tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5499485045791526411..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: किल्लत का अर्थशास्त्र चल रहा है क्या?Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58678438932675425222008-03-11T16:02:00.000+05:302008-03-11T16:02:00.000+05:30आप बिलकुल बजा फरमाते हैं। हम सब की दुखती रग पर उंग...आप बिलकुल बजा फरमाते हैं। हम सब की दुखती रग पर उंगली रख कर आपने सराहनीय कार्य किया है।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58637055069480077072008-03-10T19:53:00.000+05:302008-03-10T19:53:00.000+05:30आपको आज के युवाओं से ईर्ष्या हो रही है, इससे भारत ...आपको आज के युवाओं से ईर्ष्या हो रही है, इससे भारत के भविष्य के प्रति उम्मीदें बढ़ती हैं.हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttps://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39699302237661813912008-03-10T18:03:00.000+05:302008-03-10T18:03:00.000+05:30सिनिज्म के शेयर औने पौने दामों में बेच आये हैं बहु...सिनिज्म के शेयर औने पौने दामों में बेच आये हैं बहुत नुकसान उठाना पड़ा, मार्केट वैसे ही डाउन है॥…;)हम संजीत की बात से सहमत नहीं, हमें तो लगता है कि अपने वाले ज्ञान जी लौट आये हैं थोड़े शिथिल से पर एक महिने में उसी पुरानी उर्जा के साथ फ़िर ऐसा लिखेगें कि टिप्पणीयों की बहार में हंसी के फ़व्वारे छूटेंग़े।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-65909612464029033792008-03-10T16:22:00.000+05:302008-03-10T16:22:00.000+05:30रेलवे अपनी आमदनी और भी तरीकों से बढ़ा सकती है। ये ...रेलवे अपनी आमदनी और भी तरीकों से बढ़ा सकती है। ये टीटीई लोग गाड़ी चलने के कुछ देर बाद टिकट ऊकट देख कर फारिग हो जाते हैं। इनके हाथ में ऊन सलाई देदी जाये. और कहा जाये कि हर यात्रा में एक स्वेटर तैयार मंगता। <BR/>पंद्रह हजार गाडियां रोज चलती हैं, करीब। <BR/>तीन टीटीई फी गाड़ी लगाओ, पैंतालीस हजार स्वेटर तो एक बार के आपरेशन से आ लेंगे।<BR/>टीटीई एसोसियेशन को कहिए कि हमसे कुछ मामला सैट कर ले, वरना ये सजेशन सीरियसली लालूजी को दे दूंगा,छह साल बाद फिर वह रेलवे मंत्री बनेंगे। तब इंप्लीमेंट हो जायेगा, यह सजेशन।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11610377096818686702008-03-10T13:15:00.000+05:302008-03-10T13:15:00.000+05:30प्रभो अब तो हमका पक्का यकीन हो गया कि ऊ ज्ञानदत्त ...प्रभो अब तो हमका पक्का यकीन हो गया कि ऊ ज्ञानदत्त जी जौन इस सीट पर बैठत रहा ओका ट्रांस्फर हो गय तबै न ये सज्जन ई टेक्निकल अर्थशास्त्रीय पोस्ट लिख रहै हैं, अरे कोई है जऊन ओ वाले ज्ञानदत्त जी को लौटा लाए ;)Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28061231904447126542008-03-10T12:42:00.000+05:302008-03-10T12:42:00.000+05:30धन्यवाद पावर ग्रिड। आगे भी ऐसे ही सहयोग की अपेक्षा...धन्यवाद पावर ग्रिड। आगे भी ऐसे ही सहयोग की अपेक्षा है। :)Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53120250131643703542008-03-10T12:18:00.000+05:302008-03-10T12:18:00.000+05:30अरे वाह ज्ञान दद्दा! आप तो विकट अर्थशाष्त्रीय पोस्...अरे वाह ज्ञान दद्दा! आप तो विकट अर्थशाष्त्रीय पोस्ट लिखने लगें हैं आजकल. अगर ऐसा ही रहा तो इसी चिट्ठे से आपकी अर्थव्यवस्था शताब्दी की रफ़्तार से दौड़ने लगेगी और फिर तो ब्लागिंग बन्द करने के बारे में सोच भी नहीं पायेंगे आप<BR/>वैसे ऐसा सोचने का मौका तो आपको हम अब भी नहीं देने वाले. ऐसे ही धाँसू पोस्ट ठेलते रहें वरना चक्का जाम.... क्या समझे!<BR/><BR/>- अजय यादव<BR/>http://merekavimitra.blogspot.com/<BR/>http://ajayyadavace.blogspot.com/<BR/>http://intermittent-thoughts.blogspot.com/SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20481474102574822432008-03-10T12:14:00.000+05:302008-03-10T12:14:00.000+05:30आप ये न कहें कि सरकार इफ़रात में नहीं सोचती. सरकार...आप ये न कहें कि सरकार इफ़रात में नहीं सोचती. सरकार के अभी तक केवल आर्थिक सुधार लागू करने का परिणाम यह हुआ है कि सरकार इफ़रात में ही सोचने लगी है.<BR/><BR/>योजना आयोग के मोंटेक जी कहते हैं कि आर्थिक विकास की दर ८.५% रहेगी तो वित्तमंत्री इफ़रात में सोचते हुए कहते हैं कि विकास की दर ९.४% रहेगी. जब तक प्रधानमंत्री सीन में आते हैं तब तक यह दर कुछ रिजर्वेशन के साथ १०% तक चली जाती है. <BR/><BR/>दूसरी तरफ मुद्रास्फीति की दर को लेकर भी इफ़रात में ही सोचते और कहते हैं. कहते हैं ४% से नीचे रखेंगे. केवल व्याज दर घटा कर. लेकिन अब जाकर पता चला है कि ये दर ५% से ऊपर पहुँच चुकी है. ये देखने के बाद लग रहा है कि बीच-बीच में मुद्रास्फीति की दर के जो फिगर सार्वजनिक किया जाता है वो अक्कड़ बक्कड़, बाम्बे बो....कहकर निकाला जाता है...Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32819111389380096242008-03-10T11:00:00.000+05:302008-03-10T11:00:00.000+05:30अरे, ऐसी ऐसी टेक्निकल अर्थशास्त्रिय पोस्ट लिख रहे ...अरे, ऐसी ऐसी टेक्निकल अर्थशास्त्रिय पोस्ट लिख रहे हैं और फिर भी संशय कि अगर ब्लागिंग चलती रही तो..चलेगी क्या..दौड़ेगी. आपको दौड़ाने वाले भी कम नहीं..शुभकामनायें कि आपकी व्यस्तता अपने स्तरीय मुकाम पर जल्द पहुँचे. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20744212312982518692008-03-10T10:57:00.000+05:302008-03-10T10:57:00.000+05:30आपने कहा : इतने व्यापक और आशावादी परिवर्तन हैं कि ...आपने कहा : इतने व्यापक और आशावादी परिवर्तन हैं कि मुझे बार बार लगता है कि मुझमें पच्चीस-तीस वर्ष की उम्र वाली ऊर्जा और वर्तमान समय हो तो क्या कर डाला जाये। आज के नौजवानों से बहुत ईर्ष्या होती है - बहुत डाह!<BR/><BR/>देखिये हम समझ रहे हैं कि काहे आपको इतना डाह हो रहा हम जैसे नौजवानों से.आपके जमाने में राखी,मल्लिका नहीं ना थी.कोई थी भी तो वो थी मीना कुमारी टाइप.चलिये अब क्या किया जा सकता है. अभी तो आप कार्ला ब्रूनी से काम चलाइये फिर देखते हैं कि क्या किया जा सकता है इस बारे में.किसी चीज की किल्लत हो तो बताइयेगा. :-)काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-84058855795173595122008-03-10T10:06:00.000+05:302008-03-10T10:06:00.000+05:30"अपने सिनिसिज्म को जो भी दाम मिले, बेच कर छुट्टी प..."अपने सिनिसिज्म को जो भी दाम मिले, बेच कर छुट्टी पायें। उसके शेयर का दाम बहुत नीचे जाने वाला है। समय रहते उससे अपना पोर्टफोलियो मुक्त कर लें।" <BR/>बहुत ही वाजिब सलाह है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19411180411067439512008-03-10T08:18:00.000+05:302008-03-10T08:18:00.000+05:30सही कह रहे हैं किल्लत का अर्थशास्त्र चल रहा था लेक...सही कह रहे हैं किल्लत का अर्थशास्त्र चल रहा था लेकिन अब धीरे धीरे बदल भी रहा है अब चाहे उसकी बुनियाद किसी ने भी क्यों ना रखी हो।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-84531552796132695212008-03-10T07:15:00.000+05:302008-03-10T07:15:00.000+05:30भारत की अर्थ व्यवस्था निश्चय ही एक निर्णायक मोड़ प...भारत की अर्थ व्यवस्था निश्चय ही एक निर्णायक मोड़ पर है -बहुत सारी संभावनाएं हैं ,मौज मस्ती है पर बीता समय फिर कहाँ आयेगा ज्ञान जी ,हम ययाति तो अभी नही हो सकते और जब मनुष्य का ययाति होना सम्भव होगा भी ,अफसोस हम ना होंगे .Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-66131754291249267802008-03-10T07:05:00.000+05:302008-03-10T07:05:00.000+05:30सभी क्षेत्रों में इस किल्लत-वादी मनोवृत्ति को तोड़...सभी क्षेत्रों में इस किल्लत-वादी मनोवृत्ति को तोड़ने की जरुरत के साथ ही हिडन कैपेसिटि के उपयोग की भी आवश्यकता है। जैसे न्यायालयों में फालतू के मुकदंमों को प्रारंभिक स्तर पर ही निपटा डालने की व्यवस्था बनाने की जरुरत।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com