tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post6342563386404568889..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: हाई कोर्ट और फुटपाथGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91956687322756090642011-04-10T00:08:07.617+05:302011-04-10T00:08:07.617+05:30अतिक्रमण का तो हर धार्मिक शहर में बुरा हाल है | वृ...अतिक्रमण का तो हर धार्मिक शहर में बुरा हाल है | वृंदावन में जाइये तो ऐसा लगेगा की दुकान वालों ने अहसान करके थोडी सी सड़क दान में दे रखी है :-)<br><br>अब तो न्यायालय से ज्यादा उम्मीद भी नहीं है, कल ही उच्चतम न्यायालय ने न्यायपालिका को अपनी सीमा का अतिक्रमण न करने की सलाह दी है |<br><br>हम सब की प्रार्थनाएं सूरज प्रकाश जी के साथ हैं, ईश्वर करे वो शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें |Neeraj Rohillahttp://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63251569954468800142011-04-10T00:08:06.762+05:302011-04-10T00:08:06.762+05:30एक के साथ एक फ्री. (मार्केटिंग पॉलिसी अच्छी है.)दो...एक के साथ एक फ्री. (मार्केटिंग पॉलिसी अच्छी है.)<br>दोनों अच्छी पोस्ट है. आपकी आवाज मे गीत सुनकर सुखद अनुभूति हुई.<br>आपके मानस में फ़िर हलचल शुरू हो गई है.<br><br>आको जो दिखता है<br>आप वही लिखता है.<br>इसलिए आपका <br>लिखा ही टिकता है.<br><br>मेरी शुभकामनाएं सूरज प्रकाश जी के साथ है.बाल किशनhttp://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19082940770609773482011-04-10T00:08:06.027+05:302011-04-10T00:08:06.027+05:30इसीलिए तो लगता है कि ग्लोबलाइजेशन भी हमारे हुक्मरा...इसीलिए तो लगता है कि ग्लोबलाइजेशन भी हमारे हुक्मरानों के लिए एक नारा भर है। दुनिया का कोई विकसित देश होता तो अभी तक फुटपाथ साफ हो गए होते। इलाहाबाद को छोड़िए, दिल्ली और मुंबई का हाल भी इससे जुदा नहीं है।<br>वैसे, बालकिशन ने एक के साथ एक मुफ्त वाली बड़ी सटीक बात कही है।<br>सूरज जी के स्वास्थ्य के लिए दुआ मांगता हूं।अनिल रघुराजhttp://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42087273922940730602011-04-10T00:08:05.559+05:302011-04-10T00:08:05.559+05:30ज्ञान जी, पहले पढ़ते और चित्र ही देखते थे आज आपकी आ...ज्ञान जी, पहले पढ़ते और चित्र ही देखते थे आज आपकी आवाज़ में स्वर्गीय कैलाश जी की कविता सुनकर अच्छा लगा. <br>दो तस्वीरों में सूरज की किरण फुटपाथ पर ही पड़ रही है जिसे देख कर तो आनन्द आ गया और अपने इसी देश की याद सताने लगी... <br>(पंकज जी की कविता भी प्रभाव छोड़ गई)<br>सूरज जी शीघ्र स्वस्थ हो घर पधारेंगे.मीनाक्षीhttp://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52278665837073188812010-02-20T22:53:38.848+05:302010-02-20T22:53:38.848+05:30कविता पाठ तो नहीं सुन पाया, पर टैक्ट अच्छा लग रहा ...कविता पाठ तो नहीं सुन पाया, पर टैक्ट अच्छा लग रहा है।<br /><br /> मुंबई में हुई ब्लॉगर बैठकी में सूरज प्रकाश जी ने इस बात की चर्चा की थी कि किस तरह उनके घायल होने की खबर पूरे ब्लॉगजगत में फ्लैश हो गई और इन सब बातों के बारे में उन्हें कई दिन बात पता चला कि ब्लॉगजगत में उनके स्वास्थय के प्रति लोगों ने बहुत सी शुभकामनाएं भेजी हैं। <br /> इन्ही सब खबरों को पढ सूरज जी के लिये ब्लड डोनेट करने के लिये भी लोग सामने आए थे।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17821790786481262122009-05-15T23:27:00.000+05:302009-05-15T23:27:00.000+05:30आपका कविता पाठ तो धाँसू है ! घूमते-फिरते यह लिंक म...आपका कविता पाठ तो धाँसू है ! घूमते-फिरते यह लिंक मिल गया.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-38528463495103650622007-12-16T11:23:00.000+05:302007-12-16T11:23:00.000+05:30जहॉं भीड़ भाड़ होती है वहॉं दुकाने आपने आप लग जाती...जहॉं भीड़ भाड़ होती है वहॉं दुकाने आपने आप लग जाती है। हर दिन उच्चन्यायालय में 5000 वकील और 15000 वादी प्रतिवादी आते है। अगर यह अतिक्रमण न होता तो वे खायेगे ? रही बात जनहित याचिका की तो आप जिधर सिर उठायेगें उधर ही जनहित याचिका के विषय मिल जायेगें। <BR/><BR/>मेरे घर के इतना पास पास होकर चले जाते है बताते तो एक ब्लागर मीट और साथ में कुछ ईट भी हो जाता :)Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70465826190229574342007-12-12T15:43:00.000+05:302007-12-12T15:43:00.000+05:30ज्ञान जी, पहले पढ़ते और चित्र ही देखते थे आज आपकी आ...ज्ञान जी, पहले पढ़ते और चित्र ही देखते थे आज आपकी आवाज़ में स्वर्गीय कैलाश जी की कविता सुनकर अच्छा लगा. <BR/>दो तस्वीरों में सूरज की किरण फुटपाथ पर ही पड़ रही है जिसे देख कर तो आनन्द आ गया और अपने इसी देश की याद सताने लगी... <BR/>(पंकज जी की कविता भी प्रभाव छोड़ गई)<BR/>सूरज जी शीघ्र स्वस्थ हो घर पधारेंगे.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78126156875779481922007-12-12T09:12:00.000+05:302007-12-12T09:12:00.000+05:30जब ले पिरथी रही इ शहर ना मरीगंगा-जमुना क हमरे लहर ...जब ले पिरथी रही इ शहर ना मरी<BR/><BR/>गंगा-जमुना क हमरे लहर ना मरी॥<BR/><BR/>प्रयाग महिमा गाने के लिए आपको बधाई...गौतम जी की आत्मा को शांति मिले..आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52228301073455704842007-12-12T09:03:00.000+05:302007-12-12T09:03:00.000+05:30तमाम बड़े गवैए पानी माँग रहे हैं....मस्त कविता का...तमाम बड़े गवैए पानी माँग रहे हैं....मस्त कविता का मनोहर पाठ....पाठ क्या गायन कहें...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22745322060058525382007-12-11T23:32:00.000+05:302007-12-11T23:32:00.000+05:30सब काम कोर्टै करेगा? आज माननीय सुप्रीम कोर्ट नेहाई...सब काम कोर्टै करेगा? आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने<BR/>हाई कोर्ट को हड़काया भी है कि सब जगह बेवजह टांग मत अड़ायें। लगता है उनको आपकी पोस्ट का अंदाज लग गया था। आवाज आपकी धांसू है। सूरज प्रकाश जी के लिये मंगलकामनायें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70012552753529059462007-12-11T19:15:00.000+05:302007-12-11T19:15:00.000+05:30अच्छा लगा जान कर कि सूरज जी अब खतरे के बाहर हैं..अच्छा लगा जान कर कि सूरज जी अब खतरे के बाहर हैं..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-85551162175685468262007-12-11T19:09:00.000+05:302007-12-11T19:09:00.000+05:30ज्ञान भैय्या आप में और हम में कितनी समानताएं हैं ज...ज्ञान भैय्या <BR/>आप में और हम में कितनी समानताएं हैं जैसे वय में लगभग समान, तकनिकी शिक्षा लगभग एक जैसी, खाने के बाद मूंगफली और अमरुद खाने का शौक , गाड़ी में बैठे बैठे ही भगवान् के मन्दिर के समक्ष प्रणाम कर के चलते बनने का गुन आदि...एक जो असमानता है वो ये की हमारे पास आप सी विलक्षण दृष्टि नहीं है . आप कोयले के ढेर से हीरा ढूंढ लाते हैं और हम कोयले के ढेर में सिर्फ़ हाथ ही काले कर पाते हैं.<BR/>फुटपाथ और अतिक्रमण का चोली दामन का साथ है. या यूँ कहें की फुटपाथ बने ही अतिक्रमण के लिए हैं. जयपुर में फुटपाथ खाली करवाने में सरकार को छटी का ढूध याद आ गया था.<BR/>नोट: आप सब की दुआओं से सूरज जी अब खतरे के बाहर हैं लेकिन अभी उनका इलाज लंबा चलेगा.<BR/><BR/>( पंकज जी ने कमाल की कविता लिखी है...आनंद आ गया )नीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3032862077291221092007-12-11T18:26:00.000+05:302007-12-11T18:26:00.000+05:30इसीलिए तो लगता है कि ग्लोबलाइजेशन भी हमारे हुक्मरा...इसीलिए तो लगता है कि ग्लोबलाइजेशन भी हमारे हुक्मरानों के लिए एक नारा भर है। दुनिया का कोई विकसित देश होता तो अभी तक फुटपाथ साफ हो गए होते। इलाहाबाद को छोड़िए, दिल्ली और मुंबई का हाल भी इससे जुदा नहीं है।<BR/>वैसे, बालकिशन ने एक के साथ एक मुफ्त वाली बड़ी सटीक बात कही है।<BR/>सूरज जी के स्वास्थ्य के लिए दुआ मांगता हूं।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78463906184439448582007-12-11T17:36:00.000+05:302007-12-11T17:36:00.000+05:30बढिया कविता पाठ किया है। बधाई।सूरज जी के लिए शुभक...बढिया कविता पाठ किया है। बधाई।<BR/><BR/>सूरज जी के लिए शुभकामनाएं।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77365640266459405352007-12-11T13:43:00.000+05:302007-12-11T13:43:00.000+05:30लीजिये.. अब आप को सुनने का भी लग्गा लग गया.. बढ़िया...लीजिये.. अब आप को सुनने का भी लग्गा लग गया.. बढ़िया गाया/पढ़ा आप ने!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42141512424884673472007-12-11T12:56:00.000+05:302007-12-11T12:56:00.000+05:30ह्म्म, कुछेक शहरों को छोड़ दें तो करीब-करीब हर भारत...ह्म्म, कुछेक शहरों को छोड़ दें तो करीब-करीब हर भारतीय शहर में यही हाल है। फ़ुटपाथों को देखकर लगता है कि यह बनें ही ऐसे कब्जे के लिए हैं। न्यायपालिका दखल देकर एक बार तो खाली करवा देगी लेकिन उस पर फ़िर से कब्जे न हों यह तो देखने का काम स्थानीय निकाय का है, और अगर स्थानीय निकाय अपना काम ज़िम्मेदारी से निभाएं तो न्यायालय को इस मामले में दखल देने की ज़रुरत ही नही पड़ेगी।<BR/>तो फ़िर?<BR/><BR/>आपकी आवाज़ में यह कविता सुनकर मैं कुछ उत्साहित सा हो गया हूं [सो अब अगर मैं कोई छत्तीसगढ़ी या हिंदी पॉडकास्ट झेलाऊं तो झेलने के लिए तैयार रहिएगा आप सब :) ]<BR/><BR/>सूरज प्रकाश जी के लिए शुभकामनाएं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17687603362018511742007-12-11T12:40:00.000+05:302007-12-11T12:40:00.000+05:30समस्यो का ढेर हैअन्धेर ही अन्धेर हैसुधरने मे अभीसद...समस्यो का ढेर है<BR/><BR/>अन्धेर ही अन्धेर है<BR/><BR/>सुधरने मे अभी<BR/><BR/>सदियो की देर है<BR/><BR/><BR/>यही तो भारत है<BR/><BR/>लगता है इसमे ही जीना होगा<BR/><BR/>काला धुआ और जहरीला पानी<BR/> ही<BR/><BR/>पीना होगा<BR/><BR/><BR/>क्या कहा नही पी सकते<BR/><BR/>ऐसे नही जी सकते<BR/><BR/>तो दुनिया है खडी बाहे फैलाये<BR/><BR/>बाहर के लिये है दसो रास्ते<BR/><BR/><BR/>सब कुछ अव्यवस्थित है<BR/><BR/>फिर भी यह घर है अपना<BR/><BR/>इन्ही के बीच बडे होते हमने जीता<BR/><BR/>जीवन सपना<BR/><BR/><BR/>अब जो सफल हुये तो सब <BR/>बेकार लगने लगा<BR/><BR/>अपना इंतजाम ही<BR/>खटकने लगा<BR/><BR/><BR/>करोडो के देश मे सबको जीना है<BR/><BR/>सबके लिये<BR/><BR/>कुछ की खुशी के लिये नही जीयेंगे करोडो<BR/><BR/>समझ लीजिये<BR/><BR/><BR/>कुछ समय फुटपाथ वालो के साथ भी बिताये<BR/><BR/>तो समझ जायेंगे यह समझ का फेर है<BR/>समस्यो का ढेर है<BR/>अन्धेर ही अन्धेर है<BR/>सुधरने मे अभी<BR/>सदियो की देर हैPankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69302071861237480962007-12-11T12:08:00.000+05:302007-12-11T12:08:00.000+05:30एक के साथ...एक के साथ एक फ्री. (मार्केटिंग पॉलिसी अच्छी है.)<BR/>दोनों अच्छी पोस्ट है. आपकी आवाज मे गीत सुनकर सुखद अनुभूति हुई.<BR/>आपके मानस में फ़िर हलचल शुरू हो गई है.<BR/><BR/>आको जो दिखता है<BR/>आप वही लिखता है.<BR/>इसलिए आपका <BR/>लिखा ही टिकता है.<BR/><BR/>मेरी शुभकामनाएं सूरज प्रकाश जी के साथ है.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-25598811621025797542007-12-11T11:36:00.000+05:302007-12-11T11:36:00.000+05:30इस अतिक्रमण का कारण कोर्ट-कचहरी नहीं है, कारण तो ब...इस अतिक्रमण का कारण कोर्ट-कचहरी नहीं है, कारण तो बस वो मंदिर है.. और वैसे भी जहां मादिर-मस्जिद की बात आती है वहां लोग अतिक्रमण करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं..<BR/><BR/>जहां तक मैंने देखा है, हमारे यहां पटना हाईकोर्ट के आस-पास अतिक्रमण जैसा कुछ भी नहीं है.. मगर पटना स्टेशन के पास वाले हनुमान मंदिर के पास का अतिक्रमण भयावह है..<BR/><BR/>हमारी सुभकामनायें सूरज प्रकाश जी के सथ है.. मैं उम्मीद करता हूं कि वो जल्द ही अच्छे होकर आयेंगे..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-51252684440799733772007-12-11T11:31:00.000+05:302007-12-11T11:31:00.000+05:30सचित्र लेख देने के लिये आभार. आप चिट्ठाकारी के हर ...सचित्र लेख देने के लिये आभार. आप चिट्ठाकारी के हर गुर को पकडते जा रहे हैं एवं सपहलता से प्रयोग करते जा रहे हैं. यह बहुत ही अनुकरणीय बात है.<BR/><BR/>यदि अन्य चिट्ठाकार इससे एक पाठ न सीखें तो यह उनकी गलती है.<BR/><BR/>आपकी धर्मपत्नी जी ने कहा "मैं इस पोस्ट के बारे में पत्नी जी को बताता हूं तो वह कहती हैं कि तुम्हें फोटो खींचने और लिखने में सिवाय खुराफात के और कुछ करने को नहीं है? इस जैसी प्रमुख जगह पर फुटपाथ होते ही हैं अतिक्रमण करने के लिये!"<BR/><BR/>हम भाभी जी के कहे का सार्वजनिक अनुमोदन करते हैं. सच है, कई बार लगता है कि इस देश में सुविधा का उपयोग उल्लंघन करने वाले अधिक करते हैं एवं कानून से डरने वाले नागरिक कम!!Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23316943771933926942007-12-11T11:09:00.000+05:302007-12-11T11:09:00.000+05:30@ यूनुस - आवाज मेरी है। गौतम जी की नहीं। मैने यह प...@ यूनुस - आवाज मेरी है। गौतम जी की नहीं। मैने यह पोस्ट के अन्दर भी अब स्पष्ट कर दिया है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-59804294098668148182007-12-11T10:31:00.000+05:302007-12-11T10:31:00.000+05:30आप अतिक्रमण हटवा कर दिखाओ. हासिया-हथोड़ा वालो से डर...आप अतिक्रमण हटवा कर दिखाओ. हासिया-हथोड़ा वालो से डरना सिखें. :)<BR/><BR/>अनुशासन हम भारतीयों में कम ही है, फिर आबादी और रोजगार का मामला इसे और पैचिदा बना देता है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10866643646593427392007-12-11T10:00:00.000+05:302007-12-11T10:00:00.000+05:30इसे अतिक्रमण नहीं पुरुषार्थ कहते हैं जी। वीरभोग्या...इसे अतिक्रमण नहीं पुरुषार्थ कहते हैं जी। वीरभोग्या वसुंधरा, यानी जो वीर अपने मन की वसुंधरा पर कब्जा कर लेता है, वसुंधरा उसकी मान ली जाती है। कोर्ट क्या करेगा, यह बात तो शास्त्रों में लिखी है। कोर्ट क्या शास्त्रों से ऊपर है। आप अपने हिस्से की जमीन घेर लीजिये, हम तो आपसे कहै ही रहे हैं। एकाध मंदिर ऊंदिर का जुगाड़ सा हो ले, तो हम भी कूद पड़ें इलाहाबाद में प्रवचनबाजी का मजमा लें। कल एक मैगजीन में पढा कि फिल्मों की आइटम गर्लें और तमाम प्रवचन बाबाओं की कमाई का लेवल एक सा हो लिया है। <BR/>सूरज प्रकाशजी के साथ पूरे ब्लागर जगत की शुभकामनाएं हैं, अभी तो उनसे बहुत कुछ सुनना बाकी है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83193981102235523292007-12-11T09:34:00.000+05:302007-12-11T09:34:00.000+05:30भई ज्ञान जी इसी बहाने ठेलमपेल वाले इलाहाबाद की सैर...भई ज्ञान जी इसी बहाने ठेलमपेल वाले इलाहाबाद की सैर कर ली । परेशानी तो ठीक है पर इलाहाबाद को इसी ठेलमपेल मजेदार भी बनाता है । ममता ने कंफुजिया दिया है । उसका कहना है कि ये कैलाश जी की आवाज़ नहीं है । आप निराकरण करें । और हां अमावस्या का मेला भी तो सुनना है हमें । <BR/><BR/>सूरज जी से मेरी तीन दिन पहले बात हुई थी । और हम बस्तर जाने की योजना बना रहे थे । एक जिंदादिल और खुशनुमा व्यक्तित्व सूरज जी फिर ठहाके लगाते हुए अस्पताल से बाहर आयेंगे, हमें पूरा विश्वास है ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.com