tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post7898103223556884080..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: पकल्ले बे, नरियर!Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3274056208132173972009-10-03T22:22:17.768+05:302009-10-03T22:22:17.768+05:30@ हेमन्त कुमार जी - लेख पढ़ने के तुरन्त बाद टिप्पण...@ हेमन्त कुमार जी - लेख पढ़ने के तुरन्त बाद टिप्पणी देने ले लिये एक लिंक अब आप पायेंगे। वही लिंक सभी टिप्पणियों के अन्त में भी है। <br />आशा है, मार्ग सरल हो जायेगा।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44300851575725417922009-10-03T20:33:40.879+05:302009-10-03T20:33:40.879+05:30आदरणीय पाण्डेय जी,
लेख और फ़ोटो दोनों अच्छे लगे---...आदरणीय पाण्डेय जी,<br />लेख और फ़ोटो दोनों अच्छे लगे---लेख पढ़ने और टिप्पणी देने का मार्ग थोड़ा सरल कर दें तो पढ़ने का आनन्द बढ़ जाय।<br />हेमन्त कुमारडा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-33000351750354862152009-10-03T15:39:38.456+05:302009-10-03T15:39:38.456+05:30आदरणीय सर,
सच कहा आपने, हम गंगाजी पर भी तरस नहीं ख...आदरणीय सर,<br />सच कहा आपने, हम गंगाजी पर भी तरस नहीं खाते। काश, ये दुनिया बदल उठे।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40416136516381754272009-10-03T12:29:53.485+05:302009-10-03T12:29:53.485+05:30नारियल की जुगत तो हर पूजा स्थल पर हो रही है। मंदिर...नारियल की जुगत तो हर पूजा स्थल पर हो रही है। मंदिर में पंडे नारियल थैलों में जमा करते हैं तो बच्चे गंगातीरे:) प्रदूषण और प्रकृति का दोहन तो मनुष्य अनादि काल से करता आ रहा है.... ये बच्चे तो इसी मानव जाति का अंग ही तो हैं:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62462309596399954952009-10-03T07:52:30.358+05:302009-10-03T07:52:30.358+05:30सचमुच हम सभी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
पू...सचमुच हम सभी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।<br />पूनमपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2371758297305372282009-10-03T03:35:52.213+05:302009-10-03T03:35:52.213+05:30कलेजा पत्थर का करना होगा
तब तक
जब तक
कारगर उपाय
स...कलेजा पत्थर का करना होगा<br />तब तक <br />जब तक<br />कारगर उपाय<br />सार्थक रूप न ले लें ।<br />दुखती रग पर हांथ रख दिया आपने ।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30098776833615426632009-10-03T00:41:13.189+05:302009-10-03T00:41:13.189+05:30शाश्त्रों की माने तो कलयुग के मध्य में ही गंगाजी स...शाश्त्रों की माने तो कलयुग के मध्य में ही गंगाजी सरस्वती नदी की तरह धरती पर से लुप्त हो जायेंगी.....<br />यह असंभव भी नहीं लगता.......रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12185131060370244152009-10-02T20:12:47.801+05:302009-10-02T20:12:47.801+05:30सच कहा आपने। हमने नदियों को मां का दर्जा दिया और फ...सच कहा आपने। हमने नदियों को मां का दर्जा दिया और फिर उस पर गंदगी का तांडव करने लगे। धर्म हमें इतना भीरु क्यूं बनाता है कि एक नारियल और चंद फूलों को नदी में बहाने से हमारा कल्याण हो जाएगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-89660467399082376952009-10-02T20:10:18.230+05:302009-10-02T20:10:18.230+05:30कलियुग है। सन्तान अपनी मां का वध कर दे रही है। इन ...<b>कलियुग है। सन्तान अपनी मां का वध कर दे रही है। इन सब की एक बाजू में श्रद्धा है और दूसरी में गंगाजी को मारने का फंदा, जिसे वे धीरे धीरे कस रहे हैं सामुहिक रूप से। बनारस में वरुणा की मौत देखी है।</b><br />"तमसो मा ज्योतिर्गमय" की जितनी आवश्यकता आज प्रतीत होती है उतनी शायद कभी नहीं थी| धर्म डूब रहा है और घातक अंध-श्रद्घा उसका स्थान लेती जा रही है|Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54550967523226367482009-10-02T20:05:12.600+05:302009-10-02T20:05:12.600+05:30गंगा जी विलुप्त हो रही है…………………गंगा जी विलुप्त हो रही है…………………Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86379229087967456452009-10-02T18:47:57.331+05:302009-10-02T18:47:57.331+05:30आप अच्छा लिखने लगे हैं, ऎसे ही लिखते रहें जी ।
आपक...<i><br />आप अच्छा लिखने लगे हैं, ऎसे ही लिखते रहें जी ।<br />आपके लिखने से मेरा हौसला बढ़ता है, जी ।<br />मेरे मेल इनबाक्स में तो अक्सर ही यह सब आता रहता है, " पकल्ले बे, ई पोस्ट !"<br /></i>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18098822340575017512009-10-02T17:06:30.240+05:302009-10-02T17:06:30.240+05:30कभी राजा सगर के शापित पुत्रों को शाप मुक्त कर मोक्...कभी राजा सगर के शापित पुत्रों को शाप मुक्त कर मोक्ष प्रदान करने वाली गंगा की आज ये हालत कर दी गई है कि यह स्वयं अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। पतित पावनी माँ गंगा को आज लोगों नें अपने लोभ और अज्ञानवश एक गन्दे नाले में तब्दील कर के रख दिया है। बाकी रही-सही कसर तथाकथित विकासवादी पूरी किए जा रहे हैं। देख लीजिएगा,वो दिन दूर नहीं जब गंगा भी सरस्वती की भान्ती सिर्फ इतिहास के पन्नों में अंकित हो के रह जाएगी....<br />जय गंगा मईया........Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19852033757459905462009-10-02T16:42:58.166+05:302009-10-02T16:42:58.166+05:30गंगा के किनारे रोज़ एक कहानी जन्म लेती है...रोज़ क...गंगा के किनारे रोज़ एक कहानी जन्म लेती है...रोज़ कुछ जिन्दगियां जाने क्या क्या कह जाती हैं..जो आपकी ये हलचल न हो तो हमारी मानसिक शक्ति इतनी नहीं कि सब कुछ मन में साकार हो जाये....<br />आभार इस पोस्ट के लिये भी....और हकीकत के लिये तो दुख ही दुख..अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32639676068516437282009-10-02T15:15:17.727+05:302009-10-02T15:15:17.727+05:30जब ओलाद नालायक निकले तो बुजुर्ग क्या करे? हमारे बु...जब ओलाद नालायक निकले तो बुजुर्ग क्या करे? हमारे बुजुर्गो को पता था कि आने वाली पीढी नालायको से भरी होगी, इस लिये उन्होने नदीयो ओर पेड पोधो को पबित्र बता कर इन्हे पुजवाना शुरु करवा दिया, ताकि जिन चीजो की हम पुजा करते है उन्हे साफ़ रखे? लेकिन हो इस से उलटा रहा है, हम जिन नदियो को पुजते है सब से ज्यादा गंदगी वही फ़ेकते है, गंगा को मां कहते है, ओर उसे ही गंदा करने मै कोई कसर नही छोडते.... तो हुये ना हम नालायक.<br />आप ने बहुत सुंदर कहा.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-68218217032581420452009-10-02T15:11:49.007+05:302009-10-02T15:11:49.007+05:30आधुनिक उपयोगितावादी मनस के लिए कौन माँ, कौन बाप, क...आधुनिक उपयोगितावादी मनस के लिए कौन माँ, कौन बाप, कौन गंगा मैया, कौन पर्यावरण... जैसे भी हो, बस "पकल्ले बे"।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13291492001168524282009-10-02T15:00:03.469+05:302009-10-02T15:00:03.469+05:30शायद हम अपने अंतिम दिनों में गंगा मैया को देख पाएं...शायद हम अपने अंतिम दिनों में गंगा मैया को देख पाएं ! लगता तो मुश्किल है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6246249546207366242009-10-02T13:20:45.718+05:302009-10-02T13:20:45.718+05:30गगा मैया आपको गजब का समृद्ध बना रही हैं। लेकिन, पत...गगा मैया आपको गजब का समृद्ध बना रही हैं। लेकिन, पता नहीं कितने बाद तक की पीढ़ी ऐसी समृद्धि पा सकेगी।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14015102722531864382009-10-02T11:58:08.059+05:302009-10-02T11:58:08.059+05:30सन्तान अपनी मां का वध कर दे रही है. वह नदी है, ताल...सन्तान अपनी मां का वध कर दे रही है. वह नदी है, तालाब है, वह धरती है, पृथ्वि है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5665986612602853972009-10-02T10:38:09.824+05:302009-10-02T10:38:09.824+05:30खैर, छोड़ें यह पर्यावरणीय रुदन!
...nahi ye gyandu...खैर, छोड़ें यह पर्यावरणीय रुदन! <br /><br />...nahi ye gyandutt ji nhai ho sakte....<br /><br />...ye shayad frustation se upja jumla ho !!<br /><br />nyways...<br /><br />...aap jaise jagkrook prayavaran sanrakash (i mean it) ko ye jumla frustation main ya sarcasm main bhi shobha nahi deta...<br /><br />...agar aap jaise log hi himmat har gaye to baaki 'kalyug main maa ka vadh karne wale ' to apne prays main safal ho hi jaiyenge:<br /><br />waise in kalugi logon ke liye ek she'r maine bhi likha tha kabhi:<br />"ये कलयुग है इस कलयुग में ऐसा तो होना ही था ,<br />बेटा माँ को अंधा करके श्रवण कुमार कहलाता है ."<br /><br />ganga ko dekhkar dukh hota hai kahi ye saraswati ki rah par to nahi ja rahi ?दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-21067101451024604792009-10-02T10:11:07.610+05:302009-10-02T10:11:07.610+05:30हमने अपने जंगल काट डाले,पहाड फ़ोड कर रास्ते बना लिय...हमने अपने जंगल काट डाले,पहाड फ़ोड कर रास्ते बना लिये और अब बची नदियां,उसे भी मार डालेंगे और फ़िर खुद कैसे ज़िंदा रहेंगे ये सोचने वाली बात है।और नरियर पकडते बच्चों का रिस्क,तो गरीबी जो ना कराये वो कम है।बढिया पोस्ट,अब नदी-घाट पर पूजा सामग्री विसर्जित करते समय शायद हाथ भी कांपेंगे,मगर………………ये सिलसिला शायद बंद नही होगा।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17474860683971739622009-10-02T09:44:44.362+05:302009-10-02T09:44:44.362+05:30पूत कपूत सुने लेकिन माता न सुनी कुमाता . इसीलिए बच...पूत कपूत सुने लेकिन माता न सुनी कुमाता . इसीलिए बच्चो के सब खून माफ़ कर देती है माँ चाहे वह उसका ही क्यों न हो . ठीक ही कहा गंगा जी मर रही है या कहे हम मार रहे है धीरे धीरेdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19184741140820462402009-10-02T09:32:00.381+05:302009-10-02T09:32:00.381+05:30कलियुग है। सन्तान अपनी मां का वध कर दे रही है। इन ...<b>कलियुग है। सन्तान अपनी मां का वध कर दे रही है। इन सब की एक बाजू में श्रद्धा है और दूसरी में गंगाजी को मारने का फंदा, जिसे वे धीरे धीरे कस रहे हैं सामुहिक रूप से।</b><br /><br />बिल्कुल सटीक और सत्य कथन है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80051784175514603412009-10-02T09:26:55.040+05:302009-10-02T09:26:55.040+05:30@ गिरिजेश राव -
इन बच्चों पर यह पोस्ट है - ई पापा...@ गिरिजेश राव - <br />इन बच्चों पर यह पोस्ट है - <a href="http://halchal.gyandutt.com/2008/04/blog-post_25.html" rel="nofollow">ई पापा बहुत हरामी हौ! </a>Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43063160300527186092009-10-02T09:02:57.769+05:302009-10-02T09:02:57.769+05:30क्या कहा जाये ऐसी स्थितियों पर..सिवाय दुख व्यक्त क...क्या कहा जाये ऐसी स्थितियों पर..सिवाय दुख व्यक्त करने के.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78360251717604717842009-10-02T08:29:10.084+05:302009-10-02T08:29:10.084+05:30गोसाईं जी कह गए हैं
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'बड़वागि ते बड़ी है आग प...गोसाईं जी कह गए हैं<br />:<br />'बड़वागि ते बड़ी है आग पेट की।'<br /><br />ये बच्चे बिना किसी योजना के पैदा होते हैं, 'किए' नहीं जाते। धरती मैया के सहारे ये बढ़ते हैं। माँ बाप तो बस...<br /><br />नदी की धार से जूझते हैं ये बच्चे।<br />कूड़े के ढेर से बीनते हैं ये बच्चे।<br />कंचा खेलते छीनना सीखते हैं ये बच्चे।<br />सड़क पर यों ही घूमते हैं ये बच्चे।<br />...<br />ये बच्चे रिस्क नहीं लेंगे तो जिएँगे कैसे ?<br />चचा, जीना बड़ा 'जालिमाना स्वभाव' है। <br />..पेट की आग बहुत कुछ करा देती है। पर्यावरण प्रदूषण तो लघु बात है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com