tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post5032617239851251218..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: हिन्दी और अंग्रेजी में ३० गुणा का अंतरGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60514957687307985962008-01-28T21:48:00.000+05:302008-01-28T21:48:00.000+05:30कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनमसौरभकर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनम<BR/><BR/>सौरभस https://www.blogger.com/profile/03027465386856609299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-57409346349559208132008-01-28T16:42:00.000+05:302008-01-28T16:42:00.000+05:30बहुत बढिया विश्लेषण.बहुत बढिया विश्लेषण.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-67721636518695118492008-01-28T14:56:00.000+05:302008-01-28T14:56:00.000+05:30ह्म्म वाकई एक पोस्ट में आपने कितने मुद्दे समेट लिए...ह्म्म वाकई एक पोस्ट में आपने कितने मुद्दे समेट लिए!!<BR/><BR/>बात अंग्रेजी की हो या हिंदी ब्लॉग्स की, आवश्यक ही है कि पोस्टें धरातल पर हो और पठनीय हो!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-33228332278092253222008-01-28T13:03:00.000+05:302008-01-28T13:03:00.000+05:30आपसे सहमत हूँ। कुछ राज भी खोलना चाहूंगा। मै देश भर...आपसे सहमत हूँ। कुछ राज भी खोलना चाहूंगा। मै देश भर की 18 से अधिक कृषि पत्र-पत्रिकाओ मे पिछले दस वर्षो से नियमित लिख रहा हूँ। मै जब लेख लिखता हूँ तो उन्हे भेजने के साथ ही ब्लाग पर भी डाल देता हूँ। इससे यह लाभ हुआ कि दस से अधिक नयी पत्रिकाओ ने अच्छे मानदेय के साथ अपनी पत्रिका मे लिखने का आमंत्रण दिया। बहुत मुफ्त वाले अभी कतार मे है। किसानो के लिये ब्लाग से नयी पीढी के वे किसान सम्पर्क करने लगे जो जडी-बूटियो के लिये इंटरनेट का सहारा लेते है। इसी ब्लाग के कारण मै पिछले कई महिने से देश भर की यात्रा कर रहा हूँ वह भी हवाई जहाज से। गूगल ने एक नया मंच दे दिया है। यदि वह इसके एवज मे कुछ माँगे तो वह भी देने को तैयार हूँ। इसेलिये पाठक की संख्या से अधिक इफेक्टिव पाठक मेरे लिये जरूरी है। चाहे वह एक ही क्यो न हो। इस सन्देश से उन लोगो को भी जवाब मिल रहा होगा जो पूछ्ते रहते है कि क्या ब्लागिंग से पैसे कमाये जा सकते है?Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-76738547721552727982008-01-28T10:49:00.000+05:302008-01-28T10:49:00.000+05:30जहां तक मुझे पता है, आप मेरे ब्लौग पर अक्टूबर से ल...जहां तक मुझे पता है, आप मेरे ब्लौग पर अक्टूबर से लगातार आ रहें हैं.. उस समय मेरे ब्लौग पर आने वालों कि संख्या बहुत कम थी.. और अगर पिछले 2 माह कि बात करें तो मुझे तो यही लगता है की मेरे ब्लौग पर आने वालों कि संख्या एक्सपोनेनसियल ही बढ रही है..<BR/>नवंबर तक मुझे कुल 1500 पाठक मिले थे.. और पिछले दो माह में लगभग 3000 से ज्यादा..<BR/><BR/>वैसे आपका कहना बहुत सही है.. मेरा एक मित्र जो अंग्रेजी में ब्लौग लिखता है वो महीने में शायद एक-दो पोस्ट से अधिक कुछ भी पोस्ट नहीं करता है.. पर उसके ब्लौग के रेपो के चलते उसे प्रतिदिन औसत 250 पाठक मिलते हैं.. मेरे ब्लौग लिखने के पीछे उसी का हाथ है.. मुझे उसी ने उत्साहित किया था ब्लौग लिखने के लिये.. उसके ब्लौग का पता है -<BR/>http:/fundubytes.blogspot.com/<BR/><BR/>वो आजकल कारपोरेट ब्लौगिंग करता है (मतलब वो दूसरों के लिये ब्लौग लिखता है पैसे लेकर) और उसी से जीवन यापन कर रहा है..<BR/><BR/>उसके कारपोरेट ब्लौगिंग वाले ब्लौग का पता है -<BR/>http://www.watconsult.com/PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35299389494078667132008-01-28T10:30:00.000+05:302008-01-28T10:30:00.000+05:30धीरे धीरे सब होगाजी। प्रेम, शेयर और ब्लागिंग में उ...धीरे धीरे सब होगाजी। <BR/>प्रेम, शेयर और ब्लागिंग में उपलब्धियां धैर्य च संयम की मांग करती हैं। <BR/>श्रीलाल शुक्लजी तो बरसों से भारत रत्न हैं, हम जैसे पाठकों के लिए। पद्मभूषण, विभूषण जैसे पुरस्कार छोटे हैं उनके लिए। <BR/>एक ही पोस्ट में मैडम क्यूरी, श्रीलाल शुक्ल, वाह मनी, गैट रिच स्लोली0<BR/>सरजी खिचड़ी तो आप ब्लागिंग में भी पकाने लग रहे हैं। <BR/>पर धांसू च फांसू खिचड़ी है। पकाये रहिये।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-79597272254324937452008-01-28T10:04:00.000+05:302008-01-28T10:04:00.000+05:30आपका ख़्याल बिल्कुल वाजिब है कि पोस्टें धरातल पर ह...आपका ख़्याल बिल्कुल वाजिब है कि पोस्टें धरातल पर हों और पठनीय हों।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54051133189814240262008-01-28T09:56:00.000+05:302008-01-28T09:56:00.000+05:30अंग्रेजी में भयंकर चिरकुटई चलती है। अंग्रेजी और हि...अंग्रेजी में भयंकर चिरकुटई चलती है। अंग्रेजी और हिंदी के पाठकों में बहुत अंतर है। लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग की संभावनाएं व्यापक हैं।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-37719948660538860412008-01-28T09:33:00.000+05:302008-01-28T09:33:00.000+05:30"शुक्ला" के स्थान पर शुक्ल लेख अच्छा लगा, आशा है भ..."शुक्ला" के स्थान पर शुक्ल लेख अच्छा लगा, आशा है भूल वश नहीं हुआ है. :)<BR/><BR/>आपने बहुत सही लिखा है. हिन्दी वालो को गुणवत्ता पर ध्यान देते रहना है और आरोपो के भय से वास्तविक लेखन को प्रभावित नहीं होने देना है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12471693926381022982008-01-28T07:36:00.000+05:302008-01-28T07:36:00.000+05:30विचार उत्तम है। मैडम क्यूरी का भी और आपका भी।विचार उत्तम है। मैडम क्यूरी का भी और आपका भी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com