tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post7131456348628002151..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: फिर हिन्दी पर चलने लगे तीर (या जूते!)Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-1327741844511324172011-04-10T00:13:32.241+05:302011-04-10T00:13:32.241+05:30देखिए मेरा मानना है कि हिन्दी दुर्दशा का रोना रोने...देखिए मेरा मानना है कि हिन्दी दुर्दशा का रोना रोने से कुछ फायदा नहीं होगा। कुछ प्रैक्टिकल काम करना होगा, उस से फायदा है। फिलहाल हम लोग वैब पर हिन्दी फैलाने का काम कर सकते हैं। आपकी बात से सहमत हूँ हिन्दी की साइटों की संख्या बढ़नी चाहिए, ये हो भी रहा है। एक दिन हिन्दी बाजार की भाषा अवश्य बनेगी।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7167021942459758952011-04-10T00:13:31.140+05:302011-04-10T00:13:31.140+05:30नान सीरियस टाइप की चीजों में उलझे रहते हैं आप। मैं...नान सीरियस टाइप की चीजों में उलझे रहते हैं आप। मैं एक सीरियस काम में लगा हूं। कल एक सीनियर हिंदी आलोचक से मैंने पूछा-बताइए मेरा हिंदी साहित्य में क्या स्थान है। उसने जवाब दिया -घंटा। अभी घंटा विमर्श में लगा हूं। उसमें सारे पक्ष समाहित करुंगा। <br>और एक अच्छा शेर अभी पढ़ा है, आप भी सुनिये-शौहरतों से बच के चल, खो जाएगा वरना वजूद<br>गहरी बातें हैं, तो आवाजों को ऊंचाई न दे <br>-परवाजGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-56643909900444744012011-04-10T00:13:30.808+05:302011-04-10T00:13:30.808+05:30पांडे जी,आप भी युटोपिया में ही रह्तेंहैं क्या?भारत...पांडे जी,<br>आप भी युटोपिया में ही रह्तेंहैं क्या?भारत के जितने भी हिन्दी चैनेल हैं वहां वाकई मुन्शी प्रेमचन्द जी का बायोडाटा मांगने वालों की भरमार है.ऐसे मनोरंजन चैनेल मे हिन्दीवालों को बडे़ हिकारत से देखा जाता है.जबकी ये सारे चैनल हिन्दी की ही खाता है और भारतीय बाज़ार मे इनकी हिस्सेदारी भी कम नही है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77761713748464550552007-06-29T15:44:00.000+05:302007-06-29T15:44:00.000+05:30पांडे जी,आप भी युटोपिया में ही रह्तेंहैं क्या?भारत...पांडे जी,<BR/>आप भी युटोपिया में ही रह्तेंहैं क्या?भारत के जितने भी हिन्दी चैनेल हैं वहां वाकई मुन्शी प्रेमचन्द जी का बायोडाटा मांगने वालों की भरमार है.ऐसे मनोरंजन चैनेल मे हिन्दीवालों को बडे़ हिकारत से देखा जाता है.जबकी ये सारे चैनल हिन्दी की ही खाता है और भारतीय बाज़ार मे इनकी हिस्सेदारी भी कम नही है.VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-629534906078037442007-06-29T12:39:00.000+05:302007-06-29T12:39:00.000+05:30सत्य वचन सर, अब ये भी हमारी हिन्दी है और यकीन मा...सत्य वचन सर, अब ये भी हमारी हिन्दी है और यकीन मानिये ऐसी हिन्दी ही बाजार की भाषा नही साहित्य कहलाने वाली है बकरी की लेडी हो सकता है भाई लोगों के चाहने से शदी की परसिद व्यंग बन जाये ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-64505024216445014692007-06-29T11:35:00.000+05:302007-06-29T11:35:00.000+05:30पुराणिक उवाच > ...कल एक सीनियर हिंदी आलोचक से मैंन...<B> पुराणिक उवाच > ...कल एक सीनियर हिंदी आलोचक से मैंने पूछा-बताइए मेरा हिंदी साहित्य में क्या स्थान है। उसने जवाब दिया -घंटा।</B> <BR/><BR/>आप ज्यादा शब्द क्यों प्रयोग करते हैं? कोई भी हिन्दी आलोचक हो, सीनियर ही होता है. अत: सीनियर हिंदी आलोचक लिखने का क्या तुक? <BR/><BR/><B> श्रीश</B> जी की टिप्पणी दो बार आ गयी थी. इसलिये एक बार की मैने डिलीट की है. उनसे कोई झगड़े के कारण नहीं! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18720962786303800592007-06-29T10:15:00.000+05:302007-06-29T10:15:00.000+05:30देखिए मेरा मानना है कि हिन्दी दुर्दशा का रोना रोने...देखिए मेरा मानना है कि हिन्दी दुर्दशा का रोना रोने से कुछ फायदा नहीं होगा। कुछ प्रैक्टिकल काम करना होगा, उस से फायदा है। फिलहाल हम लोग वैब पर हिन्दी फैलाने का काम कर सकते हैं। आपकी बात से सहमत हूँ हिन्दी की साइटों की संख्या बढ़नी चाहिए, ये हो भी रहा है। एक दिन हिन्दी बाजार की भाषा अवश्य बनेगी।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83275736778254150062007-06-29T10:03:00.000+05:302007-06-29T10:03:00.000+05:30नान सीरियस टाइप की चीजों में उलझे रहते हैं आप। मैं...नान सीरियस टाइप की चीजों में उलझे रहते हैं आप। मैं एक सीरियस काम में लगा हूं। कल एक सीनियर हिंदी आलोचक से मैंने पूछा-बताइए मेरा हिंदी साहित्य में क्या स्थान है। उसने जवाब दिया -घंटा। अभी घंटा विमर्श में लगा हूं। उसमें सारे पक्ष समाहित करुंगा। <BR/>और एक अच्छा शेर अभी पढ़ा है, आप भी सुनिये-शौहरतों से बच के चल, खो जाएगा वरना वजूद<BR/>गहरी बातें हैं, तो आवाजों को ऊंचाई न दे <BR/>-परवाजALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-46516858069283835162007-06-29T09:43:00.000+05:302007-06-29T09:43:00.000+05:30एक बार फिर आपसे 100% सहमत हो रहा हूँ.हिन्दी का कल्...एक बार फिर आपसे 100% सहमत हो रहा हूँ.<BR/><BR/>हिन्दी का कल्याण साहित्य पर रोने वालो से नहीं इसे बाजार की भाषा बना देने वालो के हाथों में है.<BR/><BR/>इस ओर काम हो रहा है. जिन्हे केवल छाती पीटा करना है, करते रहें.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-66999760066284767572007-06-29T08:54:00.000+05:302007-06-29T08:54:00.000+05:30घुघुती जी से सहमत हूं । :)बाकी बात कुछ कुछ ठीक है ...घुघुती जी से सहमत हूं । :)<BR/>बाकी बात कुछ कुछ ठीक है ।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/10694935217124478698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17443126180930218772007-06-29T07:40:00.000+05:302007-06-29T07:40:00.000+05:30हम भी देख रहे हैं, बॉस...मगर चुपचाप...इतना बोले है...हम भी देख रहे हैं, बॉस...मगर चुपचाप...इतना बोले हैं तो बस आपकी वजह से. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41084820805053799532007-06-29T06:10:00.000+05:302007-06-29T06:10:00.000+05:30मसिजीवी उवाच > ... जब आप कोई संदर्भ देते हैं तो कृ...<B>मसिजीवी उवाच > ... जब आप कोई संदर्भ देते हैं तो कृपया लिंक भी दें- ये सहुलियत भी देता है और ब्लॉग चर्चा के स्वरूप के अनुरूप भी है। </B><BR/><BR/>मैं आपसे पूरा इत्तिफाक रखता हूं. पर इस मामले में क्यों नही दिया, उसपर भी मैने लिखा है. हां - आमतौर पर लिंक करने के ब्लॉगरी के एथिक्स का पालन अवश्य करूंगा. <BR/>और बात का सरलीकरण तो है ही - मैं कोई विवाद खड़ा जो नहीं करना चाहता. 20-22 लाइन की पोस्ट में बहुत बड़ा मौलिक दर्शन देने का मुगालता नहीं है. मैं एक बात भर कह रहा हूं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15375194235161042512007-06-28T22:38:00.000+05:302007-06-28T22:38:00.000+05:30पहले हमका ई बताया जाए कि लोगन का खा खा के जैसन पोस...पहले हमका ई बताया जाए कि लोगन का खा खा के जैसन पोस्ट आपने लिखा है वैसन पोस्ट लिखे जा रहे हैं , अगर इ खातिर कौनो मस्त वाली गोली आवत है तो हमका भी दिया जाए। <BR/>आखिर बात का है, झमाझम लिखे जा रहे हो आप आजकल!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49770918179795237132007-06-28T22:31:00.000+05:302007-06-28T22:31:00.000+05:30थोड़ा सरलीकरण है पर बात बेदम नहीं है।जब आप कोई संद...थोड़ा सरलीकरण है पर बात बेदम नहीं है।<BR/><BR/>जब आप कोई संदर्भ देते हैं तो कृपया लिंक भी दें- ये सहुलियत भी देता है और ब्लॉग चर्चा के स्वरूप के अनुरूप भी है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28841371391179183332007-06-28T21:40:00.000+05:302007-06-28T21:40:00.000+05:30I Agree!I Agree!RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-45617587081341386472007-06-28T21:38:00.000+05:302007-06-28T21:38:00.000+05:30ये नागार्जुन जी जगह जगह पर कैसे आ जाते हैं समझ नही...ये नागार्जुन जी जगह जगह पर कैसे आ जाते हैं समझ नहीं आता । क्या वे बलॉगर्स के कुल देवता की तर्ज पर कुल कवि, कुल दर्शनशास्त्री बन गए <BR/>हैं ?<BR/>यहाँ यह बताना आवश्यक है कि मैं सबकी तरह उनका भी बहुत आदर करती हूँ ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com