tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post3315467197231429695..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: कुछ उभर रही शंकायेंGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49403021727548665962011-04-10T00:12:18.390+05:302011-04-10T00:12:18.390+05:30जब तक इस विचार-मंथन से कोई सार्थक परिणाम ना निकले,...जब तक इस विचार-मंथन से कोई सार्थक परिणाम ना निकले, तब तक ये इंटेलेक्चुअल जगलरी ही है और सभी को मालूम है कि इस विकल्पहीनता की स्थिति में परिणाम कुछ निकलना नहीं.<br> ना हमारे पास लोकतंत्र का कोई विकल्प है और ना उदारवादी पूँजीवादी व्यवस्था का. है कि नहीं?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73625897144243980032011-04-10T00:12:18.153+05:302011-04-10T00:12:18.153+05:30रैदास मेरे फेवरिट हैं। चुपचाप अपनी कठौती के बगल मे...रैदास मेरे फेवरिट हैं। चुपचाप अपनी कठौती के बगल में उम्दा जूते सिलते रैदास। काम 100% टंच और कोई बेईमानी नहीं। यहाँ भूतनाथ मार्केट में सड़क किनारे एक उसी तरह के मोचीराम हैं। उन्हीं से प्रेरणा ली है। ... <br>8-9 घंटे ऑफिस में जम कर काम। दूसरों को भी मदद। कुछ नया सोचना और कर जाना। घर पर पढ़ना, बच्चों/पत्नी के साथ हाहाहीही। अगल बगल पर नज़र रखना। समस्याओं पर लोगों को जुटाना। ब्लॉग पर अभिव्यक्त होना। सम्प्रेषण की कोशिश करना। बस। सोचता हूँ कि सभी ऐसे ही करें बिना क्रांति कर देने की ग़फलत पाले तो संसार कितना सुन्दर हो जाय! ...तुम्हारे सोचे से क्या होता है बबुआ! दुनिया इतनी सीधी नहीं... फिर सोच में पड़ जाता हूँ।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-2803803426623427702011-04-10T00:12:17.938+05:302011-04-10T00:12:17.938+05:30भारत में सबकुछ लिबरलाइज हो सकता है लेकिन मक्कारी औ...भारत में सबकुछ लिबरलाइज हो सकता है लेकिन मक्कारी और दोयम दर्जे पर वाह-वाही करने वालों की गिरोहबंदी खत्म नहीं हो सकती।<br><br>सरकारी तंत्र में जो कर्मचारी काम करने वाले/लायक हैं उन्हें बेवकूफ़ और बौराया हुआ कहकर उपहास का पात्र बना दिया जाता है। जो नाकारें हैं उनकी मौज है। कहावत है कि जो काम करेगा वही फ़ँसेगा। मोटिवेशन काम न करने के पक्ष में है।<br><br>आरक्षण से जो कर्मचारी आये हैं उनको प्राप्त सुरक्षा अनारक्षित वर्ग के भीतर एक खास किस्म की लापरवाही भर देती है। काम करने का ठेका क्या हमने ही ले रखा है क्या?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75114609843212613092011-04-10T00:12:17.661+05:302011-04-10T00:12:17.661+05:30वर्तमान आर्थिक नीतियॉं पूरी तरह से पूँजीवादी हैं ज...वर्तमान आर्थिक नीतियॉं पूरी तरह से पूँजीवादी हैं जो अमीर को अधिक अमीर और गरीब को अधिक गरी बनाती हैं। देश में अरबपतियों की संख्या बढती जागी लेकिन गरीब और गरीबी कम नहीं होगी।<br><br>ये नीतियॉं समाज विरोधी ही नहीं, मनुष्य और मनुष्यता विरोधी भी हैं। ये हमारी सम्वेदनाओं को भोथरी कर रही हैं, हमें स्वार्थी, आत्म केन्द्रित बना रही हैं और 'वसुधैव कुम्टुबकम्' सूत्र की आत्मा को मार रही हैं।<br><br>किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य की नीतियॉं, बहुसंख्य नागरिकों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। इस लिहाज से हमारी सारी नीतियों का केन्द्र 'किसान और खेती' होनी चाहिए किन्तु यही क्षेत्र हाशिये पर धकेल दिया गया है। जिस 'क्षेत्र' की सर्वाधिक चिन्ता की जानी चाहिए उसी 'क्षेत्र' के लोग, सर्वाधिक संख्या में आत्महत्याऍं कर रहे हैं।<br><br>इसके बाद कुछ भी कहने-सुनने को बाकी नहीं रहता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55457105298146692212011-04-10T00:12:17.324+05:302011-04-10T00:12:17.324+05:30हम तो तो यही सोच के घबराए जा रहे कि स्कूल का ताला ...हम तो तो यही सोच के घबराए जा रहे कि स्कूल का ताला काहे नहीं खुला ?.....किसी ने अब तक यह अपनी टीप में ना पूछा !<br><br><br>@ज्ञान जी !<br>ई प्राइमरी स्कूल की फोटू आपने कब और कित्ते बजे कैद की ? कोई खास वजह नहीं ....बस ऐसे ही !<br><br><br>वैसे हम तो आलस्य-देव की तरह के मनई बनने की कोशिश में हैं |बाकी तो ............ माई फुट !Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49462172053251601382011-04-10T00:12:17.049+05:302011-04-10T00:12:17.049+05:30respected sir sadar pranam ....school band hai par...respected sir sadar pranam ....school band hai par ye mein dave ke sath keh sakta hoon ki hajiri sare bachon aur massab ki jaroor lagi hogi ......sab bhagwan bharose ....Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82552276871768572012011-04-10T00:12:16.732+05:302011-04-10T00:12:16.732+05:30आपने इतने जोर से पैर पटका कि मेरे सर पर रखा कद्दू ...आपने इतने जोर से पैर पटका कि मेरे सर पर रखा कद्दू गिर गया!<br>इण्टेलेक्चुअल जगलरी करने वाला था की गिरिजेश के कमेन्ट पर नज़र पड़ गयी! मेरे मुंह की बात छीन भी ली और उसे बड़ा भी कर दिया!<br>सात साल से ऑफिस में सुनता आ रहा हूँ ' सिस्टम से मत लड़ो '. वाकई सिस्टम बड़ा ताक़तवर है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-21359447896577134312011-04-10T00:12:16.356+05:302011-04-10T00:12:16.356+05:30माय फूट कहें या योर फूट......... पर समस्याएं सामन...माय फूट कहें या योर फूट......... पर समस्याएं सामने कड़ी मुंह चिडा रही हैं.......... <br><br>कुछ कीजिए साहेब, कुछ कीजिए........... <br>इससे पहले कि सभी किसान आदिवासी खेतिहर मजदूर को गिरमिटया बन कर आस्ट्रेलिया या अमेरिका भेज दिया ... और यहाँ सिर्फ अँगरेज़ (सफ़ेद कॉलर) वाले ही रह जाएँ....... उस से पहले कुछ कीजिए साहेबGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-17596034499469309072010-12-14T16:25:28.027+05:302010-12-14T16:25:28.027+05:30माय फूट कहें या योर फूट......... पर समस्याएं सामन...माय फूट कहें या योर फूट......... पर समस्याएं सामने कड़ी मुंह चिडा रही हैं.......... <br /><br />कुछ कीजिए साहेब, कुछ कीजिए........... <br />इससे पहले कि सभी किसान आदिवासी खेतिहर मजदूर को गिरमिटया बन कर आस्ट्रेलिया या अमेरिका भेज दिया ... और यहाँ सिर्फ अँगरेज़ (सफ़ेद कॉलर) वाले ही रह जाएँ....... उस से पहले कुछ कीजिए साहेबदीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-21084038250285214632010-12-14T15:21:41.007+05:302010-12-14T15:21:41.007+05:30मुक्त खाली अर्थव्यवस्था हुई होती तो ग्रोथ भरसक हो ...मुक्त खाली अर्थव्यवस्था हुई होती तो ग्रोथ भरसक हो जाता पर समस्या है कि यहाँ सरकार और पूरा तंत्र ही नैतिकता से मुक्त हो गया है...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24389948358062334942010-12-14T09:17:33.887+05:302010-12-14T09:17:33.887+05:30इण्टेलेक्चुअल जगलरीइण्टेलेक्चुअल जगलरीUdan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-31515794547215442582010-12-13T18:52:07.348+05:302010-12-13T18:52:07.348+05:30इण्टेलेक्चुअल जगलरी; माई फुट!
सप्ताह भर में लौटा ह...इण्टेलेक्चुअल जगलरी; माई फुट!<br />सप्ताह भर में लौटा हूँ। आते ही यह पोस्ट पढ़ी। उक्त वाक्य बिलकुल सही है। करना है तो जनता के बीच जा कर काम करें। वहीं सही रास्ता मिलेगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77539098362975063412010-12-13T13:00:56.356+05:302010-12-13T13:00:56.356+05:30आपने इतने जोर से पैर पटका कि मेरे सर पर रखा कद्दू ...आपने इतने जोर से पैर पटका कि मेरे सर पर रखा कद्दू गिर गया!<br />इण्टेलेक्चुअल जगलरी करने वाला था की गिरिजेश के कमेन्ट पर नज़र पड़ गयी! मेरे मुंह की बात छीन भी ली और उसे बड़ा भी कर दिया!<br />सात साल से ऑफिस में सुनता आ रहा हूँ ' सिस्टम से मत लड़ो '. वाकई सिस्टम बड़ा ताक़तवर है.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39003381316587211962010-12-13T12:13:54.071+05:302010-12-13T12:13:54.071+05:30सर जी,
आचार संहिता से बंधा हूं। खुल कर कुछ कह नहीं...सर जी,<br />आचार संहिता से बंधा हूं। खुल कर कुछ कह नहीं सकता। (आप कहलवा कर ही छोड़ेंगे क्या? किसी दिन पिटवाएंगे आप!) <br />खुद नहीं कह सकता पर कुछ कवियों की कविताएं तो सुना सकता हूं। सुनेंगे आप?<br /><br />गहन मृतात्माएं इसी नगर की<br />हर रात जुलूस में चलतीं,<br />परन्तु दिन में <br />बैठती हैं मिलकर, करती हुई षडयंत्र<br />विभिन्न दफ़्तरों-कार्यालयों, केन्द्रों, घरों में।<br />....<br />....<br />हाय-हाय! मैंने उन्हें देख लिया नंगा<br />इसकी मुझे सजा मिलेगी। (मुक्तिबोध)<br />***<br /><br />एक आदमी<br />रोटी बेलता है<br />एक आदमी रोटी खाता है<br />एक तीसरा आदमी भी है<br />जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है<br />वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है<br />मैं पूछता हूं<br />‘यह तीसरा आदमी कौन है?’<br />मेरे देश की संसद मौन है।<br />धूमिल)मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22235593438656268532010-12-12T23:54:19.571+05:302010-12-12T23:54:19.571+05:30respected sir sadar pranam ....school band hai par...respected sir sadar pranam ....school band hai par ye mein dave ke sath keh sakta hoon ki hajiri sare bachon aur massab ki jaroor lagi hogi ......sab bhagwan bharose ....Doobe jihttps://www.blogger.com/profile/16439754195757703308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-85793481017263347052010-12-12T23:11:12.094+05:302010-12-12T23:11:12.094+05:30केवल भ्रष्टाचार ने इस देश की ....... कर रखी है... ...केवल भ्रष्टाचार ने इस देश की ....... कर रखी है... लेकिन सब इसी में लगे हैं देश में भागीदार हैं, इसलिये अपना हिस्सा ले जा रहे हैं और सब शामिल हैं जिसको जहां और जिस हैसियत में मिल रहा है लूट रहा है... जिसके हाथ में कुछ नहीं (या फिर एक्सेप्शन) वही लुट रहे हैं>. कुछ नहीं होगा यूं ही चलेगा..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-927920621264750922010-12-12T22:12:12.283+05:302010-12-12T22:12:12.283+05:30@ प्रवीण त्रिवेदी > ई प्राइमरी स्कूल की फोटू आप...<b>@ प्रवीण त्रिवेदी > ई प्राइमरी स्कूल की फोटू आपने कब और कित्ते बजे कैद की ?</b><br />कल शाम को। स्कूल बन्द हो चुका था। <br /><br />मेन्यू पढ़ कर मेरा लड़का बोला कि वह स्कूल में होता तो केवल बुधवार को स्कूल जाता, जब मीठी खीर का टर्न है! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83664831971215678972010-12-12T21:59:33.074+05:302010-12-12T21:59:33.074+05:30हम तो तो यही सोच के घबराए जा रहे कि स्कूल का ताला ...हम तो तो यही सोच के घबराए जा रहे कि स्कूल का ताला काहे नहीं खुला ?.....किसी ने अब तक यह अपनी टीप में ना पूछा !<br /><br /><br />@ज्ञान जी !<br />ई प्राइमरी स्कूल की फोटू आपने कब और कित्ते बजे कैद की ? कोई खास वजह नहीं ....बस ऐसे ही !<br /><br /><br />वैसे हम तो आलस्य-देव की तरह के मनई बनने की कोशिश में हैं |बाकी तो ............ माई फुट !प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32216965299366712062010-12-12T21:10:39.021+05:302010-12-12T21:10:39.021+05:30''नदी-जंगल-हवा-पानी सब मरे जा रहे हैं हमें...''नदी-जंगल-हवा-पानी सब मरे जा रहे हैं हमें जिन्दा रखने की कवायद में।'' बिना मिर्च-मसाला के सीधी-सच्ची बात.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-79820254178174598912010-12-12T20:37:59.638+05:302010-12-12T20:37:59.638+05:30यदि किसी तरह भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके त...यदि किसी तरह भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके तो हम उबर सकते हैं भले हमें लोकतंत्र से भी विमुख होना पड़े.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43000715846362651372010-12-12T19:42:03.788+05:302010-12-12T19:42:03.788+05:30आपका दर्द जायज है। आखिर इस दर्द की दवा क्या है? जि...आपका दर्द जायज है। आखिर इस दर्द की दवा क्या है? जिस पूंजीवादी व्यवस्था पर हम चल रहे हैं, कम से कम उसमें तो दर्द की दवा नजर नहीं आती। इसका तो आधार ही भ्रष्टाचार है।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35781381173003859002010-12-12T19:23:10.883+05:302010-12-12T19:23:10.883+05:30वर्तमान आर्थिक नीतियॉं पूरी तरह से पूँजीवादी हैं ज...वर्तमान आर्थिक नीतियॉं पूरी तरह से पूँजीवादी हैं जो अमीर को अधिक अमीर और गरीब को अधिक गरी बनाती हैं। देश में अरबपतियों की संख्या बढती जागी लेकिन गरीब और गरीबी कम नहीं होगी।<br /><br />ये नीतियॉं समाज विरोधी ही नहीं, मनुष्य और मनुष्यता विरोधी भी हैं। ये हमारी सम्वेदनाओं को भोथरी कर रही हैं, हमें स्वार्थी, आत्म केन्द्रित बना रही हैं और 'वसुधैव कुम्टुबकम्' सूत्र की आत्मा को मार रही हैं।<br /><br />किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य की नीतियॉं, बहुसंख्य नागरिकों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। इस लिहाज से हमारी सारी नीतियों का केन्द्र 'किसान और खेती' होनी चाहिए किन्तु यही क्षेत्र हाशिये पर धकेल दिया गया है। जिस 'क्षेत्र' की सर्वाधिक चिन्ता की जानी चाहिए उसी 'क्षेत्र' के लोग, सर्वाधिक संख्या में आत्महत्याऍं कर रहे हैं।<br /><br />इसके बाद कुछ भी कहने-सुनने को बाकी नहीं रहता।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78297828465055608382010-12-12T18:30:11.532+05:302010-12-12T18:30:11.532+05:30अर्थव्यवस्था मुक्त हो गयी है, सत्य है। अब सरकार के...अर्थव्यवस्था मुक्त हो गयी है, सत्य है। अब सरकार के अलावा और भी नरभक्षक आ गये हैं। सब मुक्त हो गया। क्या, नियन्ताओं ने दिशा के बारे सोचा था। सोचा हो तो सोचा हो, कहा तो नहीं था।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18370378538935473742010-12-12T17:35:01.260+05:302010-12-12T17:35:01.260+05:30भारत में सबकुछ लिबरलाइज हो सकता है लेकिन मक्कारी औ...भारत में सबकुछ लिबरलाइज हो सकता है लेकिन मक्कारी और दोयम दर्जे पर वाह-वाही करने वालों की गिरोहबंदी खत्म नहीं हो सकती।<br /><br />सरकारी तंत्र में जो कर्मचारी काम करने वाले/लायक हैं उन्हें बेवकूफ़ और बौराया हुआ कहकर उपहास का पात्र बना दिया जाता है। जो नाकारें हैं उनकी मौज है। कहावत है कि जो काम करेगा वही फ़ँसेगा। मोटिवेशन काम न करने के पक्ष में है।<br /><br />आरक्षण से जो कर्मचारी आये हैं उनको प्राप्त सुरक्षा अनारक्षित वर्ग के भीतर एक खास किस्म की लापरवाही भर देती है। काम करने का ठेका क्या हमने ही ले रखा है क्या?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82228562142412850802010-12-12T16:13:50.042+05:302010-12-12T16:13:50.042+05:30`सोशल वेलफेयर स्कीमें जनता के फायदे के लिये हैं...`सोशल वेलफेयर स्कीमें जनता के फायदे के लिये हैं'<br /><br />सही है साहब! सिर्फ़ जनता का डेफिनेशन करना टेडी खीर है। जो खीर खा रहा है वो जनता है... बाकी सब तो टेडा है ही :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com