tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post9090253790659764711..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: किस्सा-ए-टिप्पणी बटोर : देबाशीष उवाचGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26119024375417137362011-04-10T00:07:25.652+05:302011-04-10T00:07:25.652+05:30केवल टिप्पणियो से आस रखने वाले भूल जाते है कि वे...केवल टिप्पणियो से आस रखने वाले भूल जाते है कि वे जो लिख रहे है कई पीढीयो के लिये लिख रहे है। इसलिये दूरदर्शिता के साथ लिखे। टिप्पणीकार, मेरी नजर से, इसलिये टिप्पणी करते है, ज्यादातर, ताकि उन्हे भी मिले। यह उनके कार्य का सही मूल्याँकन नही होता है। बहुत सी टिप्पणिया तो बिना पढे ही लिख दी जाती है। मेरे विचार से यह छ्दम मोह छोड देना चाहिये। यह हिन्दी चिठठाजगत मे गुटबाज़ी पैदा कर रहा है। हम नये चिठ्ठाकारो के सामने अच्छा सबक नही छोड रहे है।<br><br><br>एक बात और है। आलोक जी, मसीजीवी जी और तिवारी जी जैसे कुछ को छोड दे तो रोज स्तरीय लिख पाना सम्भव नही है। रोज का फिजूललेखन निश्चित ही व्यक्तित्व की गलत छवि पैदा करता है। इसलिये जब लिखे ऐसा लिखे कि आप जग को कुछ दे। यदि आप चाटुकारो से घिर गये तो आप बर्बादी से नही बच सकते। <br><br>आशा है ज्ञान जी इस कडवी प्रतिक्रिया को स्थान देने का कष्ट करेंगे, हमेशा की तरह।Dard Hindustanihttp://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58909440436759775912007-10-17T19:40:00.000+05:302007-10-17T19:40:00.000+05:30हेलॊ जीमैँ केरल से हूँ। मलयालम में ब्लोग कर रहा हू...हेलॊ जी<BR/>मैँ केरल से हूँ। मलयालम में ब्लोग कर रहा हूँ।<BR/>मैंने ब्लॊगिंग ब्लॊगस्पॊट में शुरू किया था। अब मेरा जॊ ब्लॊग(<A HREF="http://rajichandrasekar.wordpress.com" REL="nofollow"> रजी चन्द्रशॆखर </A>) वॆर्ड्प्रस में है, उसी में हिन्दी प्रविष्टियाँ भी शामिल कर रहा हूँ । कृपया दॆखें और अड्वैस भी दें।Raji Chandrasekharhttps://www.blogger.com/profile/13359485371865243471noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52584845762463622652007-09-17T17:10:00.000+05:302007-09-17T17:10:00.000+05:30वह ज्ञान जी ! हमारे ज्ञान चक्षु खोलने के लिये बहुत...वह ज्ञान जी ! हमारे ज्ञान चक्षु खोलने के लिये बहुत बहुत आभार! हम तो अब तक यही समझ रहे थे कि हम अच्छा लिखते हैं । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35652083906847525222007-09-16T15:19:00.001+05:302007-09-16T15:19:00.001+05:30केवल टिप्पणियो से आस रखने वाले भूल जाते है कि वे...केवल टिप्पणियो से आस रखने वाले भूल जाते है कि वे जो लिख रहे है कई पीढीयो के लिये लिख रहे है। इसलिये दूरदर्शिता के साथ लिखे। टिप्पणीकार, मेरी नजर से, इसलिये टिप्पणी करते है, ज्यादातर, ताकि उन्हे भी मिले। यह उनके कार्य का सही मूल्याँकन नही होता है। बहुत सी टिप्पणिया तो बिना पढे ही लिख दी जाती है। मेरे विचार से यह छ्दम मोह छोड देना चाहिये। यह हिन्दी चिठठाजगत मे गुटबाज़ी पैदा कर रहा है। हम नये चिठ्ठाकारो के सामने अच्छा सबक नही छोड रहे है।<BR/><BR/><BR/>एक बात और है। आलोक जी, मसीजीवी जी और तिवारी जी जैसे कुछ को छोड दे तो रोज स्तरीय लिख पाना सम्भव नही है। रोज का फिजूललेखन निश्चित ही व्यक्तित्व की गलत छवि पैदा करता है। इसलिये जब लिखे ऐसा लिखे कि आप जग को कुछ दे। यदि आप चाटुकारो से घिर गये तो आप बर्बादी से नही बच सकते। <BR/><BR/>आशा है ज्ञान जी इस कडवी प्रतिक्रिया को स्थान देने का कष्ट करेंगे, हमेशा की तरह।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24332003040659154652007-09-16T13:45:00.000+05:302007-09-16T13:45:00.000+05:30ज्ञानदत्त जी, विषय को आगे बढाने के लिये आभार. इस त...ज्ञानदत्त जी, <BR/><BR/>विषय को आगे बढाने के लिये आभार. इस तरह की स्वस्थ चर्चा हर विषय पर होने लगे तो बहुत अच्छा है.<BR/><BR/>जहां तक स्त्रियों की बात है, उनको कम से कम जूलाई महीने तक पुरुषों की तुलना में अधिक टिप्पणियां मिलती रही है. मैं ने कम से कम पाच स्त्रियों के चिट्ठों का जूलाई का आंकडा तय्यार किया था, एवं उनकी तुलना उनके तुल्य या उनसे ज्येष्ट लेखकों के चिट्ठों के साथ तुलना की थी. परिणाम इतने चौंकाने वाले थे कि मैं ने लेख नहीं छापा. मुझे लगा कि स्त्रीचिट्ठाकारों को बहुत बुरा लगेगा. हां इस अनुसंधान के कारण अपने "टिप्पणीकारों को पहचाने !!" नामक लेख में "कामिनीलंपट" नामक एक चिट्ठाकार का नाम जरूर सुझाया था.<BR/><BR/>हमें यह पहचानना होगा कि कामिनीलंपटजी स्त्रियों के चिट्ठों पर टिप्पणियों की संख्या बहुत अधिक बढा देते है. सौभाग्य से स्तरीय चिट्ठाकर इस वर्गीकरण में नहीं आते है. स्तरीय चिट्ठा लेखकों की टिप्पणियां नरनारी भेद बिना सबको बराबर मिलती है -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/><BR/>हिन्दीजगत की उन्नति के लिये यह जरूरी है कि हम <BR/>हिन्दीभाषी लेखक एक दूसरे के प्रतियोगी बनने के <BR/>बदले एक दूसरे को प्रोत्साहित करने वाले पूरक बनेंShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-31104326288875938542007-09-16T12:32:00.000+05:302007-09-16T12:32:00.000+05:30या हम खुद ज्ञानेश्वरी देवी के पेन नेम से अपनी पहचा...<B>या हम खुद ज्ञानेश्वरी देवी के पेन नेम से अपनी पहचान छुपा कर लिखते तो टिप्पणियां दूनी होतीं?</B><BR/><BR/>हाथ कंगन को आरसी क्या और पढे लिखे को फारसी क्या, आप खुद ही चैक कर लीजिए ना। नाम थोड़ा धांसू रखिएगा वो क्या है ना कि नाम थोड़ा ट्रेंडी होना मांगता,भीड़ बढाने का काम आता है। उसके बाद बांधे रखना तो लेखन का काम है। <BR/><BR/>तो जनाब कब शुरु कर रहे है ये वाला ब्लॉग?Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73351791815245097792007-09-16T12:27:00.000+05:302007-09-16T12:27:00.000+05:30गुड आइडिया, प्रीति जिंटा के नाम या पामेला एंडरसन क...गुड आइडिया, प्रीति जिंटा के नाम या पामेला एंडरसन के नाम से ब्लाग शुरु करता हूं। फिर देखिये।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75079137110050608682007-09-16T12:10:00.000+05:302007-09-16T12:10:00.000+05:30" केश के चर्मोच्छेदन" बाल की खाल निकालने की शुद्ध ..." केश के चर्मोच्छेदन"<BR/> बाल की खाल निकालने की शुद्ध हि्न्दी!!<BR/><BR/>धन्य-धन्य!<BR/><BR/>वैसे ज्ञान दद्दा! यह महिला चिट्ठाकारों के चिट्ठों पर टिप्पणी वाला मामला, मामला न होते हुए भी मामला बन ही जाता है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15887522090879354812007-09-16T11:01:00.000+05:302007-09-16T11:01:00.000+05:30हमें तो देबाशीष जी की बात सही लगती है ।सवाल प्रिफर...हमें तो देबाशीष जी की बात सही लगती है ।<BR/>सवाल प्रिफरेन्शियल ट्रीटमेन्ट का नहीं है । दरअसल संसार में सदा सर्वदा से यही रीत चली आ रही है<BR/>कि पुरूष महिलाओं को लुभाने का प्रयास करता है । इम्प्रेस करने की ये परंपरा ही शायद महिलाओं के चिट्ठों पर टिप्पणीयों का अंबार लगाती होगी ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48536059307209087072007-09-16T08:03:00.000+05:302007-09-16T08:03:00.000+05:30@ उड़न तश्तरी (समीर लाल) - आपने इजाजत मांग कर मेरा ...@ उड़न तश्तरी (समीर लाल) - आपने इजाजत मांग कर मेरा और अन्य सबका मान बढ़ाया है. भला आपके विचार क्यों नहीं जानना चाहेंगे?<BR/>आपको याद होगा कि बहुत पहले आपने मेरी एक पोस्ट पर <A HREF="http://hgdp.blogspot.com/2007/05/blog-post_02.html" REL="nofollow">टिप्पणियों के विषय मे आपने लिखने को</A> कहा भी था.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30488370527892573352007-09-16T07:38:00.000+05:302007-09-16T07:38:00.000+05:30मैं सहमत नहीं भी हूँ और कुछ हद तक हूँ भी. इसे लिंक...मैं सहमत नहीं भी हूँ और कुछ हद तक हूँ भी. इसे लिंक बनाते हुये और पिछले कुछ समय से इस विषय में ऊठ रहे प्रश्नों, इम्क्लूडिंग साधुवाद का अंत को लेकर मैं अलग से पोस्ट लाना चाहता हूँ, अगर इजाजत हो तो. तब मैं अपने को सिद्ध कर पाऊँगा ऐसा मुझे लगता है. बिन इजाजत मैं इसे नहीं लाऊँगा, यह भी तय रहा. अतः इजाजत दें या मना कर दं अगर आपको लगता है कि इसकी आवश्यक्ता नहीं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80150654388796928012007-09-16T06:51:00.000+05:302007-09-16T06:51:00.000+05:30@ देबाशीष > आपने केश के चर्मोच्छेदन का प्रयत्न किय...@ <B>देबाशीष > आपने केश के चर्मोच्छेदन का प्रयत्न किया है :)</B><BR/><BR/>बन्धुवर आप यदा-कदा हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी करते रहें तो भला हम क्यों यह चमड़ी उधेड़ की जहमत उठायें!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23893141379126833752007-09-16T06:22:00.000+05:302007-09-16T06:22:00.000+05:30आपने केश के चर्मोच्छेदन का प्रयत्न किया है :) और इ...आपने केश के चर्मोच्छेदन का प्रयत्न किया है :) और इससे मुझे लोगबाग भले MCP कहें पर मैंने वो लिखा जो मैंने इतने वर्षों की ब्लॉगिंग में देखा, ये बात हिन्दी ब्लॉगजगत के लिये सही हो न हो अंग्रेज़ी चिट्ठासंसार में बहुत बहुत बहुत देखा है और यकीन मानिये ये भी पूर्णतः व्यक्तिगत चिट्ठों पर भी जहाँ लेखिका ने केवल अपना निजी फ़साना लिखा। इंडीब्लॉगीज़ में एक दफा एक महिला चिट्ठाकार को मैंने खामख्वाह की इस सहानुभूति लहर से जीतते तक देखा है। हिन्दी चिट्ठाजगत में हालांकि जिन महिला चिट्ठाकारों के लेखन से मैं परिचित हूं उनका लेखन कौशल वाकई उत्कृष्ट है और वे वैसे भी मुद्दों पर लिखती हैं।debashishhttps://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.com