत हमारा शिष्य है तो वही न करेगा जो हमसे सिखेगा..प्रिय शिष्य है भाई. :)
आदरणीय अंग्रेजी में बिलाग संहिता लिखा जा रहा है इसलिए हिन्दी में इस संहिता को लिखना अति आवश्यक हो गया है समय समय पर इस पर लिखे लेखों को संकलित कर दिल्ली ब्लाग मीट किया जायेगा फिर कर्णधार काका दादा लोगों से साइन करा के भारत में लागू कर दिया जायेगा । अच्छा किया आपने कंडिकाओं को लिख कर । रही बात टिपियाने की तो ‘ज्ञान का धार कटार सम’ टिपियायें तो मुस्किल ना टिपियांयें तो मुस्किल कुछ दिन पहले रवि भाई नें अंग्रेजी स्कूलों वाला रेंकिंग स्टाईल टिप्पि डब्बा के बारे में लिखा था संजीत भाई जैसे निर्विवाद टिप्पणीकार भाई लोग अपने बिलाग में उसे चटकाया है उसका परयोग करें तो ही अच्छा है ‘कोटवार’ के माघ्यम से मुनादी करा दी जावे कि सभी रेंकिंग स्टाईल टिप्पि अपने अपने बिलाग में लगा लेवें ताकि 1 2 3 4 किया जा सके ।
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