tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post4135710804538726844..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: सर्दी कम, सब्जी कमGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-33967337049401216512010-01-10T05:39:21.520+05:302010-01-10T05:39:21.520+05:30बेहतरीन शब्द-विन्यास...बेहतरीन शब्द-विन्यास...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3526345260705397232009-12-27T01:13:22.614+05:302009-12-27T01:13:22.614+05:30ठंड नहीं पड़ रही क्या इलाहाबाद में..?
आइये, छौ-सा...ठंड नहीं पड़ रही क्या इलाहाबाद में..?<br /><br />आइये, छौ-सात डिग्री सेल्सियस वहाँ से लेके, एक्स्चेंज करते हैं.. इत्ती रात को टिपियाते टिपियाते हाथ कठुआ गये हैं..<br /><br />बाई द वे.. हमें तो ये टिल्ल सी पोस्टें ही पसंद हैं.. रीजन- अब इसिये में आपने उपभोक्ता वाला कॉन्सेप्ट जड़ दिया.. हो गई छुट्टी अब सोचते रहो ।कार्तिकेय मिश्र (Kartikeya Mishra)https://www.blogger.com/profile/03965888144554423390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2315908771734351362009-12-26T19:25:20.003+05:302009-12-26T19:25:20.003+05:30You have just vindicated whatever I wrote about yo...You have just vindicated whatever I wrote about your blogs yesterday.<br /><br />Keep writing.<br /><br />Living on a river bank and that too the grand,dear and sacred Ganga is a privilege for which you must have done some Punya in your previous birth.<br /><br />The nearest river bank (Cauvery) is 70 kilometers away for me.<br />I have been there only four times and enjoyed the experience each time. <br /><br /><br />But I experience Cauvery everyday.<br />I don't need to go there.<br />It comes to me.<br />(Our tap water supply is from Cauvery)<br /><br />You don't need to go hunting with a net to entrap a subject to blog about.<br /><br />Subjects assail you from all sides pleading with you to be written about.<br /><br />Most of us don't give a second look to the environment around us.<br />You are able to discover what is invisible to most and also write about them in an appealing way.<br />Keep up the good work.<br />Regards<br /><br />G Vishwanath<br /><br />JP Nagar, BangaloreG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41354226907061448932009-12-26T16:52:42.382+05:302009-12-26T16:52:42.382+05:30"आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा..."आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा पड़े, गाड़ियां देर से चलें, पर इन किसानी करने वालों का भला तो हो। "<br />यह देश किसानों/मजदूरों का है। उनका भला होगा तो ही सबका भला होगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73733860299768758442009-12-26T13:19:22.789+05:302009-12-26T13:19:22.789+05:30सोच रहा हूं, आपके इस सर्दी के आह्वान पर हमारी जो य...सोच रहा हूं, आपके इस सर्दी के आह्वान पर हमारी जो यहां इधर कुल्फी जमेगी उसका क्या। लेकिन पटेल भाई और इन जैसे अन्य बंधुओं के लिये ये कुल्फी जमना भी स्वीकर है।<br /><br />"पोस्ट लिखी नहीं, गढ़ी जाती है"<br />- सचमुच।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83417477784173427862009-12-25T23:54:05.321+05:302009-12-25T23:54:05.321+05:30bahut hi umda post thoda vakt lga smjhne ke liye p...bahut hi umda post thoda vakt lga smjhne ke liye par hmesha pdhungi to shayd jaldi smjh aane lgega .<br />bahut bahut abhar.शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15744659358878652952009-12-25T23:17:40.267+05:302009-12-25T23:17:40.267+05:30देव !
यह 'उपभोक्ता' वाली बात पसंद आयी ..
य...देव !<br />यह 'उपभोक्ता' वाली बात पसंद आयी ..<br />यह शब्द अपने आपमें ब्लॉग-जगत <br />की सटीक समीक्षा भी है ..<br />लेकिन 'उपभोक्तवाद' से बचना भी <br />तो है ..<br />ऐसी पोस्टें अगर निहितार्थों के साथ ली जांय<br />तो बचा भी जा सकता है ..<br />......... आभार ,,,Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63354524171232055422009-12-25T22:22:48.263+05:302009-12-25T22:22:48.263+05:30"यह तो गंगा किनारे का हाल है। आम किसान का क्य..."यह तो गंगा किनारे का हाल है। आम किसान का क्या हाल है?"<br /><br />हमारे कृषी मंत्री कहते है कि आयात नहीं किया जाएगा। जनता को अगली फ़सल का इंतेज़ार करना होगा। अब पटेल हो या पटवारी, हाथ धरे बैठे रहना होगा।<br /><br />बडे़ दिन की बडी बधाई :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40462397629493245162009-12-25T20:48:37.115+05:302009-12-25T20:48:37.115+05:30शेक्सपियर की ट्रेजेडी बड़े लोगों की ट्रेजेडी होती ...शेक्सपियर की ट्रेजेडी बड़े लोगों की ट्रेजेडी होती थी इसीलिए वह बहुत मशहूर हो गईं. आम आदमी और उसकी बिसात बस इतनी ही रहती है बक़ौल 'बकरा क़िश्तों में' के 'गरीब की ज़िंदगी क्या है गड्ढे में पैदा हुए नाले में फ़ौत हो गए'...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18497667766452740262009-12-25T19:43:47.132+05:302009-12-25T19:43:47.132+05:30आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा पड़े,...आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा पड़े, गाड़ियां देर से चलें, पर इन किसानी करने वालों का भला तो हो।<br />हम भी यही दुआ करते हैं। <br />आपको बड़ादिन की हार्दिक शुभकामनाएं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47888391055094410292009-12-25T17:30:06.866+05:302009-12-25T17:30:06.866+05:30रंजना जी की टिप्पणी:
सचमुच....आपके सुर में सुर मि...<b><a href="http://samvednasansaar.blogspot.com/" rel="nofollow">रंजना जी</a> की टिप्पणी:</b><br /><br />सचमुच....आपके सुर में सुर मिला कहना ही पडेगा....<br /> <br />"आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा पड़े, गाड़ियां देर से चलें, पर इन किसानी करने वालों का भला तो हो। "<br /> <br />आप कहते हैं ऐसी पोस्टें...मैं मानती हूँ कि पढ़ते समय एक पल को भी पाठक के मन से उपरोक्त पंक्तियाँ दुआ और प्रार्थना बन कर निकले तो यह बेअसर नहीं जाएगा.....<br />'दुआओं में बहुत असर होता है...यह सिर्फ कहने की बात नहीं......Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18282805386389183172009-12-25T15:12:41.566+05:302009-12-25T15:12:41.566+05:30आप की नजरे किसी जाल से कम नही, गंगा के किनारे से ह...आप की नजरे किसी जाल से कम नही, गंगा के किनारे से ही आप ने कितनी पोस्ट निकाल ली, बहुत ही सुंदर लगा आज का लेख भी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35181417825305125772009-12-25T13:20:29.938+05:302009-12-25T13:20:29.938+05:30मँहगाई मार रही है और आप पैदावार को लेकर डरा रहें ह...मँहगाई मार रही है और आप पैदावार को लेकर डरा रहें हैं. हे भगवान! सर्दी बढ़ा....संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-33852279987469456912009-12-25T13:17:22.927+05:302009-12-25T13:17:22.927+05:30@ गिरिजेश राव -
उपभोक्ता शब्द का प्रयोग जानबूझ कर ...<b>@ गिरिजेश राव -</b><br /><b>उपभोक्ता</b> शब्द का प्रयोग जानबूझ कर इस लिये किया गया है कि <b>पाठक या लेखक</b> शब्द के प्रयोग ब्लॉग पोस्ट को लेखन/पठन का एक्स्टेंशन भर बना देते हैं, जो कि वास्तव में है नहीं।<br />पोस्ट <b>लिखी नहीं जाती, गढ़ी जाती</b> है। उसके पाठक नहीं होते। क्या होते हैं - उपभोक्ता नहीं होते तो?! असल में ग्रहण करने वाले होते हैं - यानी ग्राहक।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5515292938286458722009-12-25T11:58:13.567+05:302009-12-25T11:58:13.567+05:30और हां
हमें ऐसे टिल्ल विषय की पोस्टें पढना बहुत भ...और हां <br />हमें ऐसे टिल्ल विषय की पोस्टें पढना बहुत भाता है<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-87461342928592832302009-12-25T11:57:17.481+05:302009-12-25T11:57:17.481+05:30"आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा..."आओ सर्दी की देवी। जरा कस के आओ। भले ही कोहरा पड़े, गाड़ियां देर से चलें, पर इन किसानी करने वालों का भला तो हो।"<br />हम भी यही प्रार्थना करते हैं जी<br /><br />आपको भी क्रिसमस की शुभकामनायेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-56143654111670907492009-12-25T10:52:07.817+05:302009-12-25T10:52:07.817+05:30इस प्रकृति की हर वस्तु उपयोगी है । यदि मनुष्य के ल...इस प्रकृति की हर वस्तु उपयोगी है । यदि मनुष्य के लिये नहीं तो किसी कीटाणु के लिये उपयोगी होगी । किसी का कबाड़ किसी का जुगाड़ है । बात है उसको सही जगह में रखने की । तो कबाड़ी का कार्य किसी वस्तु की जहाँ आवश्यकता नहीं है वहाँ से उठाकर सही जगह पर पहुँचाना है । महान कार्य है । मस्तिष्क में रखा विचार यदि औरों के लिये लाभप्रद है और सबके सामने आना चाहिये तो कोई कबाड़ी कहे तो भी वह विषय ब्लॉग का हो सकता है ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-88281426319079033142009-12-25T10:22:01.305+05:302009-12-25T10:22:01.305+05:30घर से निकलते ही सडक पर तमाम पोस्टे बिखरी दिखती है ...घर से निकलते ही सडक पर तमाम पोस्टे बिखरी दिखती है मुझे .लेकिन उन्हे ब्लाग पर पहुचा नही पाता . क्योकि गुरु सानिध्य प्राप्त नही है . एकलब्य की भाति सीख रहा हूं . परन्तु एक भय है द्रोणाचार्य तो कई है लेकिन मेरे अंगूठे दो ही हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19999022823507928602009-12-25T09:53:45.012+05:302009-12-25T09:53:45.012+05:30@ भारत के किसी भी हिस्से में आधे वर्ग किलोमीटर के ...@ भारत के किसी भी हिस्से में आधे वर्ग किलोमीटर के इलाके पर बहुत कुछ बनाई जा सकती हैं ब्लॉग पोस्टें। पर उसमें कितनी बांध कर रखने की क्षमता है ब्लॉग उपभोक्ता की!<br />..वाह ! ऐसे ही हम थोड़े आप को चचा कहते हैं!हम उपभोक्ता हैं (उप+भोक्ता, भाऊ ! कहाँ हैं? समझाइए।) लेकिन उपभोक्तावादी नहीं। उइ! क्या स्टेटमेंट मारा है!!<br />__________________________-<br />@ सामान्य जिन्दगी में चुप्पे से आदमी के लिये ब्लॉगिंग अपने और अपने परिवेश को दिखाने का माध्यम है। और उसके लिये बहुत ज्यादा प्रतिभा या रचनात्मकता की जरूरत नहीं। उल्टे अगर आपमें प्रतिभा/रचनात्मकता ज्यादा है तो आप दिखायेंगे नहीं, रचने लगेंगे। उसमें यही सोनी-मनोरमा-अर्जुन पटेल ग्लैमराइज हो जायेंगे। वह ध्येय है ही नहीं। कतई नहीं!<br /><br />बहुत दिनों से इसी दुविधा में एक दो पोस्टों को मन की अंटी में गँठियाए पड़े थे - आम आदमी, बच्चा झेल रहा है और तुम 'लामर - जिन्दे को नोच उसके लहू से अपने लेख की स्याही बनाते' अपने पोस्ट की सोच रहे हो! ... आप ने दूर कर दी। पहले क्यों नहीं ये ज्ञान की बात किए? अब जो लिखूँगा तो 'वो: बात' न रहेगी। क्या चचा !!गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82229716609973735912009-12-25T09:24:49.436+05:302009-12-25T09:24:49.436+05:30अच्छी पोस्ट है, गंगा किनारे का ताप पता लगता रहता ह...अच्छी पोस्ट है, गंगा किनारे का ताप पता लगता रहता है। उस में जीवन किस तरह साँस ले रहा है यह भी। <br />क्रिसमस पर आप को भी शुभकामनाएँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90559687189205580372009-12-25T09:10:55.615+05:302009-12-25T09:10:55.615+05:30बड़ा दिन मुबारक। आलोक पुराणिक की टिप्पणी बहुत दिन ब...बड़ा दिन मुबारक। आलोक पुराणिक की टिप्पणी बहुत दिन बाद दिखी। पुरानी ही सही।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47396070700999438652009-12-25T09:00:30.987+05:302009-12-25T09:00:30.987+05:30@ क्या मैं जाल ले कर जाता हूं पोस्ट पकड़ने।
बात...<b>@ क्या मैं जाल ले कर जाता हूं पोस्ट पकड़ने। </b><br /><br /> बात तो सच है, हर चीज से पोस्ट बन सकती है। जाल लेकर पोस्ट पकडने की जहमत नहीं उठानी होगी..... हां ये अलग बात है कि कुछ बातें कह दी जाती हैं, कुछ मन में ही रख ली जाती हैं। <br /><br /> जो कह दी गईं वे पोस्ट बन गई, जो रख ली गईं वे इस आशा में ऱखी गईं कि इनका अचार बनेगा.....जितना पुराना होगा उतना चटखार बनेगा :) और कुछ बातें तो मुरौब्बतन मुरब्बा बनाने के लिये भी रख ली जाती हैं, ....लेकिन मुरब्बा है कि बेमुरब्बत हो जाता है और बातें अनकही ही रह जाती हैं :) <br /><br /> इसलिये चाहे किसी भी मुद्दे पर पोस्टें निकल सकती हैं, कह दी जानी चाहिये....अधिकतर हम सब जिदगी की जद्दो जहद में इतना डूबे रहते हैं कि इन सब बातों पर तवज्जो देना मुश्किल होता है। <br /><br />हां, कभी कभी मेरा मन भी मुझ पर फब्तीयां कसता है जब कभी ब्लॉगिंग के जरिये <b> बौद्धिक अय्याशीयों</b> को अंजाम देता हूं.....तब मन कहता है.....क्यूं भई...हाल तो ठीक है ? जाओ, राशन लाना है, फ्रिज खराब है उसे बनवाना है, मिक्सर भी खडखडा रहा है......चाय पत्ती खत्म होने को आई है......पानी आज कम आया है......और तुम हो कि बौद्धिक अय्याशीयों में डूबे हो......तब .....तब मैं सारी बातें रख लेता हूं कि इनका अचार बनाउंगा....मुरब्बा बनाउंगा......और ससुरी ब्लॉगिंग है कि मेरे मन से कहती है.....<b>मन रे....काहे न धीर धरे :)</b>सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-84404772613475874292009-12-25T08:59:31.797+05:302009-12-25T08:59:31.797+05:30सोच रहा था श्याम बेनेगल के बारे में तो याद आया कि ...सोच रहा था श्याम बेनेगल के बारे में तो याद आया कि मेरे इस प्रिय वृत्त चित्र निर्देशक की फीचर फ़िल्में भी दोक्युमेंत्री जैसी होती हैं. फिर सोचा अपने प्रिय ब्लॉग के बारे में तो वृत्तचित्र जैसे "मानसिक हलचल" का ही ख्याल आया. वृत्तचित्र है, कला फिल्म नहीं है, यही इसकी विशेषता है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5756422146134394902009-12-25T07:51:51.469+05:302009-12-25T07:51:51.469+05:30बड़े दिन पर मेरी शुभकामनायें...बड़े दिन पर मेरी शुभकामनायें...RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91603103109529575312009-12-25T07:31:34.785+05:302009-12-25T07:31:34.785+05:30ब्लॉग है तो स्वभावानुसार सब बात हो गई और जरुरी बात...ब्लॉग है तो स्वभावानुसार सब बात हो गई और जरुरी बात छूट गई...ाइसा ही होता है यहाँ मुद्दा भटकुउल में.. :)<br /><br /><br />बड़े दिन की मुबारकबाद!! इसी को न क्रिसमस कहे हैं हिन्दी में??? कहिये?Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com