tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post7964802483589508059..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: इतिहास में घूमनाGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42594410085063426952010-08-22T13:27:21.746+05:302010-08-22T13:27:21.746+05:30आप जो भी लिखेंगे वो शिवकुटी ही नहीं आज के समय का भ...आप जो भी लिखेंगे वो शिवकुटी ही नहीं आज के समय का भी दस्तावेज़ बन जाएगा।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16469390879853303711noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63263713213257882542010-08-22T02:05:05.688+05:302010-08-22T02:05:05.688+05:30सबसे पहले तो आपके पुत्र को नमस्ते( और क्या कहूं सम...सबसे पहले तो आपके पुत्र को नमस्ते( और क्या कहूं समझ नही पा रहा) तथाकथित ही सही पिता के साथ रहता तो है। वरना कितने लोग हैं जो पिता के साथ टहलते हैं। <br />शिवपुरी के आसपास काफी इतिहास बिखरा हुआ है। जिस तरह से भी आप लिखेंगे वो भी इतिहास ही बन जाएगा। आप जैसा देखें वैसा लिखें। गांव से शहर बनते हुए कब तक ये अपने अस्तित्व को बचाए रख पाएगा ये कोई नहीं जानचा। हां युवा वर्ग अगर अपनी पहचान बनाए ऱखने की कोशिश करे तो अलग बात है।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32057103893811332062010-08-21T17:51:50.560+05:302010-08-21T17:51:50.560+05:30ब्लॉग लेखन भी लेखन का ही हिस्सा है.ब्लॉग लेखन भी लेखन का ही हिस्सा है.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-67587359002109434952010-08-21T11:59:34.239+05:302010-08-21T11:59:34.239+05:30आप भाग्यशाली हैं।
आप गँगा तट पर शिवकुटी जैसी जगह प...आप भाग्यशाली हैं।<br />आप गँगा तट पर शिवकुटी जैसी जगह पर रहते हैं, जिसका इतिहास से कोई संबन्ध है।<br />हम यदि किसी जगह की इतिहास के बारे में लिखना भी चाहें तो हमें जगह चुनने में भी परेशानी होगी।<br />हम तो कहीं के नहीं रहे, सिवाय भारत के।<br />जिसके पुर्खे केरळ/तमिलनाडु के हैं, जिसका जन्म और बचपन मुम्बई में हुआ था, पढाई राजस्थान और यू पी में हुई और जिसकी नौकरी बेंगळूरु में लगी वह किस जगह के बारे में लिखेगा? <br />अपने लिए regional identity ढूँढता फ़िर रहा हूँ।<br />अब बंगळूरु में, जे पी नगर इलाके में बस गया हूँ।<br />अब भला इस जगह के बारे में क्या लिखूँ समझ में नहीं आता।<br />न कोई इतिहास, न कोई विशेष संस्कृति, बस केवल मकान, रास्ते, ट्रैफ़िक, भीड, दूकाने वगैरह<br />काश गंगा जैसी कोई नदी होती, या पहाड होता या स्मरण लायक इतिहास।<br /><br />लिखते रहिए। यहाँ साहित्य से किसे मतलब है। अजी यह तो एक तरह का सोशियल नेटवर्किन्ग है। <br />शुभकामनाएं<br />जी विश्वनाथG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-4165347735142185572010-08-21T11:52:29.381+05:302010-08-21T11:52:29.381+05:30ऊबड-खाबड इतिहासकार को बधाई । खूब उडाइये मकाई शोला ...ऊबड-खाबड इतिहासकार को बधाई । खूब उडाइये मकाई शोला खोवापुरी [भारतीय मिखाइल शोलोखोव]:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47041014381387392512010-08-21T08:27:44.437+05:302010-08-21T08:27:44.437+05:30ऊपर की साढे तीन टिप्पणियों से सहमत। कौन सी हैं वे ...ऊपर की साढे तीन टिप्पणियों से सहमत। कौन सी हैं वे टिप्पणियां हैं यह फ़िर कभी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40457236330522502782010-08-21T07:27:41.192+05:302010-08-21T07:27:41.192+05:30प्रवीण जी से सहमत हूँ कि आप जहाँ भी जायेंगे , जिस ...प्रवीण जी से सहमत हूँ कि आप जहाँ भी जायेंगे , जिस भी परिस्थिति में होंगे , लिखने लायक कुछ न कुछ मिल ही जाएगा ...मौलिकता इसी को कहते हैं शायद ...<br />आभार ..!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49416508391853928672010-08-21T06:48:44.478+05:302010-08-21T06:48:44.478+05:30विष्णु बैरागी जी की ई-मेल से टिप्पणी:
ज्ञानजी,
...<b>विष्णु बैरागी जी की ई-मेल से टिप्पणी: </b><br /><br />ज्ञानजी,<br /><br />आपकी इस पोस्ट पर टिप्पणी लिखी, क्लिक भी की किन्तु हुआ कुछ भी नहीं। इसलिए आपको सीधे ही लिख रहा हँ।<br /><br />ईश्वर ने अहुत ही सुन्दर विचार आपके मन मे उपजाया है। शिवकुटी को लेकर आपके पास जो कुछ भी है - सूचनाऍं, तथ्य, विचार, वह सब अविलम्ब लिखना शुरु कर दीजिए। आप जो भी लिखेंगे वह सुन्द र और प्रभावी ही होगा और भविष्य के लिए उपयोगी भी होगा। ईश्वरेच्छा का पालन करने में देर बिलकुल मत कीजिए।<br /><br />आप पूर्ण स्वस्थ बनें रहें। शुभ-कामनाऍं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55342550961810462842010-08-21T03:54:53.044+05:302010-08-21T03:54:53.044+05:30लेखक क्या होता है जी? एक चिट्ठी लिखने वाला या बाजा...लेखक क्या होता है जी? एक चिट्ठी लिखने वाला या बाजार से सामान लाने की लिस्ट बनाने वाला हम तो इसे भी लिखना ही मानते हैं ! <br />जो अपनी लिखावट खुद ही दुबारा ना पढ़ पाए उसे छोड़ सबकुछ लिखने वाले लेखक ही हुए :) फिर आप तो लौकी, साग, ऊंट और बकरी में भी ज्ञान ढूंढ़ लाते है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70558352872980157452010-08-21T00:54:00.962+05:302010-08-21T00:54:00.962+05:30सरसरी निगाह से देखा तो ’मल्हार’ एक मस्त ब्लॉग सा ज...सरसरी निगाह से देखा तो ’मल्हार’ एक मस्त ब्लॉग सा जान पडता है.. पढते हैं इसे फ़ुरसत से.. पहले आपको आभार व्यक्त कर देते हैं.. शुक्रिया..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6758976002064776382010-08-21T00:52:45.853+05:302010-08-21T00:52:45.853+05:30"लिख शब्द लिखते ही मन में जोर का ठहाका लगता ह..."लिख शब्द लिखते ही मन में जोर का ठहाका लगता है। तुम कब से लेखक बन गये पण्डित ज्ञानदत्त पांड़े!"<br /><br />आप इस पर हँस सकते हैं लेकिन आपको पढने वाले आपको लेखक ही मानते हैं... मुझे आपकी पोस्ट्स से साहित्य जैसा ही कुछ मिलता है.. हरदम एक नया रस जो मस्तिष्क में कुछ हलचलें मचाकर उसे जीवन्त सा कर देता है..<br /><br />उम्मीद करता हूँ कि शिवकुटी का इतिहास आप अपने ब्लॉग के माध्यम से लिखें..कुछ वैसा ही जैसा ’बना रहे बनारस’ या ’द मैक्सिमम सिटी’ सरीखा... वैसे इतिहास नहीं भी सही, तो आप वर्तमान के बारे में बताते ही रहते हैं..<br /><br />साहित्य में भी कुछ लेखकों ने कुछ स्थानों को अमर बना दिया है/था.. मुझे याद है जब लखनऊ के कॉफ़ी हाउस में जाता था(जिसकी जगह अभी CCD ने ले ली है) तो कुछ कहानियों में उसका किया गया जिक्र जेहन में रहता था और जैसे पहले से ही एक जोडी आँखें सब कुछ दिखाती रहती थीं...<br />कैफ़ी साहेब की दो लाईन भी थी जो अक्सर जुबान पर चढ जाती थीं<br />"अजाओं में बहते थे आंसू, यहाँ लहू तो नहीं<br />ये कोई और जगह होगी, लखनऊ तो नहीं।"<br /><br />अभी भी जब कभी कहीं से बॉम्बे वापस आना होता है तो ’द मिडनाईट्स चिल्ड्रेन’ में सलीम द्वारा कई बार कहा गया वाक्य ’बैक टु बोम’ ऑटोमैटिकली निकलता है... <br /><br />न जाने कितनी कविताओं/कहानियों ने कितने ही स्थानों को काल में हमेशा के लिये ही दर्ज करवा दिया है.. ज्यादा ब्लॉग्स के बारे में नहीं पता है लेकिन आपकी ’मानसिक हलचल’ को पढने वाला शिवकुटी की एक इमेज बना सकता है जैसे फ़ुरसतिया जी के कलक्टरगंज की बनी हुयी है.. <br /><br />p.s. ज्यादा बोल गया हूँ तो इगनोर करियेगा :-).. आज कुछ मूड बना हुआ है..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-72267606380860577352010-08-21T00:29:36.509+05:302010-08-21T00:29:36.509+05:30ऐसा ना कहें, हम जिसे भी अपने समय में अपने आसपास जी...ऐसा ना कहें, हम जिसे भी अपने समय में अपने आसपास जीते हैं वो भविष्य के लिए हमरे समय का इतिहास ही तो है न... और रही बात शिवकुटी के इतिहास की तो पकडिये और बुजुर्गों को.......<br /><br />वैसे भी ज्ञान दद्दा आपको कौनो किताब लिखने की जरुरत नाही, उ का है की आप इतना कुछ ब्लॉग पे जो लिख चुके हो ना.... ;) सो बस ब्लॉग पे लिखते जाओ, भविष्य में वही किताब के रूप में खुद बा खुद छपेगा, लगा लो जी शर्त ........Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32038956933062330522010-08-20T23:49:53.848+05:302010-08-20T23:49:53.848+05:30अजी पहले आपनी सेहत पर ध्यान दे, हमारी शुभकामनायेंअजी पहले आपनी सेहत पर ध्यान दे, हमारी शुभकामनायेंराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50347600789442229612010-08-20T23:30:19.798+05:302010-08-20T23:30:19.798+05:30अरे वाह! आप घूम-टहल भी रहे हैं और पोस्ट भी ठेल रहे...अरे वाह! आप घूम-टहल भी रहे हैं और पोस्ट भी ठेल रहे हैं। ऊपर से टिपियाने की गुंजाइश भी खुल पड़ी है। यह तो लल्लन टॉप हो गया गुरुदेव। वाकई मुझे बड़ी खुशी हो रही है। <br /><br />मैं थोड़ा ज्यादा ही ब्लॉग से विलग होता जा रहा हूँ। वर्धा रास नहीं आ रहा क्या?<br /><br />उई... मैं आपसे क्यों पूछ रहा हूँ?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60203197424934768802010-08-20T22:06:12.446+05:302010-08-20T22:06:12.446+05:30आप तो लिखिए। जो बनेगा, देख लेंगे, क्या बनता है?आप तो लिखिए। जो बनेगा, देख लेंगे, क्या बनता है?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12007305523226683862010-08-20T21:12:03.575+05:302010-08-20T21:12:03.575+05:30आप जहाँ जायेंगे, कुछ न कुछ पठनीय निकाल लायेंगे।आप जहाँ जायेंगे, कुछ न कुछ पठनीय निकाल लायेंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55299524134228661582010-08-20T20:53:32.265+05:302010-08-20T20:53:32.265+05:30बहुत ही उम्दा पोस्ट. आपकी शैली का मैं कायल हूँ. बड...बहुत ही उम्दा पोस्ट. आपकी शैली का मैं कायल हूँ. बड़ी भली लगती है और कहीं पर भी संवादहीनता का आभास नहीं होता और न ही आपके शब्द मानसिक बोझ क्रीयेट करते हैं.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60124925072220666182010-08-20T19:15:10.335+05:302010-08-20T19:15:10.335+05:30""मैं किताब लिख कर इस मृतप्राय इतिहास को...""मैं किताब लिख कर इस मृतप्राय इतिहास को स्मृतिबद्ध तो नहीं कर सकता, पर बतौर ब्लॉगर इसे ऊबड़खाबड़ दस्तावेज की शक्ल दे सकता हूं। बहुत आत्मविश्वास नहीं है - इतिहास कैसे उकेरा जा सकता है""" <br /> कम से ब्लागर तो इतिहास को ब्लॉग को संजो सकता है .... बहुत बढ़िया भावपूर्ण प्रस्तुति....समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20428645657042291812010-08-20T18:49:36.618+05:302010-08-20T18:49:36.618+05:30आपके आत्मचिंतन(मानसिक हलचल) पाठक को भी चिन्तनावस्थ...आपके आत्मचिंतन(मानसिक हलचल) पाठक को भी चिन्तनावस्था में पहुँचाने में सक्षम हुआ करते हैं...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81388264484128240742010-08-20T18:15:35.456+05:302010-08-20T18:15:35.456+05:30daddaji amad darz ho.....
aur kya...aap likhte rah...daddaji amad darz ho.....<br />aur kya...aap likhte rahe.....<br />hum padhte rahenge.<br /><br />pranamसञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28192142079230351462010-08-20T18:00:01.053+05:302010-08-20T18:00:01.053+05:30आपके साथ हम भी भ्रमण कर लेते है.आपके साथ हम भी भ्रमण कर लेते है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55217817059860929902010-08-20T16:22:32.482+05:302010-08-20T16:22:32.482+05:30बहुत अच्छा लगा पढकर।बहुत अच्छा लगा पढकर।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com