tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5033981945326131745..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: श्रीलाल शुक्ल जी की यादGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62377553914243777342010-05-14T00:14:47.396+05:302010-05-14T00:14:47.396+05:30ऎसे कोलेज से तो नही पढा लेकिन राग दरबारी आधी अधूरी...ऎसे कोलेज से तो नही पढा लेकिन राग दरबारी आधी अधूरी पढी है.. फ़िर से ठीक से पढता हू उसे..<br /><br />और बाकी दोनो लिन्क्स पर जाता हू..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80208155472140045152007-08-31T12:05:00.000+05:302007-08-31T12:05:00.000+05:30आय हय शिरीष जी के भोले पण के सदके , पूछते हैं की र...आय हय शिरीष जी के भोले पण के सदके , पूछते हैं की रागदरबारी मैं ऐसा क्या है? अब क्या कहें उनको, एक शेर अपनी आदत के अनुसार सुना देते हैं :<BR/><BR/>"लुत्फे मय तुझसे क्या कहूँ जाहिद <BR/> हाय कमबख्त तूने पी ही नही " <BR/><BR/>रागदरबारी एक उपन्यास ही नही है हमारे देश की संस्कृति का दस्तावेज है . इसका तो सामुहिक पाठन होना चाहिए <BR/><BR/>नीरजUnknownhttps://www.blogger.com/profile/18097499466532888478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18209636849637331732007-08-12T10:25:00.000+05:302007-08-12T10:25:00.000+05:30ये रागदरबारी में ऎसा क्या है, सब उसी के गुण गाते ...ये रागदरबारी में ऎसा क्या है, सब उसी के गुण गाते रहते हैं। वैसे हिन्दी ब्लॉगजगत में ये संक्रमण फैलाने का श्रेय फुरसतिया जी को जाता है। :)ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44300770478124895682007-08-10T21:14:00.000+05:302007-08-10T21:14:00.000+05:30देर से आया इस पोस्ट पर । आइडिया अच्छा है । हम कु...देर से आया इस पोस्ट पर । आइडिया अच्छा है । हम कुछ पेज छापने के लिए तैयार हैं, अगर सब लोग मिलकर छापें तो काम बन सकता है । कहिए और कौन कौन तैयार है ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29847067859077107462007-08-10T19:07:00.000+05:302007-08-10T19:07:00.000+05:30राग दरबारी तो जितनी बार पढ़ो उतनी बार नया. अभी कुछ ...राग दरबारी तो जितनी बार पढ़ो उतनी बार नया. अभी कुछ समय पूर्व उसके कुछ अध्याय नेट के लिये टंकित कर रहा था तब भी एक अलग अनुभूति. सेंट स्टिफनस या ऐसी जगहों से पढ़े बालकों को एक ढंग के उपन्यास की जरुरत होगी, यह सही है. शायद चाय की दुकान की जगह कॉफी शाप…मगर वो खुशबू कैसे उठेगी. पता नहीं .Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5975711053803850082007-08-10T16:54:00.000+05:302007-08-10T16:54:00.000+05:30राग दरबारी पर जितना कहा जाये, उतना कम है। पहली बार...राग दरबारी पर जितना कहा जाये, उतना कम है। पहली बार यह तब हाथ लगा था, जब मैं बीकाम प्रथम वर्ष में था, 1983 में। उपन्यास मिला, और पूरी रात बैठकर पढ़ता गया। तब से अब तक पढ़ ही रहा हूं। कितनी बार पढ़ा है, अब तो याद भी नहीं है। ऐसे उपन्यास लिखे नहीं जाते, होते हैं, या कहें कि उतरते हैं। बल्कि अब तो अपने अध्यापन में मैं यह उपन्यास पत्रकारिता, अर्थशास्त्र के हर बच्चे को पढाता हूं। यह बताते हुए कि राजनीति और अर्थशास्त्र की सौ किताबें भी आजाद भारत के असली पेंच-पैंतरे नहीं बता पायेंगी, यह अकेली किताब ही यह काम कर सकती है। <BR/>बस एक पेंच यह है कि राग दरबारी श्रीलाल शुक्लजी के लिए कुछ यूं है जैसे कि कोई बल्लेबाज एक साथ एक ही ईनिंग में पंद्रह बीस सेंचुरी ठोंक दे। और उसके बाद की ईनिंगों में वह अगर पांच-सात सेंचुरी भी ठोंके, तो लोग कहते हैं कि वो वाली बात नहीं जो, उस ईनिंग में थी। राग दरबारी के बाद श्रीलाल शुक्लजी वैसी ईनिंग नहीं कर पाये। पर इससे ना राग दरबारी के वजन पर कुछ असर पड़ता है ना श्रीलाल शुक्लजी के वजन पर।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-37081483985020119702007-08-10T13:35:00.000+05:302007-08-10T13:35:00.000+05:30'राग दरबारी' की तरंग को तो कोई 'गंजहा' ही समझ सकेग...'राग दरबारी' की तरंग को तो कोई 'गंजहा' ही समझ सकेगा .सेंट स्टीफ़न वाला क्या समझेगा . अगर वह हिंदुस्तान -- वह भी उत्तर भारत -- के क्स्बाई जीवन के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ है तो वह किसी और तरंग दैर्घ्य पर है और 'राग दरबारी'उसको उस तरह 'अपील' नहीं करेगा जैसे वह हमको और आपको करता है .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71779504800784470742007-08-10T11:44:00.000+05:302007-08-10T11:44:00.000+05:30ह्म्म आईडिया तो गज़ब का है दद्दा!!फ़ुरसतिया जी और अज़...ह्म्म आईडिया तो गज़ब का है दद्दा!!<BR/>फ़ुरसतिया जी और अज़दक साहब सुन रहे हो का))))<BR/>इ देखो ज्ञान दद्दा आप दोनो को एक नया काम अलॉट कर रहे हैं!!<BR/>ना ना पुराणिक जी, ये काम आपको अलॉट नही न किया जा रहा है भई!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82170737753210703132007-08-10T11:03:00.000+05:302007-08-10T11:03:00.000+05:30अब तो श्रीलाल शुक्ल के रचनाओं को फिर से स्म्रति ...अब तो श्रीलाल शुक्ल के रचनाओं को फिर से स्म्रति में लाना ही होगा, आज ही धूल झाडते हैं अपनी पुरानी अलमारी के किताबों पर से तबहिन तो कुछ टिपिया पायेंगे ना, बहुतै हो गया मंतर संतर अब रागदरबारी गाना ही पडेंगा ।<BR/><BR/>धन्यवाद पाण्डेय जी ।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.com