tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post2192313530212208562..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: शिक्षा व्यवस्थाGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-76011827383033388142009-10-15T16:56:10.951+05:302009-10-15T16:56:10.951+05:30गरीब विद्यार्थी कहाँ पढ़े? नहीं पढ़ पाये और कुछ कर...<b>गरीब विद्यार्थी कहाँ पढ़े? नहीं पढ़ पाये और कुछ कर गुजरने की चाह में अपराधिक हो जाये तो किसका दोष?<br /><br />नदी के उस पार नौकरियों का सब्जबाग है, कुछ तो सहारा दो युवा को अपना स्वप्न सार्थक करने के लिये। आरक्षण के खेत भी नदी के उस पार ही हैं, उस पर खेती वही कर पायेगा जो उस पार पहुँच पायेगा।</b> <br /><br />यह पोस्ट इतना कुछ सोचने पर मजबूर कर रही है!!Dr Parveen Choprahttps://www.blogger.com/profile/17556799444192593257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-40492077282410933422009-10-15T15:38:39.304+05:302009-10-15T15:38:39.304+05:30भाई अनूप शुक्ल जी की बात से काम चला लिया जाए.भाई अनूप शुक्ल जी की बात से काम चला लिया जाए.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-53949929186894978852009-10-15T13:38:23.751+05:302009-10-15T13:38:23.751+05:30श्री गिरिजेश राव की ई-मेल से टिप्पणी -
घर का नेट ...<b>श्री गिरिजेश राव की ई-मेल से टिप्पणी - </b><br />घर का नेट बन्द हो गया। जुगाड़ू हिसाब से काम चला रहे हैं। इसे टिप्पणी मानिए।<br /><br />नदी के उस पार नौकरियों का सब्जबाग है, कुछ तो सहारा दो युवा को अपना स्वप्न सार्थक करने के लिये। आरक्षण के खेत भी नदी के उस पार ही हैं, उस पर खेती वही कर पायेगा जो उस पार पहुँच पायेगा।<br /><br />बात बहुत जमी। क्वालिटी का क्षरण हुआ है विशेषकर छोटे कस्बों और शहरों में। जिस स्कूल में पढ़ कर हम नाज करते रहे, ग्रेजुएशन में कांवेंट और देहरादूनियों के छक्के छुड़ाते रहे, भोजपुरिया अंग्रेजी बोलते हुए भी बहस में उन्हें सरपटियाते रहे; वही स्कूल आज इनएफीसीयेंसी, राजनीति और उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। अनुशासन तो रहा ही नहीं। ..... मुझे हर जगह अनर्गल धन कामना का षड़यंत्र नजर आता है। शायद मेरी दृष्टि धुँधला गई है।<br />...<br />चचा ने अपनी बात क्यों नही कही? <br />=============<br />@ उक्त प्रश्न (अपनी बात क्यों नही कही? - मैं सोचता हूं, एक पोस्ट के रूप में प्रस्तुत करूं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-65495107197440133742009-10-15T12:14:40.727+05:302009-10-15T12:14:40.727+05:30१९७५ में हमारे गाँव में प्राईमरी स्कूल था. अब नहीं...१९७५ में हमारे गाँव में प्राईमरी स्कूल था. अब नहीं है.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39335534908717157952009-10-15T09:10:51.391+05:302009-10-15T09:10:51.391+05:30प्रवीण जी !! गंभीर बाते हैं आपकी !
अगली किस्तों मे...प्रवीण जी !! गंभीर बाते हैं आपकी !<br />अगली किस्तों में किस तरह से सरकारी स्कूल ध्वस्त हुए ? इस पर भी चाहेंगे आपके विचार आयें!<br />बाकी तो अनूप जी ने पूरी कहानी एक कथ्य में ठोंक ही दी है!!<br /><br /><br /><a href="http://primarykamaster.blogspot.com/" rel="nofollow">प्राइमरी के मास्टर </a> की दीपमालिका पर्व पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें!!!!<br /><br /><b>तुम स्नेह अपना दो न दो ,<br />मै दीप बन जलता रहूँगा !!</b><br /><br />अंतिम किस्त-<br /><a href="http://primarykamaster.blogspot.com/2009/10/blog-post_15.html" rel="nofollow">कुतर्क का कोई स्थान नहीं है जी.....सिद्ध जो करना पड़ेगा?</a>प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-24713422443056833392009-10-15T06:16:15.261+05:302009-10-15T06:16:15.261+05:30संजय बेंगाणी जी की बात में दम है।
यहां प्राईवे...संजय बेंगाणी जी की बात में दम है।<br /><br /> यहां प्राईवेट सेक्टर में तो दिन रात एक कर दो तो भी मन झृंकृत नहीं होता, जबकि दूसरी ओर सरकारी शिक्षा व्यवस्था के चलते ही कहीं कहीं तो चैन के सितार <b>'बीटल्स स्टाईल'</b> में बजाये जाते हैं। <br /> <br /> माना कि कुछ सरकारी नौकरियों में काफी चुनौतियां हैं लेकिन वह चुनौतियां प्राईवेट जॉब्स के भारीभरकम insecure ठप्पे के मुकाबले बहुत हल्की लगती हैं।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-91505222637947790972009-10-14T21:53:48.707+05:302009-10-14T21:53:48.707+05:30ऐसा क्यों हो रहा है और कैसे हो रहा है । क्या हम सब...ऐसा क्यों हो रहा है और कैसे हो रहा है । क्या हम सब भी समान रूप से भागीदार नहीं है इस व्यबस्था के । अगर व्यबस्था सुधारनी है तो शुरुआत अपने ही घर से होनीं चाहिये । पोस्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा ।Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18569671886663857152009-10-14T18:32:03.056+05:302009-10-14T18:32:03.056+05:30श्रीलाल शुक्लजी ने लिखा है- हमारे देश की शिक्षा नी...श्रीलाल शुक्लजी ने लिखा है- <b>हमारे देश की शिक्षा नीति रास्ते में पड़ी कुतिया है। जिसका मन करता है दो लात लगा देता है। </b> जबसे यह बांचा है तबसे इसके अनगिन लातें लग चुकी हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-85210768574292998692009-10-14T15:51:22.565+05:302009-10-14T15:51:22.565+05:30आप ने एक सच लिख दिया इस लेख मै आप से सहमत है जी.
आ...आप ने एक सच लिख दिया इस लेख मै आप से सहमत है जी.<br />आप को ओर आप के परिवार को दीपावली की शुभ कामनायेंराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-64235257864107271182009-10-14T14:45:35.725+05:302009-10-14T14:45:35.725+05:30"गरीब विद्यार्थी कहाँ पढ़े?"
एकलव्य भी ...<b>"गरीब विद्यार्थी कहाँ पढ़े?"</b><br /><br /><i>एकलव्य भी तो गरीब था।</i><br /><br />संस्कार बदल गए हमारे क्योंकि भारत के स्वतन्त्र होने के बाद भी विदेशी शिक्षा नीति को लाद दिया गया। शायद हम स्वदेशी शिक्षा नीति बना पाने के योग्य ही नहीं हैं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-25299090935120107222009-10-14T14:23:41.146+05:302009-10-14T14:23:41.146+05:30महत्वपूर्ण और सच्चाई को बयां करनेवाला आलेख।
लगाता...महत्वपूर्ण और सच्चाई को बयां करनेवाला आलेख। <br />लगातार व्यस्त रहा। इस बीच मेरी दिलचस्पी के अनेक विषयों पर आपकी कलम चली। खासकर रेलवे से जुड़ी उन बातों पर जिन्हें आपका अनुभव ही व्यक्त कर सकता था। पढ़ता हूं धीरे-धीरे। दीवाली पर दो दिन की छुट्टी मिल रही है सो बैकलॉग पूरा हो जाएगा।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-49301568259243367192009-10-14T14:01:47.219+05:302009-10-14T14:01:47.219+05:30कम शब्दों मे सरकारी शिक्षा के बारे में बहुत कुछ कह...कम शब्दों मे सरकारी शिक्षा के बारे में बहुत कुछ कह दिया है।<br />----------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ </a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18870459993668633612009-10-14T10:59:10.575+05:302009-10-14T10:59:10.575+05:305 लाख में व्यवसाय तो हो जाए. मगर उसे चलाने के लिए ...5 लाख में व्यवसाय तो हो जाए. मगर उसे चलाने के लिए 16 घंटे काम करना पड़ता है. इसलिए सरकारी नौकरी भली.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7682827998161556212009-10-14T10:15:26.216+05:302009-10-14T10:15:26.216+05:30प्रवीण जी ने बिल्कुल सार्थक बात कही है ..और आज इस ...प्रवीण जी ने बिल्कुल सार्थक बात कही है ..और आज इस बात पर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है. यही अफ़सोसनाक है ।अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-74277593324807332962009-10-14T09:30:36.988+05:302009-10-14T09:30:36.988+05:30प्रवीण जी से असहमत होने का सवाल ही नही उठता।उन्होन...प्रवीण जी से असहमत होने का सवाल ही नही उठता।उन्होने बड़ी अच्छी बात कही कि मोटी रिश्वत देकर नौकरी हासिल करने से अच्छा लोगो को नौकरी देने वाला खुद का व्यवसाय किया जाये।इस बात पर अमल होना शुरू हो जाये तो बहुत सारी समस्याओं का हल निकल जायेगा।रहा सवाल सरकारी स्कूलो की स्थिती का तो उसके लिये सीधे-सीधे सरकार ज़िम्मेदार है।सरकार दरअसल न केवल निजी स्कूल बल्कि निजी अस्पतालों की भी अप्रत्यक्ष रूप से दलाली कर रही है,सरकारी संस्थाओं को बदहाल करके उनके फ़लने-फ़ूलने के लिये अनुकूल वातावरण भी बना रही है।वैसे यंहा छत्तीसगढ मे तो निजी शिक्षण संस्थाणो की इतनी भीड़ हि गई कि अब छात्र ढूंढने के लिये मास्टरों की ड्यूटी लगाई जाने लगी है।सीटें खाली रह रही है।और हां नालंदा और तक्शिला की बात भी आपने की है,कभी मौका मिले तो यंहा आईये यंहा नालंदा से भी पुराने और बडे शिक्षा संस्थान श्रीपुर या सिरपुर के अवशेष देखने मिल जायेंगे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5970427343973753602009-10-14T08:59:36.837+05:302009-10-14T08:59:36.837+05:30बचपन में प्राइमरी के बाद जीआईसी में पढ़ने की निश्च...बचपन में प्राइमरी के बाद जीआईसी में पढ़ने की निश्चितता अच्छे भविष्य का परिचायक था।"<br /><br />जी आई सी की याद दिला दी आपने ! उस समय हम अपने आपको, अपने शहर में विशिष्ट मानते थे ! दयनीय शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालने के लिए शुक्रिया , <br /><br />आपको पढना सुखकर है ! <br />आपका परिचय करने के लिए ज्ञानदत्त जी को आभार !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30478802080827383672009-10-14T08:49:03.236+05:302009-10-14T08:49:03.236+05:30गरीब विद्यार्थी कहाँ पढ़े? नहीं पढ़ पाये और कुछ कर...<b>गरीब विद्यार्थी कहाँ पढ़े? नहीं पढ़ पाये और कुछ कर गुजरने की चाह में अपराधिक हो जाये तो किसका दोष?</b> <br />अच्छे मुद्दों पर चिंतन करते हैं प्रवीण जी !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80904296780901978352009-10-14T08:19:18.470+05:302009-10-14T08:19:18.470+05:30सरकारी विद्यालयों की यह दशा जानबूझ कर की गई है। क्...सरकारी विद्यालयों की यह दशा जानबूझ कर की गई है। क्यों कि पनप सकें वे गैरसरकारी विद्यालय जो अब दुकानें हैं। कहाँ हैं वे स्कूल जो इंसान बनाते थे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48401170838465501082009-10-14T07:47:14.623+05:302009-10-14T07:47:14.623+05:30ज्यादा कुछ न कह प्रवीण जी के चिन्तन को साधुवाद कह ...ज्यादा कुछ न कह प्रवीण जी के चिन्तन को साधुवाद कह देते हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12679921904297253382009-10-14T07:09:45.975+05:302009-10-14T07:09:45.975+05:30आपने बिल्कुल सच्चाई बयान की है | मेरी नजर में तो व...आपने बिल्कुल सच्चाई बयान की है | मेरी नजर में तो विश्वविध्यालय और हमारी शिक्षा व्यवस्था बेरोजगार ज्यादा पैदा कर रहे | एक तरफ पढ़े लिखे युवाओं के लिए नौकरी नहीं है तो दूसरी और खेत मालिक से लेकर कारखाना मालिक तक श्रमिको की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहे है |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5176129269534835132009-10-14T07:08:00.254+05:302009-10-14T07:08:00.254+05:30प्रवीन जी ,
आज तो आपका लेख कमाल है बिलकुल सच . मै...प्रवीन जी , <br />आज तो आपका लेख कमाल है बिलकुल सच . मैं भी ऐसे लोगो को जानता हूँ जो गाँव कसबे के स्कूलों में पढ़ कर आये और सफल हुए लेकिन अपने बच्चो की पढाई को अपने पढ़े हुए स्कूलों में नहीं भेजते . कोंवेंट या हाई फाई स्कूल की खोज करते है . अब तो इंटर नेशनल स्कूल चल रहे है . मैं भी उनमे से एक हूँ . <br />रही नौकरी में रिश्वत की बात तो बिजनिस की पढाई करने वाले भी नौकरी के लिए पढ़ रहे है . असुरक्षा की भावना व्यापार करने नहीं देती या कहे हम जोखिम उठाना ही नहीं चाहते क्योकि शिक्षा ऋण से उऋण होने की भी तो जल्दी हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48026056310111647632009-10-14T06:58:26.732+05:302009-10-14T06:58:26.732+05:30सरकारी नौकरी के पीछे आश्वस्त भाव और निश्चिन्तता
के...सरकारी नौकरी के पीछे आश्वस्त भाव और निश्चिन्तता<br />के मोह से उबर पाना शायद सबके बस की बात नहीं । आभार ।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7667514431286695022009-10-14T06:33:25.765+05:302009-10-14T06:33:25.765+05:30बात आपने स्वय कह दी है, हमारे पास IIT, IIM ,AIIMS ...बात आपने स्वय कह दी है, हमारे पास IIT, IIM ,AIIMS तो है लेकिन कोई ऐसा संस्थान नही है जो अच्छे टीचर बनाता हो..<br /><br />अभिभावक भी इन्ज़ीनियर, डाक्टर बनाने पर ज्यादा जोर देते है, टीचिग जाब मे ग्लैमर नही है... मेरा मानना है जब तक हम अच्छे टीचर नही दे पायेगे, हमारी शिक्षा व्यवस्था को सुधारना बहुत मुश्किल है..<br /><br />लेकिन अभी भी हमारे पास आनन्द कुमार जी जैसे लोग है जो अपनी जिम्मेदारी को समझते है - <br />http://pupadhyay.blogspot.com/2009/07/blog-post_1848.html<br /><br />और रन्ग दे जैसी सन्स्थाये है, जो कुछ प्रयास कर रही है..<br />http://pupadhyay.blogspot.com/2009/09/blog-post_11.htmlPankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11440541501413082052009-10-14T05:57:38.593+05:302009-10-14T05:57:38.593+05:30आपकी बातें १०० % सच हैं
दीपावली पर अनेकों शुभकामन...आपकी बातें १०० % सच हैं <br />दीपावली पर अनेकों शुभकामनाएं<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com