tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post2669266187843629868..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री उवाचGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49373851962860924862011-04-10T00:10:53.611+05:302011-04-10T00:10:53.611+05:30हिन्दुस्तान मे महात्मा गाँधी ही एक ऐसे व्यक्तित्व...हिन्दुस्तान मे महात्मा गाँधी ही एक ऐसे व्यक्तित्व है जिसे जिस रंग के चश्मे से देखे वैसे ही दिखेंगे .शास्त्री जी का चश्मा भगवा प्रायोजित था इसलिए मुस्लिम तुष्टिकरण ज्यादा दिखा . और हरे चश्मे वाले उनके राम भजन से दुखी थे . बेचारे बापू प्राण गवाने के बाद भी घसीटे जाते है बेकार के विवाद मे . अगर उन्होंने भी जात धर्म प्रदेश की राजनीती की होती तो इस किताब की प्रतियाँ जलाई जाती ,दंगे होते ,ट्रेने जलाई जाती .लेकिन बापू तुम तो निरे महात्मा ही रहेdhiru singh {धीरू सिंह}http://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6470038672595713472011-04-10T00:10:53.283+05:302011-04-10T00:10:53.283+05:30पहली बात तो आपकी फीड आज नहीं मिली . बडी मुश्किल से...पहली बात तो आपकी फीड आज नहीं मिली . बडी मुश्किल से यहाँ तक पहुँचा हूँ .<br><br>बापू के बारे में : जब वे अपनी सफाई देने के लिए यहाँ नहीं हैं हमारे विचार से उनकी अच्छी बातों को छोडकर बाकी सब भूल जाना चाहिए ! <br><br> पर आजकल अच्छी चीजों का मार्केट ही नहीं है . कोई अच्छी बात बैठकर सुनता ही नहीं उठकर चल देते हैं लोग <br>बुराई को खोद खोदकर पूछते हैंविवेक सिंहhttp://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28371886898300324872011-04-10T00:10:52.734+05:302011-04-10T00:10:52.734+05:30विवेक सिंह और प्रवीण शर्मा की बातों से पूरी तरह सह...विवेक सिंह और प्रवीण शर्मा की बातों से पूरी तरह सहमत।Zakir Ali 'Rajneesh' (S.B.A.I.http://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71259970678557307362010-10-11T19:47:49.562+05:302010-10-11T19:47:49.562+05:30@ ePandit - यह पुस्तक दो खण्डों में है। प्रतिखण्ड ...<b>@ ePandit -</b> यह पुस्तक दो खण्डों में है। प्रतिखण्ड ३०० रुपये। सन २००३ में छापी है - श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, 1-C मदन मोहन बर्मन स्ट्रीट, कोलकाता - ७००००७ ने. ईमेल - kumarsabha@vsnl.vetGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-85129926717518807352010-10-11T19:13:43.130+05:302010-10-11T19:13:43.130+05:30यह पुस्तक कहाँ से प्राप्त हो सकती है या मंगाई जा स...यह पुस्तक कहाँ से प्राप्त हो सकती है या मंगाई जा सकती है, कोई फोन नम्बर है?<br /><br />आपने खण्ड-२ लिखा है, क्या पुस्तक दो खण्डों में है?ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78655735990728460392010-10-11T19:12:05.433+05:302010-10-11T19:12:05.433+05:30यह विचित्र देश है जहाँ भगवान राम पर ऊँगली उठायी जा...यह विचित्र देश है जहाँ भगवान राम पर ऊँगली उठायी जा सकती है लेकिन गाँधी पर नहीं गोया गाँधी भगवान से भी बड़े हो गये। गाँधी कैसी छुईमुई हैं कि उनके बारे में अच्छा ही बोलना है, उनकी कमियाँ, गलतियाँ चाहे सच भी हों बोलनी नहीं हैं।<br /><br />लोग कह देते हैं छोटी-मोटी गलतियाँ हर किसी से हो जाती हैं, गाँधी जी की गलतियाँ छोटी नहीं थी। नेहरु को प्रधानमन्त्री बनाने के लिये भारत का विभाजन स्वीकार किया, विभाजन हो भी गया था तो जनसंख्या का बंटवारा न होने देकर हमेशा के लिये नासूर छोड़ दिया। भारतवासियों को क्रान्तिकारियों, आजाद-हिन्द-फौज का साथ न देने के लिये कहकर अंग्रेजों की सहायता की। पटेल की बजाय नेहरु को प्रधानमन्त्री बनावाया जिनकी कश्मीर और चीन नीति का परिणाम देशवासी भुगत रहे हैं, पाकिस्तान को अनशन करके ५५ करोड़ दिलवाये जिसका उपयोग उसने हिन्दुस्तानियों का खून बहाने में किया, क्या उन मृतकों की आत्मा गाँधी के प्रति श्रद्धा रखती होगी?<br /><br />एक-दो नहीं सैकड़ों गलतियाँ हैं गाँधी जी की, सभी लिखने बैठो तो पता नहीं कितनी पोस्टें बन जायें। फिर भी गाँधी महान हैं, क्या महापुरुष इतनी गलतियाँ करते हैं?<br /><br />भारत में कॉंग्रेसी, कम्युनिष्ट का झूठ भी सच है और संघ से जुड़े लेखक का सच भी झूठ है।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47685629140534005022009-10-06T02:29:59.631+05:302009-10-06T02:29:59.631+05:30मैं ये सब पढ़ कर दंग सा रह गया | गाँधी जी इस हद तक...मैं ये सब पढ़ कर दंग सा रह गया | गाँधी जी इस हद तक निचे गिर चुके थे पता ही नहीं था |<br /><br />ज्ञानदत्त जी सत्य से आपने रु-बा-रु करवाया ... आभारी हूँ आपका | भविष्य मैं भी ऐसे आलेख पढ़वायें तो अच्छा रहेगा |<br /><br />आपके प्रयासों की सराहना करता हूँ |Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-23588868400641087672009-08-01T19:58:17.569+05:302009-08-01T19:58:17.569+05:30शास्त्री जी के बहाने आपने गांधी जी के योगदान पर चर...शास्त्री जी के बहाने आपने गांधी जी के योगदान पर चर्चा करके अच्छा किया। अभी हाल ही में डा. रामविलास शर्मा की किताब, "गांधी, आंबेडकर, लोहिया और भारतीय इतिहास की समस्याएं", वाणी फ्रकाशन, दिल्ली, पढ़ रहा था। गांधी जी के संबंध में काफी बातें इस किताब से स्पष्ट होती है। काफी मोटी किताब है, समय मिले तो अवश्य उलट-पलट कर देखें।<br /><br />डा. शर्मा का मानना है कि गांधीजी सुधारवादी नेता थे, और अंग्रेज और देशी पूंजीपति (बिड़ला, साराभाई, बजाज, आदि) उन्हें इसलिये पसंद करते थे क्योंकि वे कम्युनिस्ट क्रांति के फूट निकलने से रोके हुए थे। गांधीजी दो कदम आगे, चार कदम पीछे वाली नीति बारबार अपनाते थे, और बातबात पर अनशन पर बैठ जाते थे, जिससे क्रांति की अग्नि ठंडी पड़ जाती थी!<br /><br />पर गांधीजी की अनेक बातें बहुत पते की हैं। भाषा के मामले में उनकी नीति बहुत सही थी। केवल गांधीजी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। बाकी सब नेता, नेहरू आदि, इस मामले में घोर अंग्रेजी-परस्त थे। देश की राजनीति में गरीब किसानों और गांव की अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखना भी गांधी जी की महान उपलब्धि है। यदि अंग्रेज यहां से भागे तो इसी वजह से। इतने विशाल जन-आंदोलन का दमन उनके लिए कठिन और खर्चीला हो गया था। ऊपर से सुभाष चंद्र बोस और उनकी इंडियन नेशनल आर्मी के कारण अंग्रेजों को भारतीय सेना की उनके प्रति वफादारी पर भी भरोसा नहीं रह गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वे वैसे भी कंगाल हो चुके थे।<br /><br />खैर गांधीजी आंवले की तरह हैं, खट्टे भी हैं, मीठे भी। हमें उन्हें वार्ट्स एंड ऑल स्वीकार करना चाहिए। यह उन्हें चबूतरे पर बैठाकर साल में एक बार उनकी पूजा कर लेने से कहीं बेहतर है।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40941866017574084312009-02-05T01:48:00.000+05:302009-02-05T01:48:00.000+05:30आश्चर्य हुआ! दुःख भी...आश्चर्य हुआ! दुःख भी...Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54497077547916829432009-02-04T18:46:00.000+05:302009-02-04T18:46:00.000+05:30बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी... इस बहस का कोई सार...बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी... इस बहस का कोई सार नहीं।<BR/>निशांकजी की बात से सौ प्रतिशत सहमत।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81767649100355859082009-02-04T17:17:00.000+05:302009-02-04T17:17:00.000+05:30दरअसल एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के इतने पहलु होते ह...दरअसल एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के इतने पहलु होते हैं की ठीक तरह से उन्हें जान पाना और उनकी व्याख्या कर पाना संभव नहीं है....फिर गांधी जी तो ऐसे इंसान हैं जिनके बारे में हर कोई जानना चाहता है और अलग अलग किताबों में पढ़कर अलग अलग लोगो की नज़र से गांधी को समझने की कोशिश में मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं.....आज गांधी नहीं हैं तो क्यों न उनके वे कार्य जिनकी हम प्रशंसा करते हैं ,उन्हें सराहें ! बाकी बातें जो गलत हैं ,या हमारी द्रष्टि में उचित नहीं हैं उन पर अब बहस करने से क्या होगा? गांधी जी अब हैं नहीं जो उन्हें सुधार सके! आखिर वे भी एक इंसान ही थे और हम सब की तरह उनमे भी गलतियां और बुराइयां थीं! तमाम गलतियों के बाद भी उनकी अच्छाइयों को कभी नहीं नकारा जा सकता ये अटल सत्य है!pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30126273388459755832009-02-04T15:11:00.000+05:302009-02-04T15:11:00.000+05:30कल पोस्ट और उस समय तक की टिपण्णीयां पढ़ी थी. आज फिर...कल पोस्ट और उस समय तक की टिपण्णीयां पढ़ी थी. आज फिर टिपण्णीयां पढ़ी. कुछ कहने को है नहीं इस मुद्दे पर.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18640704058921770162009-02-04T12:34:00.000+05:302009-02-04T12:34:00.000+05:30गाँधी के बारे में मेरा ज्ञान.. नाम मोहनदास कर्मचंद...गाँधी के बारे में मेरा ज्ञान.. <BR/><BR/>नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी<BR/>पत्नी कस्तूरबा<BR/>पेशे से वकील<BR/>आज़ादी की लड़ाई में योगदान<BR/>2 ऑक्टोबर को जन्मदिवस<BR/>नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या की.. <BR/>इनके नाम से जोधपुर में एक अस्पताल है.. <BR/>जयपुर में बापू नगर है.. <BR/>भारतीय मुद्रा पर फोटो छपी होती है.. <BR/><BR/>इसके अलावा थोडा बहुत और जानता हू.. फिर गाँधी को जानना ज़रूरी भी तो नही.. जान लिया तो और टेंशन लोगो की शंकाओ का जवाब देते फ़िरो.. <BR/><BR/>वैसे गाँधी की यू एस पी बढ़ रही है इन दिनो..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-8504086061521330302009-02-04T11:44:00.000+05:302009-02-04T11:44:00.000+05:30जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73993335751747068012009-02-04T08:54:00.000+05:302009-02-04T08:54:00.000+05:30ईसा मसीह अगर स्वयम ईश्वर की एकमात्र सँतान हैँ तब उ...ईसा मसीह अगर स्वयम ईश्वर की एकमात्र सँतान हैँ तब उन्हँने, अपने आप को क्योँ सूली पे चढने से बचाया नहीँ ?<BR/>मुहम्मद पैयगम्बर ने क्यूँ हुसैन की शहादत के वक्त, फरीश्तोँ को उनके बचाव के लिये ना भेजा ? <BR/>गाँधी जी ने क्यूँ हद से ज्यादा मुसलमान नेताओँ की तरफदारी की और उन्हेँ नेतृत्व सौँपने की इच्छा की थी ?<BR/>कई सारे ऐसे ही, प्रश्न हैँ, जिनके उत्तर, कभी ना मिल पायेँगे...<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83211384833356012242009-02-04T06:01:00.000+05:302009-02-04T06:01:00.000+05:30आदमी को पहचानने में कई बार भूल हो जाती है और हर कि...आदमी को पहचानने में कई बार भूल हो जाती है और हर किसी से होती है, उनसे भी हो गयी थीTarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-19721296783305179112009-02-04T04:11:00.000+05:302009-02-04T04:11:00.000+05:30सिर्फ़ भारत में ही ऐसा है कि यदि कोई बड़ा व्यक्तित...सिर्फ़ भारत में ही ऐसा है कि यदि कोई बड़ा व्यक्तित्व है तो उसे मर्यादा पुरषोत्तम बनना ही पड़ेगा! उसमें कोई कमी नही हो सकती! और अगर किसी ने कमी की तरफ़ देखा भी, तो उसके बड़े बड़े चश्मे लगे हैं :) <BR/>अगर गाँधी जी जीवित होते तो शायद स्वयं बता देते कि तुष्टिकरण किया| अपने जीवन के विवादास्पद पन्नो को भी उजागर कर देते| यदि ऐसा होता, तो क्या हम उन्हें उतना ही सम्मान देते? गाँधी जी पर मेरी कोई विशेषज्ञता नही, लेकिन ऐसा प्रतीत होता उन्होंने स्वयं कभी कुछ छुपाया नही [हाल में उठे सारे प्रश्नों का उत्तर स्वयं गाँधी जी के लेखों या उस समय के लिखे लेखों से मिल जाता है], ये तो उनके आस पास के लोगों ने ही उन्हें महात्मा बनाया और बनाये रहने का बीडा उठा लिया| <BR/><BR/>अंत में कुछ टिप्पणीकारो से यह प्रश्न - 'आर एस एस' को ले के इतना द्वेष क्यों?निशांकhttps://www.blogger.com/profile/13254457284806808478noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15215898755522595332009-02-03T23:57:00.000+05:302009-02-03T23:57:00.000+05:30चश्मा निकाल कर , आंख खोलकर आज की सरकार को देखिए - ...चश्मा निकाल कर , आंख खोलकर आज की सरकार को देखिए - सब समझ जाएंगे:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60829611707137668822009-02-03T22:20:00.000+05:302009-02-03T22:20:00.000+05:30गांधी पर अधिकारपूर्वक कहने की स्थिति में, देश में ...गांधी पर अधिकारपूर्वक कहने की स्थिति में, देश में गिनती के लोग होंगे। सामान्यत: जो भी कहा जाता है वी अत्यल्प अध्ययन के आधार पर ही कहा जाता है। गांधी की आत्म कथा, महादेव भाई की डायरी और गांधी वांगमय पूरा पढे बिना गांधी पर कोई अन्तिम टिप्पणी करना सम्भवत: जल्दबाजी होगी और इतना सब कुछ पढने का समय और धैर्य अब किसी के पास नहीं रह गया है। ऐसे में गांधी 'अन्धों का हाथी' बना दिए गए हैं। विष्णुकान्तजी शास्त्र की विद्वत्ता पर किसी को सन्देह नहीं होना चाहिए किन्तु उनकी राजनीतिक प्रतिबध्दता उनकी निरपेक्षता को संदिग्ध तो बनाती ही है।<BR/>ऐसे में यही अच्छा होगा कि हममें से प्रत्येक, गांधी को अपनी इच्छा और सुविधानुसार समझने और तदनुसार ही भाष्य करने के लिए स्वतन्त्र है।<BR/>किन्तु कम से कम दो बातों से इंकार कर पाना शायद ही किसी के लिए सम्भव हो। पहली - आप गांधी से असहमत हो सकते हैं किन्तु उपेक्षा नहीं कर सकते। और दूसरी, तमाम व्याख्याओं और भाष्य के बाद भी गांधी न केवल सर्वकालिक हैं अपितु आज भी प्रांसगिक भी हैं और आवश्यक भी।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15871678282374305292009-02-03T20:32:00.000+05:302009-02-03T20:32:00.000+05:30अब शाश्त्री जी आर.एस.एस से हैं तो बात चश्मे की तो ...अब शाश्त्री जी आर.एस.एस से हैं तो बात चश्मे की तो उठेगी ही. फ़िर भी मैं समझता हुं कि अभी ये आरोप प्रत्यारोप लगते ही रहेंगे. गाम्धी जी को गुजरे अभी ज्यादा समय नही हुआ है.<BR/><BR/>अभी हम उनको जिस चश्मे से देखना चाहते हैं यानि कि उनमे कोई भी मानविय कमजोरियां ना हो, और वो एक सम्पुर्ण अवतारी पुरुश हों, तो यह अभी सम्भव नही है.<BR/><BR/>हो सकता है काफ़ी समय बाद ऐसा हो.फ़िलहाल तो यही कम नही है कि हम गांधी जी को इस रुप के समतुल्य आंकने की कोशीश तो करते हैं? यानि हम अपेक्षा तो करते हैं. आपने बहुत लाजवाब विषय उठाया आज. बहुत धन्यवाद.<BR/><BR/>रामराम.<BR/><BR/>रामरम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35425776277145624252009-02-03T19:43:00.000+05:302009-02-03T19:43:00.000+05:30इस देश में किताब पढ़कर खामोश रहने का रिवाज है सर ज...इस देश में किताब पढ़कर खामोश रहने का रिवाज है सर जी.डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80197552963239353342009-02-03T19:35:00.000+05:302009-02-03T19:35:00.000+05:30गांधी जी की कुछ बातो को छोड कर ,मुझे गांधी जी की क...गांधी जी की कुछ बातो को छोड कर ,मुझे गांधी जी की कोई भी बात अच्छी नही लगी.<BR/>ओर बहुत बहस भी हुयी दोस्तो मे, इस बारे कालेज के जमाने मै. <BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7080475956437799332009-02-03T18:54:00.000+05:302009-02-03T18:54:00.000+05:30लेकिन यह तो देखिये अपनी बात कितने सलीके और सयम से ...लेकिन यह तो देखिये अपनी बात कितने सलीके और सयम से कही है शास्त्री जी ने !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-51513294386853165502009-02-03T17:39:00.000+05:302009-02-03T17:39:00.000+05:30सोचता हूँ की एक छोटे से (या, ह्त्या करके ज़बरदस्ती...सोचता हूँ की एक छोटे से (या, ह्त्या करके ज़बरदस्ती छोटा कर दिए गए) जीवन में इतनी सारी गलतियां <BR/> इतनी सारी गलतियाँ कर पाने के लिए गांधी जी को कितना सकारात्मक काम करना पडा होगा? आज जो लोग भूत की सारी गलतियां उनके सर मढ़ देना चाहते हैं उन्हें यह तो मानना ही पडेगा कि, "गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में, वो सिफत क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें." <BR/><B>अफ़सोस, इतने बड़े देश में इक वही शहसवार निकला.</B> <BR/>और हाँ - यह चश्मे अंधों को मुबारक (बरेली की भाषा में - इन चश्मों की ऐसी की तैसी!)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55668088619130990292009-02-03T15:28:00.000+05:302009-02-03T15:28:00.000+05:30ऊपर धीरू सिंह जी और विवेक जी ने सब कुछ कह दियाऊपर धीरू सिंह जी और विवेक जी ने सब कुछ कह दियानिशाhttps://www.blogger.com/profile/10186293830747813806noreply@blogger.com