tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post6879598483211617434..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: आज सवेरा न जागे तो मत कहनाGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86305794373854637902008-10-18T23:12:00.000+05:302008-10-18T23:12:00.000+05:30अरुणजी आप चाहे इसे कविता न समझें।हम भी इसे कविता न...अरुणजी आप चाहे इसे कविता न समझें।<BR/>हम भी इसे कविता न समझें यह मत कहना।<BR/><BR/>आपका अमूल्य समय आपको मुबारक हो।<BR/>हम अपना समय बरबाद न करें यह मत कहना।<BR/><BR/>वाह विश्वनाथ जी, आप भी कविता करने लग गये<BR/>अब तो कहना पड़ेगा <BR/>खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है<BR/>ज्ञान की संगत ने हमें कवि नहीं बनाया ये मत कहनाAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54901547040945834582008-10-18T02:26:00.000+05:302008-10-18T02:26:00.000+05:30हाज़िरी लगाने में क्या जाता है,निट्ठल्ले ने हाज़िरी ...<I>हाज़िरी लगाने में क्या जाता है,<BR/>निट्ठल्ले ने हाज़िरी न लगाई, ये ना कहना </I>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10930361233678772152008-10-17T19:48:00.000+05:302008-10-17T19:48:00.000+05:30आप जैसे गुनी लेखक को ब्लॉग पर पढ़ना बहुत सुखद अनुभ...आप जैसे गुनी लेखक को ब्लॉग पर पढ़ना बहुत सुखद अनुभव है मेरी भी कुछ मानसिक उथल पुथल मेरे ब्लॉग पर एकत्रित है आपकी नज़र और मार्गदर्शन की अपेक्षा है <BR/>प्रदीप मानोरियाप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-21494475588193888602008-10-17T16:58:00.000+05:302008-10-17T16:58:00.000+05:30Dear Arun Kumar,Thank you for provoking me to wast...Dear Arun Kumar,<BR/><BR/>Thank you for provoking me to waste some more of my time, your time and the time of others.<BR/>How much time did you waste on writing this comment?<BR/><BR/>Please do us the favour of wasting some more time in reading this reply and if we are fortunate, we should see you wasting even more time in penning a fitting rebuttal to this comment too.<BR/><BR/>We would love to read your reaction to this in the same poetic style that Gyanji has adopted and which I am emulating.<BR/><BR/>अरुणजी आप चाहे इसे कविता न समझें।<BR/>हम भी इसे कविता न समझें यह मत कहना।<BR/><BR/>आपका अमूल्य समय आपको मुबारक हो।<BR/>हम अपना समय बरबाद न करें यह मत कहना।G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22346038837572370472008-10-17T15:31:00.000+05:302008-10-17T15:31:00.000+05:30Why are you wasting the time of your own as wellas...Why are you wasting the time of your own as wellas of others, it will be better to go to nearby sabzee mandi and try to sell some egg plants I hope that will be better. Is this Kavita! as you people are telling. Shameful.<BR/>AkpDr. Arun Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10310030641654635332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-67024682497285511412008-10-16T18:15:00.000+05:302008-10-16T18:15:00.000+05:30भैय्या सोच रहा हूँ की जिसकी स्क्रेप बुक में इतनी श...भैय्या सोच रहा हूँ की जिसकी स्क्रेप बुक में इतनी शानदार रचनाएँ भरी पड़ी हैं उसकी वर्क-बुक में क्या होगा..??? भाभी जी से कहना पड़ेगा कभी आप की बुक शेल्फ की भी सफाई करें...ताकि हम जैसे काव्य प्रेमियों का भला हो. <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42807069218420765622008-10-16T16:20:00.000+05:302008-10-16T16:20:00.000+05:30वाह ! क्या बात है. लाजवाब कविता है. पर शिकायत है क...वाह ! क्या बात है. लाजवाब कविता है. पर शिकायत है कि आज कल यह कवि क्यों अपने काव्य कला को वनवास दिए हुए है.चलिए इसी बहने उसका उद्धार कीजिये और यह काव्यात्मक प्रयोग जरी रखिये.आभार और शुभकामना.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71125369332843280012008-10-15T16:52:00.000+05:302008-10-15T16:52:00.000+05:30ज्ञानजी,कभी सोचा भी था आपने कि इस पोस्ट पर ४४ टिप...ज्ञानजी,<BR/>कभी सोचा भी था आपने कि इस पोस्ट पर ४४ टिप्पणियाँ मिलेंगी?<BR/>यह लीजिए पैंतालीस्वी टिप्पणी।<BR/>इस भंडार से निकालिए अपनी अगली कविता/पोस्ट।<BR/>क्या अब भी आप को चुक जाने का डर है?<BR/>क्या अब भी आप वैराग्य के बारे में सोच रहे है?<BR/>एक बात पूछना चाहता था।<BR/>क्या आप अपने ब्लॉग पर छोटे छोटे streaming sound clips सम्मिलित कर सकते हैं। यदि हाँ तो कितने मेगाबाईट की सीमा तय करेंगे?<BR/>सोच रहा हूँ मित्रों की आवाज सुनना कितना अच्छा लगेगा।<BR/>यदि कोई अच्छा गा लेता है तो हम सुनने के लिए उत्सुक हैं।<BR/>इस पर भी विचार कीजिए।<BR/>शुभकामनाएंG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30237351399142919832008-10-15T16:03:00.000+05:302008-10-15T16:03:00.000+05:30आज सवेरा न जागे तो मत कहनाघुप्प कोहरा न भागे तो मत...आज सवेरा न जागे तो मत कहना<BR/>घुप्प कोहरा न भागे तो मत कहना<BR/><BR/>मेरा देश चल रहा कछुये की रफ्तार पकड़<BR/>खरगोश सभी अब सो जायें यह मत कहना<BR/><BR/>बेसुरे गले से चीख रहे हैं लोग मगर<BR/>संगीत सीखने का उनको अधिकार नहीं है, मत कहना<BR/><BR/>इन शेरों में जिंदगी की गमक देखने को मिली। बधाई।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-57769003202537104682008-10-15T10:28:00.000+05:302008-10-15T10:28:00.000+05:30इस सड़क पर चलना हो तो चलो शौक से इस सड़क पे कोई और न...इस सड़क पर चलना हो तो चलो शौक से <BR/>इस सड़क पे कोई और न चले, मत कहना<BR/><BR/>आपके कवि स्वरुप की ये रचनाएँ आह्लादित करती हैं. अब विडम्बना देखिये कि आपने सड़क पर शौक से चलने की इजाज़त क्या दिया, इस देश के सभी "आदरणीय सड़क उपभोक्ता नागरिक गण" सड़कों पर "शौक" से ही चलते हैं और दूसरों से उम्मीद भी आपकी दूसरी पंक्ति की तरह ही करते हैं. सच में 1947----1997 से अब 2008 तक कुछ भी नहीं बदला. स्क्रैप बुक पढ़वाते रहें, कई काम की बात निकलेगी.समीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-66289422887477484572008-10-15T06:54:00.000+05:302008-10-15T06:54:00.000+05:301997 में कविता यात्रा को विराम क्यों दे दिया ज्ञा...1997 में कविता यात्रा को विराम क्यों दे दिया ज्ञानजी । इसे भी अपनी नौकरी का हिस्सा बना लेते तो अब तक तो कविता की कई एक्सप्रेस रेलें लोगों को मिल चुकी होतीं ।<BR/>अब भी देर नहीं हुई है । हम आपकी ऐसी एक्सप्रेस के यात्री बनने को तैयार हैं ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69758617204752427462008-10-15T00:21:00.000+05:302008-10-15T00:21:00.000+05:30बेसुरे गले से चीख रहे हैं लोग मगर संगीत सीखने का उ...बेसुरे गले से चीख रहे हैं लोग मगर <BR/>संगीत सीखने का उनको अधिकार नहीं है, मत कहना<BR/><BR/>hame to ye baat sabse jyada jami....aaj ke reality shows par fit baithti hai.pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-72572039015363564362008-10-14T23:44:00.000+05:302008-10-14T23:44:00.000+05:30जे का है दद्दा! कविता और आप, रिश्ता किधर से निकल आ...जे का है दद्दा! कविता और आप, रिश्ता किधर से निकल आया?<BR/><BR/>मैं नहीं जानता – कितनी पी, कितनी बाकी है<BR/>बोतल पर मेरा हक नाजायज है, मत कहना<BR/><BR/>बस-बस, आगे नई पूछूंगा, समझ में आ गया ;)Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55348511556254781582008-10-14T22:57:00.000+05:302008-10-14T22:57:00.000+05:30अरे वाह, पढकर और यह जानकर कि आपने चित्रों के साथ क...अरे वाह, पढकर और यह जानकर कि आपने चित्रों के साथ कविता लिखी थी अच्छा लगा ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48434136752880976182008-10-14T22:56:00.000+05:302008-10-14T22:56:00.000+05:30हमेशा की तरह से सब से बाद मै... आज की कविता बहुत अ...हमेशा की तरह से सब से बाद मै... आज की कविता बहुत अच्छी लगी... यह कविता लगती तो आजकल के हालात पर ही है, लेकिन आओ कह रहै है पुरानी है....<BR/>रेत के टीलों पर ऊंचे महल बनाने वालों <BR/>तूफानों के न चलने के मन्तर मत कहना<BR/>बहुत ही सुन्दर... <BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3390185491724344502008-10-14T22:48:00.000+05:302008-10-14T22:48:00.000+05:30बेसुरे गले से चीख रहे हैं लोग मगर संगीत सीखने का उ...<B>बेसुरे गले से चीख रहे हैं लोग मगर <BR/>संगीत सीखने का उनको अधिकार नहीं है, मत कहना</B><BR/>बहुत अच्छी कविता और क्या कहूँ ..सुंदर ज्ञान जी,बहुत सुंदर.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55689030351424231552008-10-14T22:35:00.000+05:302008-10-14T22:35:00.000+05:30हा हा , तो अनूप जी कि टिप्पणी प्रकाशित नहीं हुई थी...हा हा , तो अनूप जी कि टिप्पणी प्रकाशित नहीं हुई थी लेकिन हो चुकी थी हमारे आने से पहले। ज्ञान जी आप एक कविता और ठोक दीजिए, ये कहते हुए ब्लोगर बनने के पहले, ब्लोगर बनने के बाद्…।:)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-61564801400891146482008-10-14T21:57:00.000+05:302008-10-14T21:57:00.000+05:30मेरे ख्याल से मैं सबसे अंत में आयी हूँ और अचंभित ह...मेरे ख्याल से मैं सबसे अंत में आयी हूँ और अचंभित हूँ कि ज्ञान जी कवि?…… और वो भी ऐसे प्रभावी कवि कि विश्वनाथ जी समेत कई ब्लोगर कवि हो गये और सच में अनूप जी की बोलती बंद हो गयी( कहीं हैरानी से आखें चौड़ी तो नहीं हो गयीं) रीटा जी मानसिक हलचल की लाइट हाउस बन गयी हैं , अभिनंदन, थ्री चीयरस फ़ोर हरAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24200573910266285772008-10-14T21:51:00.000+05:302008-10-14T21:51:00.000+05:30ये जो स्क्रैप है उसको पता नहीं लोग कविता-कविता कर ...ये जो स्क्रैप है उसको पता नहीं लोग कविता-कविता कर रहे हैं। यह तो कविमना व्यक्तित्व की पोल है। इससे साफ़ पता चलता है कि कवि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घणा विरोधी है। हर चीज के लिये मना करता है। यह मत कहना वो मत कहना। ऐसे कहीं होता है क्या? स्क्रैप बुक के उद्गार भारतीय संविधान के खिलाफ़ है जी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73835242584848608612008-10-14T18:41:00.000+05:302008-10-14T18:41:00.000+05:30reeta di,aur padhvaaiye....:)reeta di,aur padhvaaiye....:)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30084952445367007312008-10-14T17:42:00.000+05:302008-10-14T17:42:00.000+05:30भाई जी ! इस कविता में बेहतरीन उद्गार हैं, इस स्क्र...भाई जी ! <BR/>इस कविता में बेहतरीन उद्गार हैं, इस स्क्रेप बुक को सबके सम्मुख लाने का शुक्रिया !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77448744988411361862008-10-14T17:17:00.000+05:302008-10-14T17:17:00.000+05:30कोयले में हीरा मिलता है आपके कबाड़ में मोती निकलने...कोयले में हीरा मिलता है आपके कबाड़ में मोती निकलने लगे हैं !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22240068991020685602008-10-14T16:29:00.000+05:302008-10-14T16:29:00.000+05:30बढ़िया है यह .रेत के टीलों पर ऊंचे महल बनाने वालों...बढ़िया है यह .<BR/><BR/>रेत के टीलों पर ऊंचे महल बनाने वालों<BR/>तूफानों के न चलने के मन्तर मत कहनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-36382486947581146032008-10-14T16:19:00.000+05:302008-10-14T16:19:00.000+05:30और किसी को सड़क पर चलने से मत रोकना /कविता शुरू कहा...और किसी को सड़क पर चलने से मत रोकना /कविता शुरू कहाँ से की और खत्म कहाँ की /पांडेयजी -मध्य प्रदेश घुमाकर मुम्बई ले जाकर पटकाBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41882807501912185832008-10-14T16:00:00.000+05:302008-10-14T16:00:00.000+05:30बढ़िया हैबढ़िया हैअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.com