tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5796272504258792044..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: पुस्तकों की बौछार - धड़ाधड़Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58362923176297224832013-02-21T22:53:36.360+05:302013-02-21T22:53:36.360+05:30अच्छी पुस्तकें पड़ने का आनंद ही कुछ और होता है क्य...अच्छी पुस्तकें पड़ने का आनंद ही कुछ और होता है क्या अपने परमहंस योगानंद जी की पुस्तक योगी कथा मृत पढ़ी है अगर नहीं तो जरुर पढ़िए NIRANJAN JAINhttps://www.blogger.com/profile/12051981865495991065noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90769256484148477232008-06-25T23:31:00.000+05:302008-06-25T23:31:00.000+05:30आप ने सही कहा, ब्लोग जगत में शायद ही कोई होगा जो प...आप ने सही कहा, ब्लोग जगत में शायद ही कोई होगा जो पुस्तक प्रेम से ग्रसित न हो। हम भी इस से अछूते नहीं। ये कहा जा सकता है किताबें हमारी पहचान का हिस्सा हैं। लोग जब भी हमारे बारे में सोचते है तो हमें किताबों के साथ ही विस्युअलाइज करते है। लेकिन ये नहीं कह सकती कि हर तरह की किताबें पढ़ती हूँ। ज्यादातर इंगलिश की किताबें ही पढ़ी हैं और ब्लोगजगत में आने के बाद लग रहा है अरे अभी तो एक जन्म की और जरुरत है, बहुत कुछ है जो मैने नहीं पढ़ा। कौशिश कर रही हूँ बचे हुए वक्त का जितना सदुपयोग कर सकूं और अंत में ये सकून हो कि जो मुझे अच्छा लगा कम से कम उतना तो पढ़ा हालांकि जानती हूँ ये सकून पाना बड़ा मुशकिल है।<BR/>फ़ाउन्टेन पैन मेरी, पतिदेव की( और मेरे स्वर्गवासी पिता की भी) सदा से कमजोरी रही है। ज्यादा लिखने के लिए लेकिन फ़ेल्ट पेन का इस्तेमाल करते है और घर पर पार्कर । जीवन का एक सपना है मौन्ट ब्लोंक खरीदना।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49830545165460929592008-06-25T23:25:00.000+05:302008-06-25T23:25:00.000+05:30पुस्तकीय वासना से ग्रसित तो अपन भी लपक के हैं, कौन...पुस्तकीय वासना से ग्रसित तो अपन भी लपक के हैं, कौनो है का हमका गिफ्ट करने वाला ;)Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20217807008887426182008-06-25T21:23:00.000+05:302008-06-25T21:23:00.000+05:30फाउन्टेन पेन से कभी प्यार नहीं पनप पाया. बचपन में ...फाउन्टेन पेन से कभी प्यार नहीं पनप पाया. बचपन में हमेशा नया पेन आते ही निब तोड़ बैठते थे. बारहवीं क्लास की बात है. डॉ. आर सी एम् से गणित पढ़ते थे. एक छात्र फाउंटेन पेन से लिख रहा था और पेन से कुछ परेशानी में था. ऐसी झाड़ पडी उसे कि अब तक नहीं भूलते वो शब्द, "ये निब वाले पेन क्या स्टूडेंट्स के लिए होते हैं? वो भी मेथेमेटिक्स के सम के लिए? स्पीड ब्रेक करते हैं. ये तो ऑफिसर्स के लिए हैं जिन्हें सिर्फ़ सिग्नेचर करने होते हैं. बगल में सर झुकाए खड़ा असिस्टेंट पेज पलटता रहता है, जी यहाँ साइन कीजिये." बात मजेदार लगी थी.<BR/><BR/>किताबों पर तो अंतहीन चर्चा हो सकती है. हमारे इलेक्ट्रिकल विभाग के प्रोफेसर एस एम् जी याद आते हैं. शायद ही कोई विषय हो जिस पर दुनिया भर की स्तरीय किताबों का ढेर उनके संग्रह में ना हो. महीने के कम से कम तीन चार हजार रुपये आसानी से इस शौक की नजर होते होंगे. सबसे अच्छी बात ये कि मुक्त हस्त से बांटते भी थे. कितनी ही किताबें उनसे उधार लेकर पढीं तो कई भेंट में भी पायीं. वे अभी भी वहीं हैं. एच ओ डी हैं अब, हम मगर निकल आए चार साल पहले. कब से सोच रहे हैं उनसे फ़िर मिलने की, खास कर हिन्दी ब्लॉगिंग को लेकर चर्चा करने का मन है. शायद कुछ लिखने के लिए मना सकें उन्हें.<BR/><BR/>कमेन्ट जरूरत से ज्यादा लंबा हो गया है. क्षमा करेंगे.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54515087146250109632008-06-25T20:22:00.000+05:302008-06-25T20:22:00.000+05:30जैसी चाह वैसी राह हर की एक चाह होती है बहुत बढ़िया...जैसी चाह वैसी राह हर की एक चाह होती है बहुत बढ़िया अभिव्यक्तिसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12439101807662080162008-06-25T19:09:00.000+05:302008-06-25T19:09:00.000+05:30फाउण्टेन पेन का प्रयोग मैने भी अपने छात्र जीवन में...फाउण्टेन पेन का प्रयोग मैने भी अपने छात्र जीवन में भरपूर किया है। खासकर अंग्रेजी लिखने का मजा तो इसी पेन से आता था। प्रतियोगिता परीक्षाओं में शायद मुझे इसका अतिरिक्त लाभ भी मिला हो। प्राइमरी स्तर पर होल्डर-जी-निब से अंग्रेजी और नरकट की खत कटी कलम से हिन्दी लिखने का अभ्यास था, जिससे लिखावट सुन्दर बन जाती थी। अब तो बच्चों को पेन्सिल और रबर थमाकर गलतियाँ करने और बार-बार लिखने-मिटाने की आदत डाल दी जाती है। हस्तलिखित सुलेख की परवाह अब कम होती जा रही है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23650731284879205892008-06-25T16:43:00.000+05:302008-06-25T16:43:00.000+05:30ज्ञानदत्तजी,दिन ब दिन देख रहा हूँ की आप के और मेरे...ज्ञानदत्तजी,<BR/><BR/>दिन ब दिन देख रहा हूँ की आप के और मेरे विचार, रुचि, शौक और अब ललक भी मिलते जा रहे हैं।<BR/>(धन्यवाद, आज एक नया श्ब्द (ललक) सीखने को मिला)<BR/>फ़ौन्टन पेन की ललक से मैं भी पीडित हूँ।<BR/>मेरे पास शेफ़्फ़र पेन है जिसे कभी कभी निकालकर निहारता हूँ। आजकल प्रयोग करने के अवसर नहीं मिलते। खो जाने का डर रहता है इसलिए जेब में नहीं रखता और बदले में एक साधारण फ़ौन्टन पेन लेकर घूमता हूँ। यह एक नकली पार्कर पेन है जिसे मैंने १०० रुपये में खरीदा था।<BR/><BR/>आज के जमाने में फ़ौन्टन पेन का प्रयोग होना चाहिए या नहीं ?<BR/>इस बात पर हम पति पत्नि के बीच तक़रार होती है।<BR/>पत्नि बैंक में काम करने वाली थी और मुझे फ़ौन्टन पेन से किसी चेक पर लिखने से मना करती है।<BR/>फ़ौन्टन पेन पर मेरा एक लम्बा ब्लॉग एन्ट्री आप शायद पढ़ने के इच्छुक होंगे। अंग्रेज़ी में लिखी हुई यह जीवन में मेरा सबसे पहला ब्लॉग पोस्ट था जिसे पिछले साल nukkad.info में छपवाया था। <BR/><BR/>यदि रुचि और समय हो तो यहाँ पधारें:<BR/>http://tarakash.com/forum/index.php?option=com_myblog&show=Fountain-pen.html&Itemid=72<BR/><BR/>समय मिलने पर, आप को मेरे कुछ अतिथी पोस्ट भेजता रहूँगा।<BR/>आपके ब्लॉग पर अतिथि बनना मेरे लिए गौरव की बात है और स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। <BR/>अनिताकुमारजी के ब्लॉग पर मेरा वह बन्दर वाला किस्सा जिसका जिक्र पहले किया था, आज छपा है।<BR/>रुचि हो तो फ़ुरसत मिलने पेर उसे भी पढ़ लें।G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-637488255221674442008-06-25T14:34:00.001+05:302008-06-25T14:34:00.001+05:30पुस्तक प्रेम की बात का क्या कहें, एक उदहारण देता ह...पुस्तक प्रेम की बात का क्या कहें, एक उदहारण देता हूँ. मैं भारतीय प्रबंध संस्थान बंगलोर में १ महीने के लिये शोर्ट-टर्म रिसर्च स्कॉलर था. प्रोफेसर साहब के रूम में किताबों का भण्डार. मैं मीटिंग के लिए आधे घंटे पहले ही पहुच जाता, बाद में जब कमरे के चाबी मिल गई तो रात के २ बजे तक वहीँ रुक जाता... इस प्रकार कई किताबें निपटा डाली (मार्क टुली की कई किताबें मैंने वहीँ पढ़ी), बाद में प्रोफेसर साहब को पता चला तो उन्होंने मुझे कुछ किताबें भेंट भी की. उनकी दी हुई एक हार्ड-बाउंड गेम थियोरी की किताब तो शायद अब तक की मेरी सबसे महँगी किताबों में से है. <BR/><BR/>और कलम के लिए तो मैंने पिताजी से कह रखा था की मैं नई पेन से परीक्षा देता हूँ तभी अच्छे अंक आते हैं. और अगर पेन महँगी हो तो और अच्छे :-) तो हर ३ महीने में एक 'महँगी कलम' का जुगाड़ कर रखा था मैंने :-)<BR/><BR/>संगीत डिस्क: अगर आपको गाने चाहिए और ओरिजनल डिस्क की कोई जरुरत न हो... तो ख़बर करें... मेरे पास पुराने और नए गानों का अच्छा संग्रह है... mp3-CD/DVD आप जब कहें जला कर भेज दूँ... अपनी पसंद बताइए. वैसे भी आजकल सुन नहीं पाता हूँ, कुछ तो उपयोग हो संग्रह का !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-46636753694826555972008-06-25T14:34:00.000+05:302008-06-25T14:34:00.000+05:30Namaste, With the help of my Indian friends I h...Namaste,<BR/><BR/> With the help of my Indian friends I have read 'Karna' by Shri Shivaji Sawant. It must be in your library.Veronicahttps://www.blogger.com/profile/14738543304790758059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50044865577789927702008-06-25T12:08:00.000+05:302008-06-25T12:08:00.000+05:30रमण महर्षि , और महर्षि अरविन्द पर इतने सारे पुस्तक...रमण महर्षि , और महर्षि अरविन्द पर इतने सारे पुस्तक उपहार में !! इतनी वासना ! आज मानते हुए जा रहा हूँ ,कि आप ऋषि होते जा रहे हैं . प्रणाम ऋषिवर !! आपसे कुछ उपहार की आशा मुझे भी है .संजय शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06139162130626806160noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-1107980580502257252008-06-25T11:56:00.000+05:302008-06-25T11:56:00.000+05:30इण्टेंसिटी तीव्र न होती तो मुझे भी न मिलतीं!yah ba...इण्टेंसिटी तीव्र न होती तो मुझे भी न मिलतीं!yah baat to pratyek kshetr me laagu hoti hai ghayn ji. gaano ki list aap batayie aapkey shahar tak koi na koi jaata rahata hai ..mujhey bhej kar khushi hogi:)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39005052058550801552008-06-25T11:54:00.000+05:302008-06-25T11:54:00.000+05:30हमारे उम्र के लोगों में तो गानों से संबंधित सामाग्...हमारे उम्र के लोगों में तो गानों से संबंधित सामाग्री उपहार में अधिक दिये-लिये जाते हैं.. कभी मौका मिला तो मैं आपको जरूर दूंगा.. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-74303893237354474732008-06-25T11:50:00.000+05:302008-06-25T11:50:00.000+05:30पता नही आप इसे वासना क्यों कहते है ?चूंके हम तो बच...पता नही आप इसे वासना क्यों कहते है ?चूंके हम तो बचपन से ही इस रोग से ग्रस्त रहे है ...ओर आज तक इसका इलाज नही ढूंढ पाए है यहाँ तक की हमारी माता जी कहते कहते बूढी हो गयी की खाना खाते मत पढो..पर हम नही सुधरे.....पता भेज दे अपने पसंदीदा गानों की एक सी डी आपको बनाकर भेज देता हूँ.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-38295965438795367882008-06-25T11:47:00.000+05:302008-06-25T11:47:00.000+05:30अब तो पेन से लिखने की आदात ही कम होती जा रही है। आ...अब तो पेन से लिखने की आदात ही कम होती जा रही है।<BR/> आप फटाफट सब किताबें पढ़े और हम लोगों के लिए अपने ब्लॉग पर उन पुस्तकों का जिक्र भी करें।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43725679740348134862008-06-25T11:14:00.000+05:302008-06-25T11:14:00.000+05:30पुस्तके तो हमारी भी कमजोरी है. पेन बॉल-पोइंट पेन ह...पुस्तके तो हमारी भी कमजोरी है. <BR/>पेन बॉल-पोइंट पेन ही पसन्द है, फाउंटेन पेन से लिखने की गति कम होती है और स्याही से हाथ भी रंग जाते है. हालाकि अब ज्यादातर लिखना की-बोर्ड से ही होता है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71766638347627623842008-06-25T10:53:00.000+05:302008-06-25T10:53:00.000+05:30ये पुस्तक वासना से तो हम भी ग्रसित है..ये पुस्तक वासना से तो हम भी ग्रसित है..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-9913203981360321612008-06-25T10:52:00.000+05:302008-06-25T10:52:00.000+05:30सही बात है - जैसी वासना, वैसा संग्रह। और यह भी सही...सही बात है - जैसी वासना, वैसा संग्रह। <BR/>और यह भी सही है कि पुस्तक के व्यसन को अधिकांश पत्नियां पसंद नहीं करतीं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2114893925767771042008-06-25T10:25:00.000+05:302008-06-25T10:25:00.000+05:30वासना..तो वासना ही कहलायेगी, न जी ?वासना..तो वासना ही कहलायेगी, न जी ?डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15353114304404137852008-06-25T10:24:00.000+05:302008-06-25T10:24:00.000+05:30जमाये रहियेजी। लाइफ में कुछ वासनाएं जरुरी हैंएक शे...जमाये रहियेजी। <BR/>लाइफ में कुछ वासनाएं जरुरी हैं<BR/>एक शेर सुनिये-<BR/>पाल ले कोई रोग नादां, जिंदगी के वास्ते<BR/>सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं<BR/><BR/>पेन को लेकर एक हादसा हो गया अपने साथ। एक कालेज में वक्ता टाइप बनकर गया था, वहां बालिकाओं ने पैन गिफ्ट किया। लाकर रख दिया। बहुत महीनों बाद खोलकर देखा, तो अच्छा सा लगा, रिफिल खत्म हो गयी। भरवाने के लिए अपने परिचित स्टेशनर के पास गया। तो पेन देखते ही बोला-किसने गिफ्ट किया है। <BR/>मैं चकराया और बोला यार ये है तो गिफ्टेट पर तुझे कैसे पता। <BR/>वो बोला इसकी रीफिल ही 120 रुपये की है। लैमी जर्मन का पैन है, आपके लेवल का नहीं है। इसकी रीफिल में ही आपके बारह पैन आ जायेंगे। <BR/>पर पैन अच्छा लग गया। तो लग गया। अब रीफिल भी झेल ही रहे हैं। यह है कुसंग का नतीजा। एक बार कुसंग का गिफ्ट मिल गया, तो उसे जानेकब तक चलाना पड़ेगा। पर मन ही मन मैंने उन बालिकाओं को धन्यवाद दिया, जिन्होने गिफ्ट दिया।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58783675569866578502008-06-25T09:47:00.000+05:302008-06-25T09:47:00.000+05:30समीर भाइ किताबे कहा छॊडी पता बताओ , हम कलेक्ट करते...समीर भाइ किताबे कहा छॊडी पता बताओ , हम कलेक्ट करते है , पेन तो ज्ञान दादा से मिल ही जायेगे :)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-74782983965001191392008-06-25T08:40:00.000+05:302008-06-25T08:40:00.000+05:30पुस्तक और पैन का कभी हमें भी बहुत शौक था, कई बार त...पुस्तक और पैन का कभी हमें भी बहुत शौक था, कई बार तो पैन सिर्फ इसलिये खरीदते थे कि इसी बहाने पढ़ाई का क्रम एक बार फिर चल निकले।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86978619734189656652008-06-25T07:58:00.000+05:302008-06-25T07:58:00.000+05:30और सब तो ठीक है ,ये वासना शब्द का इस्तेमाल मुझे रा...और सब तो ठीक है ,ये वासना शब्द का इस्तेमाल मुझे रामचरित मानस के एक उस अंश की याद दिला दिया जिसमें कोई श्रीराम प्रेमी[शायद तुलसी स्वयम] यह उद्घोष करता है कि उसे श्रीराम से वैसा ही प्रेम है जिस तरह कामी को स्त्री की चमडी से और लोभी को दमड़ी से प्रेम होता है .आपने इसी परम्परा में पुस्तकों के प्रति अपने अतिशय लगाव को 'वासना 'शब्द से इंगित किया है .बढियां है !!<BR/>हम भी थोडा बहुत बिब्लिओफाइल हैं -लेकिन वासना वाली इंटेंसिटी अब नही रही .<BR/>अब न चाहते हुए भी निरपेक्षता की ओर उन्मुख हो रहा हूँ -यह शायद अछा नही है क्योंकि जीवन जीने का कोई टशन तो होना ही चाहिए .Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-57797182276955517302008-06-25T07:29:00.000+05:302008-06-25T07:29:00.000+05:30फाऊन्टेन पैन और पुस्तक वासना से तो हम भी ग्रसित है...फाऊन्टेन पैन और पुस्तक वासना से तो हम भी ग्रसित हैं. अबकी भारत से आते पूरा एक बैग किताब से भर दिया मगर पत्नी से न जीत पाये और आधा वहीं छूट गया कि जल्दी ही तो वापस आना है.<BR/><BR/>पंकज जी को जल्दी बुलाईये..दिसम्बर तो बहुत दूर है.<BR/><BR/>विश्वनाथ जी को पढ़ने का इन्तजार है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34102495626310747072008-06-25T07:04:00.000+05:302008-06-25T07:04:00.000+05:30फाउन्टेन पेन की खरीद विश्वनाथ जी का असर है। उन की ...फाउन्टेन पेन की खरीद विश्वनाथ जी का असर है। उन की पोस्ट पढ़ कर मैं भी एक चाइनीज हीरो खरीदने वाला था पर मनपसंद रंग न मिलने से इसे पोस्टपोन किया। 30 रुपए बच गए, जिस का भी इन दिनों जब बच्चे बाहर पढ़ रहे हों बहुत महत्व है। पुस्तकें तो हमारी भी वासना हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-79322894491262803972008-06-25T05:37:00.000+05:302008-06-25T05:37:00.000+05:30पुस्तकें उपहार में मिलें और क्या चाहिये.अब इनको पढ़...पुस्तकें उपहार में मिलें और क्या चाहिये.अब इनको पढ़ भे डालिये.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com