tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post8425585254471382922..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: कहां से आता है निरापद लेखन?Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16289411756026313262011-04-10T00:12:39.138+05:302011-04-10T00:12:39.138+05:30श्रीमन्त, आपको इस विश्व से आइडिया और इन्स्पिरेशन ल...श्रीमन्त, आपको इस विश्व से आइडिया और इन्स्पिरेशन लेने हैं। लगाम आपको अपने हाथ में रखनी है और खुद को बेलगाम नहीं करना है, बस!<br><br>भद्रजन, आप इस जगत को अपने विचार, लेखन, सर्जनात्मकता, गम्भीरता, सटायर या गम्भीर-सटायर से निरापद करें।<br><br>100% sahi....Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42130118443062797262011-04-10T00:12:38.798+05:302011-04-10T00:12:38.798+05:30श्री ज्ञानदत्त जी,यह सही की मन उदात्त प्रवृत्तियों...श्री ज्ञानदत्त जी,<br><br>यह सही की मन उदात्त प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना हमारे ही हाथ होना चाहिये। और किसी के हाथ होगा तो मात्र कठपुतलियों में सिमट आयेगा अस्तित्व। क्या आपकी आशंका अस्तित्व की लडाई को रोक जीवन एक खोज है से प्रारंभ करना चाहिये।<br><br>शायद यह टिप्पणी भी आपको एक अनसॉलिसिटेड़ सलाह ही लग सकती है? यदि ऐसा है तो मुआफ कीजियेगा।<br><br>सादर,<br><br>मुकेश कुमार तिवारीGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10302503598018475472011-04-10T00:12:38.510+05:302011-04-10T00:12:38.510+05:30हमारा दिमाग अब तक तो ठेलम ठाली बिना सोचे समझे ही क...हमारा दिमाग अब तक तो ठेलम ठाली बिना सोचे समझे ही करता था. अब लगता है कि दिमाग को कसरत करवा कर ही ठेलन कार्यक्रम चलाना पडेगा. डर इस बात है कि हमको ठेलने मे जितना समय नही लगता उससे ज्यादा उसकी सामग्री को जांचने मे लगेगा कि कहीं कॊइ गडबड झाला तो नही है.<br><br>आज एक छोटी सी कविता ठेळी थी उसपर भी आपत्तियां आनी शुरु हो गई हैं.<br><br>अब तो कोई ठेलन साफ़्टवेयर भी बनवाना पडॆगा.:)<br><br>रामराम.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12120526056573401282011-04-10T00:12:38.251+05:302011-04-10T00:12:38.251+05:30ठेलना तो हम बहुतै चाह रहे थे, लेकिन कुछ भीतर से नि...ठेलना तो हम बहुतै चाह रहे थे, लेकिन कुछ भीतर से निकलने की हिम्मत नहीं जुट पा रही है। बाहर जो दिख रहा है उसमें से छाँटते बीनते हुए कान्शस हो जाते हैं और कुछ सूझता ही नहीं लिखने को। सोच रहा हूँ बुजुर्गों पर कुछ लिख डालूँ। शायद खतरा कम हो।<br><br>यदि इसे विज्ञापन न माना जाय तो बता दूँ कि एक निरापद किन्तु <a href="http://tootifooti.blogspot.com/2009/06/blog-post_16.html" rel="nofollow">करुण कथा टूटी-फूटी</a> पर पोस्ट हुई है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-72628925896499010842011-04-10T00:12:37.777+05:302011-04-10T00:12:37.777+05:30बहुत पहले 'हम लोग' नाम का एक सिरियल आता था...बहुत पहले 'हम लोग' नाम का एक सिरियल आता था। उसमें एक दादाजी और एक दादीजी थीं। एक छुटकी भी थी। एक एपिसोड में छुटकी पूछती है कि दादाजी आपके इस सेहत या कुशल क्षेम ( Exact word याद नहीं) का राज क्या है ? <br><br> तब दादाजी जवाब देते हैं कि - <b>सुनो सबकी, पर करो अपने मन की । इससे दादी भी कंट्रोल में रहती है, बेटे भी कंट्रोल में रहते हैं और मैं भी :)</b><br><br> पोस्ट पढकर कुछ कुछ उन दादाजी वाली बात याद आ रही है कि सुनों सब की, पर लिखो अपने मन की :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63666284147336991002011-04-10T00:12:37.514+05:302011-04-10T00:12:37.514+05:30सही ठेला शुद्ध ' ज्ञान (प्र)दात्तीय' पो...सही ठेला शुद्ध ' ज्ञान (प्र)दात्तीय' पोस्टGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49668141264086027642011-04-10T00:12:37.180+05:302011-04-10T00:12:37.180+05:30Pandey ji, your writing is adhyatmik (sahaj swbhaa...Pandey ji, your writing is adhyatmik (sahaj swbhaav) which is reward in itself. It was also intersting that you understand abstract words like Rishi which have no substitute word/concept in other languages. mera sadar pranaam.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-1263924096950841592009-06-26T19:23:29.987+05:302009-06-26T19:23:29.987+05:30Pandey ji, your writing is adhyatmik (sahaj swbhaa...Pandey ji, your writing is adhyatmik (sahaj swbhaav) which is reward in itself. It was also intersting that you understand abstract words like Rishi which have no substitute word/concept in other languages. mera sadar pranaam.KRISHNA GOPAL MISRAhttps://www.blogger.com/profile/09479471562172040946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32778260699785996942009-06-23T00:57:20.641+05:302009-06-23T00:57:20.641+05:30सही ठेला शुद्ध ' ज्ञान (प्र)दात्तीय' पो...सही ठेला शुद्ध ' ज्ञान (प्र)दात्तीय' पोस्ट'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा ::https://www.blogger.com/profile/02846750696928632422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28141260257416262062009-06-18T14:10:29.438+05:302009-06-18T14:10:29.438+05:30बहुमूल्य सलाह के लिए धन्यवाद.
कल आप के दूसरे ब्लॉग...बहुमूल्य सलाह के लिए धन्यवाद.<br />कल आप के दूसरे ब्लॉग पर १००%'निरापद 'लेखन वाली पोस्ट भी पढ़ी..<br />समझ नहीं आया कि 'निरापद 'का अर्थ क्या है?Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28121161421735382152009-06-18T03:02:12.926+05:302009-06-18T03:02:12.926+05:30अरे कौन यहाँ गंभीर चिंतन करता है तो निरापद ही हैं ...अरे कौन यहाँ गंभीर चिंतन करता है तो निरापद ही हैं वैसे आपकी सलाह बढिया है ।<br />आपको इस विश्व से आइडिया और इन्स्पिरेशन लेने हैं। लगाम आपको अपने हाथ में रखनी है और खुद को बेलगाम नहीं करना है, बस!Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78131990582238308582009-06-17T18:39:43.679+05:302009-06-17T18:39:43.679+05:30नमस्कार,
आप की बात एकदम सही है....
आप का ब्लाग अच्...नमस्कार,<br />आप की बात एकदम सही है....<br />आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....<br />एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....<br />रचना अच्छी लगी....प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19627811364722014472009-06-17T17:41:40.992+05:302009-06-17T17:41:40.992+05:30सही है.
सब कह रहे हैं तो मैं भी :)सही है. <br />सब कह रहे हैं तो मैं भी :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3848465244004199072009-06-17T15:22:08.117+05:302009-06-17T15:22:08.117+05:30आपने अपने नाम को सार्थक किया है ..बेलगाम ना होने द...आपने अपने नाम को सार्थक किया है ..बेलगाम ना होने देने वाली बात सटीक हैविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5110760797127721762009-06-17T14:57:44.788+05:302009-06-17T14:57:44.788+05:30मुझे तो निरीह गोलू पाण्डेय की पिटाई और उस के बाद म...मुझे तो निरीह गोलू पाण्डेय की पिटाई और उस के बाद मिला ब्रेड-दूध का स्नेह स्मरण आ रहा है। काशः उसे कुछ धमकात्मक स्नेह मिला होता तो पिटाई से बच जाता।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13340686204033574362009-06-17T13:44:01.640+05:302009-06-17T13:44:01.640+05:30हम भी कतार में है सर जी.....हाथ बांधेहम भी कतार में है सर जी.....हाथ बांधेडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91289066307445471762009-06-17T12:02:10.268+05:302009-06-17T12:02:10.268+05:30"आइडिया अगर अन्दर से आते हैं तो वे ब्लॉग का म..."आइडिया अगर अन्दर से आते हैं तो वे ब्लॉग का मसाला नहीं बन सकते। वे आपको महान ऋषि बना सकते हैं। शुष्क और महान। पर वे आपके ब्लॉग को चौपाल नहीं बना सकते।"<br /><br />अच्छी सलाह दी है। धन्यवाद..................संजय सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02047632624034296801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53911216764580032062009-06-17T11:56:35.952+05:302009-06-17T11:56:35.952+05:30भय हो का नारा लगाते रहियेभय हो का नारा लगाते रहियेकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75148691515825790192009-06-17T11:26:59.109+05:302009-06-17T11:26:59.109+05:30@ अनूप शुक्ल - सर्पदंश नहीं सहना होगा आपको। सांप म...<b>@ अनूप शुक्ल - </b>सर्पदंश नहीं सहना होगा आपको। सांप मार दिया है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81234397393579855782009-06-17T09:58:25.764+05:302009-06-17T09:58:25.764+05:30सत्य वचन महाराज। सेनसेक्स और मूड एक से नहीं रहते। ...सत्य वचन महाराज। सेनसेक्स और मूड एक से नहीं रहते। जब जैसा मूड हो, ठेल देना चाहिए। ब्लागिंग में बहुत औपचारिक स्ट्रक्चर की चिंता भी नहीं करनी चाहिए। जमाये रहिये।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-51729437738257590422009-06-17T09:15:11.811+05:302009-06-17T09:15:11.811+05:30भन्ते,
सकल विश्व टिप्पणियों के लिये क्यों व्याकुल...भन्ते, <br />सकल विश्व टिप्पणियों के लिये क्यों व्याकुल है? मुफ्त की टिप्पणियां कैसे सुखकारी हो सकती हैं?<br />टिप्पणी-रस क्या हलाहल विष है?<br />क्या सच्चा ब्लागर, सच्चा टिप्पणीकार भी होता है?<br />टिप्पणी में बूमरैंग-गुण भी होता है?<br />जीवन-मृत्यु के संदर्भ में टिप्पणी का निहितार्थ-प्रतीकार्थ क्या है?<br /><br />भन्ते, मार्ग प्रशस्त करें...<br />-एक चिरकुट ब्लागरअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80071615717521047182009-06-17T08:58:12.032+05:302009-06-17T08:58:12.032+05:30लेखन सबके बस की बात नहीं । लेखक किसी के बस में कभी...लेखन सबके बस की बात नहीं । लेखक किसी के बस में कभी रहे ही नहीं । आप किसी लेखक के विचार प्रवाह को रोक के देखिये, उसका पूरा का पूरा मानसिक बल विरोध के विरुद्ध खड़ा हो जायेगा । यदि दूसरे के क्षेत्र में घुसने से हानि की सम्भावना दिखेगी तो दीवार पर बैठ कर तीर चलेंगे कटाक्षों के । यदि छ्त सूर्य की किरणों को रोकने का प्रयास करेगी तो गरम हो जायेगी ।<br />कुछ भी कर लें, प्रभाव तो दिखेगा ही ।<br />किसी की अभिव्यक्ति रोकने का प्रयास किया जायेगा तो ’अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता’ पर ही अभिव्यक्तियाँ होंगी । अभिव्यक्ति तो बहती धारा की तरह है आप चट्टान रख दीजिये, वह बगल से निकल जायेगी । आप बाँध खड़ा कर दीजिये, अभिव्यक्ति का स्तर धीरे धीरे बढ़ेगा और फिर जब ऊपर से बहकर नीचे गिरेगी तो धरातलों को चोट बहुत पहुँचेगी ।<br />काहे छेड़ दिया था जी ! अब झेलिये माँ सरस्वती का प्रवेग ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83537329685759198972009-06-17T05:56:43.665+05:302009-06-17T05:56:43.665+05:30बींध देने वाला कटाक्ष !बींध देने वाला कटाक्ष !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-89192391025535659792009-06-17T02:13:18.633+05:302009-06-17T02:13:18.633+05:30आपने जो कहा वही लोगों को समझाते आ रहे हैं कि भई यह...आपने जो कहा वही लोगों को समझाते आ रहे हैं कि भई यही पढ़ने-लिखने की दुनिया का शाश्वत सत्य है, बाकी सब तो मोह माया है! इसी का अनुसरण करते ठेलते आ रहे हैं। :)amithttps://www.blogger.com/profile/03372488870536392202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69267285262834681702009-06-17T00:41:41.928+05:302009-06-17T00:41:41.928+05:30अच्छी सलाह दी है।आभार।अच्छी सलाह दी है।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com