tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post771959895729048217..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: आस्था बनी रहे परस्पर - एक मोनोलॉग!Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70953504589697298242007-11-07T16:17:00.000+05:302007-11-07T16:17:00.000+05:30मेरे ब्लॉग पर आज का गाँधी जी का वचन है: Honest dis...मेरे ब्लॉग पर आज का गाँधी जी का वचन है: Honest disagreement is often a good sign of progress. <BR/><BR/>और असहमतियाँ मुझे भी आप से कई हैं और शिकायत भी..मिसाल के तौर पर अब देखिये आज फिर आप ने हमें एक लिंक से वंचित कर दिया.. <BR/><BR/>और रही बात धन की दिव्यता वाली.. वो इतनी आसानी से सुलझने वाला बात थोड़ी है.. जब क्रांति के दिन हम और आप आमने सामने होंगे.. उस दिन कर लेंगे फ़ैसला..:)अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6276714820790837962007-11-07T13:44:00.000+05:302007-11-07T13:44:00.000+05:30मैं आप की इस बात से सहमत हूँ की युवा पीढ़ी में ग़ज़...मैं आप की इस बात से सहमत हूँ की युवा पीढ़ी में ग़ज़ब की प्रतिभा है. मैंने भी चंद युवाओं के ब्लॉग देखें हैं और मानता हूँ की अगर वे लिखते रहे तो हिन्दी को जो मान हमारी पीढी नहीं दिला सकी वे उसे प्राप्त करवा देंगे. न उनकी सोच बल्कि लेखन की कला ने भी मुझे चकित किया है. ब्लॉग वास्तव में ब्लॉगर के बारे में अप्रतक्ष्य रूप से बहुत कुछ बता देता है. <BR/>ब्लॉग पोस्ट को लेकर हुई गलती के लिए मेरी नासमझी जिम्मेदार है आपने अपने ब्लॉग पर सब को मेरी ग़ज़ल पढने का निमंत्रण देकर मुझे गद गद कर दिया है. <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16919132283211620782007-11-07T13:06:00.000+05:302007-11-07T13:06:00.000+05:30ई-मेल पर समरी की जगह फ़ुल फ़ीड ही फ़ायदेमंद है, क्यों...ई-मेल पर समरी की जगह फ़ुल फ़ीड ही फ़ायदेमंद है, क्योंकि लोग ब्लॉग पर आएं उससे ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि हमारा लिखा ज्यादा से ज्यादा प्रसारित हो!! यह मेरा मानना है इसलिए मैने शुरु से ही अपने ब्लॉग की फ़ुल फ़ीड एक्टीवेट रखी है।<BR/><BR/>अब बात होती है पाठकों की तो पाठकों से सतत संपर्क में रहा जाना जरुरी है, चाहे टिप्पणियों के माध्यम से चाहे ई मेल के माध्यम से, ताकि समीक्षा होती रहे!! मैं समय समय पर अपने ब्लॉग के सबस्क्राईबर्स को ई मेल करता रहता हूं, क्योंकि मेरे अधिकांश सबस्क्राईबर्स नॉन-ब्लॉगर है!<BR/><BR/>ब्लॉगर अपनी मर्जी का मालिक तो हो सकता है पर गैर ज़िम्मेदार तो कतई नही हो सकता!!<BR/><BR/>नए ब्लॉगर का लिंक उपलब्ध करवाईएगा , वैसे आपने परिभाषा नही दी है कि "नयी पीढ़ी" में आप किन्हें शामिल मानते हैं!!<BR/><BR/>आस्था का बना रहना बहुत ज़रुरी है, आस्थाएं टूटती है तो वे सिर्फ़ आस्थाएं नही रह जाती बल्कि उनके साथ मन या खुद इंसान भी टूटने लगता है!!<BR/><BR/>कुल मिलाकर बढ़िया पोस्ट!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71274427154894560712007-11-07T12:52:00.000+05:302007-11-07T12:52:00.000+05:30जब मै नया-नया ब्लागर बना तो मैने पाया कि लोग दूसरे...जब मै नया-नया ब्लागर बना तो मैने पाया कि लोग दूसरे की सामग्री अपने ब्लाग मे डालकर वाह-वाही लूट रहे है। ऐसे ही चित्रो के साथ हो रहा है। पहले मामले मे अब सुधार आया है। ज्यादातर लोग अपनी मूल रचना प्रकाशित कर रहे है। उन्हे प्रोत्साहित करने की जरूरत है। चित्रो के मामले मे आपने जो पहल की है वह अनुकरणीय है। आशा है अब सभी इसे अपनायेंगे। यही छायाकार का सही सम्मान है। आपने देखा होगा कि ब्लाग सामग्री की चोरी पर समय-समय पर बडा बवाल मचता है पर अपने समय इसे भुलाकर कही से भी चित्र उठाकर डाल दिया जाता है। <BR/><BR/>आप अपने है इसलिये आपको सलाह देते है। आप भी हमे अपना ही समझते है इसलिये तो उसे बिना देर अपनाते है।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52389158159600823302007-11-07T11:32:00.000+05:302007-11-07T11:32:00.000+05:30बिल्कुल सर आपने सही कहा. मैं भी एक नया ब्लॉगर हूँ ...बिल्कुल सर आपने सही कहा. मैं भी एक नया ब्लॉगर हूँ और आपसे बहुत कुछ सीख रहा हूँ. हां ये जरुर है मेरे सीखने की रफ्तार्र धीमी है. पर सीख जाऊंगा. आशा है आपसे मार्गदर्शन मिलता रहेगा.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54159658130695399342007-11-07T09:59:00.000+05:302007-11-07T09:59:00.000+05:30नए ब्लॉगर की प्रतिभा से परिचित कराइए। बाकी सब ठीक ...नए ब्लॉगर की प्रतिभा से परिचित कराइए। बाकी सब ठीक है। यकीनन ब्लॉग बेलगाम नहीं हो सकता।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16142386254567456452007-11-07T08:37:00.000+05:302007-11-07T08:37:00.000+05:30अपनी आस्था चैनेल चालू रखें..मैं तो इसे जैसा आप सोच...अपनी आस्था चैनेल चालू रखें..मैं तो इसे जैसा आप सोच रहे हैं वैसा ही मान रहा हूँ..व्हॉट इज़ पर्सनल डायरी स्टफ यू आर टाकिंग अबाऊट..मैं समझ नहीं पा रहा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50209700932817014212007-11-07T08:27:00.000+05:302007-11-07T08:27:00.000+05:30आप की दोनों ही बाते सही है, पाठकों की संवेदनाओं का...आप की दोनों ही बाते सही है, पाठकों की संवेदनाओं का ख्याल तो रखना ही चाहिए, पर किस विषय पर लिखे ये आप की मर्जी है।<BR/>ये भी सही है कि आज की युवा पीड़ी काबलियत मे काफ़ी आगे है, वो इस लिए कि बचपन से ही परफ़ेक्ट होने की तरफ़ ठेल दिए जाते है, नो बच्चागिरी अलॉउडAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24020994298861879782007-11-07T08:24:00.000+05:302007-11-07T08:24:00.000+05:30@ आलोक पुराणिक - बिल्कुल सही बात। मोनोलॉग कर लें, ...@ आलोक पुराणिक - बिल्कुल सही बात। मोनोलॉग कर लें, कभी-कभी मन होता है। लिखेंगे अपनी ही। <BR/>पर अपन अपनी चिरकुटई बरकरार रखने को परेशान हैं और आप कहते हैं कि औरों की सुनी तो चिरकुट हो जायेंगे। चिरकुट-चिरकुट में फर्क है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16908884478220966202007-11-07T08:12:00.000+05:302007-11-07T08:12:00.000+05:30ज्ञानजीनिश्चित तौर पर ब्लॉग को पर्सनल डायरी तो मान...ज्ञानजी<BR/>निश्चित तौर पर ब्लॉग को पर्सनल डायरी तो माना ही नहीं जा सकता। यहां सब कुछ सार्वजनिक है, जवाबदेही भी। मैं आपको बताऊं पाकिस्तान में आपातकाल पर लेख लिखने के लिए औरंगाबाद से मुझे मेल आई। जो, नियमित तौर पर मेरे रीडिफ ब्लॉग पर टिप्पणी करने वालों में हैं। और, ये अच्छा ही है। इस तरह की जवाबदेही से ब्लॉग को समर्थ मीडिया बनने में भी मदद मिलेगी।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17742242902499437512007-11-07T07:49:00.000+05:302007-11-07T07:49:00.000+05:30सुन लेनी चाहिए सबकी। पर माननी नहीं चाहिए। जिम्मेदा...सुन लेनी चाहिए सबकी। पर माननी नहीं चाहिए। जिम्मेदारी वगैरह ठीक बात है, पर ज्यादा जिम्मेदारी में संकट हो जाते हैं। परसाईजी का एक लेख है-कोर्स में लगे लेखक पर। कोर्स में लगा लेखक तरह-तरह के विचार करता है, इस लिखने से वो खुश होगा। इस लगने से वो सैट होगा। लेखक जब इत्ता अच्छा हो जाये कि सबको खुश सा करने लगे, तो समझना चाहिए कि चिरकुट हो लिया है। ज्यादा सलाह ना देनी चाहिए, ना लेनी चाहिए। लेखक की जिम्मेदारी सिर्फ अपने प्रति होनी चाहिए। हां उसके लिए उसे बहुत कुछ झेलने के लिए तैयार होना चाहिए। ज्यादा किसी की सुनिये मत जी। वरना ये जी वो जी आपके लेखन में झलकेंगे, ज्ञानजी गायब हो जायेंगे। <BR/>श्रीलाल शुक्लजी ने एक बार घटिया लेखन के बारे में बताया था कि लिहाज में, मुलाहजे में बहुत बदचलनी भी हो जाती है, और घटिया लेखन भी। <BR/>घटिया लेखन हो तो भी खालिस ओरिजिनल होना चाहिए। किसी की सुननी नहीं चाहिए।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-74023622445884888542007-11-07T07:43:00.000+05:302007-11-07T07:43:00.000+05:30आस्था चैनेल चालू आहे। :) पाठक भले ही आपके सामने न ...आस्था चैनेल चालू आहे। :) पाठक भले ही आपके सामने न हो लेकिन उसकी राय का सर्वाधिक महत्व है। आप पाठ्कों की राय का सम्मान करते हैं सो आप आस्थावान हुये। आपको आस्था पुरुष की उपाधि प्रदान की जाती है। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6790216574136257472007-11-07T07:00:00.000+05:302007-11-07T07:00:00.000+05:30लेख अच्छा लगा।लेख अच्छा लगा।नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-57087351765390353032007-11-07T06:02:00.000+05:302007-11-07T06:02:00.000+05:30आस्था है जी इसी लिये आस्था चैनल भी झेल लेते हैं.जी...आस्था है जी इसी लिये आस्था चैनल भी झेल लेते हैं.<BR/><BR/>जी सहमत हूँ ..ब्लॉग बेलगाम नहीं है आप अपने पाठकों के लिये लिखते हैं और उनकी इच्छा अनिच्छा का ख्याल आपको रखना ही पड़ता है.लेकिन आप उनकी इच्छा का खयाल ना रखने के लिये स्वतंत्र भी हैं.<BR/><BR/>वैसे खयाल हम भी रखते हैं जी.कल किसी शुभचिंतक ने कहा क्या "खोया पानी" ही ठेल रहे हो.बीच बीच में खुद को भी ठेलो. तो आज ठेल दिये अपना ठेला.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com