tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5479113757138214401..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: संयम और कछुआGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11655669774691146452011-04-10T00:16:49.899+05:302011-04-10T00:16:49.899+05:30सालिटेयर या ताश पत्ती के मैं एकैदम खिलाफ हूं। अनिल...सालिटेयर या ताश पत्ती के मैं एकैदम खिलाफ हूं। <br>अनिल अंबानी ने एक जगह लिखा है कि धीरु भाई अंबानी ने एक बार उन्हे बहुत जोर से इसलिए डांटा था कि उन्होने अनिल के हाथ में ताश देख लिये थे। धीरु भाई ने कहा कि तुम ताश खेलने से बेहतर है कि सो जाओ। सोना ज्यादा उत्पादक काम है ताश पत्ती खेलने के बजाय। <br>टाइम पास करने के ज्यादा रोचक तरीके निम्नलिखित हैं-<br>1-ब्लागों पर चल रही कांय कांय खांय खांय में शरीक हों<br>2-संजीत त्रिपाठी से राखी सावंत की लेटेस्ट अपडेट लें<br>3-वारेन बूफे के लैटर पढ़ें, जो उन्हे अपने शेयरधारियों को लिखे हैं<br>4-भूत नाग कामेडी चैनल, संक्षेप में न्यूज चैनल देखें<br>5-आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म को दोबारा अथवा चौबारा पढ़ें और सबको इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-51238867008770398332011-04-10T00:16:49.319+05:302011-04-10T00:16:49.319+05:30संयम की सीख के साथ आपका प्रत्यावर्तन अच्छा लगा -मु...संयम की सीख के साथ आपका प्रत्यावर्तन अच्छा लगा -मुझे सच तो नही पता कि क्यों आपने ब्लाजगत से अल्पावाकाश ले लिया था किंतु इस दुनिया मे अब आपका हर वक़्त बने रहना अपरिहार्य सा हो गया है क्योंकि इस नरक स्वर्ग के लिए आप पर ठीक यही बात लागू होती है -<br>जो न जनम जग होत भारत को ,धरम धुरी धरि धरनि धरत को ..... <br>इन दिनों आपके ब्लॉग जगत मे न रहने से मैंने तो केवल यहाँ के नारकीय दंश को झेला है ,कही कोई राहत नही लग रही थी ,<br>अब एक ताजा हवा का झोका आया है .Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22308261943488006912011-04-10T00:16:49.020+05:302011-04-10T00:16:49.020+05:30संयम वाली बात तो सही कही पर कृपया ब्लॉगिंग में संय...संयम वाली बात तो सही कही पर कृपया ब्लॉगिंग में संयम न करें पुराणिक जी की सलाह मानकर राखी सावंत का लेटेस्ट अपडेट आपको देने का वादा करता हूं ;)<br><br>एकाकी/सुस्त/बिना शादी के लाईफ़ काट रहे हैं फिर भी ताशपत्ती को न प्रेक्टिकली हाथ लगाया कभी न वर्चुअल में!!! मन ही नही हुआ कभी।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15977244086766150862011-04-10T00:16:48.226+05:302011-04-10T00:16:48.226+05:30हां बिल्कुल सही फरमाया ज्ञानजी आपने.वैसे ये स्वा...हां बिल्कुल सही फरमाया ज्ञानजी आपने.<br><br>वैसे ये स्वामी बुधानंद की पुस्तकें क्या बाजार में मिल सकती हैं या कहीं और से मंगानी पड़ती हैं। वो क्या है कि मेरे जैसे महाआलसियों की कुछ आदतें तो सुधरें.<br><br>वैसे स्पायडर सॉलिटेयर बहुत खराब गेम है. एक बार चस्का लग जाए तो छूटता नहीं दारू के माफिक.<br><br><br>संजीत भैया से हमें भी लेटेस्ट अपडेट दिलाई जाएं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40499209605431950782011-04-10T00:16:47.832+05:302011-04-10T00:16:47.832+05:30सच्ची में ज्ञान के भंडार हैं आपज्ञान भी बहुत धैर्...सच्ची में ज्ञान के भंडार हैं आप<br>ज्ञान भी बहुत धैर्य से देते हैं<br>धीमे धीमे हौले हौले <br><br>वैसे भी एक साथ सारा<br>सिर के उपर से बह जायेगा<br>प्यास भी नहीं बुझा पायेगा<br><br>रही बात सॉलिटायर की तो<br>टायर सिर्फ वाहनों के ही<br>चलाये हैं हमने<br><br>ताश के पत्तों से<br>कभी लौ नहीं लगाई<br>न तब जब फिजिबल होते थे<br>न अब जब कम्प्यूटरीक्रत होते हैं<br><br>हैं अविनाश पर <br>नहीं खेलेते हैं ताश <br>सिर्फ रचते हैं रचना<br>और छापते हैं ब्लॉग<br><br>इसमें भी अब संयम <br>बरतना होगा, आम<br>की एक फांक की तरह<br>धैर्य रखना होगा<br><br>आनंद और भी तो<br>उठाने हैं या उठवाने हैं<br>जैसे आप उठा उठवा रहे हैं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71328699717341788012008-03-04T05:44:00.000+05:302008-03-04T05:44:00.000+05:30सच्ची में ज्ञान के भंडार हैं आपज्ञान भी बहुत धैर्...सच्ची में ज्ञान के भंडार हैं आप<BR/>ज्ञान भी बहुत धैर्य से देते हैं<BR/>धीमे धीमे हौले हौले <BR/><BR/>वैसे भी एक साथ सारा<BR/>सिर के उपर से बह जायेगा<BR/>प्यास भी नहीं बुझा पायेगा<BR/><BR/>रही बात सॉलिटायर की तो<BR/>टायर सिर्फ वाहनों के ही<BR/>चलाये हैं हमने<BR/><BR/>ताश के पत्तों से<BR/>कभी लौ नहीं लगाई<BR/>न तब जब फिजिबल होते थे<BR/>न अब जब कम्प्यूटरीक्रत होते हैं<BR/><BR/>हैं अविनाश पर <BR/>नहीं खेलेते हैं ताश <BR/>सिर्फ रचते हैं रचना<BR/>और छापते हैं ब्लॉग<BR/><BR/>इसमें भी अब संयम <BR/>बरतना होगा, आम<BR/>की एक फांक की तरह<BR/>धैर्य रखना होगा<BR/><BR/>आनंद और भी तो<BR/>उठाने हैं या उठवाने हैं<BR/>जैसे आप उठा उठवा रहे हैं.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19555833047489123062008-03-04T00:29:00.000+05:302008-03-04T00:29:00.000+05:30कृपया इस solitair game को try करेंhttp://www.media...कृपया इस solitair game को try करें<BR/><BR/><A HREF="http://www.mediafire.com/?ykjd3jhyjyd" REL="nofollow">http://www.mediafire.com/?ykjd3jhyjyd</A>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83608419632629279332008-03-03T23:38:00.000+05:302008-03-03T23:38:00.000+05:30संयम और कछुआ दोनो बहुत धीमे चलते हैं। इनके मंजिल त...संयम और कछुआ दोनो बहुत धीमे चलते हैं। इनके मंजिल तक पहुंचने के समय में पत्ते फ़ेंट लेने में आलोक पुराणिक को एतराज क्यों हो रहा है। समझ में नही आता। न हमारे न आलोक पुराणिक के।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77277170816587207132008-03-03T21:40:00.000+05:302008-03-03T21:40:00.000+05:30सॉलिटायर एक वायरस है..जिसका एंटीडोट नहीं..बिल्कुल ...सॉलिटायर एक वायरस है..जिसका एंटीडोट नहीं..बिल्कुल हिन्दी ब्लॉगिंग जैसा...एक ही काफी है. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-68346970201762295632008-03-03T19:52:00.000+05:302008-03-03T19:52:00.000+05:30sab log bahut kuch kah gaye ....mai late huun........sab log bahut kuch kah gaye ....mai late huun......hameshaa ki tarah aapki insipirational post padhkar guun rahi huun.पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18347003669974801192008-03-03T17:02:00.000+05:302008-03-03T17:02:00.000+05:30हां बिल्कुल सही फरमाया ज्ञानजी आपने.वैसे ये स्वा...हां बिल्कुल सही फरमाया ज्ञानजी आपने.<BR/><BR/>वैसे ये स्वामी बुधानंद की पुस्तकें क्या बाजार में मिल सकती हैं या कहीं और से मंगानी पड़ती हैं। वो क्या है कि मेरे जैसे महाआलसियों की कुछ आदतें तो सुधरें.<BR/><BR/>वैसे स्पायडर सॉलिटेयर बहुत खराब गेम है. एक बार चस्का लग जाए तो छूटता नहीं दारू के माफिक.<BR/><BR/><BR/>संजीत भैया से हमें भी लेटेस्ट अपडेट दिलाई जाएं.bhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18878355183035496432008-03-03T15:37:00.000+05:302008-03-03T15:37:00.000+05:30बहुत दिनों बाद ज्ञान गंगा में नहाना सुखद रहा. आप त...बहुत दिनों बाद ज्ञान गंगा में नहाना सुखद रहा. <BR/><BR/>आप ताश की तलाश में हैं..आपके पास इतना समय है ?? ..काश हमारे पास भी यह समय होता...वैसे मैं भी ताश खेलने की बजाय सोना ज्यादा पसंद करता हूँ.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-85945240612517360052008-03-03T14:11:00.000+05:302008-03-03T14:11:00.000+05:30आज सुबह भी मैं वही कर रहा था आफिस आने से पहले..आज सुबह भी मैं वही कर रहा था आफिस आने से पहले..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7952276880547568572008-03-03T14:09:00.000+05:302008-03-03T14:09:00.000+05:30Solitire क्या, Freecell हम तो के भी शौकीन हैं.. ज...Solitire क्या, Freecell हम तो के भी शौकीन हैं.. जब मेरा मन दिमाग खपाने का नहीं होता है तब समय काटने का यही तरीका मुझे सबसे अच्छा लगता है.. मैं तो अभी तक हजारों घंटे इस पर खर्च कर चुका हूं..<BR/><BR/>आपके प्रश्नों का उत्तर जीतु जी ने दे दिया है, अब उसे दोहराने का कोई फायदा नहीं है.. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17427038874121350302008-03-03T13:58:00.000+05:302008-03-03T13:58:00.000+05:30आज मैं टिप्पणी देने में संयम बरत रही हूँ ।घुघूती ब...आज मैं टिप्पणी देने में संयम बरत रही हूँ ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-36008507503147459992008-03-03T13:03:00.000+05:302008-03-03T13:03:00.000+05:30संयम स्व-विवेक के बल पर हो तो निश्चित ही उपयोगी है...संयम स्व-विवेक के बल पर हो तो निश्चित ही उपयोगी है। यदि इसे थोपा जाये तो लम्बे समय तक इसे रख पाना मुश्किल है।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-9916431940399656542008-03-03T12:27:00.000+05:302008-03-03T12:27:00.000+05:30Try this ( To restore games on Vista)Go to control...Try this ( To restore games on Vista)<BR/><BR/>Go to control panel - programs and features<BR/>click "turn windows features on or off" on the left pane<BR/>uncheck all the games, click ok, wait for it to do its thing<BR/>reverse the process, i.e. check the games checkbox, click OK, wait<BR/>they should appear again!Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53423162009698996212008-03-03T12:22:00.000+05:302008-03-03T12:22:00.000+05:30सॉलिटायर एक बार खेलने के बाद तो नशे जैसा हो जाता ह...सॉलिटायर एक बार खेलने के बाद तो नशे जैसा हो जाता है। बार-बार खेलने की इच्छा होती है।ऐसे टाइम किलर की भला क्या जरुरत है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81952710222867756842008-03-03T11:26:00.000+05:302008-03-03T11:26:00.000+05:30आलोक जी की लिस्ट मे पंगेबाज की पुरानी पोस्टे भी जो...आलोक जी की लिस्ट मे पंगेबाज की पुरानी पोस्टे भी जोड ले ,उन्हे पढे और पंगेबाजी मे शामिल हो जाये..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69744160090400953972008-03-03T09:46:00.000+05:302008-03-03T09:46:00.000+05:30संयम वाली बात तो सही कही पर कृपया ब्लॉगिंग में संय...संयम वाली बात तो सही कही पर कृपया ब्लॉगिंग में संयम न करें पुराणिक जी की सलाह मानकर राखी सावंत का लेटेस्ट अपडेट आपको देने का वादा करता हूं ;)<BR/><BR/>एकाकी/सुस्त/बिना शादी के लाईफ़ काट रहे हैं फिर भी ताशपत्ती को न प्रेक्टिकली हाथ लगाया कभी न वर्चुअल में!!! मन ही नही हुआ कभी।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23908878412223818152008-03-03T08:03:00.000+05:302008-03-03T08:03:00.000+05:30संयम की सीख के साथ आपका प्रत्यावर्तन अच्छा लगा -मु...संयम की सीख के साथ आपका प्रत्यावर्तन अच्छा लगा -मुझे सच तो नही पता कि क्यों आपने ब्लाजगत से अल्पावाकाश ले लिया था किंतु इस दुनिया मे अब आपका हर वक़्त बने रहना अपरिहार्य सा हो गया है क्योंकि इस नरक स्वर्ग के लिए आप पर ठीक यही बात लागू होती है -<BR/>जो न जनम जग होत भारत को ,धरम धुरी धरि धरनि धरत को ..... <BR/>इन दिनों आपके ब्लॉग जगत मे न रहने से मैंने तो केवल यहाँ के नारकीय दंश को झेला है ,कही कोई राहत नही लग रही थी ,<BR/>अब एक ताजा हवा का झोका आया है .Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11136917811543761792008-03-03T06:45:00.000+05:302008-03-03T06:45:00.000+05:30ज्ञान जी। आप सफाई भी कायदे से देते हैं। इतने दिनों...ज्ञान जी। आप सफाई भी कायदे से देते हैं। इतने दिनों की गैर हाजरी के बाद संयम की लाठी मार दी। वैसे कम से कम रतलामी सेव वाली बात पसंद आयी। आज से अपना भी संयम शुरू। हम तो जब तक सामने वाले समाप्त न हो जाएं चैन नहीं लेते थे और वजन बढ़ा बैठते थे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-31183220257241024032008-03-03T06:42:00.000+05:302008-03-03T06:42:00.000+05:30सालिटेयर या ताश पत्ती के मैं एकैदम खिलाफ हूं। अनिल...सालिटेयर या ताश पत्ती के मैं एकैदम खिलाफ हूं। <BR/>अनिल अंबानी ने एक जगह लिखा है कि धीरु भाई अंबानी ने एक बार उन्हे बहुत जोर से इसलिए डांटा था कि उन्होने अनिल के हाथ में ताश देख लिये थे। धीरु भाई ने कहा कि तुम ताश खेलने से बेहतर है कि सो जाओ। सोना ज्यादा उत्पादक काम है ताश पत्ती खेलने के बजाय। <BR/>टाइम पास करने के ज्यादा रोचक तरीके निम्नलिखित हैं-<BR/>1-ब्लागों पर चल रही कांय कांय खांय खांय में शरीक हों<BR/>2-संजीत त्रिपाठी से राखी सावंत की लेटेस्ट अपडेट लें<BR/>3-वारेन बूफे के लैटर पढ़ें, जो उन्हे अपने शेयरधारियों को लिखे हैं<BR/>4-भूत नाग कामेडी चैनल, संक्षेप में न्यूज चैनल देखें<BR/>5-आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म को दोबारा अथवा चौबारा पढ़ें और सबको इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-65416244188043350242008-03-03T06:38:00.000+05:302008-03-03T06:38:00.000+05:30सत्य वचन महाराजसंयम के बगैर बड़े तो दूर, छोटे काम ...सत्य वचन महाराज<BR/>संयम के बगैर बड़े तो दूर, छोटे काम भी संभव नहीं है। ये मन बहूत बदमाश टाइप का आइटम है। जाने कहां कहां डुबोने के इंतजाम कर लेता है। मन के संयम के बगैर सब चौपट है। मैं देखता हूं एक से एक जीनियर, पड़े हुए हैं। पर कुछ भी नहीं कर रहे हैं, संयमविहीनता ने जीवन का सत्यानाश कर रखा है। जमाये रहिय़े। <BR/>बस ब्लागिंग में संयम ना रखें। <BR/>अरविंदआश्रम जाना पड़ेगाजी।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.com