tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post4072077134278302573..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: किराना की कीमतें और महंगाईGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28411919854024986072008-06-17T19:41:00.000+05:302008-06-17T19:41:00.000+05:30मंहगाई का बुरा हाल है.baaki kuch bacha to mahangaa...मंहगाई का बुरा हाल है.<BR/><BR/>baaki kuch bacha to <BR/>mahangaai maar gai .<BR/>chaar mahino me hi<BR/>sasuri 10 guna badh gai .<BR/><BR/>asal me chunaav aan vale hai or koi mahangaai ghatane ki baat hi nahi karega .<BR/>नियति है.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69212563515036207952008-06-17T18:54:00.000+05:302008-06-17T18:54:00.000+05:30भईयाजब ज़िंदगी की ऊखल में सर दे ही दिए हैं तो महंगा...भईया<BR/>जब ज़िंदगी की ऊखल में सर दे ही दिए हैं तो महंगाई की मूसल तो खानी ही पड़ेगी...अब चाहे रो के खाओ या हंस के खाओ...येही नियति है.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26963537375796030232008-06-17T18:36:00.000+05:302008-06-17T18:36:00.000+05:30अनूप भाई का कहना सही है ...शायद उन लोगों को दोनों ...अनूप भाई का कहना सही है ...शायद उन लोगों को दोनों वक्त दाहिना हाथ न उठे जो पाँच दस हजार पाते हैं......आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10295980200502536712008-06-17T16:53:00.000+05:302008-06-17T16:53:00.000+05:30जहा आपने खतम किया अगर वह से बात की शुरुआत की जाए त...जहा आपने खतम किया अगर वह से बात की शुरुआत की जाए तो यही कहूँगा कि महंगाई अप्रिय या अरुचिकर होते हुए भी आज कि एक जरुरी परिघटना है. इसमे केवल परी जैसा कुछ नही है बाकि सब कुछ है.... अफ़सोस इस बात का है कि जिनको इसका लाभ मिलना चाहिए उनको ना मिलकर जमाखोरों/कालाबाजारियों को मिलता आया है.... गरीब आज भी टुकुर टुकुर कि मुद्रा में बैठा हुआ ताक रहा हैRajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5368406402290809732008-06-17T12:55:00.000+05:302008-06-17T12:55:00.000+05:30हम ओर आप जैसे लोग तो फ़िर भी काम चलालेंगे सर जी ......हम ओर आप जैसे लोग तो फ़िर भी काम चलालेंगे सर जी ...पर कई लोगो की पीठ पर ये रोज सवार हो कर निकलती है......कंधे ओर झुक गए है .....आवाज ओर कमजोर हो गई है.....जमीर भी थोड़ा ओर नीचे आयेगा....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52339778562339195652008-06-17T12:25:00.000+05:302008-06-17T12:25:00.000+05:30@ जी विश्वनाथ - आपका अनुवाद - टॉम-डिक और हैरी; बिल...<B>@ जी विश्वनाथ </B>- आपका अनुवाद - <B>टॉम-डिक और हैरी</B>; बिल्कुल सटीक अनुवाद है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44891746469083316662008-06-17T12:24:00.000+05:302008-06-17T12:24:00.000+05:30मंहगाई की मार तो हर जगह पड़ी है, न्यूज़ में भी खूब ...मंहगाई की मार तो हर जगह पड़ी है, न्यूज़ में भी खूब छाया रहता है... टिपण्णीयों से पता चला की बाहर भी यही हाल है... <BR/><BR/>पर आपने अपनी <A HREF="http://www.blogger.com/profile/05293412290435900116" REL="nofollow">टिपण्णी</A> में ठीक ही कहा है अभी तक सीधा असर नहीं पड़ा है मुझ जैसे लोगों पर... अकेली जान का खर्च ही कितना... और घर से कोई ये बातें मुझसे डिस्कस ही नहीं करता... <BR/><BR/>कुछ लोग कहते हैं की मुझ जैसे लोगों ने ही महंगाई बढ़ा रखी है... हो सकता है अनजाने में ये गलती भी हो रही हो !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82626923424342624142008-06-17T11:44:00.000+05:302008-06-17T11:44:00.000+05:30महंगाई से तो सभी का हाल बेहाल है। पर वही बात इससे ...महंगाई से तो सभी का हाल बेहाल है। पर वही बात इससे निजात भी नही है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5655974415586090452008-06-17T11:28:00.000+05:302008-06-17T11:28:00.000+05:30दो साल से सोच रहा हूँ, बस अब रिटायर हो जाऊँ।इस महँ...दो साल से सोच रहा हूँ, बस अब रिटायर हो जाऊँ।<BR/>इस महँगाई को देखते हुए, यह रिटायर्मेंट का निर्णय स्थगित करते आया हूँ। पता नहीं कभी रिटायर कर सकूँगा या नहीं।<BR/><BR/>मेरे पास कम से कम एक छोटा सा चलता कारोबार है जिसे मैं घर बैठे ही चला रहा हूँ, और जिससे किसी तरह घर चलाने का खर्च तो कमा लेता हूँ। मेरे हमुम्र मित्रों जो अब रिटायर होकर घर बैठे हैं, पता नहीं कैसे अपना निर्वाह कर रहे हैं। एक जमाने में अपने बेटों पर निर्भर होना आम बात थी। आजकल यह विकल्प भी बहुतों को उपलब्ध नहीं है। <BR/>Quote<BR/>"ईर-बीर-फत्ते और हम" वाक्यांश बच्चन जी की प्रसिद्ध कविता से प्रेरित है<BR/>Unquote<BR/><BR/>पहले उसे समझ तो लूँ, आगे प्रेरणा के बारे में सोचेंगे!<BR/>शब्दकोश से: <BR/>ईर: वायु<BR/>बीर: brother, brave<BR/>फ़्त्ताह: जयी<BR/>क्या मतलब हुआ इन श्ब्दों के संगम का?<BR/>न चाहते हुए भी कभी कभी हिन्दी को समझने कि लिए अंग्रेज़ी का सहारा लेना पढ़ता है।<BR/>--------------------------------<BR/>ईर-बीर-फत्ते; सब लिख रहे हैं। <BR/>Every Tom Dick and Harry is writing.<BR/>------------------------------<BR/>क्या मेरा यह अनुवाद सही है?G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63374539059991740332008-06-17T11:27:00.000+05:302008-06-17T11:27:00.000+05:30बीस साल से 50 पैसे में फ़ोटोकापी कर रहे थे, मजबूरी ...बीस साल से 50 पैसे में फ़ोटोकापी कर रहे थे, मजबूरी में अब 1 रुपया किया है, लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं आया है, सबसे पहले कार वाला व्यक्ति ही भावताव करता है, और बाकियों ने फ़ोटोकापी करवाना कम कर दिया है, साथ में उधारी भी सहना पड़ती है… क्या करें समझ नहीं आ रहाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6326863225342536362008-06-17T11:01:00.000+05:302008-06-17T11:01:00.000+05:30जितना सामान 1200 में लाते थे, कल 2000 चुकाये :( प्...जितना सामान 1200 में लाते थे, कल 2000 चुकाये :( प्रतिशत निकालने की हिम्मत नहीं...संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2054532957478223422008-06-17T11:00:00.000+05:302008-06-17T11:00:00.000+05:30खाद्य पदार्थों की कीमतें इतनी अधिक हैं, फिर भी किस...खाद्य पदार्थों की कीमतें इतनी अधिक हैं, फिर भी किसान आत्महत्या कर रहा है। क्या आत्महत्या उसका पाखंड है या आप महंगाई का झूठा रोना रो रहे हैं। इस विरोधाभास को समझना जरूरी है। यह इस विरोधाभास का ही नतीजा है कि आप की जेब कट जाती है और किसान का अनाज लुट जाता है। जब जेबकटी होती है, लूट होता है, तो माल तो किसी के पास जाता ही है। किसके पास सारा माल जा रहा है, इसकी पहचान जरूरी है। <BR/><BR/>एक बात और, कीमतों में 20 फीसदी वृद्धि से आपको इतना कष्ट हो रहा है, तो उन किसानों की सोचिए जो 2000 फीसदी (जी हां, दो हजार, टाइपिंग मिस्टेक नहीं है) अधिक कीमत पर बीज खरीदते हैं।<BR/><BR/>इन बातों को समझने में ही हमारी, आपकी, देश और समाज की भलाई है। <BR/><BR/>एक अंतिम बात और, नक्सलवाद व आतंकवाद का बीज इस विरोधाभास में ही है।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78164592269553535452008-06-17T10:01:00.000+05:302008-06-17T10:01:00.000+05:30सही कहा है जी महंगाई को समझना भौत जरुरी है। पर समझ...सही कहा है जी महंगाई को समझना भौत जरुरी है। पर समझ कर क्या होगा। श्रीलाल जी भौत पहले राग दरबारी में लिख गये हैं समझदार की मौत है।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35817475552680636842008-06-17T09:44:00.000+05:302008-06-17T09:44:00.000+05:30द्विवेदी साहब से सहमत हू.. इस तरह के कई नज़ारे देख...द्विवेदी साहब से सहमत हू.. इस तरह के कई नज़ारे देख चुका हू.. महँगाई की मार का तो अब क्या कहा जाए.. कुछ पंक्तिया याद आ रही है.. कविवर के नाम में संशय है यदि आपको पता हो तो ज़रूर बताएगा- <BR/>" मेरा वेतन ऐसे रानी<BR/>जैसे गर्म तवे पर पानी.."कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29391552306750418322008-06-17T07:41:00.000+05:302008-06-17T07:41:00.000+05:30राजस्थान में न्यूनतम वेतन 100 रुपया है। पर मिलता न...राजस्थान में न्यूनतम वेतन 100 रुपया है। पर मिलता नहीं है। सफाई ठेकेदार 70 रुपए देता है। कैसे चलाते होंगे वे उन के घर। राजू और उस की बहनों का हाल मैं ने कल बताया ही था।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-79524048136105997272008-06-17T07:40:00.000+05:302008-06-17T07:40:00.000+05:30हां, एक बात और आटे के दाम में भी बेतहाशा वृद्धि हु...हां, एक बात और आटे के दाम में भी बेतहाशा वृद्धि हुयी है लेकिन जब रोटी बनानी नहीं तो चिन्ता क्यों करें :-)Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80836463632952933202008-06-17T07:39:00.000+05:302008-06-17T07:39:00.000+05:30मंहगाई तो बढ ही गयी है, इसका प्रभाव यहाँ पर भारतीय...मंहगाई तो बढ ही गयी है, इसका प्रभाव यहाँ पर भारतीय सामग्री खरीदने पर भी दिखता है । लेकिन चूँकि घर पर खाना बनाने का उपक्रम बहुत कम ही होता है इसलिये प्रत्यक्ष रूप से कोई खास असर नहीं होता । कुछ बातें जो मेरे ध्यान में आयी ।<BR/><BR/>१) १० lb बासमती चावल का पैकेट २-३ महीने पहले ६ डालर का आता था अब वो १५ डालर पे आ गया है । हो सकता है कि इस ब्रांड में ज्यादा दाम बढे हों लेकिन बाकी चीजें जैसे दाल वगैरह भी मंहगे हुये हैं ।<BR/><BR/>२) हमारे घर की व्यवस्था फ़्रोजन परांठो पर बहुत निर्भर है लेकिन बने बनाये फ़ोजन परांठों के दाम में अभी बढोत्तरी नहीं हुयी है । इसका एक कारण इसका पहले से ही मंहगा होना हो सकता है ।<BR/><BR/>३) अमेरिका में बने खाद्य पदार्थों में देखा जाये तो कार्न मंहगा होने से उससे बने पदार्थ मंहगे हुये हैं । दूध/दही/आईसक्रीम मंहगी हो गयी हैं ।<BR/><BR/>४) मांस के दामों में वॄद्धि हुयी है कि नहीं ये किसी मांस खाने वाले से पूछ कर बताऊँगा ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15353887757203863802008-06-17T07:12:00.000+05:302008-06-17T07:12:00.000+05:30मंहगाई का बुरा हाल है। कल रात ही हम सोच रहे थे कि ...मंहगाई का बुरा हाल है। कल रात ही हम सोच रहे थे कि हमारी एक दिन की तन्ख्वाह हजार के करीब है तब इत्ता हलकान हैं तो जिनको महीने में हजार मुश्किल से मिलते हैं उनका क्या हाल होता होगा? किसी से कुच्छ करते नहीं बन रहा है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34932514475353148912008-06-17T06:17:00.000+05:302008-06-17T06:17:00.000+05:30महँगाई की मार से सभी बेहाल हैमहँगाई की मार से सभी बेहाल हैPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-9130264623127552462008-06-17T06:13:00.000+05:302008-06-17T06:13:00.000+05:30महँगाई अवश्य बढी है - हमारे यहाँ, भारतीय सामग्री ब...महँगाई अवश्य बढी है - हमारे यहाँ, भारतीय सामग्री बेचनेवाली ४, ५ दुकानेँ ही हैँ -<BR/>अब तो सब्जियाँ भी हफ्ते मेँ १ बार पहुँच जातीँ हैँ - शाकाहारी भारतीय उमड पडते हैँ <BR/>खास तौर से दक्षिणी भाई बहनेँ और गुजराती , मारवाडी कौम के - <BR/>अमरीकन ग्रोसरी स्टोर मेम भी काफी चीजेँ मिल जातीँ हैँ - <BR/>३ , ४ माह पहले गेहूँ का पीसा हुआ आटा ( लक्ष्मी ब्रान्ड ) ९ डालर मेँ मिल जाता था <BR/>जो अब १९ से २० डालर बेग बीक रहा है ..गेस मेहँगा हुआ है, इस कारण सभी दाम<BR/>बढ गये हैँ ..क्या करेँ , जो चाहीये वह तो लाना ही पडता है -लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58667256719043401992008-06-17T05:54:00.000+05:302008-06-17T05:54:00.000+05:30सर, सब से पहले तो यह कहना चाह रहा हूं कि आप की ब्ल...सर, सब से पहले तो यह कहना चाह रहा हूं कि आप की ब्लाग पर दद्दा माखनलाल चतुर्वेदी जी की ये पंक्तियां पढ़ कर लगता है आज आस्था चैनल देखने की ज़रूरत नहीं.....आज का कोटा यहीं पर ही मिल गया। यकीन जानिये, बहुत ही अच्छा लगा। <BR/>आप की पोस्ट से महंगाई का अर्थ-शास्त्र समझने में मदद मिल रही है. आगे भी इंतज़ार रहेगा।Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55209041192284542532008-06-17T05:47:00.000+05:302008-06-17T05:47:00.000+05:30ज्ञान जी, जिन चीजों पर बस न हो उसके लिए मैं भी आपक...ज्ञान जी, जिन चीजों पर बस न हो उसके लिए मैं भी आपका फंडा इस्तेमाल करता हूँ. नदी में अपने आपको ढीला छोड़ दो फिर जहाँ बहा कर ले जाये. जब तैरना आता ही नहीं, तो क्या लड़ना.<BR/><BR/>रो गा कर कुछ भी फायदा नहीं- जो होगा देखा जायेगा. सही है आपकी सोच.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com