tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post3205503436469096374..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: सिनिकल हो रहा हूं क्या?Gyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55193376517062410472007-11-06T21:41:00.000+05:302007-11-06T21:41:00.000+05:30यू आर लुकिंग लाइक अ हाइपर सेंसिटिव मैन। दैट्स नॉट ...यू आर लुकिंग लाइक अ हाइपर सेंसिटिव मैन। दैट्स नॉट अप्रोप्रियेट रिस्पॉंस! <BR/>आई फील लैक मीटिग एण्ड ब्लास्टिंग यू ऑन मैनी ऑफ योर नोशंस! :-)अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-77617567676764938822007-11-06T20:22:00.000+05:302007-11-06T20:22:00.000+05:30कोई सूत्र नहीं काम आने वाला . नितांत असंवेदनशील और...कोई सूत्र नहीं काम आने वाला . <BR/><BR/>नितांत असंवेदनशील और उदासीन होते जाते समय में संवेदनशील आदमी को 'सिनिकल' कहा ही जाना है . यह 'सब चलता है' का समय है . 'की फ़रक पैन्दा ए' का समय .<BR/><BR/>और आप हैं कि आपने थूंककों उर्फ़ थुक्कड़ों पर थुक्कमफजीती मचाई हुई है . डॉक्टरों,बल्कि माफ़ कीजिएगा मरीजों को देख कर होठों पर फेफड़ी आ जाती है . काहे जाते हैं उल्टी-सीधी जगह . कमरा बंद करके एसी चला कर बैठिए . एक आदमी ने बीमार और बूढों को देखा था तो राजपाट त्याग दिया था . आपके भी आसार कुछ ठीक नहीं दिख रहे हैं .<BR/><BR/>चारों ओर सब सुख हैं . बाज़ार सामान से भरे हुए हैं . बैंक पैसा देने के लिए उठल्लू बैठे हैं . भली-सी नौकरी/अफ़सरी है . सामाजिक रौब-दाब है . अपने शहर में बैठे हैं . यानी सुखी होने का सारा सरंजाम है . फिर भी आप 'सिनिकल' होते दिख रहे हैं तो यह कोई कबीरी दुख ही दिखता है .<BR/> <BR/> सुखिया सब संसार है,खावै अरु सोवै।<BR/> दुखिया दास कबीर है,जागै अरु रोवै ॥<BR/><BR/>काहे चिन्ता करते हैं . सिनिकल होना कोई आसान काम है ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-69158870474172430682007-11-06T19:56:00.000+05:302007-11-06T19:56:00.000+05:30ज्ञान जी, अछा लगा यह जानकर कि आप टिप्पणियों को अत्...ज्ञान जी, अछा लगा यह जानकर कि आप टिप्पणियों को अत्यन्त गंभीरता से लेते हैं , वैसे पैंतालीस की उम्र सठियाने वाली नही होती . आपकी टिप्पणियों से नही लगता कि आप सठिया गए हैं . जहाँ तक मेरी विनम्र मान्यता है कि - "आत्ममंथन " ही " आत्मोन्नति" का आधार है , यह बात आप से भला और कौन जान सकता है !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28040346168445115582007-11-06T14:25:00.000+05:302007-11-06T14:25:00.000+05:30wish you a very happy diwali , since i did not hav...wish you a very happy diwali , since i did not have your email id i am communicating the same here <BR/>regds<BR/>rachnaRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-68135247071623786682007-11-06T13:46:00.000+05:302007-11-06T13:46:00.000+05:30ज्ञान जी यथा नाम तथा गुण वाली कहावत चरितार्थ कर रह...ज्ञान जी यथा नाम तथा गुण वाली कहावत चरितार्थ कर रहें हैं आप तो।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-76627351437161120552007-11-06T12:50:00.000+05:302007-11-06T12:50:00.000+05:30ज्ञान जी हम आपके सुझाव अमल करने की कोशिश कर रहे है...ज्ञान जी हम आपके सुझाव अमल करने की कोशिश कर रहे हैं. 5 न. का सुझाव और मेरी पोस्ट (कैक्टस)पर आपकी टिप्पणी कुछ कुछ मिलती जुलती है.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47999931448413210812007-11-06T12:47:00.000+05:302007-11-06T12:47:00.000+05:30आपने जानकर तो इस फूल की फोटो पोस्ट पर नही लगायी हो...आपने जानकर तो इस फूल की फोटो पोस्ट पर नही लगायी होगी पर यह एकदम उपयुक्त है। यह सेलोसिया क्रिस्टेटा का फूल है। जब ज्यादा तनाव हो तो इसके साथ गेन्दे के फूल बराबर मात्रा मे लेकर उसे जमीन पर बिछा दे फिर उस पर खडे हो जाये। हल्का-हल्का कुचले। निश्चित की लाभ होगा। सुबह का समय इसके लिये अच्छा है। कभी-कभी करे तो असर बना रहेगा। रोज करेंगे तो फूलो को भी टेंशन हो जायेगा। इसे अंग्रेजी मे बेअर फुट क्रशिंग कहा जाता है। वैसे फूलो को कुचलने के ज्यादा हक मे मै नही हूँ। अभी हाल ही मे मैने बेअर फुट क्रशिंग पर 20,000 से अधिक पन्ने लिखे है जो कि मधुमेह के साथ अन्य रोगो के उपचार मे मदद करते है। यह नाम भले ही अंग्रेजी हो पर यह विशुध्द भारतीय ज्ञान है। आपकी तरह ही। आप भी तो विशुध्द भारतीय "ज्ञान" है।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60848299801338892062007-11-06T11:49:00.000+05:302007-11-06T11:49:00.000+05:30सबसे पहले तो बधाई कि आपने संडे जैसे दिन भी सोचा ( ...सबसे पहले तो बधाई कि आपने संडे जैसे दिन भी सोचा ( सरकारी कर्मचारी होने के बाद भी)!! सोचा भी तो आस्था टाइप( अब ये उमर का तकाज़ा नही तो क्या हुआ)!!<BR/><BR/>लेकिन जो सोचा वो मस्त सोचा!!<BR/>दर-असल इसे आपका प्रेजेंटेशन कहें या लेखन शैली कहें, आप गंभीर भी लिखते हैं तो कम से कम गरिष्ठ नही लगता!!<BR/><BR/>वैसे एक सुझाव- जैसे पुराणिक जी संडे को हाफ़ शटर डाउन दुकान चलाते है वैसे ही आप संडे को आस्था वाली दुकान चलाओ कोई वान्दा नई!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53786336065269961532007-11-06T11:16:00.000+05:302007-11-06T11:16:00.000+05:30जे हो ! जे ...जे हो ! जे हो! स्वामी ज्ञानानान्दजी महाराज की जे हो. हे प्रभो भक्त को अपनी शरण मे लेले.<BR/>और सर ये सब जो कहा है पूरी इमानदारी से कहा है. आप जैसे गुरु की तलाश में ही अब तक मन का पंछी भटक रहा था. लेकिन क्या करूं बीच-बीच मे स्वामी अलोकानान्दजी टाईप के लोग आकार पथ भ्रष्ट कर देते है.लेकि अब चित्त भ्रमित नही होगा.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62387948868204858542007-11-06T08:52:00.000+05:302007-11-06T08:52:00.000+05:30ज्ञानदत्तजी,ऐसी ही अनूभूति २५ की उम्र में मुझे भी ...ज्ञानदत्तजी,<BR/>ऐसी ही अनूभूति २५ की उम्र में मुझे भी होती हैं । कुछ दिन पहले ही जब कपडे खरीदने गया तो उसने दर्दे-ए-डिस्को टाईप कपडे दिखाने शुरू किये और जब मुझे एक भी पसन्द नहीं आये तो एक आध पुराने सीधे साधे पैंट शर्ट दिखा दिये जो मुझे पसन्द आ गये, इस पर वो बोला भईया को फ़ैशन के बारे में पता नहीं है, आजकल ये कोई नहीं पहनता । इतनी खीज हुयी कि बिना कुछ लिये वापिस आ गये अब फ़िर १-२ दिन में जाने की हिम्मत करूँगा ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20652141186793514352007-11-06T08:24:00.000+05:302007-11-06T08:24:00.000+05:30ज्ञान जी अब तो मेरी दुकान भी खतरे में नजर आती है, ...ज्ञान जी अब तो मेरी दुकान भी खतरे में नजर आती है, अच्छा है आप बम्बई में नहीं, नही तो हमें घर ही बैठना पड़ता……।:) आप ने एक दम बड़िया सुझाव दिए हैं, पर मैं ये नहीं मानती कि उम्र के साथ सिनिसिजम बड़ता है, कह सकते है कि bell shaped curve लेता है. सब हमारी सोच पर निर्भर करता हैAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-3046466691629042492007-11-06T08:12:00.000+05:302007-11-06T08:12:00.000+05:30पाण्डेयजी, मानसिक हलचल बनी रहनी चाहिये बस। आधे भरे...पाण्डेयजी, मानसिक हलचल बनी रहनी चाहिये बस। आधे भरे गिलास को देखने का सबका नजरिया अलग अलग होता है किसी को वो आधा खाली लगता है तो किसी को आधा भरा। दोनो ही अपनी अपनी जगह सही है क्योंकि वो आधा सच तो कह ही रहे हैं। समस्या उस तीसरे व्यक्ति के साथ है जो बजाय ये बताने के कहना शुरू हो जाता है कि पहले इस कांच के गिलास को बदल कर स्टील का रखो तब बताऊँगा कि आधा खाली है या आधा भरा। बस इस तीसरा व्यक्ति बनने से बचियेगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35974650507951315202007-11-06T08:02:00.001+05:302007-11-06T08:02:00.001+05:30सत्य वचन महाराज, पर ये सूत्र पूरे नहीं हैं, कुछ ये...सत्य वचन महाराज, पर ये सूत्र पूरे नहीं हैं, कुछ ये भी एड करें-<BR/>1-मौके-बेमौके मीका राखी सावंत, एलिजाबेथ टेलर फोटू देखने में हर्ज नहीं है। और इस पर कोई कमेंट कर दे, दे तो दिल छोटा नहीं करते। अपना कैरेक्टर इत्ता मजबूत रखना चाहिए कि कि राखी एलिजाबेथ की बातों से खऱाब न हो।<BR/>2-किसी को सीरियसली नहीं लेना चाहिए। <BR/>3-खुद तक को नहीं।<BR/>4-बहुत अधिक श्रम नहीं करना चाहिए. आलस्य का अपना महत्व है। श्रम के परिणाम बहुत देर में आते हैं, आलस्य खटाक से परिणाम देता है।<BR/>5-सूक्ति नंबर चार पर सिर्फ संडे के दिन अमल करना चाहिए। <BR/>6-पत्नी से लगातार झगड़ा करना चाहिए, इससे घर से विरक्ति होती है। घर से विरक्त होती है, तो यह भाव पैदा होता है कि क्या करना है कमाकर। क्या करना कमाकर ,यह भाव पैदा हो जाये, तो बंदा भ्रष्टाचार की ओर उन्मुख नहीं ना होता। इस तरह से हम कह सकते हैं कि पत्नी से झगड़ने वाले बंदे ईमानदार हो जाते हैं। <BR/>7-ऊपर लिखे सारे सुझावों को टेबल पर दर्ज कर लेना चाहिए। और उनकी फोटूकापी करवा कर एक सौ एक लोगों को बंटवाना चाहिए। <BR/>पुनश्च-एलिजाबेथ टेलर का कृतित्व और व्यक्तित्व अध्ययन योग्य है, गहन राजनीतिक अध्ययन उनके अध्ययन के बगैर अधूरा है। जैसा राखी सावंतजी का सामाजिक महत्व है, वैसे ही टेलरजी का राजनीतिक महत्व है। मैं तो दोनों को पत्रकारिता के कोर्स में केस स्टडी के तौर पर पढ़ाता हूं। आपने भी किसी चिरकुट यूनिवर्सिटी से पढा़ई की है। हमरे कोर्स में आइये ना कभी।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80115575637488577202007-11-06T08:02:00.000+05:302007-11-06T08:02:00.000+05:30हम लोगों के कन्धे पर रखकर ये आस्था की बन्दूक चलायी...हम लोगों के कन्धे पर रखकर ये आस्था की बन्दूक चलायी जा रही है। आप तो फ़ंसा देंगे ज्ञानजी!बताइये पत्नी से भी रिश्ते सुधारेंगे मतलब आप कहना चाह रहे हैं कि हम बिगड़े हुये रिश्ते वाले हैं। :) आप अपनी इस शानदात आस्था प्रतिभा का इस्तेमाल करें। किसी चैनेल पर सबेरे छांटें हाईटेक प्रवचन। लेकिन नहीं, फिर ई ब्लागोपदेश छूट जायेगा। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53905814227763297082007-11-06T07:46:00.000+05:302007-11-06T07:46:00.000+05:30उम्र के चलते सठिया गए तो आपको कोई नहीं बचा सकता। ब...उम्र के चलते सठिया गए तो आपको कोई नहीं बचा सकता। बाकी के लिए आपने जो सात सूत्र बताएं हैं, उनमें से सातवें के अलावा बाकी सभी सभी के लिए चलेंगे। सातवें की जगह मैं तो मानता हूं कि अपने पर अटूट विश्वास ही सबसे बड़ी आस्था है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34398301796819408542007-11-06T07:19:00.000+05:302007-11-06T07:19:00.000+05:30आधे रविवार में इतने ज्ञानी हो गये, पूरा लगा देते त...आधे रविवार में इतने ज्ञानी हो गये, पूरा लगा देते तो सब ज्ञानी पानी भर रहे होते. :)<BR/><BR/>बहुत तो पहले से करता था, कुछ और सीख लिया.<BR/><BR/>पता नहीं आजकल लगने लगा है कि आप अक्सर ज्ञान की बात करते उसे एक पंगे की तरफ भी मोल्ड करने की कोशिश करते हैं लिंक डायरेक्ट करके..पिछली कुछ पोस्टों से...यह लांग टर्म के लिये बहुत अच्छा नहीं..यह मेरा ज्ञान अर्जन है कई सारे पूरे संडॆ लगाने के बाद. हा हा!!<BR/><BR/>ध्यान दिजियेगा मगर करियेगा वही, जो मन को भाये. मेरा ज्ञान अक्सर बकवास ही होता है. अनुभव की कमी की वजह से.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32618204590356154162007-11-06T06:07:00.000+05:302007-11-06T06:07:00.000+05:30आस्था चैनल अच्छा है.ये भी चलेगा जी.हम तो डेली पाठक...आस्था चैनल अच्छा है.ये भी चलेगा जी.हम तो डेली पाठक हैं आयेंगे ही.ब्लॉगरी का यही सूत्र है(जो हम समझे हैं).जब ब्लॉगरी चल जाय फिर आप कुछ भी बेचो सब चलता है. लेकिन शुरु में सनसनी मांगता.चैन से सोना है तो जाग जाओ टाइप.लेकिन आज का ज्ञान अच्छा है. बीच बीच में ऎसा ज्ञान ठेला जाय.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com