tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post3260136838495356998..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: 'जय हिन्द, जय भारत, जय लालू'Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58777994126412613362011-04-10T00:09:33.650+05:302011-04-10T00:09:33.650+05:30पूरी पोस्ट पढते समय एक ही बात पर ध्यान रहा कि आप अ...पूरी पोस्ट पढते समय एक ही बात पर ध्यान रहा कि आप अपनी समस्या के कारण खडे होकर खाना खा नही सके। आपको तो मालूम ही है कि मै पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा हूँ। आप कभी रायपुर आये तो पास ही एक वैद्य से मिलने चलेंगे। मुझे आशा है कि वे आपको ठीक कर देंगे।Dard Hindustani (पंकज अवधिया)http://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-82223827534185910322011-04-10T00:09:32.857+05:302011-04-10T00:09:32.857+05:30भई हम तो इन सज्जन को सरल ही मानेंगे। मेरे पिताजी भ...भई हम तो इन सज्जन को सरल ही मानेंगे। <br><br>मेरे पिताजी भी इसी प्रकार के हैं, उनका कहना है कि दिखावे से क्या फायदा है। संस्कृत के रिटायर्ड लैक्चरार हैं। जहाँ दूसरे लोगों को इसमें शर्म आती है वे हमेशा स्कूल धोती-कुर्ता पहन कर जाते रहे। लोग विद्वता से प्रभावित हो जाते हैं तो दिखावे की जरुरत ही नहीं रहती।Shrishhttp://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13242572132678157342007-10-28T07:44:00.000+05:302007-10-28T07:44:00.000+05:30भई हम तो इन सज्जन को सरल ही मानेंगे। मेरे पिताजी भ...भई हम तो इन सज्जन को सरल ही मानेंगे। <BR/><BR/>मेरे पिताजी भी इसी प्रकार के हैं, उनका कहना है कि दिखावे से क्या फायदा है। संस्कृत के रिटायर्ड लैक्चरार हैं। जहाँ दूसरे लोगों को इसमें शर्म आती है वे हमेशा स्कूल धोती-कुर्ता पहन कर जाते रहे। लोग विद्वता से प्रभावित हो जाते हैं तो दिखावे की जरुरत ही नहीं रहती।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-74570181171195039492007-10-26T21:53:00.000+05:302007-10-26T21:53:00.000+05:30मेवेरिक हों या सहज, यदि वे देशवासियों का भला कर रह...मेवेरिक हों या सहज, यदि वे देशवासियों का भला कर रहे हों तो वे एक महान जननायक जरूर हैं -- शास्त्री<BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75727590662367337122007-10-26T19:09:00.000+05:302007-10-26T19:09:00.000+05:30कल् पढ़ा था इसे।आज् फिर पढ़ा। लेख और टिप्पणियां मजे...कल् पढ़ा था इसे।आज् फिर पढ़ा। लेख और टिप्पणियां मजेदार हैं। आलोक् पुराणिक् की बात् पर् अमल् होना मांगना। अनीताकुमार् जी की बात् तब् मानियेगा जब् वो जैसा कर् रही हैं(कान पकड़ रही हूं) उसका फोटो लगायें। :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71737682653864545642007-10-26T14:56:00.000+05:302007-10-26T14:56:00.000+05:30बनावटीपन या मुखौटा लगा कर ये शख्स शयद कभी भी स्मृत...बनावटीपन या मुखौटा लगा कर ये शख्स शयद कभी भी स्मृतिपटल पर नहीं रह सकतें थे। स्वाभाविकता ही इनकी विशेषता है। हमें और हमारी आने वाली पीढियों को भी इसे सबक की तरह से लेना चाहिये।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29951979871650262372007-10-26T12:41:00.000+05:302007-10-26T12:41:00.000+05:30ज्ञान जी!इन सज्जन के बारे में जान कर अच्छा लगा. वै...ज्ञान जी!<BR/>इन सज्जन के बारे में जान कर अच्छा लगा. वैसे मैं स्वयं भी आपके आदरणीय पिताजी और समीर जी की बात से सहमत हूँ.<BR/>हम सब को (विशेषकर सभी भारतीयों को) यदि आगे बढ़ना है तो दूसरों की खासियतों की नकल के बजाय अपनी स्वाभाविक विशेषताओं को बढ़ाना ही हमारे लिये बेहतर होगा.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-1717611315475156982007-10-25T23:27:00.000+05:302007-10-25T23:27:00.000+05:30पूरी पोस्ट पढते समय एक ही बात पर ध्यान रहा कि आप अ...पूरी पोस्ट पढते समय एक ही बात पर ध्यान रहा कि आप अपनी समस्या के कारण खडे होकर खाना खा नही सके। आपको तो मालूम ही है कि मै पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा हूँ। आप कभी रायपुर आये तो पास ही एक वैद्य से मिलने चलेंगे। मुझे आशा है कि वे आपको ठीक कर देंगे।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-37020833912412553232007-10-25T20:22:00.000+05:302007-10-25T20:22:00.000+05:30बहुत विनोदपूर्ण अभिव्यक्ति,वैसे आप अपने अनुभवों का...बहुत विनोदपूर्ण अभिव्यक्ति,वैसे आप अपने अनुभवों का वेहतर इस्तेमाल करते हुए रोचक जानकारी प्रदान की है, आपका यह पोस्ट, नि:संदेह प्रसन्श्नीय है.समीर भाई की बात से सोलह आना सहमत हूँ,कि''इतने सहज व्यक्ति का ऐसे पद तक उठना क्या इतनी सहजता से संभव है...आज के जमाने में''रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44045935315523524742007-10-25T19:48:00.000+05:302007-10-25T19:48:00.000+05:30ज्ञान जी ये आप की पोस्ट देख मुझे याद आ रहा है( तब ...ज्ञान जी ये आप की पोस्ट देख मुझे याद आ रहा है( तब मैं चिठ्ठाकारी नही करती थी) पिछ्ले साल हमारे कॉलेज में डिब्बा वालों को बुलाया गया था(जो प्रिंस चार्लस की शादी में आंमत्रित थे)मैनेजमेंट के छात्रों को लॉजिस्टिकस का ज्ञान बाटंने के लिए। वो लोग भी ऐसे ही कुर्ता पाजामा और गांधी टोपी में आये और मराठी में बोले ये बोल कर कि हमें कोई और भाषा आती नहीं। क्या खूब बोले मय पॉवरपोंइट प्रसेंटेशन के साथ, हम देख कर दंग, बिल्कुल लालु जी वाला दंबगपन और रौचकता। एक बात जो इन सब में कॉमन है वो है आत्म विश्वास। अगर आप ने लालु जी को सच में करीब से देखा है तो उनके किस्से सुनाइए न प्रेरणादायी रहेगें। वैसे प्रेरणादायी आप भी कुछ कम नहीं । आप के चिठ्ठे पढ़ कर तो जी हमारी सरकारी अफ़सरों के बारे में धारणा ही बदलती जा रही है।(जा रही है मतलब पूरी तरह से बदली नहीं?…॥कान पकड़ रही हूं जी सब आप जैसे अफ़सर नहीं न जी)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-36012281878988835522007-10-25T15:15:00.000+05:302007-10-25T15:15:00.000+05:30भारतीय रेल की केन्द्रीय यात्री सेवा समिति के अध्यक...भारतीय रेल की केन्द्रीय यात्री सेवा समिति के अध्यक्ष परमेश्वरी प्रसाद निराला भी कुछ उसी गँवई अंदाज वाले सहज आदमी हैं। हालांकि वह बिहार में राजद के विधायक भी रह चुके हैं। लेकिन जब भी उनसे मिलता हूं, उनका सीधापन और भोलापन मुझे बहुत भला लगता है। पहले तो मुझे लगा कि शायद वही आये हों आपकी उस बैठक में। <BR/><BR/>इस नई समिति और उसके इस अध्यक्ष के बारे में एक बार लिखने का सोचा था। उनसे अगली मुलाकात के बाद मैं इस पर एक पोस्ट लिखूंगा।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90690265373691457322007-10-25T12:31:00.000+05:302007-10-25T12:31:00.000+05:30भाई यह बिना दिखावे का जीवन है जो एक हद के बाद दिखा...भाई यह बिना दिखावे का जीवन है जो एक हद के बाद दिखावे का लगने लगता है....लालू की इस पसंद की जय हो । एक सच्चे सहज इंसान का बहुत दिनों बाद दर्शन मिला नाम तो छाप दिए होते दद्दा का।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54674198079331948312007-10-25T12:23:00.000+05:302007-10-25T12:23:00.000+05:30बहुत बढिया पोस्ट थी ये.. मैं बिहार का रहने वाला हू...बहुत बढिया पोस्ट थी ये.. मैं बिहार का रहने वाला हूं और पिताजी के कारण बिहार की राजनीति और लालू को बहुत करीब से देखने का मौका भी मिला था और आज-कल नीतिश को जान रहा हूं.. कुछ अपने पिताजी के कारण और कुछ उनके पुत्र के कारण जो विद्यालय में मेरे सहपाठी भी रह चुके हैं..<BR/>दोनों ही रेल मंत्री भी रह चुके हैं सो आप भी उन्हें अच्छे से जानते होंगे.. दोनों में ही अपनी खूबियाँ और खामियां हैं, पर लालू की गंवई अंदाज की तो बात ही निराली है..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50887733758110422382007-10-25T10:33:00.000+05:302007-10-25T10:33:00.000+05:30अधिकतर लोग असहज तरीके से सहज होते हैं, ये सज्जन तो...अधिकतर लोग असहज तरीके से सहज होते हैं, ये सज्जन तो सहज तरीके से सहज हैं। ऐसी सहजता या तो विकट चालू पा सकते हैं या लालू पा सकते हैं या लालूवत पा सकते हैं। <BR/>लालू जी बेहतरीन कम्युनिकेटर हैं, ये सज्जन भी। लालू स्कूल आफ कम्युनिकेशन शुरु करना मांगता। उसके डाइरेक्टर आप हों, गेस्ट फेकल्टी में ये सज्जन। हम सब आकर क्लास लेंगे।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32625227135716424022007-10-25T08:44:00.000+05:302007-10-25T08:44:00.000+05:30यह सहजता और आदत की बात है। जैसे बाप ने बोर्डिंग स्...यह सहजता और आदत की बात है। जैसे बाप ने बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाया कि लड़का सभ्य हो जाएगा, अंग्रेजी बोलेगा। लेकिन हम जब भी कुर्सी पर बैठते, हमारे दोनों पांव खुद-ब-खुद ऊपर चले आते। घर पर कोई भी आया, खड़ी बोली छोड़ अवधी में ही बात करते थे। बाप ने कहा, इसको इतना पढ़ाने-लिखाने से क्या फायदा हुआ?अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86075454903191280202007-10-25T06:44:00.000+05:302007-10-25T06:44:00.000+05:30काकेश की बात से सहमत हूँ.. जीवन के प्रति सहज रहना ...काकेश की बात से सहमत हूँ.. जीवन के प्रति सहज रहना अपने प्रति सहज बने रहने से शुरु होता है.. ऐसे लोग जो करते हैं उसके पीछे एक सोच होती है.. जिसे वे किसी की देखादेखी या किसी चकाचौंध में आ कर नहीं बदलते.. इसे दूसरे शब्दों में आत्मबल कहा जायेगा..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-61956319191137172842007-10-25T06:30:00.000+05:302007-10-25T06:30:00.000+05:30यह गंवई नहीं ठेठ सहजता है. इस तरह के लोग हम जैसे स...यह गंवई नहीं ठेठ सहजता है. इस तरह के लोग हम जैसे सो-कॉल्ड सॉफस्टिकेटेड लोगों को ठैंगा ही दिखाते हैं. मजा आया जानकर.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77007778839797724812007-10-25T06:24:00.000+05:302007-10-25T06:24:00.000+05:30सोलह आना सच्चा बात बोले हैं आप.सारा चीज ई बात पर ड...सोलह आना सच्चा बात बोले हैं आप.सारा चीज ई बात पर डिपेण्ड करता है कि मनई अपना बात सामने वाला तक पहुंचा पाता है कि नाही...ई सज्जन का एही गुन का खातिर मंत्री जी एनके भेजे होंगे...आ जहाँ तक भोजन का बात है, बैठ कर खाएं, आ चाहे खड़े होकर, मतलब तो भोजन करने से है.<BR/><BR/>दुसरा लोगन का देखकर अपना संस्कृत बदल दें, त ऊ इंसान का...ई सज्जन का सहजता ने हमको भी बहुते परभावित किया है...(हमरा बात को मजाक न समझा जाय...देखिये ई लिखते समय हम असहज हूँ जो सोच रहा हूँ कि हमरा बात को लोग मजाक समझेंगे...मतलब ई कि हम अपना बात लोगन तक पहुचाने में सक्षम नाही हूँ..)<BR/><BR/>जय हिंद. जय भारत. जय सज्जन.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-51057821335697627722007-10-25T06:01:00.000+05:302007-10-25T06:01:00.000+05:30बहुत मस्त अवलोकन. मगर मैं इन्हें मेवेरिक ही मानूँग...बहुत मस्त अवलोकन. मगर मैं इन्हें मेवेरिक ही मानूँगा वरना इतने सहज व्यक्ति का ऐसे पद तक उठना क्या इतनी सहजता से संभव है...आज के जमाने में. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com