tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post2619386938969074233..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: सफलता की अचूक नीतिGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-38911164931820845982011-04-10T00:18:28.838+05:302011-04-10T00:18:28.838+05:30सूरन हमें बहुत पसन्द है। काम की चीज़ है।खरीदकर आलू ...सूरन हमें बहुत पसन्द है। काम की चीज़ है।<br>खरीदकर आलू और प्याज़ के साथ टोकरी में रख दो, कई दिनों तक।<br>फ़्रिज में रखने की ज़रूरत नहीं होती।<br><br>तैंतीस साल तक शादी का अनुभव है मुझे और फ़लस्वरूप खाल गेंडे जैसा बन गया है और खुजली नहीं होती। <br>लाभ उठाकर पत्नि सूरन छीलने और काटने का काम हमें सौंप देती है। बाद में मेज़ पर जमे मिट्टी साफ़ करने का काम सो अलग। <br>लेकिन सबज़ी बढ़िया बनाती है। इतना स्वादिष्ट होता है की मेहनत से कतराता नहीं हूँ। और आपके ब्लॉग पढ़ने के बाद अतिरिक्त "बोनस" के तौर पर पता चला कि अगले ज्न्म में कभी छ्छूंदर नहीं बनूँगा।<br>धन्यवाद।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91076337778754786782011-04-10T00:18:28.371+05:302011-04-10T00:18:28.371+05:30सूरन छछूंदर वाली बात तो हम लोगों के यहाँ भी कही ...सूरन छछूंदर वाली बात तो हम लोगों के यहाँ भी कही जाती है और इसीलिए दिवाली के दिन सूरन खाया जाता है ।और बाकि पूरे साल सूरन खाने की याद भी नही आती है । :)<br>वैसे यहाँ गोवा मे तो लोग बारह मास सूरन खाते है ।<br><br>मन हो रहा है कि मानसिक हलचल जय, विजय, सत्य, समर्पण जैसे सद्गुणों पर ही हो सतत तो कितना शुभ हो ।<br>अच्छा विचार है ।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41632629855622202982011-04-10T00:18:27.988+05:302011-04-10T00:18:27.988+05:30एक लक्ष्य एक निष्ठ हो कर किया गया कर्म फलीभूत होता...एक लक्ष्य एक निष्ठ हो कर किया गया कर्म फलीभूत होता ही है।शिव(चरम लक्ष्य)की प्राप्ति के लिए शक्ति(शुचिता युक्त साधन)तो होना ही चाहिये।स्वामि समर्थ रामदास नें बार बार विजयश्री से वंचित शिवाजी को कहा था बिना शक्ति के आराधन के शिव कैसे प्राप्त कर सकता है?विजय हुई तुलजाभवानी की आराधना से।आसन्न चुनावों में साँपो की सर्पीली चाल देखते हुए ‘हम’ लोगों की गति छुछून्दर वाली होनीं ही है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-76839635929304139122011-04-10T00:18:27.427+05:302011-04-10T00:18:27.427+05:30बॉस अपन तो नई बनेंगे क्योंकि जिमीकंद अपनी फ़ेररेट स...बॉस अपन तो नई बनेंगे क्योंकि जिमीकंद अपनी फ़ेररेट सब्जी हैGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43631012496500528182008-11-01T14:35:00.000+05:302008-11-01T14:35:00.000+05:30Sooran ka chooran ya chatani khane wale agle janm ...Sooran ka chooran ya chatani khane wale agle janm me chachunder bante hain ya kuch aur lekin Deepawali ke agle din dher sare log 'Bagad Billa' bane zaroor nazar aten hain. Nahin samjhe? Deepawali ki raat PARA hua kazal lagane ki bhi parampara hai. kazal lagane ke baad subah bade bade 'banke' bhi 'Bilauta' nazar ate hain.rajivhttps://www.blogger.com/profile/10917588871855963207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29892961361076233702008-10-31T00:21:00.000+05:302008-10-31T00:21:00.000+05:30जिमीकंद को छत्तीसगढ़ में गरीबों का nonveg भी कहा जा...जिमीकंद को छत्तीसगढ़ में गरीबों का nonveg भी कहा जाता है...इसके बनने की विधियां अलग अलग है किंतु जो मसालेदार बनाया जाता है उसकी शैली और स्वाद nonveg जैसा ही होता है. चलिए स्वाद के साथ छछूंदर न बनने का बीमा भी...अब चमेली का तेल भी नहीं ढ़ुँढ़ंना पड़ेगा.समीर यादवhttps://www.blogger.com/profile/07228489907932952843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5730793077638371382008-10-30T23:44:00.000+05:302008-10-30T23:44:00.000+05:30एक लक्ष्य एक निष्ठ हो कर किया गया कर्म फलीभूत होता...एक लक्ष्य एक निष्ठ हो कर किया गया कर्म फलीभूत होता ही है।शिव(चरम लक्ष्य)की प्राप्ति के लिए शक्ति(शुचिता युक्त साधन)तो होना ही चाहिये।स्वामि समर्थ रामदास नें बार बार विजयश्री से वंचित शिवाजी को कहा था बिना शक्ति के आराधन के शिव कैसे प्राप्त कर सकता है?विजय हुई तुलजाभवानी की आराधना से।आसन्न चुनावों में साँपो की सर्पीली चाल देखते हुए ‘हम’ लोगों की गति छुछून्दर वाली होनीं ही है।सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’https://www.blogger.com/profile/14324507646856271888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80925851032046604412008-10-30T23:05:00.000+05:302008-10-30T23:05:00.000+05:30बॉस अपन तो नई बनेंगे क्योंकि जिमीकंद अपनी फ़ेररेट स...बॉस अपन तो नई बनेंगे क्योंकि जिमीकंद अपनी फ़ेररेट सब्जी हैSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-27573895706425597932008-10-30T22:14:00.000+05:302008-10-30T22:14:00.000+05:30भाई अब हम तो ३० बार छछूंदर ही बनेगे, चलिये आप क धन...भाई अब हम तो ३० बार छछूंदर ही बनेगे, चलिये आप क धन्यवाद ३१ बार बच लिया, अगली दिपावली पर अगर छछूंदर नही बने तो जरुर जीमी कंद खाये गये दिपावली के दिन , लेकिन यह तो बता दो की खाना कच्चा ही है या सब्जी बन कर भी खा सकते है, कच्चा खाना...<BR/>धन्यवाद एक अति सुन्दर पोस्ट के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-60580742057734658142008-10-30T20:13:00.000+05:302008-10-30T20:13:00.000+05:30हमने अपना काम किया, अब भागवत्प्रसाद कैसे मिले? इसे...हमने अपना काम किया, अब भागवत्प्रसाद कैसे मिले? इसे पाने का क्या तरीक़ा है आपके हिसाब से?Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48337771115161346012008-10-30T20:06:00.000+05:302008-10-30T20:06:00.000+05:30विचारणीय पोस्ट !विचारणीय पोस्ट !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78538102619344186902008-10-30T16:15:00.000+05:302008-10-30T16:15:00.000+05:30आप यह भी बता दें कि क्या छछूंदर अपनी चोंच से इसे क...आप यह भी बता दें कि क्या छछूंदर अपनी चोंच से इसे कुतर सकता है? ताकि अगले जन्म की चिन्ता थोड़ी कम हो। क्योंकि हमारा तो छछूंदर बनना तय करा दिया करवा दिया है आपने यह लिख कर।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5145025559605744142008-10-30T14:23:00.000+05:302008-10-30T14:23:00.000+05:30वाह! छछुन्दर बिक रहा है, सफलता की बोली ही न लग पा ...<B>वाह! छछुन्दर बिक रहा है, सफलता की बोली ही न लग पा रही है! </B> <BR/><BR/>'बड़ें भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथिन्ह गावा' और आप हैं की एक सूरन को लेकर छछुन्दर बनाए दे रहे हैं. अब लोग छछुन्दर सोचेंगे की सफलता :-) <BR/><BR/>वैसे हम भी छछुन्दर बनेंगे अब तो!Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-84732828534451696272008-10-30T11:52:00.000+05:302008-10-30T11:52:00.000+05:30चलिए हम तो छछूंदर बनने की तैयारी करते हैं । परन्तु...चलिए हम तो छछूंदर बनने की तैयारी करते हैं । परन्तु यही बात दीवाली से पहले बता देते तो ?<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-54748813904757856342008-10-30T11:08:00.000+05:302008-10-30T11:08:00.000+05:30सूरन छछूंदर वाली बात तो हम लोगों के यहाँ भी कही ...सूरन छछूंदर वाली बात तो हम लोगों के यहाँ भी कही जाती है और इसीलिए दिवाली के दिन सूरन खाया जाता है ।और बाकि पूरे साल सूरन खाने की याद भी नही आती है । :)<BR/>वैसे यहाँ गोवा मे तो लोग बारह मास सूरन खाते है ।<BR/><BR/>मन हो रहा है कि मानसिक हलचल जय, विजय, सत्य, समर्पण जैसे सद्गुणों पर ही हो सतत तो कितना शुभ हो ।<BR/>अच्छा विचार है ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78416663302124005692008-10-30T10:52:00.000+05:302008-10-30T10:52:00.000+05:30वैसे तो हमने जिमिकंद खा लिया है , इसलिए अगले जन्म...वैसे तो हमने जिमिकंद खा लिया है , इसलिए अगले जन्म में छूछूंदर बनने का तो कोई सवाल नहीं है , पर दीपावलि से छठ तक हर छोटी छोटी वस्तुओं की भी जरूरत क्यों पड पड जाती है ,इस परंपरा का अर्थ जाने के लिए मैं चिंतन कर रही थी। मुझे लगा कि वह शायद इसलिए कि किसी के घर पर कोई भी वस्तु हो तो वह उसका अदल बदल कर आराम से त्यौहार मना सके। शायद आप हमसे सहमत न भी हों।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34204843472790134162008-10-30T10:48:00.000+05:302008-10-30T10:48:00.000+05:30सूरन हमें बहुत पसन्द है। काम की चीज़ है।खरीदकर आलू ...सूरन हमें बहुत पसन्द है। काम की चीज़ है।<BR/>खरीदकर आलू और प्याज़ के साथ टोकरी में रख दो, कई दिनों तक।<BR/>फ़्रिज में रखने की ज़रूरत नहीं होती।<BR/><BR/>तैंतीस साल तक शादी का अनुभव है मुझे और फ़लस्वरूप खाल गेंडे जैसा बन गया है और खुजली नहीं होती। <BR/>लाभ उठाकर पत्नि सूरन छीलने और काटने का काम हमें सौंप देती है। बाद में मेज़ पर जमे मिट्टी साफ़ करने का काम सो अलग। <BR/>लेकिन सबज़ी बढ़िया बनाती है। इतना स्वादिष्ट होता है की मेहनत से कतराता नहीं हूँ। और आपके ब्लॉग पढ़ने के बाद अतिरिक्त "बोनस" के तौर पर पता चला कि अगले ज्न्म में कभी छ्छूंदर नहीं बनूँगा।<BR/>धन्यवाद।G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71500603581658041872008-10-30T10:33:00.000+05:302008-10-30T10:33:00.000+05:30छछूंदर हिन्दी ब्लॉग जगत का प्रतीक है. लोग अपने आप ...छछूंदर हिन्दी ब्लॉग जगत का प्रतीक है. लोग अपने आप को उसके साथ बेहतर आइडेंटीफाय कर पाते हैं, सो ताज्जुब नहीं कि ज्यादा आकर्षण का केन्द्र बन रहा है. कृष्ण-अर्जुन, जय-विजय, सत्य-समर्पण जैसी कठिन शब्दावली आमने आते ही अधिकतर तो सांप-छछूंदर की गति को प्राप्त हो लेते हैं.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53533013528361528092008-10-30T10:01:00.000+05:302008-10-30T10:01:00.000+05:30वाह! छछुन्दर बिक रहा है, सफलता की बोली ही न लग पा ...<B>वाह! छछुन्दर बिक रहा है, सफलता की बोली ही न लग पा रही है! </B>Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-63131101731495352462008-10-30T09:41:00.000+05:302008-10-30T09:41:00.000+05:30अब जिन्हों ने नहीं खाया छछून्दर ही बनना है। छछूंदर...अब जिन्हों ने नहीं खाया छछून्दर ही बनना है। छछूंदरों की आबादी बढ़ना तय है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-56925627853209253742008-10-30T09:16:00.000+05:302008-10-30T09:16:00.000+05:30पैशन, हर हाल में करके दिखाना, यही सफलता के मूल में...पैशन, हर हाल में करके दिखाना, यही सफलता के मूल में है। ऊपर वाले की कृपा अपने हाथ में नहीं है। हम खुद पर ही कृपा कर लें मेहनत, लगन से काम कर लें। तो बहुत है। बाकी आप जमाये रहिये, इन दिनों स्वामी ज्ञानानंदजी हुए जा रहे हैं। आदरणीय रीताजी की प्रेरणा काम कर रही है। ज्ञान अंतत आता पत्नी की तरफ से ही है, वह चाहे तुलसीदासजी का मामला हो, या स्वामी ज्ञानानंदजी का हो.। <BR/>बोल स्वामी ज्ञानानंद की जय।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-62983926116960320642008-10-30T08:57:00.000+05:302008-10-30T08:57:00.000+05:30अगले जनम की बात तो छोडिये हम लोगो के यहाँ जो इमली ...अगले जनम की बात तो छोडिये हम लोगो के यहाँ जो इमली और सिरका से उपचार किए बिना देसी सूरन खता है वह तत्छन छछूंदर योनि को प्राप्त हो जाता है . मैंने ख़ुद अपनी आँखों से लोंगो को छछूंदर होते देखा है .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13404657772664943072008-10-30T08:50:00.000+05:302008-10-30T08:50:00.000+05:30आज के टाइम में सारे बिना सूरन खाए छुछवाए छछूंदर क...आज के टाइम में सारे बिना सूरन खाए छुछवाए छछूंदर के माफिक भटक रहे हैं, अब सूरन ढूँढ़ने के लिए कहॉं भटका जाए।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75361970511907529762008-10-30T08:48:00.000+05:302008-10-30T08:48:00.000+05:30आज का आपका विचार अत्यन्त ही सुंदर है ! अब एक सवाळ...आज का आपका विचार अत्यन्त ही सुंदर है ! अब एक सवाळ मन में पैदा हो गया है की हम तो इसी जन्म में छछूंदर हैं तो अगले जन्म में क्या होगा ? चिंता सताने लग गई है ! :)ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75687695064064203302008-10-30T07:35:00.000+05:302008-10-30T07:35:00.000+05:30सफलता की अचूक नीति:बाज़ी जीत जाने की आदत क़ातिलाना ह...सफलता की अचूक नीति:<A HREF="http://manoshichatterjee.blogspot.com/2008/10/blog-post_29.html" REL="nofollow">बाज़ी जीत जाने की आदत क़ातिलाना होती है।</A>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com