tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post6222778846376126729..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: उच्च-मध्य वर्ग की अभद्र रुक्षताGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52134420049466284122007-08-19T02:51:00.000+05:302007-08-19T02:51:00.000+05:30ज्ञानदत जी आपने रोजमर्रा की जिन्दगी में घटने वाली ...ज्ञानदत जी <BR/>आपने रोजमर्रा की जिन्दगी में घटने वाली घटना को बहुत रोचक ढंग से ब्यान किया है..आपके सुझाव भी बहुत रोचक हैं...ये पढ़ कर मुझे एक किस्सा याद आ रहा है..आपकी इजाजत हो तो शेयर कर लें<BR/>हुआ यूं कि हम गाड़ी चला रहे थे..रास्ते में किसी कारणवश यातायात रूका हुआ था..अचानक हमारी गाड़ी को धक्का लगा...पीछे मुड़ कर देखा तो एक ट्रक था...एक टेक्सी भी फर्राटे से हमारे पास से निकल गयी..ट्रक का कुछ दूर पीछा किया और जब वो पकड़ में आया तो इसके पहले कि हम कुछ कहते वो बोला माँ कसम मैने नहीं ठोका..वो टेक्सी वाला था...वो टेक्सी तो दरअसल मेरे साइड मे थी..जानते थे कि झूठ है पर चुपचाप निकल लिए..पतिदेव को दो हजार का फटका लग गया...उसकी माँ कसम अब तक याद है...Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29741906748349996952007-08-18T23:15:00.000+05:302007-08-18T23:15:00.000+05:30तत्वबोध की बातें नोट कर ली हैं, जीवन में उतारने का...तत्वबोध की बातें नोट कर ली हैं, जीवन में उतारने का प्रयास किया जाएगा।<BR/><BR/>वैसे यूनुस जी वाली बात भी सही है, इस मामले में अक्सर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली स्थिति होती है।<BR/><BR/>एक बात और बताएँ 'स्टीफेंस' वारी अंग्रेजी कैसे सीखें?ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22875905650417976412007-08-18T18:30:00.000+05:302007-08-18T18:30:00.000+05:30@ अरुण - जवाब दे चुका हूं अरुण. वैसे जो उन्होने लि...@ अरुण - जवाब दे चुका हूं अरुण. वैसे जो उन्होने लिखा है, ठीक लिखा है. प्रत्युत्तर जैसी कोई बात है ही नहीं. उनके कहे में असहमति बनती नहीं है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26819843477746730662007-08-18T15:18:00.000+05:302007-08-18T15:18:00.000+05:30ममता जी लेने के देने तो पड गये है दादा को शिल्पा ...ममता जी लेने के देने तो पड गये है दादा को शिल्पा जी ने नराजगी म पूरी पोस्ट जो लिख डाली है ,दादा अब दो जवाब ..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34812641210590033312007-08-18T12:19:00.000+05:302007-08-18T12:19:00.000+05:30वैसे आज का जमाना तो जैसा यूनुस जी ने कहा है उसी का...वैसे आज का जमाना तो जैसा यूनुस जी ने कहा है उसी का है। वरना लेने के देने पड़ जाते है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10253885275013315212007-08-18T10:40:00.000+05:302007-08-18T10:40:00.000+05:30@ सन्तोष - पेण्ट ही है. पैण्ट तो उतरा करती है. सही...@ सन्तोष - पेण्ट ही है. पैण्ट तो उतरा करती है. सही कर दिया है. धन्यवाद.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50379525884182749312007-08-18T10:05:00.001+05:302007-08-18T10:05:00.001+05:30पैण्ट तक नहीं उखड़ा था. पैण्ट तक नहीं उखड़ापैण्ट तक ...पैण्ट तक नहीं उखड़ा था. <BR/>पैण्ट तक नहीं उखड़ा<BR/>पैण्ट तक नहीं<BR/>पैण्ट तक<BR/>पैण्ट.......<BR/>कृपया स्पष्ट करें। क्या यह इन्टेंशनली लिखा गया है या फिर बस यूं ही......संतोष कुमार पांडेय "प्रयागराजी"https://www.blogger.com/profile/10148309928175371052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3018373405758273242007-08-18T09:35:00.000+05:302007-08-18T09:35:00.000+05:30दादा ये तो सामान्य सामाजिक बाते है.. इस तरह मे माम...दादा ये तो सामान्य सामाजिक बाते है.. इस तरह मे मामले मे ये तो आपके वाहन चालक की गलती थी वरना तो लोग गलती अपनी होते हुये जोर जोर से चिल्ला कर और अगर इलाका अपना हुआ तो भाइ आप पैसे भी देते नजर आयेगे..इसी उच्च वर्ग को .कभी अगर आपको दिल्ली के उच्च वर्ग के मुह्ल्ले जैसे फ़्रेंडस कालोनी,ग्रेटर कैलाश,जैसी जगह मे जाने का अवसर मिले और वक्त शाम का हो तो आप पार्किंग के लिये आपस मे भिडते इस वर्ग को देखे आपकी गालियो की जानकारी मे आमूल चूल परिवर्तन हो जायेगा..Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70861436089551315262007-08-18T09:10:00.000+05:302007-08-18T09:10:00.000+05:30जे बात तो सई हे दद्दा पन लोचा तो एकीच है। वो जे कि...जे बात तो सई हे दद्दा पन लोचा तो एकीच है। वो जे कि अपन को अंग्रेज्जी बोलना नई आता। फ़ेर का करा जाए।<BR/><BR/>तो फ़ेर हम जाएं पहले कौनो "अंग्रेजी बोलना सिखावन का क्लास" ढूंढें।<BR/><BR/>इस एक तकनीकी पेंच को हटा दूं तो एक एक बात सही लिखी आपने। यूं ही नही कहा जाता है कि उमर अनुभव देता है। सिखाते रहिए हुजुर अपने अनुभवों से हम बालकों को ऐसे ही!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62423172758574003342007-08-18T09:02:00.000+05:302007-08-18T09:02:00.000+05:30सभ्य: तरीक़े आपने बता ही दिये । हम ठेठ जबलपुरिया न...सभ्य: तरीक़े आपने बता ही दिये । हम ठेठ जबलपुरिया नहीं हैं, लेकिन जबलपुर में एक बात प्रचलित है आपको बताए देते हैं । कहते हैं कि अगर कहीं गाड़ी किसी से टकरा जाये तो इससे पहले कि वो आप पर सवार हो आप उस पर सवार हो जाएं, जनता भी आप ही का साथ देगी । और जबलपुरिया भाषा में कहें तो जो पहले मारे, वो सुल्ताiन । जनता भी सुनती है उसका फरमान । <BR/><BR/>टीप—हम कभी ऐसा नहीं करते ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32863287525179236322007-08-18T08:20:00.000+05:302007-08-18T08:20:00.000+05:30तत्व बोध पूरा एग्रियेबल है खास कर कि अभी भी बहुत क...तत्व बोध पूरा एग्रियेबल है खास कर कि अभी भी बहुत कुछ व्यवहारगत सुधार जरूरी हैं. जबरदस्त रहा यह आलेख. बधाई ले लें आज तो.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42833909181337729062007-08-18T08:05:00.000+05:302007-08-18T08:05:00.000+05:30सुझाव अनुकरणीय है, पोटली बांध लिये हैं । गलती से य...सुझाव अनुकरणीय है, पोटली बांध लिये हैं । गलती से यदि गाडी टकराये या भीड भाड में शरीर से धक्का लग जाये दोनों स्थिति से निपटने का तरीका यही है ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47800152075337241912007-08-18T08:04:00.000+05:302007-08-18T08:04:00.000+05:30धांसू च फांसूधांसू च फांसूALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-56675202776514798382007-08-18T07:47:00.000+05:302007-08-18T07:47:00.000+05:30महाशक्ति> "...क्या जो गाड़ी दिख रही है आपकी ही है...<B>महाशक्ति> "...क्या जो गाड़ी दिख रही है आपकी ही है? अगर है तो सरकारी नही होगी। :)" </B><BR/><BR/>यह तो भद्र महिला के दो प्रतीक मैने उतारे हैं - लक्जरी कार और लेदर पर्स. <BR/>मेरे पास तो साइकल भी नहीं है. बैटरी वाली साइकल खरीदने का मन बनाया था, पर बाद में लगा कि उसकी विशेष उपयोगिता नहीं होगी. सरकारी वाहन तो काम चलाऊ होता है. उससे कोई मोह भी नहीं है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71149421257292558072007-08-18T07:35:00.000+05:302007-08-18T07:35:00.000+05:30आपके लेख से कई बात सामने आ रही है- क्या जो गाड़ी ...आपके लेख से कई बात सामने आ रही है- <BR/>क्या जो गाड़ी दिख रही है आपकी ही है? अगर है तो सरकारी नही होगी। :) <BR/><BR/>आपकी बात से मै सहमत हूँ और मेरी राय है कि समाज में आज जितना असभ्य सभ्य समाज है, उतना असभ्य नही। <BR/><BR/>अपनी इन्टरनेट की दुनिया को ही ले लीजिऐ, गाली देने वाले भी इसी सभ्य शिक्षित समाज का हिस्सा होते है, किसी ब्लागर को अपशब्द कहने किसी झुग्गी छोपड़ी से कोई नही आता है। <BR/><BR/>आपकी चारों बात एकदम सही है। अच्छा विषय चुना है।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26075844609414184442007-08-18T07:25:00.000+05:302007-08-18T07:25:00.000+05:30वाह ज्ञानदत्तजी,आपने बढिया प्रजेन्स आफ़ माइन्ड दिखा...वाह ज्ञानदत्तजी,<BR/>आपने बढिया प्रजेन्स आफ़ माइन्ड दिखाया या फ़िर दूसरे शब्दों में चांस पे डांस किया । <BR/>हम भी आपकी सलाह को ध्यान में रखेंगे ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41271733125166275752007-08-18T07:19:00.000+05:302007-08-18T07:19:00.000+05:30तत्वबोध धांसू हैं। बात भी जानदार। वैसे हम एक और डा...तत्वबोध धांसू हैं। बात भी जानदार। वैसे हम एक और डायलाग मार लें अगर बुरा न लगे- गले का भरपूर उपयोग वे ही लोग करते हैं जिनके गले के ऊपर वाली मंजिल खाली होती है। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com