tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post8525063756756029050..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: महानता के मानक-3 / क्यों गिरते हैं महानGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47254724558887468132011-04-10T00:20:29.375+05:302011-04-10T00:20:29.375+05:30ज्ञानदत्तजी एवं प्रवीण जी नमस्कार,पिछली तीनों ही प...ज्ञानदत्तजी एवं प्रवीण जी नमस्कार,<br><br>पिछली तीनों ही प्रविष्टियाँ पढीं और बहुत कुछ सोचा भी, इसी से मिलते जुलते विषय पर एक बार बहुत सोचा था तो वही लिखने की दृष्टता कर रहे हूँ। शायद लम्बी भी हो जाये टिप्पणी,<br><br>अवगुण सफ़लता से पहले भी मौजूद रहते हैं। फ़िर भी मनुष्य सोचता है कि सफ़लता के बाद रातोंरात अपने अवगुण छोडकर सज्जन बनकर ठाठ से जीवन बिताऊंगा, सफ़लता के बाद पैसे की फ़िक्र तो शायद ही होगी। लेकिन अवगुण कहाँ पीछा छोडते है? फ़िर शुरू होती है, उन्हे छुपाने की जद्दोजहद...इधर से उधर से आगे से पीछे से कानून के दायरे में, कभी उससे बाहर जाकर, डराकर धमकाकर, लोभ देकर...आदि आदि...<br><br>अब महत्वपूर्ण बात आती है Ethics अथवा संस्कारों की। अगर आपको संस्कार अथवा एथिक्स गलत कार्य करने पर प्रताडित न करें तो गलत काम का भी अपना थ्रिल है। आप उसमें भी अपनी सफ़लता देख सकते हैं कि कितनी सफ़ाई से कानून की ऐसी तैसी की। चोर की आत्मा पर अगर चोरी का बोझ न हो तो वो भी एक वैज्ञानिक की भांति तन/मन लगाकर चोरी की प्लानिंग और उसके सफ़ल होने पर उसकी सफ़लता में आत्म्मुग्ध हो सकता है। और होते भी होंगे...<br><br>माफ़िया की प्रवत्ति भी तो ऐसी ही होती है। जब पहली बार उपन्यास गाडफ़ादर में "Its not personal, its business" कहकर किसी का कत्ल होते देखा तो मन बेचैन रहा। शायद कत्ल करने वाले का आब्जेक्टिव साफ़ था तो जाकर रात में उसे बढिया नींद भी आयी हो। लेकिन बस एथिक्स का ही खेल है, आपको अपने मानक निर्धारित करने पडेंगे, उसके बाद भी आप इस मोहमाया के संसार में नैया पार लेंगे, इस पर शक है। लेकिन, फ़िर भी कम से कम दंड स्वरूप आपकी आत्मा तो प्रताडित होती रहेगी। और रोज होती भी है...Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29247014581812940492011-04-10T00:20:27.985+05:302011-04-10T00:20:27.985+05:30महान बनने के बाद महान बने रहना और भी मुश्किल है। &...महान बनने के बाद महान बने रहना और भी मुश्किल है। "गाइड" फिल्म का वह दृश्य याद आता है जब देवानन्द गाँव वालों की नजर में वर्षा के लिये उपवास रखे होते हैं तो भूख लगने पर अकेले होने पर भी खाना नहीं खा पाते।<br><br>बहुत से लोग महानता के स्तर पर पहुँचे हैं पर कायम नहीं रख पाये, जो रख पाये वे इतिहास में दर्ज हो गये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47591716348504378622010-04-25T21:21:41.771+05:302010-04-25T21:21:41.771+05:30@ विष्णु बैरागी
लोग अपनी राय देते रहेंगे । एक विष...@ विष्णु बैरागी<br />लोग अपनी राय देते रहेंगे । एक विषय पर सारी संभावनायें व्यक्त करते हुये । निर्णय तो स्वयं को ही लेना है ।<br />पर आपकी राय आवश्यक है, प्रश्नावली भरने में ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-59870209237972266582010-04-25T20:34:35.435+05:302010-04-25T20:34:35.435+05:30@ ePandit
जन अपेक्षायें महान जनों को महान बने रहन...@ ePandit <br />जन अपेक्षायें महान जनों को महान बने रहने पर बाध्य करती हैं । गाइड की भी कहानी वही है । अपेक्षाओं पर खरा उतरने पर आपका अन्तःकरण निखरता है और आपको अथाह बल मिलता है । <br /><br />@ डॉ महेश सिन्हा<br />संपत्ति, शक्ति, सौंदर्य - भौतिक हैं<br />यश, ज्ञान और त्याग - आध्यात्मिक है<br /><br />बहुत ही सुन्दर व्याख्या । आपका धन्यवाद । भौतिक आध्यात्मिक व्याख्या कई प्रश्नों के सहज उत्तर दे देती है ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91665844332383931472010-04-25T18:44:05.532+05:302010-04-25T18:44:05.532+05:30जिन्होंने 'आत्मा' की सुनी, महान् हो गए। ...जिन्होंने 'आत्मा' की सुनी, महान् हो गए। जिन्होंने 'लोगों' की चिन्ता की, स्खलित हो गए।<br />प्रश्नावली भरवा कर क्यों हमें पाप में डाल रहे हैं?विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-37271254016847010232010-04-25T13:42:24.791+05:302010-04-25T13:42:24.791+05:30सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग
ये 6...सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग<br />ये 6 गुण? क्या एक ही धरातल के हैं <br />संपत्ति, शक्ति, सौंदर्य - भौतिक हैं<br />यश, ज्ञान और त्याग - आध्यात्मिक है <br />अगर महानता भौतिक से जुड़ी है तो हमेशा नीचे आने का अंदेशा रहेगा .डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-59533039613068806972010-04-25T11:36:54.116+05:302010-04-25T11:36:54.116+05:30महान बनने के बाद महान बने रहना और भी मुश्किल है। &...महान बनने के बाद महान बने रहना और भी मुश्किल है। "गाइड" फिल्म का वह दृश्य याद आता है जब देवानन्द गाँव वालों की नजर में वर्षा के लिये उपवास रखे होते हैं तो भूख लगने पर अकेले होने पर भी खाना नहीं खा पाते।<br /><br />बहुत से लोग महानता के स्तर पर पहुँचे हैं पर कायम नहीं रख पाये, जो रख पाये वे इतिहास में दर्ज हो गये।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29573102760330583512010-04-24T22:56:23.343+05:302010-04-24T22:56:23.343+05:30@ जितेन्द़ भगत
मानवीय कमजोरी रहती है पर उस कारण गु...@ जितेन्द़ भगत<br />मानवीय कमजोरी रहती है पर उस कारण गुणों का दुरुपयोग हो, इसे कोई स्वीकार नहीं कर पाता है ।<br /><br />विद्या विवादाय धनं मदाय<br />शक्तिः परेषां परिपीडनाय ।<br />खलस्य साधोर्विपरीतमेतत्<br />ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ॥<br /><br />@ कृष्ण मोहन मिश्र<br />:)<br /><br />@ डॉ. मनोज मिश्र<br />मेरे पीछे तो 6 गोलियाँ पड़ी हैं और गब्बर ठहाका लगाये जा रहा है । बोल रहा है "अब गोली खा" ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22505298008878859672010-04-24T21:07:59.073+05:302010-04-24T21:07:59.073+05:30पूरे पोस्ट के समग्र चिंतन में इसका भी जिक्र सामयिक...पूरे पोस्ट के समग्र चिंतन में इसका भी जिक्र सामयिक लगा-अब गोलियाँ भी 6 और आदमी भी 6। अब आयेगा मजा। तेरा क्या होगा कालिया?डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-25050096473384515812010-04-24T20:51:03.101+05:302010-04-24T20:51:03.101+05:30आकर्षण के 6 गुण (सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्...आकर्षण के 6 गुण (सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग)<br /><br />satwaan blogging.कृष्ण मोहन मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14783932323882463991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80229601688455468992010-04-24T18:22:54.605+05:302010-04-24T18:22:54.605+05:30इतिहास गवाह है कि मनुष्य होने के नाते महान पुरूष...इतिहास गवाह है कि मनुष्य होने के नाते महान पुरूषों में कोई न कोई मानवीय कमजोरी भी रही है। और यह कोई हैरान करने वाली बात नहीं।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69991975452601895492010-04-24T16:43:26.740+05:302010-04-24T16:43:26.740+05:30@ M VERMA
पर उनको तो वही लग रहा है, कदाचित इसीलिये...@ M VERMA<br />पर उनको तो वही लग रहा है, कदाचित इसीलिये पीड़ा भी हो रही हो । :)<br />वैसे तो<br />जिनको कछु नहिं चाहिये, वे शाहन के शाह ।<br /><br />@ Neeraj Rohilla<br />सच कहा आपने नीरज जी । दोष पहले से भी रहते हैं । छिपाने से और बढ़ते हैं और आपकी और ऊर्जा खाते हैं । श्रेयस्कर है उसे मान लेना और दूर करने का प्रयास करना । आप नाँव में कितने भी पत्थर लेकर चल सकते हैं पर जब लहरें हिलोरें लेंगी तब वह सब पत्थर हमें फेंकने पड़ेंगे ।<br />चोर और माफिया की आत्मा तो कचोटती है पर उसकी अवहेलना कर लोग जीना चाहते हैं । किसके लिये जी रहे हैं तब ?<br /><br />@ Vivek Rastogi<br />प्रयास ऊपर बढ़ने के हों तो संसार सुन्दर हो जायेगा ।<br /><br />@ राज भाटिय़ा <br />स्थायी महानता और क्षणिक प्रस्फुटता में यही अन्तर हो संभवतः ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86044806829784599472010-04-24T14:33:38.598+05:302010-04-24T14:33:38.598+05:30सब के सब ऊँचाई से गिरे हैं। जी!!! अगर कोई अच्छॆ कर...सब के सब ऊँचाई से गिरे हैं। जी!!! अगर कोई अच्छॆ कर्म कर के उस ऊचाई तक पहुचे तो उसे भगवान भी नही गिरा सकते... यह सब लोग जिस प्रकार उस ऊचाई पर पहुचे.... गिरना ओर जुते खाना इन के लिये निशचित थाराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71035291097349569922010-04-24T09:12:58.160+05:302010-04-24T09:12:58.160+05:30संसार में न कुछ भला है न बुरा, केवल विचार ही उसे भ...संसार में न कुछ भला है न बुरा, केवल विचार ही उसे भला-बुरा बना देते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23130264693848449412010-04-24T07:51:23.548+05:302010-04-24T07:51:23.548+05:30सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग
यह ...सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग<br /><br />यह छ: गुण जिनमें हों उसमें अवगुण हो ही नहीं सकता और यह छ: गुण जिनमें हों तो वो केवल भगवान ही हो सकते हैं। गुण मतलब ऐसा नहीं कि सीमित मात्रा में सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग, मतलब कि असीमित मात्रा में जिसकी कोई सीमा न हो। ऐसा कोई व्यक्ति मिलना असंभव है।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-65600287517933618192010-04-24T07:08:09.510+05:302010-04-24T07:08:09.510+05:30'अल्लाहो अकबर' ईश्वर महान है, कमी ये कि व...'अल्लाहो अकबर' ईश्वर महान है, कमी ये कि वह कभी सामने नहीं आता, लोग उस का नाम ले बंदूक ताने रहते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23549779780459978242010-04-24T05:29:47.346+05:302010-04-24T05:29:47.346+05:30इसीलिए कहते हैं न कि
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी......इसीलिए कहते हैं न कि <br />सावधानी हटी, दुर्घटना घटी...<br />बढ़िया पोस्टअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73789133373497824502010-04-24T05:12:27.327+05:302010-04-24T05:12:27.327+05:30ज्ञानदत्तजी एवं प्रवीण जी नमस्कार,
पिछली तीनों ही...ज्ञानदत्तजी एवं प्रवीण जी नमस्कार,<br /><br />पिछली तीनों ही प्रविष्टियाँ पढीं और बहुत कुछ सोचा भी, इसी से मिलते जुलते विषय पर एक बार बहुत सोचा था तो वही लिखने की दृष्टता कर रहे हूँ। शायद लम्बी भी हो जाये टिप्पणी,<br /><br />अवगुण सफ़लता से पहले भी मौजूद रहते हैं। फ़िर भी मनुष्य सोचता है कि सफ़लता के बाद रातोंरात अपने अवगुण छोडकर सज्जन बनकर ठाठ से जीवन बिताऊंगा, सफ़लता के बाद पैसे की फ़िक्र तो शायद ही होगी। लेकिन अवगुण कहाँ पीछा छोडते है? फ़िर शुरू होती है, उन्हे छुपाने की जद्दोजहद...इधर से उधर से आगे से पीछे से कानून के दायरे में, कभी उससे बाहर जाकर, डराकर धमकाकर, लोभ देकर...आदि आदि...<br /><br />अब महत्वपूर्ण बात आती है Ethics अथवा संस्कारों की। अगर आपको संस्कार अथवा एथिक्स गलत कार्य करने पर प्रताडित न करें तो गलत काम का भी अपना थ्रिल है। आप उसमें भी अपनी सफ़लता देख सकते हैं कि कितनी सफ़ाई से कानून की ऐसी तैसी की। चोर की आत्मा पर अगर चोरी का बोझ न हो तो वो भी एक वैज्ञानिक की भांति तन/मन लगाकर चोरी की प्लानिंग और उसके सफ़ल होने पर उसकी सफ़लता में आत्म्मुग्ध हो सकता है। और होते भी होंगे...<br /><br />माफ़िया की प्रवत्ति भी तो ऐसी ही होती है। जब पहली बार उपन्यास गाडफ़ादर में "Its not personal, its business" कहकर किसी का कत्ल होते देखा तो मन बेचैन रहा। शायद कत्ल करने वाले का आब्जेक्टिव साफ़ था तो जाकर रात में उसे बढिया नींद भी आयी हो। लेकिन बस एथिक्स का ही खेल है, आपको अपने मानक निर्धारित करने पडेंगे, उसके बाद भी आप इस मोहमाया के संसार में नैया पार लेंगे, इस पर शक है। लेकिन, फ़िर भी कम से कम दंड स्वरूप आपकी आत्मा तो प्रताडित होती रहेगी। और रोज होती भी है...Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22140159295587956472010-04-24T04:23:52.348+05:302010-04-24T04:23:52.348+05:30सब के सब ऊँचाई से गिरे हैं।
कहीं ऐसा तो नहीं कि ह...सब के सब ऊँचाई से गिरे हैं। <br />कहीं ऐसा तो नहीं कि हम जिसे ऊँचाई समझ रहे हों वह ऊँचाई का आभासी बिम्ब ही रहा हो और वे ऊँचाई पर रहे ही न हों. वैसे भी ऊँचाई और निचाई सापेक्ष हैं.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com