tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post6538510974460867592..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: शहर में भी संयुक्त परिवार बहुत हैंGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77208189078645348612007-12-16T01:55:00.000+05:302007-12-16T01:55:00.000+05:30युनुस जी ने जो कहा सही है पर वो सिर्फ़ गु्जराती और ...युनुस जी ने जो कहा सही है पर वो सिर्फ़ गु्जराती और मारवाड़ीयों पर लागू होता है।बाकी तो न्युकिलअर परिवार ही ज्यादा हैं।आलोक जी की निराशा निराधार नहीं पर हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि आने वाले भविष्य में सयुंक्त परिवार का चलन लौट आए।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10041995819130538592007-12-14T04:37:00.000+05:302007-12-14T04:37:00.000+05:30ज्ञानदा आपकी अब तक की शानदार पोस्टों में से एक है...ज्ञानदा आपकी अब तक की शानदार पोस्टों में से एक है ये पोस्ट । प्यारी पोस्ट ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15718963059822977822007-12-13T21:33:00.000+05:302007-12-13T21:33:00.000+05:30मौजूं पोस्ट है। कानपुर में भी कुछ दिन पहले खबर निक...मौजूं पोस्ट है। कानपुर में भी कुछ दिन पहले खबर निकली थी- सौ लोगों का एक परिवार है। तमाम कारक हैं परिवार का साइज तय करने वाले। रोजी-रोटी, नौकरी-पेशा सबसे अहम हो गये हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-36829219641687952152007-12-13T21:19:00.000+05:302007-12-13T21:19:00.000+05:30सयुक्त परिवारों के जहाँ लाभ हैं वहाँ नुक्सान भी कम...सयुक्त परिवारों के जहाँ लाभ हैं वहाँ नुक्सान भी कम नहीँ.रिश्तों की चाहत की प्यास हमारे परिवार में तो बहुत है... छोटे शहरों के रिश्तेदारों के दिल बड़े होते हैं और बड़े शहरों के दिल छोटे... हालाँकि हम दिल्ली के हैं लेकिन जो अनुभव हुआ वही बता रहे हैं..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-89803669916835421642007-12-13T17:20:00.000+05:302007-12-13T17:20:00.000+05:30संयुक्त परिवार का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण हमारी ए...संयुक्त परिवार का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण हमारी एक दोस्त का घर है जहाँ चार पीढियाँ एक साथ रहती है।<BR/><BR/>और वैसे इलाहाबाद मे अभी भी संयुक्त परिवार मे ज्यादातर लोग रहते है।<BR/><BR/>स्पैम तो हम बस डिलीट ही करते रहते है। वर्ना तो .....:)mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-57323759752513917562007-12-13T17:10:00.000+05:302007-12-13T17:10:00.000+05:30हम सभी जानते हैं कि शहरों, महानगरों में रहने वाली ...हम सभी जानते हैं कि शहरों, महानगरों में रहने वाली महिलाएं, खासकर कामकाजी महिलाएं और कुछ हद तक पुरुष भी, संयुक्त परिवार को अपनी आजादी और स्पेस में बाधक मानती हैं। कई बार महानगरों में रहने वाले बेटे अपने मां-बाप को साथ रखना चाहते हैं, मगर सास-बहू के धारावाहिक वाला माहौल घर में न बन जाए, इस आशंका से ऐसा कर नहीं पाते। <BR/><BR/>जैसा कि आलोक जी ने कहा, महानगरों में ज्यादातर लोगों के पास इतने बड़े घर नहीं होते कि बड़े परिवार को समा सके। ग्रामीण जीवन के खुले, विस्तृत दायरे में रहने के अभ्यस्त बुजुर्ग भी महानगरों की घुटन भरी संकीर्णता में फंस कर छटपटाहट महसूस करते हैं। <BR/><BR/>फिर भी, दिल्ली के पार्कों में जब भी जाता हूं, वहां बुजुर्ग सबसे ज्यादा संख्या में टहलते-दौड़ते-ठहाका लगाते नजर आते हैं।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60368396142672390392007-12-13T12:57:00.000+05:302007-12-13T12:57:00.000+05:30फिर एक बार बढ़िया मुद्दे पर आपकी दिमागी हलचल अटकी।व...फिर एक बार बढ़िया मुद्दे पर आपकी दिमागी हलचल अटकी।<BR/><BR/>वैसे सुब्बो सुब्बो ये सब फोटो लेते हुए आपके इन्ट्रोवर्ट मनवा को झिझक नही हुई क्या।<BR/><BR/>कल वाकई ज्यादा स्पैम आए, यही सब आपने जो बताया।<BR/><BR/>मुझे लगता है कि जीमेल स्पैम फ़िल्टर स्ट्रॉंग होने की बात क्यों करता है, जितने याहू में आते हैं तकरीबन उतने ही जी मेल में भी आते हैं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55810481252799209502007-12-13T12:32:00.000+05:302007-12-13T12:32:00.000+05:30सन्युक्त परिवार मे बचपन के कुछ कीमती साल बिताये है...सन्युक्त परिवार मे बचपन के कुछ कीमती साल बिताये है। कुछ धुन्धली सी यादे है। अब एक बार फिर आपने मन की लालसा को जगा दिया। अविवाहित हूँ अत: अब सयुक्त परिवार तो क्या परिवार बना पाना ही सपने जैसा है। वैसे ब्लागरो का एक सन्युक्त परिवार तो है ही और आप जैसा पारिवारिक मुखिया।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10887718469127393842007-12-13T10:59:00.000+05:302007-12-13T10:59:00.000+05:30संयुक्त परिवार मे परिवार के सदस्य एक दूसरे के सुख ...संयुक्त परिवार मे परिवार के सदस्य एक दूसरे के सुख दुःख मे सहभागी बन कर एक दूसरे की मदद करते है परन्तु समय के बदलते परिवेश के साथ रोजी रोजगार की समस्या के कारण , शहरों मे आवास समस्या , मंहगाई आदि के कारण संयुक्त परिवार अब धीरे धीरे टूट रहे है .संयुक्त परिवार को देखकर अच्छा भी लगता है और इनसे प्रेरणा मिलती है कि सभी को हिल मिलकर रहना चाहिए |समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58600473036990989372007-12-13T10:23:00.000+05:302007-12-13T10:23:00.000+05:30मैं राजस्थान के बनिया समाज से हूँ, संयुक्त परिवार ...मैं राजस्थान के बनिया समाज से हूँ, संयुक्त परिवार हमारे लिए अनोखा नहीं हमें तो अलग अलग रहते परिवार आश्चर्य जगाते है :)<BR/><BR/>दाद देनी होगी आपकी निगाहों की. <BR/><BR/>और स्पैम तो बहुत आते है, हर रोज दो-तीन लोटरी लगती है, दो एक पार्टनरशीप के प्रस्ताव आते है. एक आद खास दवाएं सस्ते में देने के प्रस्ताव मिलते ही हैं.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13085442921383262062007-12-13T09:18:00.000+05:302007-12-13T09:18:00.000+05:30मैंने मुंबई में एक अलग तरह का प्रचलन देखा है । आमत...मैंने मुंबई में एक अलग तरह का प्रचलन देखा है । आमतौर पर ये माना जाता है कि महानगरों में नाभिकीय परिवार ज्यादा हैं । पर अब विशेषरूप से गुजराती और मारवाड़ी व्यापारी समुदाय नये घर खरीदते समय एक ही मंजिल पर या अलग अलग मंजिलों पर ढेर सारे घर बुक करता है । और पूरा का पूरा कुनबा उसी इमारत में रहता है । लेकिन सबके फ्लैट अलग अलग होते हैं । दो फायदे हैं एक तो इमारत की सोसायटी में दबदबा रहता है दूसरा दुख सुख में पूरा खानदान साथ है । महिलाएं बच्चों की वजह से घर में मेहदूद नहीं रहतीं, खानदान भर में कोई ना कोई होता है जो बच्चों को संभाल लेता है । ऐसे भारी भरकम परिवार रेस्त्रां से लेकर सिनेमाघर तक सभी जगह अपने दबदबे और रौब के साथ जाते हैं । होटेल बुकिंग तक में डिस्काउंट पाते हैं । है ना फायदे की बात ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86728013977820613542007-12-13T08:58:00.000+05:302007-12-13T08:58:00.000+05:30सही बात कही आपने। महानगरों में भी मां-बाप बेटे के ...सही बात कही आपने। महानगरों में भी मां-बाप बेटे के परिवार के साथ रहते हैं। हालांकि महानगरों में समस्याएं बहुत हैं, लेकिन न्यूक्लियर फेमिली के खालीपन को भरने के लिए लोग मां-बाप को अपने साथ रखने लगे हैं। गांवों में तो संयुक्त परिवार बहुत तेजी से टूटे हैं और नई बहू आते ही बेटा बाप के घर में हिस्सा मांगने लगता है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39836618756716151252007-12-13T08:16:00.000+05:302007-12-13T08:16:00.000+05:30इलाहाबाद हिन्दु चेतना की आदि नगरी है यहां पीढियों...इलाहाबाद हिन्दु चेतना की आदि नगरी है यहां पीढियों का संयुक्त लगाव देखकर अच्छा लगा । यह एक सुखद निजी अनुभूति है । धन्यवाद ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82566107267839964302007-12-13T08:13:00.000+05:302007-12-13T08:13:00.000+05:30ज्ञानजी,जरा फ़ोटो लेते समय सावधान रहियेगा, कोई गलत ...ज्ञानजी,<BR/>जरा फ़ोटो लेते समय सावधान रहियेगा, कोई गलत न समझ ले कि आप जासूसी कर रहे हैं :-)<BR/><BR/>संयुक्त परिवार में रहने का हमें कोई अनुभव नहीं है लेकिन इसका कोई nostalgia भी नहीं है । <BR/><BR/>किसी ने संयुक्त परिवार की एक परिभाषा बतायी थी कि वहाँ रसोई एक ही होती है । क्या ये परिभाषा आज भी सार्थक है । अपने अनुभव से मुझे तो नहीं लगती ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19752843772037697932007-12-13T07:46:00.000+05:302007-12-13T07:46:00.000+05:30@ आलोक9211- आपके कमेण्ट के साथ ही इनबॉक्स में (स्प...@ आलोक9211- आपके कमेण्ट के साथ ही इनबॉक्स में (स्पैम फोल्ड में नहीं) यहां से मेल आया: <BR/>OFFICE OF THE SENATE HOUSE<BR/>FEDERAL REPUBLIC OF NIGERIA<BR/>COMMITTEE ON FOREIGN PAYMENT<BR/>(RESOLUTION PANEL ON CONTRACT PAYMENT)<BR/>IKOYI-LAGOS NIGERIA<BR/>:-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2637191756813167952007-12-13T07:34:00.000+05:302007-12-13T07:34:00.000+05:30लो जी, ये अपनी स्पैम भी गिनते हैं। :) वैसे स्पैम ए...लो जी, ये अपनी स्पैम भी गिनते हैं। :) वैसे स्पैम एक अमरीकी जीवान की उपज ही है - मैं जब अमरीका में था तो देखता था की घरों में रोज रद्दी डाक आती थी - मतलब कागज़ी रद्दी डाक। कम से कम आधा पाव रोज की तो आती ही होगी। डाक द्वारा स्पैम उसी का एक और रूप है। <BR/><BR/>स्पैम के जरिए बिक्री करने वालों के लिए यह एक नया माध्यम मात्र था। धंधे पहले से ही थे। भारत के लिए यह स्पैम नई चीज़ थी, पर अमरीकियों के लिए - बस कागज़ से कंप्यूटर पर पहुँच गई। वैसे स्थायी अमरीका निवास इस पर अधिक प्रकाश डाल सकेंगे।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-21956074246337287392007-12-13T06:30:00.000+05:302007-12-13T06:30:00.000+05:30महानगरों में संयुक्त परिवारों में बहुत समस्यायें आ...महानगरों में संयुक्त परिवारों में बहुत समस्यायें आ रही हैं। एक ही छत के नीचे रहना संभव नहीं है। दिल्ली जैसे शहर में जहां टू बैडरुम फ्लैट जुटाने में एक पीढ़ी की कमाई लग जाती हो वहां अगली पीढ़ी को अपने लिए कहीं और जुगाड़ करनी पड़ रही है। फिर बच्चों के साथ मां बाप की सैटिंग नहीं हो पा रही है। जीवन मूल्य इतने बदल गये हैं। मुझे लगता है कि दिल्ली जैसे शहर में तो पिता का अंतिम संस्कार करने केलिए भी वक्त बेटे का पास न होगा। मतलब एक नया धधा शुरु हो सकता है कि जीते जी ही अपना सारा इंतजाम करा जाये बंदा। जैसे ही बंदा टें बोले,फौरन से डैथ मैनेजमेंट कंपनी आ जाये और बांधबूंध कर ले जाये और यथोचित कर कराके नमस्ते कर जाये। <BR/>अमेरिका तो इस तरह की कई कंपनियां हैं। और कुछ तो ऐसी धांसू कंपनियां हैं रिटर्न के लिहाज है कि वो कभी भी मंदी की शिकार ना हुईं। मौत मे मंदी कहां आती है। <BR/>सरजी ज्यादा आशावान न होईये संयु्क्त परिवार पर, यह मरती संस्था है। अब तो अवशेष हैं। मेरे परिचित जितने परिवार हैं,आगरा औऱ दिल्ली में। वहां किन्ही भी दो सगे भाईयों में चैन से नहीं कट रही है। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी नामक दो सगे भाईयों में कितनी पट रही है। यह सबको पता है। यह अलग बात है कि इनकी आपसी कुट्टी से शेयरधारकों का बहुत भला हुआ है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-59108854285036764082007-12-13T06:28:00.000+05:302007-12-13T06:28:00.000+05:30संयुक्त परिवार शहरों से गायब होना समय की मजबूरी है...संयुक्त परिवार शहरों से गायब होना समय की मजबूरी है। जगह, घर, दौड़ती-भागती जिंदगी से तालमेल।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.com