tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5786820932178619269..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: गालिब या मीर - मुझे तो लोग जमे ब्लॉगरी-ए-हिन्दी में!Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63721965668469074422008-06-17T07:56:00.000+05:302008-06-17T07:56:00.000+05:30बड़ा लफ़ड़ा है जी। हमारी तारीफ़ वाली पोस्ट हमको चार दि...बड़ा लफ़ड़ा है जी। हमारी तारीफ़ वाली पोस्ट हमको चार दिन बाद दिखती है। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41708852477644007302008-06-14T00:33:00.000+05:302008-06-14T00:33:00.000+05:30I Write because I am - & प्रक्रिया चालू आहे .I agr...I Write because I am - <BR/>& <BR/>प्रक्रिया चालू आहे .<BR/>I agree with all the Quid, pro quo expressed herewith. <BR/>Kuch to Log kahengen ...लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55672138564315554582008-06-14T00:04:00.000+05:302008-06-14T00:04:00.000+05:30पूरी तरह सहमतपूरी तरह सहमतAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69405321491316569442008-06-13T22:31:00.000+05:302008-06-13T22:31:00.000+05:30शिव जी के ईर्ष्या सप्ताह में हम भी जुड़ गए. राजेश ...शिव जी के ईर्ष्या सप्ताह में हम भी जुड़ गए. राजेश रोशन जी से बड़ी ईर्ष्या हो रही है. एक ही दिन में दो-दो दिग्गज उनके ऊपर पोस्ट लिख रहे हैं.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34829967450494220512008-06-13T21:01:00.000+05:302008-06-13T21:01:00.000+05:30आपकी इस पोस्ट ने टिप्पणी मौन तोड़ने पर विवश किया. ब...आपकी इस पोस्ट ने टिप्पणी मौन तोड़ने पर विवश किया. <BR/><BR/>बहुत लोग लिखते हैं.बहुत लिख रहे हैं.बहुत आगे और लिखेंगे.चाहे वह ब्लॉग हो साहित्य हो या कुछ और.हर एक के लिये लिखने का लक्ष्य अलग होगा.कुछ पैसे कमाने के लिये लिखेंगे.कुछ खुद को अभिव्यक्त करने के लिय और कुछ यूँ ही,उलजुलूल टाइप.लेकिन मेरी नजर में खुद को अभिव्यक्त करना ज्यादा मह्त्वपूर्ण है. इससे खुद को या किसी और को यदि कुछ लाभ हो तो यह सप्लीमैंटरी है.जरूरी नहीं कि कुछ प्राप्त करने के लिये ही लिखा जाय. <BR/><BR/>बांकी आपने सायं चिंतन किया और हम नालायक को लिंकन के लायक समझा हम तो इसी में खुश हैं. बांकी शिव कुमार जी और पंगेबाज महोदय के सामने हमारी क्या विसात.<BR/><BR/>पर ज्यादा दांत ना दबायें.राखी जी बुरा मान जायेंगी.:-)काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81284998029915892722008-06-13T19:58:00.000+05:302008-06-13T19:58:00.000+05:30यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ कह देने की क्षमता??:)यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ कह देने की क्षमता??<BR/><BR/>:)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86544184337267630552008-06-13T18:51:00.000+05:302008-06-13T18:51:00.000+05:30न मीर हैं न गालिब पर इनसे से बड़े बड़े शेर मीर, ग़...न मीर हैं न गालिब पर इनसे से बड़े बड़े शेर मीर, ग़ालिब है ब्लाग लेखन मे. और ये सभी जबरदस्त हैं वह क्या कहने आपसे सहमत हूँ .समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90209240929698061402008-06-13T17:28:00.000+05:302008-06-13T17:28:00.000+05:30अभिषेकजी,-------------------------आपने लिखा :आपसी ...अभिषेकजी,<BR/>-------------------------<BR/>आपने लिखा :<BR/>आपसी लगाव और साफ कह देने की क्षमता तो ठीक है पर प्रसंसा मुझे लगता है की थोडी जरुरत से ज्यादा ही होती है हिन्दी-ब्लोग्गिंग में... लोग कुछ कहने के बजाय प्रसंसा कर के कल्टी मारने में ज्यादा भरोसा रखते हैं !<BR/>--------------------<BR/><BR/>ब्लॉग जगत में कम से कम प्रशंसा के साथ आलोचना/समीक्षा के लिए स्थान है। कवि सम्मेलनों में क्या होता है? बस शुरू होती ही "वाह वाह" करने लगते हैं। कभी किसी कविता की इन सम्मेलनों में निंदा या आलोचना मैंने नहीं सुनी।G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32073486885100469122008-06-13T16:05:00.000+05:302008-06-13T16:05:00.000+05:30सहमत है आपसे।सहमत है आपसे।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-46619142199496278322008-06-13T15:50:00.000+05:302008-06-13T15:50:00.000+05:30यह नि:संदेह सत्य है , कि "आपसी लगाव और प्रशंसा, यद...यह नि:संदेह सत्य है , कि "आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ कह देने की क्षमता होनी चाहिये।"रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26413461181259031492008-06-13T15:23:00.000+05:302008-06-13T15:23:00.000+05:30इस समय आपकी पोस्ट देखकर कुछ आश्चर्य हुआ पर पढने ...इस समय आपकी पोस्ट देखकर कुछ आश्चर्य हुआ पर पढने के बाद आश्चर्य ना रहा। :)mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90854225136729956192008-06-13T14:59:00.000+05:302008-06-13T14:59:00.000+05:30"आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ..."आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ कह देने की क्षमता - यह होनी चाहिये। बाकी क्या लेना देना है जी! "<BR/><BR/><BR/>आपसी लगाव और साफ कह देने की क्षमता तो ठीक है पर प्रसंसा मुझे लगता है की थोडी जरुरत से ज्यादा ही होती है हिन्दी-ब्लोग्गिंग में... लोग कुछ कहने के बजाय प्रसंसा कर के कल्टी मारने में ज्यादा भरोसा रखते हैं !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-25787023793366276812008-06-13T14:54:00.000+05:302008-06-13T14:54:00.000+05:30सत्यवचन महाराज। मीर गालिब भी सबसे पहले इंसान ही थे...सत्यवचन महाराज। मीर गालिब भी सबसे पहले इंसान ही थे।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-690634456581927162008-06-13T14:48:00.000+05:302008-06-13T14:48:00.000+05:30अरे हम ब्लॉगर मीर-ओ-गालिब न भी हों तो भी कुछ न कुछ...अरे हम ब्लॉगर मीर-ओ-गालिब न भी हों तो भी कुछ न कुछ रच तो रहे हैं . अपने को अभिव्यक्त तो कर रहे हैं . बाकी इस बंजर होते समय और समाज का शून्य बटा सन्नाटा तो नहीं ही हैं . और अगर साथी लोगों को लिखा हुआ पसंद आ जाए तथा वे टिप्पणी देकर हौसला बढा दें तब तो सोने में सुहागा .<BR/><BR/>अब अगर हिंदी ब्लॉग न होता और उसमें संगम के घाट पर बैठकर आचार्य ज्ञानदत्त पाण्डे ब्लॉग न लिखते और खाली-पीली लालूजी की रेल के लदान की खाता-बही व व्यवस्था में ही मगन रहते तो बोलिए घाटा किसका होता हमारा कि उनका . <BR/><BR/>पहले तो विविध विषयों पर अन्तर्दृष्टिपरक कसी हुई पोस्ट पढो,फिर लगे हाथों थोड़ी-बहुत आत्मोन्नति कर लो और तब भी मन न भरे तो उनके स्टार-चयन में से कोई और मोती तलाश लो . अब बताइए मामला हूबहू मीर-ओ-गालिब का न भी हो तो उनके आस-पास का है कि नहीं .<BR/><BR/>अपने शिवकुमार मिश्र तो 'ब्लॉग-ट्वेंटी-ट्वेंटी' के यूसुफ़ पठान हैं ही . राजेश रोशन प्रतीक्षा करें . ब्लॉग अपने ढंग के मीर-ओ-गालिब तैयार कर रहा है . प्रक्रिया चालू आहे .<BR/><BR/>(आपकी अंतिम दो पंक्तियां तो आदर्श टिप्पणीकार का ध्येय-वाक्य हो सकती हैं.)Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-66631096965728727872008-06-13T14:22:00.000+05:302008-06-13T14:22:00.000+05:30सर जी.. हम ना तो वहां हैं और ना ही यहां.. हमें तो ...सर जी.. हम ना तो वहां हैं और ना ही यहां.. हमें तो अब सबसे ईर्ष्या हो रही है.. :DPDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-548193522659421202008-06-13T14:21:00.000+05:302008-06-13T14:21:00.000+05:30आप जो कहे सत्य वचन.. "आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कद...आप जो कहे सत्य वचन.. <BR/>"आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ कह देने की क्षमता - यह होनी चाहिये।"कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-89265712565887731672008-06-13T14:16:00.000+05:302008-06-13T14:16:00.000+05:30@ अरुण - पंगेबाज से कौन पंगा लेगा। पर पंगेबाज तो द...<B>@ अरुण - </B>पंगेबाज से कौन पंगा लेगा। पर पंगेबाज तो दूसरी केटेगरी में हैं रोशन जी की साइट पर। वो तो घणे विशिष्ट व्यक्ति हैं! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73343636501833410492008-06-13T14:10:00.000+05:302008-06-13T14:10:00.000+05:30देखिये हम नही चाहते कि आप अपनी उंगली खुद ही काट ले...देखिये हम नही चाहते कि आप अपनी उंगली खुद ही काट ले, लेकिन आप हमारा नाम भूल कर पंगा काहे ले रहे है ? :)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-260782270525208382008-06-13T14:09:00.000+05:302008-06-13T14:09:00.000+05:30"आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ..."आपसी लगाव और प्रशंसा, यदा कदा अच्छा न लगने पर साफ कह देने की क्षमता - यह होनी चाहिये।" <BR/><BR/>यह सही कहा है आपने.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-8346871943450693882008-06-13T13:58:00.000+05:302008-06-13T13:58:00.000+05:30जो हुक्म सर जी...जो हुक्म सर जी...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com