tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post9073540284300451174..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: रोज दीपावलीGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-64487739717753740212008-01-30T00:06:00.000+05:302008-01-30T00:06:00.000+05:30ye light tower allahabad station par lage hain ya ...ye light tower allahabad station par lage hain ya aapke nai office ke bahar subedarganj main? bombay raat main sirf lights ki wajah se hi khud ko aur shahron se class apart samajhata hai.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/18419946937837569947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-64815141622089755882008-01-29T23:19:00.000+05:302008-01-29T23:19:00.000+05:30बहुत अच्छी जानकारी, पांडे जी, ये बताया जाए, कि आपक...बहुत अच्छी जानकारी, पांडे जी, ये बताया जाए, कि आपका रेलवे सौर ऊर्जा का प्रयोग काहे नही करता, कम से कम अगर रेलवे एक प्रयोगात्मक शुरुवात करे तो बाकी लोग भी वैकल्पिक ऊर्जा का इस्तेमाल करना शुरु करेंगे। कोई पाइलट प्रोजेक्ट चलवाइए ना (ये मत समझिएगा कि हम किसी सौर ऊर्जा के कम्पनी सेल्स एक्जीक्यूटिव है, लेकिन जाने क्यों मेरे को लगता है भारत की ऊर्जा समस्याओं का हल सौर ऊर्जा मे मौजूद है।)Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-33758831974277182222008-01-29T22:03:00.000+05:302008-01-29T22:03:00.000+05:30स्टेशन दूध से धुले और बाकी सारा नगर स्याह.स्टेशन दूध से धुले और बाकी सारा नगर स्याह.डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75493566107296077752008-01-29T20:17:00.000+05:302008-01-29T20:17:00.000+05:30काश बम्बई के स्टेशन भी ऐसे रोशन हो जाएंकाश बम्बई के स्टेशन भी ऐसे रोशन हो जाएंAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23444595821878818912008-01-29T16:23:00.000+05:302008-01-29T16:23:00.000+05:30अपने शहर की सड़कों पर पहले ट्यूबलाईट और फिर सोडियम ...अपने शहर की सड़कों पर पहले ट्यूबलाईट और फिर सोडियम लैंप ही देखते रहे थे फिर अचानक चौराहों पर हाई मास्ट लाईटें दिखी तो झमाझम रोशनी से नहाए धुले लगने लगे वही चौराहे!!<BR/><BR/>अब तो सब जगह बस यही हाई मास्ट लाईटें ही दिखने लगी है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44729923159959329002008-01-29T12:52:00.000+05:302008-01-29T12:52:00.000+05:30रोशनी तो विजय की प्रतीक है। पर यह आँखो के लिये अभि...रोशनी तो विजय की प्रतीक है। पर यह आँखो के लिये अभिशाप न बने। जैसा कि आजकल पावर सेवर के विषय मे सुन रहे है।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-56908281319183709602008-01-29T12:04:00.000+05:302008-01-29T12:04:00.000+05:30रोशनीपूर्ण पोस्ट।अब की बार जब इलाहाबाद आएंगे तो स...रोशनीपूर्ण पोस्ट।<BR/><BR/>अब की बार जब इलाहाबाद आएंगे तो स्टेशन की रोशनी को भी देखेंगे।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-629193429804158312008-01-29T11:54:00.000+05:302008-01-29T11:54:00.000+05:30@ संजय बेंगाणी > रेल्वे के इंजन वातानुकूलित कब हो ...<B>@ संजय बेंगाणी > रेल्वे के इंजन वातानुकूलित कब हो रहें है?</B><BR/>अभी तो ड्राइंग बोर्ड स्टेज पर हैं। रेलवे डिजाइन और मानक संस्थान उनके स्पेसीफिकेशन बना रहा है शायद। ज्यादा जानकारी मिली तो बताऊंगा।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62955559449366140552008-01-29T11:50:00.000+05:302008-01-29T11:50:00.000+05:30जी ये ब्बात है। यहां आप पूछते हैं कि राखी सावंत कौ...जी ये ब्बात है। <BR/>यहां आप पूछते हैं कि राखी सावंत कौन हैं। उधर ब्रूनी के फोटू के लिए गूगल सर्च मारते हैं। <BR/>ये अच्छी बात नहीं है। <BR/>स्वदेश प्रेम अच्छी बात है। <BR/>बचपन के स्कूल में संगमरमर के पत्थरों पर कुछ पंक्तियां लिखी रहती थीं, उनमें कुछ ये थीं<BR/>जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं<BR/>वह हृदय नहीं पत्थर है जिसमें स्वदेश से प्यार नहीं। <BR/>स्वदेश से प्यार कीजिये सरजी। <BR/>राग दरबारी में आदरणीय श्रीलाल शुक्लजी ने एक प्रसंग में विदेशी अभिनेत्री और सायराबानू के कंपेरीजन में लिखा है कि अगर मन लग जाये तो स्वदेश प्रेम में भी बहुत मजा है।<BR/>हमरी ना सुनिये ना सही<BR/>श्रीलाल जी की तो सुनिये।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-74007757363128426892008-01-29T11:21:00.000+05:302008-01-29T11:21:00.000+05:30आपकी खिचड़ी में थोड़ा सा घी डाल रहा हूँ. :)रोशनी पर ...आपकी खिचड़ी में थोड़ा सा घी डाल रहा हूँ. :)<BR/><BR/>रोशनी पर अच्छी पोस्ट. रोशनी अच्छी हो त कार्य कुशला बढ़ जाती है. <BR/><BR/>(विषयांतर) रेल्वे के इंजन वातानुकूलित कब हो रहें है? ड्रायवर ज्यादा कुशलता से काम कर सकेंगे.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62871595216956478712008-01-29T10:48:00.000+05:302008-01-29T10:48:00.000+05:30आपने फोटो-वोटो का अच्छा इंतजाम कर रखा है. काकेश जी...आपने फोटो-वोटो का अच्छा इंतजाम कर रखा है. काकेश जी को खिचडी पसंद है और मधुशाला के बारे में लिखने से एक बार फिर से पता चल गया कि वे किताबें भी पढ़ते हैं. वाह!Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-56861791692803470912008-01-29T10:12:00.000+05:302008-01-29T10:12:00.000+05:30पहली बात हम डेली टिप्पणी नहीं करेंगे और अच्छी तो ब...पहली बात हम डेली टिप्पणी नहीं करेंगे और अच्छी तो बिलकुल ही नहीं करेंगे नहीं तो अनूप जी कहेंगे लिखने की बजाय टिप्पणी करना ही चालू कर दो... कौन सा अच्छा लिख ही पातो हो...<BR/><BR/>दूसरी बात : इमेज सर्च का ज्ञान लिया. <BR/><BR/>तीसरी बात : बच्चन जी ने इसी इलाहाबाद में लिखा था. <BR/><BR/>एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,<BR/>एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,<BR/>दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,<BR/>दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधुशाला। <BR/><BR/>आज वो जिन्दा होते तो अपनी मधुशाला रेलवे स्टेशन शिफ्ट जरूर कर देते.<BR/><BR/>चौथी बात : खिचड़ी मुझे भी बहुत पसन्द है क्योंकि जब भी खाना मैं बनाता हूँ खिचड़ी ही बनाता हूँ.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3232574054184356412008-01-29T09:36:00.000+05:302008-01-29T09:36:00.000+05:30"कई तरह के सोचने-करने के बैरियर टूट रहे हैं बेहतर ..."कई तरह के सोचने-करने के बैरियर टूट रहे हैं बेहतर प्रकाश में।" ऐसे ही प्रकाश की जरूरत है। बस पाल्हा चूम लिया। अब भगना है। बेटी को पढ़ाना है और दफ्तर भी जल्दी जाना है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28014192755248612822008-01-29T08:52:00.000+05:302008-01-29T08:52:00.000+05:30UP jaaney waqt saal me teen -chaar baar hum ALLHAB...UP jaaney waqt saal me teen -chaar baar hum ALLHABAD gangaa bridge ke uper se guzratey hain..train se dikhney vaali sangam ke kinaarey lagi lights dekhtey hi banti hain....ab is baar station bhi dhyaan se nihaarengey...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-64077343563131395982008-01-29T07:28:00.000+05:302008-01-29T07:28:00.000+05:30ये रोशनी देखी। कल दिनेशजी ने अपनी पोस्ट में जो रोश...ये रोशनी देखी। कल दिनेशजी ने अपनी पोस्ट में जो रोशनी दिखाई वह भी देखी। अच्छा लगा। आलोक पुराणिक की टिप्पणियां इनके लेखों से बेहतर होती हैं। बहुत कहा कि लिखना छोड़कर टिपियाना शुरू कर सकते हैं। लेकिन उनको हमारे कहे के अनुसार चलने का मन नहीं करता भाई!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-31640927464419083432008-01-29T06:27:00.000+05:302008-01-29T06:27:00.000+05:30इलाहाबाद में 2000-2001 के महाकुंभ में ऊंचे-ऊंचे टा...इलाहाबाद में 2000-2001 के महाकुंभ में ऊंचे-ऊंचे टावरों वाली लाइट पूरे शहर में लगाई गई थी। चौराहों पर इसकी रोशनी अद्भुत छटा बिखेरती थी। लेकिन, निरंतर इसका इंतजाम नहीं हो सका। खैर, आपन इलाहाबाद स्टेशन अइसे चमकी तो, बहुत नीक लागी।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35082522098788833742008-01-29T06:26:00.000+05:302008-01-29T06:26:00.000+05:30आप ने रोज दीपावली उत्पन्न करने वाले उपकरणों से पर...आप ने रोज दीपावली उत्पन्न करने वाले उपकरणों से परिचित कराया। निश्चित ही ये काम के लिये अत्योपयोगी हैं। हालांकि मेरे एक मित्र का यह भी कथन है कि ये कभी कभी हिंसा की सृष्टि करते हैं। मेरे यहां आज कल किसानों को सिंचाई के लिए अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने के लिये सुबह आठ से ग्यारह तक पॉवर कट है। कल अनवरत की पोस्ट पर चित्र डालते ही एचटीएमएल गड़बड़ हो गया। उसे ठीक कर पाता उस के पहले ही बिजली गुल। शाम को अदालत से घर पहुँचने तक गड़बड़ दूर करना तो दूर पोस्ट को अस्थाई तौर पर हटाने का जुगाड़ तक करना संभव नहीं हो पाया।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com