tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post2404641510334387051..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: मालगाड़ी के इंजन पर ज्ञानदत्तGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger54125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15119396841323859492011-04-10T00:12:53.566+05:302011-04-10T00:12:53.566+05:30मालगाड़ी सौ की रफ़्तार से...? बाप रे बाप। भारत की ...मालगाड़ी सौ की रफ़्तार से...? बाप रे बाप। भारत की रेल पटरियाँ इतनी मजबूत और टिकाऊ हैं यह जानकर अच्छा लगा।<br><br>कालिख पुते कपड़ों में कोयले से यारी करते पहले के रेल ड्राइवर अब चाक-चौबन्द ‘पायलट’ हो गये हैं यह भी बड़ा अच्छा परिवर्तन है। मन प्रसन्न हुआ।<br><br>बच्चों की देखभाल और घर का प्रबन्धन तो कुशल गृहिणी ही कर पाएगी। भाभी जी के ऑब्जर्वेशन से पूर्ण सहमत।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28768670212611650412011-04-10T00:12:53.067+05:302011-04-10T00:12:53.067+05:30@ मालगाड़ी में WAG9 लोकोमोटिव और BOXN-HL वैगनों के...@ मालगाड़ी में WAG9 लोकोमोटिव और BOXN-HL वैगनों के रेक का जोड़ तो मानो संगीत है ट्रेन परिचालन में।<br><br>अपने धन्धे से यह जुड़ाव प्रेरणादायी है। अभी रेलवे आधुनिकीकरण की शुरुआत कर रही है। मंजिल बहुत दूर है। 'फॉग विजीबिलिटी' वाले यंत्र की यात्रा कहाँ तक पहुँची है?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-76658342234338981172011-04-10T00:12:52.357+05:302011-04-10T00:12:52.357+05:30आप की पत्नी ठीक कहती हैं,'ट्रेन चालकों की घरेल...आप की पत्नी ठीक कहती हैं,<br>'ट्रेन चालकों की घरेलू जिन्दगी में असली परिवर्तन उनकी पत्नियों के पढ़े लिखे होने से आया है। वे पैसे और घर का बेहतर प्रबन्धन करती हैं।'<br>यह बात केवल ट्रेन चालकों के जीवन के लिये पर हम सब के जीवन में लागू होती है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91405629770362837062011-04-10T00:12:52.162+05:302011-04-10T00:12:52.162+05:30मान्यवर आपने तो रेलवे के सारे फोटोग्राफ़्स का ही का...मान्यवर आपने तो रेलवे के सारे फोटोग्राफ़्स का ही कापीराइट ले डाला। सलाह भी दे डाली अपने टिप्पणीकारों को कि बाहर के व्यक्ति का इंजन में आना अपराध है लेकिन क्या आपने फोटोग्राफ़ी की अनुमति ली थी और फिर उसके प्रकाशन की भी विभाग से????? विभागीय गोपनीयता संबंधी नियम आप ताक पर रख रहे हैं दूसरी बात क्या आप बताएंगे कि आप इंजन में क्या कर रहे थे? सिर्फ़ पोस्ट लिखने के लिये चढ़े थे या फिर कोई विभागीय कार्य था? बिना उचित कारण(श्वेत पासधारक ही) इंजन में चालक की अनुमति से आ सकता है ये भी आपको पता होगा आप तो यातायात से संबद्ध हैं। नई पीढी के इन चालक और सहायक चालकों ने आपको ये सब बताया नहीं बल्कि १०० कि.मी./घंटा की गति पर लापरवाही से आपका अतिथि सत्कार कर रहे हैं आप सबके लिये दंडनीय है ये हरकत जबकि द्रश्यता साफ़ नहीं है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39720165093691857322011-04-10T00:12:51.859+05:302011-04-10T00:12:51.859+05:30बहुत अच्छी जानकारी दी। अंदर की भी। मेरा मतलब है इं...बहुत अच्छी जानकारी दी। अंदर की भी। मेरा मतलब है इंजन के अंदर की। आपसे सहमत हूं --<br>पिछली पीढ़ी के तो पढ़ने लिखने में कमजोर थे। वे अपना पैसे का भी ठीक से प्रबन्धन नहीं का पाते थे। अपनी सन्ततियों को (ज्यादातर घर से बाहर रहने के कारण) ठीक से नहीं पाल पाते थे – उनके आवारा होने के चांस बहुत थे। <br>भाभी जी का विचार बिलकुल सही है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22971198972911489822011-04-10T00:12:51.426+05:302011-04-10T00:12:51.426+05:30ट्रेन इंजन में यात्रा करना सच में एक अलग अनुभव है ...ट्रेन इंजन में यात्रा करना सच में एक अलग अनुभव है । शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन कार्य है पर श्री ज्ञानदत्त जी ने एक लालसा जगा दी है । सबसे आगे खड़े होकर दृश्यों को १०० किमी प्रति घंटा की गति से आते हुये देखना जबकि आप के पीछे ५००० टन का भार हो । ऐसा लगता है ट्रेन के सारी गतिज ऊर्जा आपके रोमांच में समाहित हो गयी हो ।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-10628388085759273362011-04-10T00:12:51.244+05:302011-04-10T00:12:51.244+05:30"रेलवे के बाहर के व्यक्ति ट्रेन इंजन में चलने..."रेलवे के बाहर के व्यक्ति ट्रेन इंजन में चलने को अनाधिकृत हैं। उसमें पाये जाने पर कड़ा जुर्माना तो है ही, मजिस्टेट न जाने कौन कौन रेलवे एक्ट या पीनल कोड की धाराओं में धर ले! लिहाजा आप तो कैब का फोटो ही देखें।"<br>:( ...हार्दिक इच्छा थी जी इंजिन में बैठने की :(Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90337960167286085832010-07-24T14:05:31.509+05:302010-07-24T14:05:31.509+05:30हम तो रेलवे क्रासिंग पर जब ट्रेन गुजरने वाली होती ...हम तो रेलवे क्रासिंग पर जब ट्रेन गुजरने वाली होती है तब रूकर खूब मजे लेकर देखते हैं । आज इंजन के बारे में भी पता चल गया । 100 की रफ्तार में दौड़ रहे हैं तो निश्चित ही तरक्की पर हैं ।कृष्ण मोहन मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14783932323882463991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-65918145925462075932010-01-15T20:15:22.804+05:302010-01-15T20:15:22.804+05:30मालगाड़ी के तेज चलने की खबर तो आप दे ही चुके थे । उ...मालगाड़ी के तेज चलने की खबर तो आप दे ही चुके थे । उसका अनुभव भी लिया और बाँटा आपने इस पोस्ट के जरिये ।<br /><br />संभावनाशील है नई पीढ़ी, आप कह रहे हैं तो संभावनायें बनती हैं इसकी। मैं प्रमुदित हूँ इस घोषणा से आपकी ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80024566694072156402010-01-15T16:25:39.766+05:302010-01-15T16:25:39.766+05:30पढ़े लिखे होने से परिवर्तन तो होना ही है. हर क्षेत्...पढ़े लिखे होने से परिवर्तन तो होना ही है. हर क्षेत्र में हो रहा है जी !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-89816913757033493302010-01-15T07:48:22.331+05:302010-01-15T07:48:22.331+05:30पुराने इंजनों से कितना अलग है यह सब ...सही माने मे...पुराने इंजनों से कितना अलग है यह सब ...सही माने में विकासशीलता नजर आ रही है ...<br />एक शिक्षित पत्नी पूरे परिवार का भली भांति सञ्चालन कर पाती है ...यहाँ शिक्षित से मेरा अभिप्राय डिग्री नहीं है ...जिन्दगी की पाठशाला भी बहुत कुछ सिखा देती है ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7424994980896938832010-01-15T04:05:42.937+05:302010-01-15T04:05:42.937+05:30एकदम अलग ही दुनिया से परिचित कराते हैं आप. धन्यवाद...एकदम अलग ही दुनिया से परिचित कराते हैं आप. धन्यवाद.Raaghttps://www.blogger.com/profile/17899437600804420902noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41103706712497657352010-01-15T03:16:32.119+05:302010-01-15T03:16:32.119+05:30पंडित जी
बाबूजी भी फुट प्लेट -निरीक्षणों की चर्चा...पंडित जी<br />बाबूजी भी फुट प्लेट -निरीक्षणों की चर्चा करतें हैं<br />आज उनको पढ़ वाता हूँ<br />हार्दिक शुभ कामनाएंबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52093417687281635462010-01-14T23:12:02.582+05:302010-01-14T23:12:02.582+05:30जो कुछ मैं कह सकता था पूर्व के टिप्पणीकारों ने कह ...जो कुछ मैं कह सकता था पूर्व के टिप्पणीकारों ने कह ही दिया है। मेरे लिये मालगाड़ी की रफ़्तार १०० किमीप्रघं होना अश्चर्यजनक इसलिये लगता है क्योंकि जिस सेक्शन (इलाहाबाद-फ़ैज़ाबाद)पर मैं यात्रा करता हूँ उस पर ४० किमीप्रघं से ऊपर की गति प्रतिबन्धित है और उस गति पर भी सवारी गाड़ी झूले की भाँति हिचकोले लेते हुये चलती है। आजादी ६२-६३ साल बाद भी यह दशा सोचनीय है। आशा नई पीढ़ी जरूर कुछ नया सोचेगी।अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-29209506299002805802010-01-14T08:02:53.571+05:302010-01-14T08:02:53.571+05:30आपकी इस पोस्ट ने, बरसों पहले कोल एंजिन में की गई,...आपकी इस पोस्ट ने, बरसों पहले कोल एंजिन में की गई, मल्हारगढ से मन्दसौर तक की यात्रा याद दिला दी। एंजिन में रहते हुए तो कुछ अनुभव नहीं हुआ किन्तु उतरने के बाद लगा था कि मैने कुछ अनूठा अनुभव लिया है। हॉं, दर्पण में देखा तो, कोल एंजिन में सफर करने के प्रभाव और परिणाम भी नजर आए। मैं काला-ढुस्स हो चुका था।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-16477087372051120192010-01-14T05:58:36.671+05:302010-01-14T05:58:36.671+05:30पोस्ट तो पहले ही पढ़ ली थी. बस अजय मोहन जी की टिप्प...पोस्ट तो पहले ही पढ़ ली थी. बस अजय मोहन जी की टिप्पणी ढूंढते-ढूंढते इधर आ गए. उनकी टिप्पणी पढ़कर उत्सुकता हुई. जनता को पुल/सड़क/रेल/बिजली घर आदि का चित्र न लेने से अंग्रेज़ी क़ानून आज भी मौजूद हैं इसका अंदाज़ तो तभी हो गया था जब मैंने अपने अमरीकी मित्रों को भारत में हो रहे परिवर्तन दिखाने की मंशा से दिल्ली मेट्रो के स्टेशन का चित्र लेना चाहा था और एक कर्मचारी ने आकर मुझे टोक दिया था. दूसरी बात यह है कि इंजन तो क्या चीज़ है एक पुलिसवाला चाहे तो एक आम आदमी को प्लेटफोर्म या फुटपाथ पर खडा होने के जुर्म में भी (बिना लिखापढ़ी के) अन्दर कर सकता है.<br /> <b>अजय मोहन और पाण्डेय जी से मेरा सवाल यह है कि क्या रेलवे में ऐसे पुरातनपंथी नियमों का विरोध (या फिर अनदेखी at least) शुरू हुई है ताकि ऊर्जा दूसरे ज़्यादा ज़रूरी कामों में लगाई जा सके या नहीं?</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83412409951637747342010-01-13T23:09:22.391+05:302010-01-13T23:09:22.391+05:30डिवीज़नल रेलवे हॉस्पिटल वाराणसी के अपने कार्यकाल मे...<i><br /><br />डिवीज़नल रेलवे हॉस्पिटल वाराणसी के अपने कार्यकाल में, यदि मैं किसी वर्ग से घबड़ाता और झुँझलाता था, तो वह वर्ग था ’ लोको रनिंग स्टाफ़ !’ मैं उन कटुताओं को स्मरण करना नहीं चाहता, पर वही मेरे इस्तीफ़े का कारण भी बने ! <br />आज हालात तो बेहतर हैं, पर मानसिकता जस की तस वहीं ठहरी हुई हैं !<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-33367249289300559202010-01-13T22:34:58.200+05:302010-01-13T22:34:58.200+05:30आदरणीय ज्ञानदत्त जी !
ऐसे प्रयोग सिर्फ आप जैसे अध...आदरणीय ज्ञानदत्त जी ! <br />ऐसे प्रयोग सिर्फ आप जैसे अधिकारी ही कर पाने की हिम्मत रखते हैं , अधिकतर अधिकारीयों में अपनी शक्तियों के प्रयोग करने मात्र में पसीना आ जाता है ! ऐसा करके आप हमारा ज्ञान ही नहीं बाधा रहे बल्कि रेलवे के साथ भी एक उपकार कर रहे हैं जो अभी तक किसी अधिकारी ने नहीं किया होगा ! <br />अगर कोई चांस हो तो कृपया राजभाषा के सहयोग के खातिर ही सही कुछ ब्लागर्स मीटिंग का आयोजन चलती रेलगाड़ी में हो जाये तो आपकी जय जय ....! आशा है किसी मद में से इसका रास्ता निकल ही आयेगा !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-13521751659228756592010-01-13T22:03:13.762+05:302010-01-13T22:03:13.762+05:30बढिया जानकारी।
WAG9 लोकोमोटिव और BOXN-HL अपने ...बढिया जानकारी।<br /> <br /> WAG9 लोकोमोटिव और BOXN-HL अपने लिये तो अब भी अनजानी चीज ही है।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39059999015779737472010-01-13T19:46:54.618+05:302010-01-13T19:46:54.618+05:30अच्छे लोग सरकारी सेवाओं में जुडें, उनको काबिलियत क...अच्छे लोग सरकारी सेवाओं में जुडें, उनको काबिलियत के अनुसार वेतन और सुविधाएं मिलें तो क्यूँ सरकारी सेवाओं पर ऊँगली उठेंगी! आप इलाहाबाद की बातें बताते हैं, बहुत अच्छा लगता है!Waterfoxhttps://www.blogger.com/profile/04083355344717381265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7976305507373914032010-01-13T19:12:55.654+05:302010-01-13T19:12:55.654+05:30डा. महेश सिन्हा की टिप्पणी -
जानकारी के लिए धन्य...<b>डा. महेश सिन्हा की टिप्पणी - </b><br /><br />जानकारी के लिए धन्यवाद् . वैसे एक बार इंजन में सफर कर चुके हैं बहुत पहले . ये नहीं मालूम था कि इसकी इज्जत नहीं है .Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70138986738455824752010-01-13T19:00:37.838+05:302010-01-13T19:00:37.838+05:30ज्ञानजी,
सब यही कह रहे हैं, कि भाभीजी का कहना सच ...ज्ञानजी,<br /><br />सब यही कह रहे हैं, कि भाभीजी का कहना सच है।<br />इस सन्दर्भ में एक लोकप्रिय quotation है।<br /><br />When you educate a man, you educate one person.<br />When you educate a woman, you educate an entire family.<br /><br />यह भी लिखना चाहता था पहली टिप्पणी में लेकिन यह बात छूट गई<br /><br />जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरुG Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34978653638791516472010-01-13T16:17:51.184+05:302010-01-13T16:17:51.184+05:30बहुत सुंदर, भाभी जी की बात से सहमत हैबहुत सुंदर, भाभी जी की बात से सहमत हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-57448489460932363682010-01-13T16:02:11.157+05:302010-01-13T16:02:11.157+05:30इंजन के अन्दर से दर्शन हो गए...और बहुत सारी बातें ...इंजन के अन्दर से दर्शन हो गए...और बहुत सारी बातें भी पता चलीं...इंजन ड्राइवर्स तो बहुत स्मार्ट लग रहें हैं..हमारी कल्पनाओं से एकदम अलग<br />भाभी जी का कहना बिलकुल सही है.....शिक्षित औरतें ही लाती हैं,घर और बच्चों में बदलाव.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-8033972756791110052010-01-13T15:37:52.097+05:302010-01-13T15:37:52.097+05:30मेरी पत्नीजी का विचार है कि ट्रेन चालकों की घरेलू ...मेरी पत्नीजी का विचार है कि ट्रेन चालकों की घरेलू जिन्दगी में असली परिवर्तन उनकी पत्नियों के पढ़े लिखे होने से आया है। वे पैसे और घर का बेहतर प्रबन्धन करती हैं। कर्मचारियों की घरवालियों से सम्पर्क के चलते उनका यह ऑबर्वेशन महत्वपूर्ण है। <br /><br />Reeta bhabhi ne bilkul sahi kaha...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com