tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post7145137590979778730..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: वैराग्य को कौन ट्रिगर करता है?Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49869861342200720112011-04-10T00:18:46.005+05:302011-04-10T00:18:46.005+05:30पूरा नहीं पढ़ सका.. ऐसी ही टिपिया रहा हूँ.. वैराग्य...पूरा नहीं पढ़ सका.. ऐसी ही टिपिया रहा हूँ.. वैराग्य के हिज्जे ग़लत हैं.. वैराग्य..विराग.. राग.. सब जगह ग ही है.. 'ज्ञ'बना है ज और ञ से मिलकर.. पर बोला जाता है ग्य.. शायद इसलिए आप ने एक कदम और बढ़ाकर ग्य धवनि वाले शब्द को ज्ञ लिख दिया.. सुधार लें.. <br>नये वर्ष की शुभकामनाऎं.. वैसे इस टिप्पणी को छापने की ज़रूरत नहीं है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44085517453868471982011-04-10T00:18:45.821+05:302011-04-10T00:18:45.821+05:30वैराग्य में जाया नहीं जाता। जब होना होता है, वह हो...वैराग्य में जाया नहीं जाता। जब होना होता है, वह हो जाता है। <br>आप जहां चले जायेंगे, दुनिया वहां चली जायेगी। <br>दुनिया बाहर नहीं होती, अंदर होती है। <br>अंदर को बदलना वैराग्य होता है।<br>जिन्हे आप बाहर से बहुत बड़ा बैरागी मानते हैं। खेल उनके भी वही हैं। जो हो रहा है, उसमें रमे रहिये। मौज लीजिये। <br>असली वैराग्य यही है। <br>मौज लेने के लिए रोज पढ़ें आलोक पुराणिक का अगड़म बगडम<br>परम असली वैराग्य यही है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41400513198704732012011-04-10T00:18:44.773+05:302011-04-10T00:18:44.773+05:30आप तो वैसे फ़िल्ल्ल्म देखते नहीं पर आप की पोस्ट पढ़ ...आप तो वैसे फ़िल्ल्ल्म देखते नहीं पर आप की पोस्ट पढ़ कर हमें "चित्रलेखा" का एक गाना याद आ रहा है कुछ कुछ ऐसा था <br>' संसार से भागे फ़िरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे'<br>इस लोक को भी अपना ना सके, उस लोक में भी पछताओगे<br>तो जनाब अपुन तो चंदन के पेड़ होने में विश्वास रखते हैं।<br>वैसे अब फ़िल्म की बात कर ही रहे है तो कहते चले "Don't Miss Taare Zamin Per" great movie....<br><br>अजी हमें तो लखटकिया बहुत cute lagi, soch rahe hain apni khataaraa Alto ko nikaal Lakhtakiyaa hi le lein...kam se kam dikki mein se samaan udha toh hum bekhabar toh na hongeGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-61708222530065136262008-01-11T23:34:00.000+05:302008-01-11T23:34:00.000+05:30आप तो वैसे फ़िल्ल्ल्म देखते नहीं पर आप की पोस्ट पढ़ ...आप तो वैसे फ़िल्ल्ल्म देखते नहीं पर आप की पोस्ट पढ़ कर हमें "चित्रलेखा" का एक गाना याद आ रहा है कुछ कुछ ऐसा था <BR/>' संसार से भागे फ़िरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे'<BR/>इस लोक को भी अपना ना सके, उस लोक में भी पछताओगे<BR/>तो जनाब अपुन तो चंदन के पेड़ होने में विश्वास रखते हैं।<BR/>वैसे अब फ़िल्म की बात कर ही रहे है तो कहते चले "Don't Miss Taare Zamin Per" great movie....<BR/><BR/>अजी हमें तो लखटकिया बहुत cute lagi, soch rahe hain apni khataaraa Alto ko nikaal Lakhtakiyaa hi le lein...kam se kam dikki mein se samaan udha toh hum bekhabar toh na hongeAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14272956217995425032008-01-11T23:14:00.000+05:302008-01-11T23:14:00.000+05:30देखिये, नैराश्य में, बगैर विचलित हुए, सम्हलना- सम्...देखिये, नैराश्य में, बगैर विचलित हुए, सम्हलना- सम्हालना थोड़ा वैराग्य / विराग तो है|इससे ज़्यादा न हो तो ही ठीक| वैसे दुःख/ नैराश्य में आस्था, प्रार्थना बड़े संबल हैं, सबको सम्हालने में स्वयं को संतुलित रखते हैं - सहमति, पूर्ण सहमति भुक्तभोगियों की बिरादरी से - regards - manishAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54623008403482380772008-01-11T21:50:00.000+05:302008-01-11T21:50:00.000+05:30"आपके विचार शायद अलग हों?।"ज्ञान जी, आप ने वैराग्य..."आपके विचार शायद अलग हों?।"<BR/><BR/>ज्ञान जी, <BR/>आप ने वैराग्य के सारे पहलुओं को अभी नहीं छुआ है. जीवन के हर आश्रम में लिप्त होकर भी वैराग्य की मानसिक अवस्था से गुजरा जा सकता है.Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40567772216866899782008-01-11T20:17:00.000+05:302008-01-11T20:17:00.000+05:30Gautam Budh jaisa vairagya jo beemaron aur vridho ...Gautam Budh jaisa vairagya jo beemaron aur vridho ko dekh kar unme jaga tha, mujh main kabhi nahin jagega.kyonki jindagi ke kai front par ghamasan jari hai aise main vairagya vairagya nahin jeevan se palayan hoga. apna motto bhi vahi hai jo army ki rajputana rifles ka hai "Veer Bhogye Vasundhara" haan! logo ki vyatha chahe hospital main ho ya kahin aur hamesha man kharab karti hai.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/18419946937837569947noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-64142628989524166792008-01-11T19:33:00.000+05:302008-01-11T19:33:00.000+05:30आज अदालत में उलटे-सुलटे मुकदमे लगे थे, सो ठीक आठ ब...आज अदालत में उलटे-सुलटे मुकदमे लगे थे, सो ठीक आठ बजे नेट से उठ गया। शाम को आप की पोस्ट देखी। पोस्ट से अधिक आनन्द टिप्पणियों में आया। लगता है सृजन सम्मान के श्रेष्ठता चयन से सभी प्रेरित। शब्दों को सही कराने में लगे। भाइयों इतनी त्रुटि तो खूब चलती है। भारतीय दस्तावेजों में तो अदालतें भी लिखने वाले का मन्तव्य देखती हैं। <BR/>पर ज्ञान जी आप कहां बेराग में के चक्कर में आ गए। आप राग छोड़िए मत, छेड़िए। हमारी तो सुबह ही बेरंग हो जाएगी। हम ने तो भर्तृहरि की शतकत्रयी घोंटी और उसका मंगलाचरण याद रखा बाकी सब भूल गए। लगता है अभी अस्पताल का असर कुछ दिन और रहेगा। नमः शान्ताय तेजसेः।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11656578325537718222008-01-11T17:22:00.000+05:302008-01-11T17:22:00.000+05:30ज्ञान जी, मेरी नानी कहा करती थी, गृहस्थाश्रम का तप...ज्ञान जी, मेरी नानी कहा करती थी, गृहस्थाश्रम का तप सबसे कठिन तप है...दूसरी तरफ मेंढक पुल्लिंग शब्द है...उसके लिए जैसी शब्द ? ..वाहन.कहेंगे तो ...मेंढक जैसा ठीक रहेगा.... कार तो मुझे सुन्दर बासंती परिधान में नन्ही बालिका जैसी दिख रही है...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-27742255972082700252008-01-11T16:52:00.000+05:302008-01-11T16:52:00.000+05:30वैराग्य का अर्थ पलायन नहीं अपितु संसार में रह कर उ...वैराग्य का अर्थ पलायन नहीं अपितु संसार में रह कर उसके मोहपाश में न बंधने से है. वैराग्य के नाम पर जो लोग घर बार छोड़ कर जंगल पर्वत की और चले जाते हैं वो सन्यासी नहीं भगोडे, निठठले और कामचोर हैं. वैराग्य असल में पानी पर तैरती लकड़ी के टुकड़े की तरह है जो पानी में है भी और नहीं भी.<BR/>एक वैराग्य सिर्फ़ क्षणिक होता है जब ज़रूरत नहीं तो वैराग्य जैसे उधारण के लिए ये शेर देखें:<BR/>"तर्के - मय* ही समझ इसे जाहिद* <BR/> तर्के - मय* = शराब को छोड़ना <BR/>जाहिद* = मौलवी या पंडित <BR/>""तर्के - मय* ही समझ इसे जाहिद* <BR/>इतनी पी है के पी नहीं जाती "<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14028962420658911482008-01-11T15:48:00.000+05:302008-01-11T15:48:00.000+05:30संशोधन--……संबंधित बातें बीस साल बाद पढ़नी है। इसलिए...संशोधन--<BR/><BR/>……संबंधित बातें बीस साल बाद पढ़नी है। इसलिए……*Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52006624767757989182008-01-11T15:12:00.000+05:302008-01-11T15:12:00.000+05:30"वैराग्य " शब्द सुनकर दुनिया -जहान से असम्पृक्त एक..."वैराग्य " शब्द सुनकर दुनिया -जहान से असम्पृक्त एक सन्यासी नज़र आता है। ज्ञान जी आप तो ऐसे पलायनवादी नहीं लगते। दूसरी बात वैरागीयों को भी अपने अखाडे -आश्रम के नाम पर लडते देखा है,हथियार उठाते देखा है।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-8427884864256553132008-01-11T14:29:00.000+05:302008-01-11T14:29:00.000+05:30इस आवारा बंदे ने तय कर रखा है कि वैराग्य आदि से सं...इस आवारा बंदे ने तय कर रखा है कि वैराग्य आदि से संबंधित बातें बीस साल पढ़नी है। इसलिए आपकी बाकी पोस्ट नज़र-अंदाज़ कर सिर्फ़ भरतलाल की टिप्पणी पढ़ी गई जो कि धांसू है ;)Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-9806939954867512802008-01-11T12:53:00.000+05:302008-01-11T12:53:00.000+05:30आपने कुष्ठ रोगी देखे होंगे। अधिकतर उनकी नाक चपट जा...आपने कुष्ठ रोगी देखे होंगे। अधिकतर उनकी नाक चपट जाती है। नैनो को देखने पर आपको उनकी याद आ जायेगी।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-31527461988216692552008-01-11T11:30:00.000+05:302008-01-11T11:30:00.000+05:30अपन विद्वानो की श्रेणी में अन्हीं आते अतः जानते हु...अपन विद्वानो की श्रेणी में अन्हीं आते अतः जानते हुए भी वैराग्य की वर्तनी नहीं बताई. आपने सही लिखा है मगर अंतिम लखटकिया कार पर टिप्प्णी बहुत मजेदार लगी.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11145759583927646802008-01-11T10:34:00.000+05:302008-01-11T10:34:00.000+05:30पर बोला जाता है ग्ययूँ कहिए, कुछ लोगों द्वारा बोला...<I>पर बोला जाता है ग्य</I><BR/><BR/>यूँ कहिए, कुछ लोगों द्वारा बोला जाता है ग्य। सही उच्चारण ज्+ञ है।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16984282130358217872008-01-11T10:27:00.000+05:302008-01-11T10:27:00.000+05:30अरे आप भी कहाँ वैराग्य की बातें कर रहे है। :)अरे आप भी कहाँ वैराग्य की बातें कर रहे है। :)mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91685975444839589592008-01-11T09:17:00.000+05:302008-01-11T09:17:00.000+05:30वैराग्य में जाया नहीं जाता। जब होना होता है, वह हो...वैराग्य में जाया नहीं जाता। जब होना होता है, वह हो जाता है। <BR/>आप जहां चले जायेंगे, दुनिया वहां चली जायेगी। <BR/>दुनिया बाहर नहीं होती, अंदर होती है। <BR/>अंदर को बदलना वैराग्य होता है।<BR/>जिन्हे आप बाहर से बहुत बड़ा बैरागी मानते हैं। खेल उनके भी वही हैं। जो हो रहा है, उसमें रमे रहिये। मौज लीजिये। <BR/>असली वैराग्य यही है। <BR/>मौज लेने के लिए रोज पढ़ें आलोक पुराणिक का अगड़म बगडम<BR/>परम असली वैराग्य यही है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73619609160036524232008-01-11T09:01:00.000+05:302008-01-11T09:01:00.000+05:30@ अभय, आलोक - हिज्जे सही कर दिये हैं। "वैराग्य" से...@ अभय, आलोक - हिज्जे सही कर दिये हैं। "वैराग्य" से वैराग्य का मामला हो गया यह हिज्जे की गलती!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50030098056376834762008-01-11T08:59:00.000+05:302008-01-11T08:59:00.000+05:30अनासक्त रसभोगी ही असली योगी है। आज के जमाने में जी...अनासक्त रसभोगी ही असली योगी है। आज के जमाने में जीवन छोड़कर भागनेवाले पाखंडी होते हैं। रही बात टाटा की नैनो कार की तो भरतलाल ने नई दृष्टि दे दी। वाकई अब मेढ़क जैसी लगने लगी है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-61755597900901367402008-01-11T08:12:00.000+05:302008-01-11T08:12:00.000+05:30आधे ज में ञ वाले ज्ञानदत्त जी,वैराज्+ञ नहीं, वैराग...आधे ज में ञ वाले ज्ञानदत्त जी,<BR/>वैराज्+ञ नहीं, वैराग्+य वैराग्य।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32030617031113928992008-01-11T08:05:00.000+05:302008-01-11T08:05:00.000+05:30पूरा नहीं पढ़ सका.. ऐसी ही टिपिया रहा हूँ.. वैराग्य...पूरा नहीं पढ़ सका.. ऐसी ही टिपिया रहा हूँ.. वैराग्य के हिज्जे ग़लत हैं.. वैराग्य..विराग.. राग.. सब जगह ग ही है.. 'ज्ञ'बना है ज और ञ से मिलकर.. पर बोला जाता है ग्य.. शायद इसलिए आप ने एक कदम और बढ़ाकर ग्य धवनि वाले शब्द को ज्ञ लिख दिया.. सुधार लें.. <BR/>नये वर्ष की शुभकामनाऎं.. वैसे इस टिप्पणी को छापने की ज़रूरत नहीं है!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com