tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5360049196400808159..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: सम्बन्धों के नये वैश्विक समीकरणGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29699194460906839702007-08-29T18:32:00.000+05:302007-08-29T18:32:00.000+05:30यह सब मानसिक सीमाओं का खेल है. एक मित्र आए. कहने ल...यह सब मानसिक सीमाओं का खेल है. एक मित्र आए. कहने लगे की पिताजी बहिन की शादी इन्टर कास्ट करने को तैयार नहीं हो रहे हैं. इन्टर कास्ट का मतलब लड़का कायस्थ तो है पर श्रीवास्तव नहीं है.बताइए यह भी कोई बात हुई. दुनिया कहाँ से कहाँ पंहुच गई है और हम लोग अभी जात पात में ही उलझे हुए हैं. <BR/>मैंने पूंछा की तुम्हारी बेटी की शादी भी १५-२० साल बाद होगी. अगर वोह किसी मुस्लिम से शादी करने को कहे तो क्या तैयार हो जाओगे. नाराज़ हो गए. बोले क्या मज़ाक करते हो. ऐसा भी कभी हो सकता है. मैंने कहा की जैसे आपको यह बुरा लगा वैसे ही आपके पिताजी को भी नागवार गुज़रा होगा.सारा खेल मन की सीमाओं का है. थोड़ा ख़ुद बनती बिगड़ती रहती हैं, थोड़ा वक्त तोड़ मरोड़ देता है.<BR/>संजय कुमार, इलाहबादAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77233577917617978762007-08-29T14:22:00.000+05:302007-08-29T14:22:00.000+05:30ऐसे बदलावों की चपेट व्यापक हो, इसी में भला है.ऐसे बदलावों की चपेट व्यापक हो, इसी में भला है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32007866310496562712007-08-29T14:02:00.000+05:302007-08-29T14:02:00.000+05:30अभय भाई मधेशिया क्षत्रियों राजपूतों की एक बड़ी शान...अभय भाई मधेशिया क्षत्रियों राजपूतों की एक बड़ी शानदार इकाई है। इस से जुड़े कुछ राजपूत भाई मेरे भी सहपाठी रहे हैं।<BR/>ज्ञान भाई किरपा करिए कुछ ज्ञान हमें भी दीजिए जैसे आप जैसा सहज-सरल लिख पाऊँ।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71786829909308099132007-08-29T11:20:00.000+05:302007-08-29T11:20:00.000+05:30आज आपने मधेशिया का राज़ खोल दिया.. मेरा एक मित्र...आज आपने मधेशिया का राज़ खोल दिया.. मेरा एक मित्र है.. जब हॉस्टल में साथ थे तो उसे भी नहीं पता था कि क्या है.. सब उसे मध्येशिया बुलाते थे.. <BR/>बाकी सही देख रहे हैं बदलाव को..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-46792504263971912492007-08-29T08:54:00.000+05:302007-08-29T08:54:00.000+05:30भारत एक साथ कई युगों में है जी। आप देखें, किसानों ...भारत एक साथ कई युगों में है जी। आप देखें, किसानों के हल की डिजाइन लगभग वैसी ही है, जैसी मुगलकालीन तस्वीरों में मिलती है। इधर आपका कंप्यूटर विंडोज 98 से हटकर अब विस्टा के लपेटे में है। <BR/>इधर दिल्ली से सौ किलोमीटर दूर के इलाकों में पंचायतें प्रेमी जोड़ों को जिस अंदाज में मारती हैं, वैसा अंदाज मौर्यकालीन है या गुलामवंश कालीन, पता नहीं। <BR/>पर महानगर तो कुछ-कुछ मलेशियाई हो रहे रहे हैं,या अमेरिकन भी हो रहे हैं। <BR/>सरजी अपनी थ्योरी यह है कि मुल्क का करीब पांच प्रतिशत -अमेरिका सा है। <BR/>करीब बीस प्रतिशत मलेशिया टाइप मंझोले लेवल का विकसित है<BR/>बाकी 75 प्रतिशत युगांडा, सोमालिया जैसा कुछ है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26295461080130623952007-08-29T07:24:00.000+05:302007-08-29T07:24:00.000+05:30अमेरिकी मलेशियायी गठबंधन के साथ-साथ अपने यहां अभी ...अमेरिकी मलेशियायी गठबंधन के साथ-साथ अपने यहां अभी भी विजातीय शादियों पर फ़ांसियां हो जाती हैं, गरदनें कट जाती हैं। सगोत्रीय पति-पत्नी भाई-बहन में बदल दिये जाते हैं। जमाना बदल रहा है , रेंज बढ़ रही है। सब माल है अपने यहां! आपको जौन सा पसंद हो, क्षमता के हिसाब से ले लें। इंटरनेट के बारे में अभी दफ़्तरों में कूपमंडूकता है। समय लगेगा कुआं पटते-पटते। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75658627435432540162007-08-29T07:19:00.000+05:302007-08-29T07:19:00.000+05:30जैसे मलेशिया, मधेशिया हो! बहुत सुन्दर!--इसे सामान्...जैसे मलेशिया, मधेशिया हो! <BR/><BR/>बहुत सुन्दर!<BR/><BR/>--इसे सामान्य ही मानें क्यूँकि इस समय तो यह भी गुजरे जमाने की बात है...सच में समय तेजी से बदल रहा है. हम आप अगर पेस नहीं रख पाये तो हमारी गल्ती है समय की नहीं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com