tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post4181988316363642180..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: लिबरेशनम् देहि माम!Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger48125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6327028532217471242011-04-10T00:12:14.932+05:302011-04-10T00:12:14.932+05:30@ श्री सतीश सक्सेना - जी नहीं। स्वार्थी, फटीचर और ...@ श्री सतीश सक्सेना - जी नहीं। स्वार्थी, फटीचर और अंविश्वासी/अंधविश्वास फैलाने वाला जीव भी उतना ही हिन्दू है जितने हम और आप।<br><br>मैं केवल उदग्र हिन्दुत्व की बात करने वालों से कहना चाहता हूं कि असली एजेण्डा हिन्दुत्व को रिज्यूविनेट करने में है।<br><br>अपने आप पर व्यंग कर लेना हिन्दू धर्म की खासियत है तो अपने को रिज्यूविनेट करना भी खासियत है।<br><br>मन्दिरों को शुद्ध करें, परिवेश को शुद्ध करें, नदियों को साफ करें - यह जरूरी है! और यह सब धर्म का काम है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91160948342825446272011-04-10T00:12:12.645+05:302011-04-10T00:12:12.645+05:30हिंदू समाज की रुढ़ियों और कुरीतियों पर स्वामी दयानन...हिंदू समाज की रुढ़ियों और कुरीतियों पर स्वामी दयानन्द सरस्वती अपनी तरह से करारा प्रहार कर गये. यही हिंदू धर्म की विशेषता है, हर किसी को खुद अपने धर्म की बारीकी से पड़ताल करने की अनुमति देता है, और मन में आए तो आलोचना की भी. यही उदात्ता उसे एक अलग स्थान देती है.<br><br>इस्लाम के साथ सबसे बड़ी परेशानी यही रही कि वहां धार्मिक कट्टरता के चलते बदलते समय के साथ स्वयं पर आवश्यक दृष्टिपात करने की अनुमति नहीं है. बहता हुआ जल शुद्ध रहता है और बंद तालाब का पानी सड़ जाता है.<br><br>ईसाइयत का इतिहास तो इस्लाम से भी कई गुना अधिक असहिष्णुता का है. मीडियावल टाइम्स की बात करें तो ईसाइयत के सापेक्ष, इस्लाम जैसा कट्टरपन भी बहुत मॉडेस्ट नजर आता है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22193816878135584692011-04-10T00:12:11.708+05:302011-04-10T00:12:11.708+05:30सब लोग इतना कह दिए हैं अब मैं क्या कहूँ?वैसे आप मू...सब लोग इतना कह दिए हैं अब मैं क्या कहूँ?<br>वैसे आप मूर्ति में श्रद्धा रखने वाले प्रतीत होते हैं।<br>पत्थर के नन्दी बाहर हों तो आप को कष्ट होता है, आदमी को रात को छाँव मिल जाय तो ऑबजेक्शन !<br>नॉट सस्टेंड मी लॉर्ड !!<br><br>मन्दिर बकरी को आहार दे रहा है और कुतुक नरायन को शरण ! गद्गगद होइए चचा, है किसी और धर्म के पूजा स्थल में ऐसा खुलापन और करुणा ?<br><br>शंकर समाज में सबके लिए जगह है - चींटी, धौरी गैया, कउआ मामा, नाग देवता... बस आदमी के लिए थोड़ी तंगी थी वह भी धीरे धीरे दूर हो रही है। ...Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20652509369604464012010-10-18T06:20:00.075+05:302010-10-18T06:20:00.075+05:30गज़ब की चर्चा रही। हमारे आधे पाप तो इस चर्चा को पढ...गज़ब की चर्चा रही। हमारे आधे पाप तो इस चर्चा को पढकर ही धुल गये होंगे (ईश्वर कृपालु है) सतीश पंचम के सुझाव "पकल्ले बे बकरी" पर खूब हंसी आयी। दुहराव का खतरा लेते हुए मैं भी यही कहूंगा कि सच्चे मन्दिर वही हैं जो सभी प्राणियों के मन में अभय भावना जगा सकें। इस नाते कामाख्या के मन्दिर के मुकाबले मैं बमनपुरी की गौशाला को अधिक पवित्र समझता हूँ।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44077492717967661512009-10-09T23:37:38.199+05:302009-10-09T23:37:38.199+05:30inspite of all this, what is the inner strength th...inspite of all this, what is the inner strength that has perpetuated HINDUISM for more then 5,000 yrs ? <br />that remains an unsloved Riddle :)लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14193684860971322282009-10-06T06:00:46.752+05:302009-10-06T06:00:46.752+05:30प्स्तक विमोचन एवं पुत्र एवं पुत्रवधु के स्वागत में...प्स्तक विमोचन एवं पुत्र एवं पुत्रवधु के स्वागत में व्यस्त हैं, अतः ज्ञानखूंटी दिमाग में गड़ा नहीं पा रहे हैं. अभी क्षमा मांग कर काम चला लेता हूँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43370043480348661102009-10-06T02:55:55.739+05:302009-10-06T02:55:55.739+05:30सनातन धर्म मैं ही ऐसी आजादी है की हम आप इतनी सहजता...सनातन धर्म मैं ही ऐसी आजादी है की हम आप इतनी सहजता से इस समस्या पे चर्चा कर रहे हैं | इधर उधर जा के देखिये कहीं थोडा टेढा सवाल पुचा नहीं की साड़ी आँखें आपकी और प्रश्न भरी द्रिस्टी से देखेगा ... कौन है ये ऐसा पूछने वाला हमारे धर्म का तो नहीं हो सकता | <br /><br />जो भी हो बढिया विवेचन किया है आपने |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-51785246325937300142009-10-05T23:08:00.019+05:302009-10-05T23:08:00.019+05:30मंदिर/मूर्तिपूजा में भरोसे पर मैं थोडा कंफ्यूज रहत...मंदिर/मूर्तिपूजा में भरोसे पर मैं थोडा कंफ्यूज रहता हूँ, जब भी किसी मंदिर में गया ऑब्जर्वर की तरह... अक्सर प्रणाम करना भी भूल जाता हूँ. कई बार थोडी स्पिरिचुअल फीलिंग सी भी हो जाती है... शायद माहौल का असर. पर जो भी हो अपने आपको एक अच्छा हिन्दू समझने में कभी शंका भी नहीं करता. यही तो खासियत है जैसी भी विचारधारा हो आपके लिए जगह है इस धर्म में. थोडी सफाई और लूट मार वाली बात खटकती है बस. बाकि शायद तीसरी बार आपके ब्लॉग पर टिपिया रहा हूँ कि धर्म में विश्वास आधे से ज्यादा हिन्दुस्तान को जिन्दा रखे हुए है... बिना डिप्रेशन के.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-72454834112049070802009-10-05T11:55:57.615+05:302009-10-05T11:55:57.615+05:30भैय्या आप तो लिबरेटेड हैं तभी न हमारे धर्म के आत्म...भैय्या आप तो लिबरेटेड हैं तभी न हमारे धर्म के आत्मा की आवाज़ सुन पा रहे हैं. अति सुन्दर. आभार,P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77726007237156548572009-10-05T11:25:26.646+05:302009-10-05T11:25:26.646+05:30एक दयानन्द हम सब में बैठा है.
ऐसी आजादी और कहाँ?...एक दयानन्द हम सब में बैठा है. <br /><br />ऐसी आजादी और कहाँ?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-89034197270504544842009-10-05T10:33:05.438+05:302009-10-05T10:33:05.438+05:30गिरिजेश जी से सहमत अलग से कुछ कहने की जरुरत नही सम...गिरिजेश जी से सहमत अलग से कुछ कहने की जरुरत नही समझ रही.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52513863205140617662009-10-05T08:26:40.791+05:302009-10-05T08:26:40.791+05:30यह हमारी सहिष्णुता है या विडम्बना ...
अंतर्द्वंद ह...यह हमारी सहिष्णुता है या विडम्बना ...<br />अंतर्द्वंद है ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-8358730953599128372009-10-05T06:40:30.052+05:302009-10-05T06:40:30.052+05:30दुबारा बांच लिये नयी टिप्पणियों सहित।
सतीश पंचम ज...दुबारा बांच लिये नयी टिप्पणियों सहित।<br /><br />सतीश पंचम जी का सुझाव धांसू है-इस पोस्ट का नाम - पकल्ले बे बकरी(बकरिया) ऱखा जा सकता था :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63308038685013923892009-10-05T05:57:41.156+05:302009-10-05T05:57:41.156+05:30Ek Hindu dharm hee hai jo hamen punarjanm ke roop ...Ek Hindu dharm hee hai jo hamen punarjanm ke roop me bar bar mauka deta hai bhoolon ko sudhar kar pap mukt aur is sansar se mukt hone ka.Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81990883884864032252009-10-05T02:30:02.400+05:302009-10-05T02:30:02.400+05:30हम तो हर जीव में ईश्वर का अंश देखते हैं... इसी लिए...हम तो हर जीव में ईश्वर का अंश देखते हैं... इसी लिए श्वान और बकरी भी देवस्थल पर आमंत्रित है ...<br /><br />वैसे उचित और विचारणीय लेख.... साधू!!Sudhir (सुधीर)https://www.blogger.com/profile/13164970698292132764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63900409475553423852009-10-05T00:39:42.272+05:302009-10-05T00:39:42.272+05:30अहा...
एक नूर ते सब जग उपज्या कौन भले कौन मंदे।
...अहा...<br /><br /><b>एक नूर ते सब जग उपज्या कौन भले कौन मंदे।</b><br /><br />ईश्वर के हृदय में जब समस्त जीवों के लिये जगह हो सकत है तो ई मंदिर मां क्यों नाहीं।<br /><br />गिरिजेश जी और पंचम जी ने मूँह की बात ऐसे छीन ली जैसे कुत्ते के मुँह से हड्डी। अगली बार जल्दी टिपियाने का प्रयत्न करेंगे..कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)https://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2273637577657604452009-10-04T23:30:28.278+05:302009-10-04T23:30:28.278+05:30अपने चारों ओर दृ्ष्टि डाली जाए तो हर तरफ बस यही कु...अपने चारों ओर दृ्ष्टि डाली जाए तो हर तरफ बस यही कुछ दिखाई देता है। ये सब देख सुनकर तो अब लगने लगा है कि वास्तव में धर्म की हालत किसी कूडे कचरे से अधिक नहीं रही । सडक किनारे चार ईंटे खडी करके झंडा गाड दिया या किसी पत्थर को सिन्दूर लगा के रख दिया तो समझो धर्म हो गया । किसी नदी में डुबकी लगा ली, दो चार चक्कर पीपल या बड के लगा लिए तो समझिए धर्म हो गया । व्रत के नाम पर एक दिन भूखा रह लिए(कहने को) बाद में फिर हर रोज तरह तरह के तर माल उडाते रहे तो मानो धर्म हो गया । माथे पर चन्दन से साढे ग्यारह नम्बर का साईन बोर्ड लगा लिया तो समझिए धर्म हो गया । :)<br />ऊपर वरूण कुमार जी ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि "शायद बहुत जन्मो के पुण्य को मिलाकर इस जन्म में हिन्दू होने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है" । यहाँ मैं उनसे एक बात कहना चाहूँगा कि यदि यही सब देखने करने के लिए हमने हिन्दू धर्म में जन्म लिया है तो फिर ये जरूर हमारे पुण्य नहीं बल्कि पापों का फल है । <br />लोग भी पता नहीं किस भ्रम में जिए जा रहे हैं कि इसी को हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता मानने में लगे हुए हैं । लेकिन कोई ये समझने को तैयार ही नहीं कि धर्म वास्तव में है क्या ?Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70808440150450405482009-10-04T23:08:47.960+05:302009-10-04T23:08:47.960+05:30दैनिक और सामान्य सी लगने वाली चीज़ों में इतना गूढ़-ग...दैनिक और सामान्य सी लगने वाली चीज़ों में इतना गूढ़-गंभीर चिंतन! पोल-खोलू - यह असली 'मानसिक हलचल' है. <br />वैसे यह कहना छोटे मुंह बड़ी बात होगी - मगर फिर भी बहुत अच्छा लिखा है.<br /><br />सौरभस https://www.blogger.com/profile/03027465386856609299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55233304993810540352009-10-04T22:03:09.616+05:302009-10-04T22:03:09.616+05:30har jeev main narayan hain....
...yahi to adweetv...har jeev main narayan hain....<br /><br />...yahi to adweetvaad hai !!<br /><br /><br />...shwan liberation aur gauw liberation bhi to isi param satya ka udharan hain...<br /><br /><br />...is liberation se derived hamara frustration jayaz nahi !!<br /><br />are ye jaam kyun laga hai ?<br />kya kaha gau mata road cross kar rahi hain?<br /><br /><br />Main apne shabd waapis leta hoon.(frustration jayaz nahi !!waale)दर्पण साहhttps://www.blogger.com/profile/14814812908956777870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10791545695945187272009-10-04T21:48:13.263+05:302009-10-04T21:48:13.263+05:30साष्टांग दण्डवत कर रहा हूं गुरूदेव्।साष्टांग दण्डवत कर रहा हूं गुरूदेव्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69496402551541563882009-10-04T19:51:13.339+05:302009-10-04T19:51:13.339+05:30सब लोग इतना कह दिए हैं अब मैं क्या कहूँ?
वैसे आप म...सब लोग इतना कह दिए हैं अब मैं क्या कहूँ?<br />वैसे आप मूर्ति में श्रद्धा रखने वाले प्रतीत होते हैं।<br />पत्थर के नन्दी बाहर हों तो आप को कष्ट होता है, आदमी को रात को छाँव मिल जाय तो ऑबजेक्शन !<br />नॉट सस्टेंड मी लॉर्ड !!<br /><br />मन्दिर बकरी को आहार दे रहा है और कुतुक नरायन को शरण ! गद्गगद होइए चचा, है किसी और धर्म के पूजा स्थल में ऐसा खुलापन और करुणा ?<br /><br />शंकर समाज में सबके लिए जगह है - चींटी, धौरी गैया, कउआ मामा, नाग देवता... बस आदमी के लिए थोड़ी तंगी थी वह भी धीरे धीरे दूर हो रही है। ...गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6095403318384049342009-10-04T19:13:55.870+05:302009-10-04T19:13:55.870+05:30इतने गम्भीर, महत्वपूर्ण विषय पर आप ने 'खेल खेल...इतने गम्भीर, महत्वपूर्ण विषय पर आप ने 'खेल खेल में' ऐसा हंसते, गुदगुदाते लिख डाला जो मन को छू गया. मैं मन से स्वीकार करता हूँ कि आप ज्ञानी नहीं परम ज्ञानी हैं. लेकिन बन्धु, आप पर नास्तिक, हिंदुत्व विरोधी होने का ठप्पा आज नहीं तो कल लगेगा ही. वर्षों तक गौतम बुद्ध को हिंदुत्व विरोधी कहने के बाद हमने उन्हें अवतार माना, आप की बातें भी मानी जायेंगी लेकिन एक आध सदी गुजर जाने के बाद.<br />सवा अरब की आबादी में यदि मन्दिरों की गणना की जाये तो सम्भवतः २-५ परिवारों के हिस्से में एक मन्दिर आ जाये. इसके बाद, पर्व-त्योहारों पर, गली-मुहल्लों में तम्बू मन्दिरों की गिनती ही नहीं. क्या हम वास्तव में इतने धार्मिक हो गये हैं?<br />मैं पहली बार आपके ब्लॉग तक पहुंचा हूँ. लगता है अब बार बार आना पड़ेगा. शर्त है, तेवर न बदल जाएँ.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10723380652769021442009-10-04T19:02:27.732+05:302009-10-04T19:02:27.732+05:30बहुत सुंदर, मै अपनी तरफ़ से कुछ नही लिखूगां, क्योकि...बहुत सुंदर, मै अपनी तरफ़ से कुछ नही लिखूगां, क्योकि मै कभी जाता ही नही मंदिर मै.... ओर भगवान कहां है, यह मुझे पता है.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83381569325960335452009-10-04T18:40:23.483+05:302009-10-04T18:40:23.483+05:30सरजी हमारा धर्म और हमारी धार्मिक विचारधारा बहुत ह...सरजी हमारा धर्म और हमारी धार्मिक विचारधारा बहुत ही सहनशील है जो सब कुछ झेलने में सक्षम है ......समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53130984427781007192009-10-04T18:00:01.057+05:302009-10-04T18:00:01.057+05:30मेरे लिये धर्म जीने की एक कला है और मा - पिता जी स...मेरे लिये धर्म जीने की एक कला है और मा - पिता जी से दिये हुए कुछ उसूल...<br /><br />गणपति विसर्जन के नाम पर हम प्लास्टर ओफ़ पेरिस की मूर्तिया समुद्र मे बहाते है जो पानी मे घुलती नही, बहती रहती है और पालूशन का प्रयाय बनती है...<br /><br /><b>"मन्दिरों को शुद्ध करें, परिवेश को शुद्ध करें, नदियों को साफ करें - यह जरूरी है! और यह सब धर्म का काम है।"</b><br /><br />एकदम सही है और ये भी धर्म कि किताबो मे समाहित होना चाहिये...Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.com