tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post3619350394987675320..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: बाप का घर समझ रख्खा है क्या?Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78155061820233916472007-08-07T00:46:00.000+05:302007-08-07T00:46:00.000+05:30आपने एक गहरी और सच्ची बाअत कही है।हम अपसे पूरी तरह...आपने एक गहरी और सच्ची बाअत कही है।हम अपसे पूरी तरह सहमत हैं।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48798369646812467532007-08-06T23:37:00.000+05:302007-08-06T23:37:00.000+05:30अच्छा है। हमारे साढू़ के पिताजी अपने घर में सीतापु...अच्छा है। हमारे साढू़ के पिताजी अपने घर में सीतापुर में अकेले रहते रहे। करीब नब्बे साल की उमर तक जिये। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। कुछ दिन के लिये लखनऊ आते अपने बेटे के यहां फ़िर चले जाते। बेटे-बहू उनको बड़े आदर-सम्मान से रखते लेकिन उनको अपना सीतापुर ही रुचिकर लगता।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75270449138398118492007-08-06T13:39:00.000+05:302007-08-06T13:39:00.000+05:30"एकदम कटु-सत्य" उजागर किया है आपने। माता-पिता बच्च..."एकदम कटु-सत्य" उजागर किया है आपने। माता-पिता बच्चों के लिए जितना करते हैं, बच्चें उसका 1/100000000वाँ हिस्सा भी उनके लिए नहीं कर पाते। उनका कर्ज हम कदापि नहीं चुका सकते। हाँ, अपने बच्चों की परवरिश करके हम कुछ हद तक इस कर्ज को उतारने का प्रयास अवश्य करते हैं।<BR/><BR/>आपने किस GIF Editor का उपयोग करके चलता-फिरता रेल-इंजन तथा मेंढक का चित्र बनाया है, कृपया मार्गदर्शन करें।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78504968789134081972007-08-06T13:05:00.000+05:302007-08-06T13:05:00.000+05:30न जाने कितने लोगों की नाजुक नस पर हाथ रख दिया है आ...न जाने कितने लोगों की नाजुक नस पर हाथ रख दिया है आपने । हमारे यहां फिलहाल ऐसा नहीं है । नौकरी की वजह से पिताजी ज्यादा रह नहीं पाते । वैसे उन्हें मुंबई सख्त नापसंद है । म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग का क्रैश कोर्स शुरू करना होगा इस स्थिति से निपटने के लिए ।यूनुसhttps://www.blogger.com/profile/05987039597915161921noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48956635158656894662007-08-06T09:49:00.000+05:302007-08-06T09:49:00.000+05:30सत्य वचन.. अनुलोम और प्रतिलोम सम्बन्ध में अन्तर हो...सत्य वचन.. अनुलोम और प्रतिलोम सम्बन्ध में अन्तर होता है.. मैंने भी अनुभव किया है इसे पिछले दिनों.. गुरुजनों का यह व्यवहार बड़ा विचित्र मालूम देता है.. उपरोक्त समझ के अभाव में..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16910649372730991312007-08-06T08:25:00.000+05:302007-08-06T08:25:00.000+05:30ज्ञानजी पुराना ज्ञान ठेल रहे हैं। बाप के घर नहीं ह...ज्ञानजी पुराना ज्ञान ठेल रहे हैं। बाप के घर नहीं होते, बापों के घर होते हैं। <BR/>समझदारों के एक नहीं, कई बाप होते हैं। <BR/>हर मौके-मुकाम के लिए नये बाप। <BR/>समझदार मौका देखकर हर गधे को बाप बनाता है और भी समझदार अपने बाप को गधा मानने को तैयार होता है, अगर बापजी जीते जी ही सारी रकम दे चुके हों, तो।<BR/>मैं तो यूं पूछता हूं-और आजकल आपके उन वाले बाप के क्या हाल हैं। <BR/>वो बताते हैं-जी अब उन्हे बाप की पोस्ट से रिटायर कर दिया है। आजकल नये बाप ये हैं। <BR/>आउटडेटेड न ठेलिये, कुछ नये बापों के बारे में बताइए ना।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90547168958175750242007-08-06T08:23:00.000+05:302007-08-06T08:23:00.000+05:30सर धन्यवाद, यह अनुभूति है स्मृतियां ताजी हो गयी ...सर धन्यवाद, यह अनुभूति है स्मृतियां ताजी हो गयी आपके पिता आपके साथ रहते हैं यह पढकर पहले भी हमें अच्छा लगता था क्योंकि गांव में रहने वालों के पिता आज के पोस्ट के सुप्रीमो ही होते हैं मुझे यह सौभाग्य मेरे पिता के अंतिम समय में ही मिल पाया था ।<BR/><BR/>धन्यवाद !<BR/><A HREF="http://www.aarambha.blogspot.com" REL="nofollow"> “आरंभ” संजीव का हिन्दी चिट्ठा </A>36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39489455817304405082007-08-06T08:11:00.000+05:302007-08-06T08:11:00.000+05:30आरसी मिश्र उवाच> ये क्या बात हुई इलाहाबाद आकर टिप्...<B>आरसी मिश्र उवाच> ये क्या बात हुई इलाहाबाद आकर टिप्पणी लिखी और वो भी अप्रूवल वाली फाइल मे रखवा दी आपने :(</B> <BR/>मिश्र जी, मैं भी नहीं चाहता यह मॉडरेशन. पर कुछ शुभ चिंतक यदा-कदा इधर-उधर का <B>फोड़ने</B> चले आते हैं तो मन मसोस कर झंझट पालना पड़ा.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10908410151138665732007-08-06T07:51:00.000+05:302007-08-06T07:51:00.000+05:30ये क्या बात हुई इलाहाबाद आकर टिप्पणी लिखी और वो भी...ये क्या बात हुई इलाहाबाद आकर टिप्पणी लिखी और वो भी अप्रूवल वाली फाइल मे रखवा दी आपने :(RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19384671755489076282007-08-06T07:48:00.000+05:302007-08-06T07:48:00.000+05:30सच मे पाण्डेय जी आज आपने बड़ा फोड़ा है :)। अभी नाना ...सच मे पाण्डेय जी आज आपने <B>बड़ा फोड़ा</B> है :)। अभी नाना जी आये थे,उनसे बात करके यही लगा, और हमारी मामी जी को भी ये लेख पसन्द आया।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34115307112432690842007-08-06T07:31:00.000+05:302007-08-06T07:31:00.000+05:30बिल्कुल सही है बडे लोगों को हमेशा ये लगता रहता है ...बिल्कुल सही है बडे लोगों को हमेशा ये लगता रहता है कि जितना स्वामित्व व अधिकार वो अपने घर मे महसूस करते है उतना बेटे या बेटी के घर मे नही। हो सकता है आगे चल कर (बुढ़ापे) हम लोग भी ऐसे ही हो जाएँ ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-38740107314068467482007-08-06T07:21:00.000+05:302007-08-06T07:21:00.000+05:30भाई साहब, आपने यह कह कर कि बाप का घर समझा है क्या....भाई साहब, आपने यह कह कर कि बाप का घर समझा है क्या...बहुत ही जबरदस्त प्रहार किया है आज के बेटों पर. मान गये आपको कि किस कोने में कितनी पैनी नज़र रखते हैं. जबरदस्त.आभार, यह छिपा और शर्माया मुद्दा उठाया. हम जान गये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-45743400006254027962007-08-06T06:56:00.000+05:302007-08-06T06:56:00.000+05:30गूढ़ बात है ये.मैं भी इससे सहमति जताता हूँ.गूढ़ बात है ये.मैं भी इससे सहमति जताता हूँ.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com