tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5388036979149716203..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: बीच गलियारे में सोता शिशुGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81985854217246714782010-02-27T14:33:16.331+05:302010-02-27T14:33:16.331+05:30मन में बहुत प्यार उमड़ देने वाला दृश्य.
अपनी सवा स...मन में बहुत प्यार उमड़ देने वाला दृश्य.<br />अपनी सवा साल की बिटिया को सोफे से उतरने भी नहीं देता कि कहीं गिर न जाये.<br />और दफ्तर से लौटता हूँ तो कौमन्वेल्थ की तैयारी में जुटे मजदूरों के दुधमुंहे बच्चों को चलते हुए बुलडोज़रों के आगे-पीछे खेलता देखकर कलेजा मुंह को आता है.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29224907360071334162008-08-23T15:31:00.000+05:302008-08-23T15:31:00.000+05:30ek jeevan yah bhi.man bhari ho gaya.Kya kahun.ek jeevan yah bhi.<BR/>man bhari ho gaya.Kya kahun.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49283115300295500172008-08-08T07:16:00.000+05:302008-08-08T07:16:00.000+05:30नो कमेंट्स !नो कमेंट्स !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-66851836918264921662008-08-07T21:05:00.000+05:302008-08-07T21:05:00.000+05:30garibi par taras ata hai. bahut hi samvedanasheel ...garibi par taras ata hai. bahut hi samvedanasheel bhavanao se paripoorn alekh.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77311286757198920172008-08-07T12:17:00.000+05:302008-08-07T12:17:00.000+05:30ज्ञानजी,क्या हुआ?हम जैसे पाठकों से आपको सप्ताह के ...ज्ञानजी,<BR/>क्या हुआ?<BR/>हम जैसे पाठकों से आपको सप्ताह के बीच ब्लॉग्गरी से केवल एक दिन कि आकस्मिक छुट्टी की मंजूरी दी गई है।<BR/>आप नहीं लिखेंगे तो टिप्पणी कैसे करूंगा?<BR/>शीघ्र कलम उठाकर फ़िर से शुरू हो जाइए।<BR/>मन में हलचल नहीं होता है क्या?<BR/>हलचल छोड़िए, हालचाल कैसा है?G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52076175101864837172008-08-07T11:49:00.000+05:302008-08-07T11:49:00.000+05:30गर्व है की इस मानसिक हलचल वाले मानस को जानता पहचान...गर्व है की इस मानसिक हलचल वाले मानस को जानता पहचानता हूँ.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-37796958540424674322008-08-07T05:56:00.000+05:302008-08-07T05:56:00.000+05:30समझ नहीं आता, क्या कहूं - और फ़िर ऐसी स्थिति सुधारन...समझ नहीं आता, क्या कहूं - और फ़िर ऐसी स्थिति सुधारने के लिए मैंने किया ही क्या है?Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19827332774106701702008-08-06T20:32:00.000+05:302008-08-06T20:32:00.000+05:30अब समझ पडा कि भारत का भविष्य मजबूत क्यों है ।अब समझ पडा कि भारत का भविष्य मजबूत क्यों है ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60056452727067716512008-08-06T10:34:00.000+05:302008-08-06T10:34:00.000+05:30ऐसे ही पल कर बडा होता है मजदूर का बेटा।ऐसे ही पल कर बडा होता है मजदूर का बेटा।adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-59950364495107739042008-08-06T10:10:00.000+05:302008-08-06T10:10:00.000+05:30उज्जवल भविष्य की कामना हम भी करते हैं- तमाम दुनिया...उज्जवल भविष्य की कामना हम भी करते हैं- तमाम दुनिया के बावजूद मां का मन, गलियारे की छाँव, बादलों के होने और मक्खियों के न होने का शुक्रिया भी - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-9393645152570576062008-08-06T07:32:00.000+05:302008-08-06T07:32:00.000+05:30आसपास देखा तो अधिकांश लोग तो शिशु को देख कर ठिठक भ...<B>आसपास देखा तो अधिकांश लोग तो शिशु को देख कर ठिठक भी नहीं रहे थे।</B> उनके पास न मोबाइल कैमरा होगा न वे ब्लागर भी न होंगे। इसीलिये वे बिना टाइम बरबाद किये निकल लिये। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58203851127279671652008-08-05T23:38:00.000+05:302008-08-05T23:38:00.000+05:30काफी देर से आया हूँ। मेरा बच्चा अब इधर समय कम देने...काफी देर से आया हूँ। मेरा बच्चा अब इधर समय कम देने देता है। यहाँ आराम से सोता बच्चा देखकर लगता है कि ‘हरि अनाथ के नाथ’ वाला दोहा बिल्कुल सच्चा है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10380512153153154342008-08-05T23:34:00.000+05:302008-08-05T23:34:00.000+05:30बच्चे के बारे में तो सबने बहुत कुछ कह दिया अब ह्म ...बच्चे के बारे में तो सबने बहुत कुछ कह दिया अब ह्म क्या कहें उसके उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना कर सकते हैं लेकिन एक बात मन में कुल्बुला रही है, जब आप फ़ोटो ले रहे थे तो क्या आस पास के लोग आश्चर्यचकित हो आप को नहीं देख रहे थे क्या उनके ऐसे देखने से आप को कोई फ़र्क नहीं पड़ा या उन्हें बताया कि मैं ब्लोग लिखता हूं उसके लिए ही ये फ़ोटो ले रहा हूँ।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82634931669856334142008-08-05T23:07:00.000+05:302008-08-05T23:07:00.000+05:30ठिठक जाना कम अज़ कम यह तो साबित करता है कि बंदे में...ठिठक जाना कम अज़ कम यह तो साबित करता है कि बंदे में संवेदनशीलता बची हुई है, वरना ठिठकने की भी फुरसत किसे है भागादौड़ी के इस जमाने मे और फिर अफ़सर ठिठके, यह तो रेयर केस है।<BR/><BR/>बने रहें आप ऐसे ही!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14863379123975929702008-08-05T22:01:00.000+05:302008-08-05T22:01:00.000+05:30अभी रात ११ बजे यह पोस्ट पढ़ पाया ....सभी टिप्पणियाँ...अभी रात ११ बजे यह पोस्ट पढ़ पाया ....<BR/>सभी टिप्पणियाँ भी पढीं ..क्या कहूं !!?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50638285357664182472008-08-05T21:57:00.000+05:302008-08-05T21:57:00.000+05:30" हाये माँ मजदूरनी की लाचारी ..पापी पेट क्या कुछ न..." हाये माँ मजदूरनी की लाचारी ..पापी पेट क्या कुछ नहीँ करवाता ! <BR/> काश मेरी दुआएँ इस बच्चे तक <BR/>(आपकी सँवेदनशील पोस्ट के जरीये ही) <BR/>पहुँच जायेँ <BR/>और इसका भविष्य सुरक्षित हो जाये<BR/> तब ईश्वर कृपा को जानूँ "<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62755634169244809012008-08-05T21:27:00.000+05:302008-08-05T21:27:00.000+05:30क्या कहूँ, रोज घर लौटते वक्त ऐसे दृश्य देखने को मि...क्या कहूँ, रोज घर लौटते वक्त ऐसे दृश्य देखने को मिल जाते हैं, और फिर उसी भीड लेटे बच्चो के भविष्य कुछ बडे बच्चे हाथ फैलाते भी मिल जाते हैं, कभी कभार (जब उम्मीद से ज्यादा बचत हो तो) आते वक्त कुछ देकर भी आती थी, ताकि बच्चो की कुछ तो मदद हो सके, लेकिन मैने पाया कि ठीक उसके बाद उन बच्चो के बाप नशे मे धुत्त दिख जते हैं, फिर घृणा हो गयी.. कैसे बाप होते हैं ये???<BR/><BR/>जो रोड पर लेटा है उसका भविष्य भी दिख जाता है.. रास्ते चालते हाथ फैला लेते हैं, उसके बाद बीडी पीते हैं... खैर उनकी गलती नही... पर यह परिपाटी रूकने का नाम भले कैसे लेगी?गरिमाhttps://www.blogger.com/profile/12713507798975161901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-87256311512198650192008-08-05T18:51:00.000+05:302008-08-05T18:51:00.000+05:30"मेरी मानसिक हलचल में यह कुछ असामान्य परिदृष्य था;..."मेरी मानसिक हलचल में यह कुछ असामान्य परिदृष्य था; पर वास्तव में था नहीं!"<BR/><BR/>आप कहते हैं कविता को आपसे रूठे जमाना हो गया है . पर जो आप लिख रहे हैं वह गद्य काव्य है .यह उस जीवन की कविता है जिसकी लय-ताल बिगड़ चुकी है . जिसमें कोई 'पोएटिक जस्टिस' नहीं है . पर सामान्य और असामान्य का विरोधाभास और उसका विपर्ययबोध आपका कविता की ओर कदम बढ़ाना तो है ही . <BR/><BR/>गलियारे में सोते बच्चे की तस्वीर अपने आप में एक मार्मिक चाक्षुष कविता है -- उदास कर देने वाली कविता . आंख की कोर गीली कर देने वाली कविता . पर कविता के बाहर जीवन इसी तरह चलता रहता है . कविता है तो इस ओर थोड़ी-बहुत संवेदनशीलता है . वरना देश भर में बनते मॉल्स,शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों, बड़े-बड़े कार्यालयों, निर्माणाधीन कारखानों में ऐसे लाखों नौनिहाल सो रहे हैं .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90358225982663446882008-08-05T16:28:00.000+05:302008-08-05T16:28:00.000+05:30ज्ञान जी जा रहे हों और हलचल ना हो ऐसा हो नहीं सकता...ज्ञान जी जा रहे हों और हलचल ना हो ऐसा हो नहीं सकता.:) इसी मानसिक हलचल को अच्छे शब्द दिये . ऐसा अक्सर होता है पर मज़दूरों के लिए कोई भी संस्था क्रेश नहीं चलाती.कामोद Kaamodhttps://www.blogger.com/profile/08736388435404634973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55148891935858681622008-08-05T16:02:00.000+05:302008-08-05T16:02:00.000+05:30अब मां भी क्या करे, बच्चे को खिलाने के लिये भी तो ...अब मां भी क्या करे, बच्चे को खिलाने के लिये भी तो पेसा चहिये, ओर इस दिल के टुकडे को पालने के लिये दिल पर पत्थर रख कर , काम करती हे, लेकिन ध्यान इस बच्चे की ओर ही होता होगा, सच मे बहुत ही संवेदनशील पोस्ट.. हे धन्यवाद,आप ने तो रुक कर ध्यान दिया कई तो चिल्लने लग जाते हे,या ध्यान ही नही देते.सॊचने पर मजबुर करते हे ऎसे वाक्याराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13150284762210443422008-08-05T15:21:00.000+05:302008-08-05T15:21:00.000+05:30शहरों में न रहने के कारण ऐसा बहुत कम देखा है। कुछ ...शहरों में न रहने के कारण ऐसा बहुत कम देखा है। कुछ समय पहले अहमदाबाद में देखा तो दंग रह गई। उस समय माँ या पिता मजदूरी नहीं कर रहे थे। घर पर, याने सड़क के किनारे पर, ही थे। माँ चूल्हा सुलगा रही थी, पिता बीड़ी सुलगा रहा था, दोनों व्यस्त थे, बच्चा काफी दूर फुटपाथ पर सुलाया था। सड़क पर कुत्ते व गायें बहुतायत में पाई जाती हैं।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54983189897268608172008-08-05T13:57:00.000+05:302008-08-05T13:57:00.000+05:30देखा है अपने आस पास जहाँ मेट्रो स्टेशन बन रहे हैं ...देखा है अपने आस पास जहाँ मेट्रो स्टेशन बन रहे हैं ..जितना बन सकता है कर देता है हर कोई पर बच्चे तो यूँ ही मिटटी के बिछौने पर आराम से सोये रहते हैं ..मार्मिक है यह पोस्टरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29185939210460421132008-08-05T12:43:00.000+05:302008-08-05T12:43:00.000+05:30शुक्र है आप लौट कर आये...भले ही इस नन्हे बालक के स...शुक्र है आप लौट कर आये...भले ही इस नन्हे बालक के साथ आये हो....लौटना इसलिए इस्तेमाल कर रहा हूँ ...पिछली कुछ पोस्टो से लग रहा था आप खो गये है ......सोचिये किसने तय किया होगा की हे बालक तुम इस मजदूरन के गर्भ में जायो ...गर ये कही ओर होता तो शायद इसके आस पास कुछ टेडी बियर रखे होते ....नर्म मुलायम बिछोना ओर सिर्फ़ ऐ.की की आवाज....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69316551841353992262008-08-05T12:36:00.000+05:302008-08-05T12:36:00.000+05:30kya kahun.. koi shabd nahi hain..Lovely ke shabdon...kya kahun.. koi shabd nahi hain..<BR/>Lovely ke shabdon ne aur bhi bhavuk kar diya.. :(PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6494202619308982652008-08-05T12:35:00.001+05:302008-08-05T12:35:00.001+05:30बहुत मार्मिक, लेकिन मजबूरियां क्या-क्या नहीं कराती...बहुत मार्मिक, लेकिन मजबूरियां क्या-क्या नहीं कराती हमसे, वो एक मां की ही मजबूरी थी जो अपने दुधमूहे बच्चे को ऐसे छोड़कर जाना पड़ता है उसे। और ये एक दिन का नहीं हर रोज का सिलसिला है उस मां का,उसकी मजबूरियों का। दिल को छू लिया।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.com