tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post238094406329688848..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: कैच नम्बर बाईसGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24374255034529158602008-02-19T00:47:00.000+05:302008-02-19T00:47:00.000+05:30आपने आलोक जी की टिप्पणी दोहराई तो हम भी अपनी बात द...आपने आलोक जी की टिप्पणी दोहराई तो हम भी अपनी बात दोहरा रहे हैं , टिप्पणी हो तो उनके जैसी और कोई अगर जवाब दे सकता है तो अनूप जी लगता है आज फ़िर उनका नेट खराब है। <BR/>कुछ गालियाँ संजीत के साथ बैठ हम भी सीख लेंगे दो कारण हैं - एक तो जब संजीत अपनी नयी नयी विध्या का प्र्योग करें तो अपने को समझ आना चाहिए( नहीं तो ऑस्ट्रेलियन और हममें क्या फ़र्क रह जाएगा) दूसरे ये मुसीबत हमें भी रोज झेलनी पढ़ती हैAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-15614941027811521562008-02-18T17:07:00.000+05:302008-02-18T17:07:00.000+05:30एक समस्या और है. दूर्घटना होने पर दोषी बड़े वाहन वा...एक समस्या और है. दूर्घटना होने पर दोषी बड़े वाहन वाले को ही माना जाता है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70481176240779865112008-02-18T16:25:00.000+05:302008-02-18T16:25:00.000+05:30कोई भी हादसे मे ट्रैफिक जाम करना और तोड़-फोड़ करना ...कोई भी हादसे मे ट्रैफिक जाम करना और तोड़-फोड़ करना तो जनता का जन्मसिद्ध अधिकार है।<BR/>क्या पूर्वांचल क्या उत्तरांचल हर जगह ऐसा ही होता है ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-72493951115544483672008-02-18T14:47:00.000+05:302008-02-18T14:47:00.000+05:30ई फुटपाथ छेकक लोग फुटपाथ नहीं छेकेगा तो का छेकेगा?...ई फुटपाथ छेकक लोग फुटपाथ नहीं छेकेगा तो का छेकेगा? ओईसे, अस्सी के दशक के मध्य में इलाहबाद में मकान-वोकान छेकने का प्रोग्राम बहुते होता था. हमरे कुछ सीनियर मित्र थे जो पिस्तौल-उस्तौल चलाते थे और मकान-ओकान छेक लेते थे. अल्लापुर से लेकर झूंसी तक, कम से कम १० मकान छेके थे ई लोग. अब लगता है मकान छेकक कार्यक्रम बैकसीट पर चला गवा. एही वास्ते ई लोग फुटपाथ छेक रहा है.<BR/> <BR/>जब तक आपने पूर्वांचल शब्द का प्रयोग नहीं किया, तब तक हम यही सोच कर परेशान हुए जा रहे थे कि; 'क्या बात है, आज भइया कलकत्ते के फुटपाथों पर पोस्ट क्यों लिख रहे हैं?'<BR/><BR/>और जहाँ तक गाडी और ट्रक दोहन कार्यक्रम की बात है, तो सब सामूहिक विवेकगाथा की बात है. सामूहिक विवेक सभी जगह दिखाई देता है, क्या बंगाल और क्या यूपी........Shiv Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/16210136982521324733noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14624169808360398402008-02-18T13:10:00.000+05:302008-02-18T13:10:00.000+05:30कमोबेश पूरे देश मे यही स्थिति है। और समाधान है कि ...कमोबेश पूरे देश मे यही स्थिति है। और समाधान है कि सूझता नही। आगे शायद स्थिति विस्फोटक होगी तो समाधान भी निकाला जायेगा। तब तक खीझा ही जा सकता है।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-71705320418845402222008-02-18T12:50:00.000+05:302008-02-18T12:50:00.000+05:30ना ना आलोक पुराणिकजी से मराठी में न लिखवाईयेगा... ...ना ना आलोक पुराणिकजी से मराठी में न लिखवाईयेगा... राज ठाकरे पंगा कर देगा. :)bhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18745382144759353802008-02-18T12:30:00.000+05:302008-02-18T12:30:00.000+05:30देखौ साब आदमी को का है,जो ऐहै सो जैहै . सो जायबे व...देखौ साब आदमी को का है,जो ऐहै सो जैहै . सो जायबे वारेन के संगै हमरीउ सहानुभूति है .बाकी तौ साब जी संसार फ़ानी है, दुनिया आनी-जानी है . तुलसी बब्बा नै नइं कही हती 'है धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा जो बरा सो बुताना'.<BR/><BR/>बाकी हम बड़े दिनन सै देख रए हैंगे . आप 'एनक्रोचर-फेनक्रोचर' औरउ न जानै का का कह कै हम फुटपाथी दुकनदारन के खिलाफ़ अशोभनीय टिप्पणी कर रए हैंगे . जे बात ठीक नइऐं .रिटायरमेंट के बादउ आपकै याई जघां रहांव है . अरे आप चलौ अपईं गाड़ी में काहे फ़िजूल में टांग अड़ाय रए हौ .जब फ़ुटपाथ के ना हुएबे सै पैदल चलन वारेन कै कौनौ तकलीफ़ नइऐं तौ आप काए खाली-पीली अपओं टैम भेस्ट कर रए हौ . <BR/><BR/>हम लोगन को कोई बिलॉग नइऐं जाइ मारे तै इत्तो बोल पाय रए हौ . आपके आंख की किरकिरी हुय गए हैं हम लोग . लगत एक सामूहिक बिलॉग खोलनेइ परयै . तभइं आप हम लोगन को चरित्र हनन बंद करयौ . छेकक यूनिटी ज़िंदाबाद ! <BR/><BR/>बळदप्रसाद<BR/>सचिव,फुटपाथ छेकक संघर्ष समितिAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-38891833776679709312008-02-18T12:09:00.000+05:302008-02-18T12:09:00.000+05:30हे मुझसे "वरिष्ठ युवा", तनिक अपनी अंग्रेजी गाली ज्...हे मुझसे "वरिष्ठ युवा", तनिक अपनी अंग्रेजी गाली ज्ञान कोश को हम कनिष्ठ युवाओं को उपलब्ध करवाईए ताकि हम भी अपने को चिर युवा बना सकें उनके प्रयोग और स्मरण से ;)<BR/><BR/>वैसे उड़नतश्तरी जी को हम ऐवें ही गुरु नई कहते, गुरु हैं इसलिए उनकी बात से हम सहमत हैं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78251873351256141442008-02-18T11:24:00.000+05:302008-02-18T11:24:00.000+05:30आलोक जी की टिप्पणी आ गयी अब तो लिखने को कुछ बचा ही...आलोक जी की टिप्पणी आ गयी अब तो लिखने को कुछ बचा ही नहीं.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-72886137742106907862008-02-18T10:39:00.000+05:302008-02-18T10:39:00.000+05:30ये सिर्फ पूर्वांचल में ही नही शायद भारत में सभी जग...ये सिर्फ पूर्वांचल में ही नही शायद भारत में सभी जगह होता है, इस तरह की घटना से हुए कई ट्रैफिक जामों से दो चार होना हुआ है।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-68010775623322742732008-02-18T10:25:00.000+05:302008-02-18T10:25:00.000+05:30मृतक की आत्मा को शांति मिले, सच में कभी मैं सोचता ...मृतक की आत्मा को शांति मिले, सच में कभी मैं सोचता हूं कि अगर साठ पार कर जाऊं, तो किसी किताब की भूमिका ये लिखूंगा-<BR/>धन्यवाद आगरा बाईपास से गुजरे करीब पांच लाख ट्रकों के ड्राइवरों का, जिन्होने मुझे स्कूल जाते वक्त मार नहीं गिराया, सो मैं लिख पाया। <BR/>धन्यवाद उन अनगिनत गाड़ियों के ड्राइवरों का,, जिनमें मैंने सफर किया औऱ सफर करने के बाद भी इंसान योनि में कायम रहा। <BR/>धन्यवाद उन ब्लू लाइन ड्राइवरों का, जिन्होने दिल्ली में इत्ते सालों बाद भी मुझे बचाये रखा। <BR/>ये सब पहले धन्यवाद के पात्र हैं। <BR/>पुनश्च-इस कमेंट पर किसी कारीगर का कमेंट यह भी हो सकता है-<BR/>हम बिलकुल धन्यवाद नहीं देते, उन ड्राइवरों को,जिन्होने आलोक पुराणिक को मार नहीं गिराया। और हमें रोज उनके व्यंग्य झेलने पड़ रहे हैं।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35957371058603561762008-02-18T10:17:00.000+05:302008-02-18T10:17:00.000+05:30ये अग्रेजी मे कौन कौन सी गालिया दी ,ये भी बताये हि...ये अग्रेजी मे कौन कौन सी गालिया दी ,ये भी बताये हिंदी गालियो का तो हमारा ज्ञान कोश भडास से पूरा होता रहता है,हम नई नई गालिया वही से पढ कर प्रयोग करते है ,(दिल्ली फ़रीदाबाद,गुडगाव,रोज आधा दिन नियम से जाम रहता है ना)बाकी अग्रेजी की गालिया भी सिखा दे तो हमारा भी स्टेटस थोडा बहुत बढ जायेगा ना..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-21066170569496713082008-02-18T10:12:00.000+05:302008-02-18T10:12:00.000+05:30मै आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ। फुटपाथ का अतिक्रमण क...मै आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ। फुटपाथ का अतिक्रमण करने वाले ही सबसे ज्यादा दोषी है। मुझे याद है कानपुर मे पी.रोड में दोनो तरफ़ का का फुटपाथ काफी बड़ा था। लेकिन थोड़े ही दिनो मे लोगो ने अपने दुकाने फुटपाथ तक बढानी शुरु कर दी। परेशानी इतनी हो गयी थी, फुटपाथ पर दुकाने उग आयी थी, सड़क किनारे रिक्शों की भरमार थी, पैदल लोग चले तो चले कहाँ? नागरिको की शिकायत पर नगर महापालिका वालो ने कार्यवाही की तो व्यापारी लामबंद हो गए, जलसे जलूस निकालने लगे, धरने, हड़ताले होने लगी, ये कहाँ की शराफ़त है?<BR/><BR/>हम किसी भी गलती पर त्वरित प्रतिक्रिया करते है, लेकिन कभी भी मूल समस्या की तरफ़ नही देखते।<BR/><BR/>एक अच्छा लेख।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-87244428108998137622008-02-18T08:47:00.000+05:302008-02-18T08:47:00.000+05:30धन्यवाद । ट्रैफिक जाम की बात सुनाकर आपने हमारी दो ...धन्यवाद । ट्रैफिक जाम की बात सुनाकर आपने हमारी दो पोस्ट का जुगाड़ कर दिया । अब हम बैठकर लिखते हैं ।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47802116489899093012008-02-18T08:43:00.000+05:302008-02-18T08:43:00.000+05:30जनमानस को लगता है जो वे जो कर रहे है वो सही है किन...जनमानस को लगता है जो वे जो कर रहे है वो सही है किन्तु वह उनकी भूल होती है। <BR/><BR/>बिना ताम झाम के सरकारी गाड़ी गुजरगई जानकर सुखद एहसास हआ, बधाई। :)Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86998222882483927592008-02-18T08:36:00.000+05:302008-02-18T08:36:00.000+05:30हर शहर में हर शहर है। या कहा जाए कि शहर की आत्मा ए...हर शहर में हर शहर है। या कहा जाए कि शहर की आत्मा एक है, बस शरीर अलग-अलग है। हमारी नगरपालिकाएं और निगम ही इन समस्याओं को सुलझा सकते हैं और उन्हें इसके लिए सक्षम बनाने की ज़रूरत है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-44682822359572495522008-02-18T07:54:00.000+05:302008-02-18T07:54:00.000+05:30दिनेश जी, मैं तो विज्ञान का मुहावरा किसी और तरह से...दिनेश जी, मैं तो विज्ञान का मुहावरा किसी और तरह से जानता हूं। यह मुहावरा second law of Thermodynamics है जो कहता है कि 'Entropy increases.' <BR/><BR/>यदि इसे समान्य भाषा में परिवर्तित करें तो यह इसी प्रकार से समझाया जा सकता है कि 'प्रकृति को न छेड़ें तो, वह व्यवस्था से अव्यवस्था की तरफ चलती है'। हमारे समाज में तो कुछ उल्टा हो रहा है। हम इसे छेड़ कर अव्यवस्था की तरफ ले जा रहें हैं।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43023330950269762612008-02-18T06:59:00.000+05:302008-02-18T06:59:00.000+05:30जाम, बलवा, आगजनी किसी भी प्रतिक्रिया में शायद सही ...जाम, बलवा, आगजनी किसी भी प्रतिक्रिया में शायद सही न हो। लेकिन, जब सिस्टम तय करके बैठा हो कि इसके पहले सुनेंगे नहीं, सुधरेंगे नहीं तो, ऐसी जगह कई बार अराजकता काम कर जाती है। और, तो ये डबल नुकसान कि किसी की जान गई या दुर्घटना हुई उसके बाद घंटों उसी जाम में फंसकर किसी मरीज की हालत और खराब हो जाए।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24031325851552587792008-02-18T06:35:00.000+05:302008-02-18T06:35:00.000+05:30आप इलाहाबाद दिखा रहे थे मुझे कोटा नजर आ रहा था। फि...आप इलाहाबाद दिखा रहे थे मुझे कोटा नजर आ रहा था। फिर यकायक ही भारत में तब्दील हो गया। <BR/>फिर मैं विज्ञान के उस मुहावरे को याद करने लगा 'व्यवस्था अव्यवस्था में से जन्म लेती है'<BR/>पता नहीं कब जन्मेगी यह?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47274736420743761882008-02-18T06:25:00.000+05:302008-02-18T06:25:00.000+05:30अब क्या कहूं , उड़नजी की एक एक बात से सहमत हूं।......अब क्या कहूं , उड़नजी की एक एक बात से सहमत हूं।.......अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-66623666788534051152008-02-18T06:08:00.000+05:302008-02-18T06:08:00.000+05:30-रोड मैनेजेमेन्ट के सर्कुलर फंडे से पूर्णतः सहमत ह...-रोड मैनेजेमेन्ट के सर्कुलर फंडे से पूर्णतः सहमत हूँ किन्तु अक्सर हाईवे आदि पर जहाँ ऐसी समस्या नहीं है ट्रक आदि के ड्राईवर पीकर बेलगाम दौड़ाते है तब उन पर बहुत कोफ्त आती है. हालांकि उनको जलाना/ चक्का जाम करना इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने का कोई समाधान नहीं है किन्तु प्रशासन भी तो अब इनके बिना नहीं चेतता-तो सब चलता जा रहा है-सच में है तो कैच २२. हाल ही ऐसे ही एक ट्रक दहन/चकाजाम की सुखद परिणीति एक स्कूल के मोड़ पर ट्रेफिक लाईट के रुप में दिखी, जिसके लिये बरसों से प्रयास किये जा रहे थे..किन्तु फिर भी इस तरह की हरकतों का मैं निश्चित विरोध करता हूँ.<BR/><BR/>-दिनकर जी की कविता के लिये आभार.<BR/><BR/>-आलोक जी-सच में मराठी में लिखिये न!! राज ठाकरे से थोड़ा बदला भी निकल जायेगा हिन्दी वालों का. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com