tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post1587116920075755489..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: चूनी की रोटीGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-52797355706079733062011-04-10T00:17:26.969+05:302011-04-10T00:17:26.969+05:30चूनी की रोटी के बारे में मुझे नहीं पता था. है तो य...चूनी की रोटी के बारे में मुझे नहीं पता था. है तो यह अरहर ही न?<br>और बहुत सी दालें हैं जिनमें से हम घर पर इक्का-दुक्का ही खाते हैं.<br>कई तरह के मोटे अनाज भी खाने को नहीं मिले कभी. बहुत समय पहले बाजरे की रोटी खाई तो पता चला बाजरे का स्वाद.<br><br>चक्की का फोटो देखकर दिल खुश हो गया. मेरी दादी क्या चक्की चलाती थीं! बिलकुल लट्टू के माफिक. हम तो उसे हिला भी नहीं पाते थे. चक्की चलाते समय उनकी बाँहों और जाँघों की पेशियाँ थल-थल करती थीं. ऊपर से झक गोरी!<br><br>फोन की घंटी का टेंटुआ दबाकर सोना अच्छी बात है. मैं ड्राइविंग करते और सोते समय फोन बंद रखता हूँ.<br><br>पुरानी टिप्पणियां कैसे संजोयेंगे? कॉपी-पेस्ट करके रखने का तरीका अपनाएंगे क्या?<br><br>प्रियंकर जी का ब्लौग देखा हुआ है. पता नहीं था कि वही चौपटस्वामी हैं. ब्लौगिंग के मजे यही तो हैं! उनका गद्य बहुत रोचक है. आशा है पुनः लिखने का क्रम चलायें.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-46003139261707187132011-04-10T00:17:26.779+05:302011-04-10T00:17:26.779+05:30इतना सुस्वादु भोजन खा नींद आना स्वाभाविक है । ऐसी ...इतना सुस्वादु भोजन खा नींद आना स्वाभाविक है । ऐसी स्थिति में हम कन्ट्रोलर महोदय से 2 घंटे का ब्रेक ले लेते हैं और विचारों की गाड़ी न्यूट्रल में डालकर, एफ एम का मधुरिम संगीत बजा अपनी ही अवचेतना में उतर जाते हैं । सप्ताह में एक दिन यह पावरपुल पावर नैप पर्याप्त है ।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-41049595674918338572011-04-10T00:17:24.746+05:302011-04-10T00:17:24.746+05:30अच्छा लेख हैअच्छा लेख हैGyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-34661083663180154372011-04-10T00:17:24.372+05:302011-04-10T00:17:24.372+05:30एक सवाल है!आपने चित्र में जो चक्की दिखायी है वो हम...एक सवाल है!<br>आपने चित्र में जो चक्की दिखायी है वो हमारे घर की चक्की से थोडी भिन्न है । आखिरी बार चक्की घर में तकरीबन १५ साल पहले छूकर देखी होगी, जब नवरात्रि के अवसर पर मैं और मेरी बहन ने मौज मौज में कुट्टू का आटा पीसा था।<br><br>खैर, जो चक्की हमारे घर में थी उसमें इस प्रकार का अर्धवृत्ताकार छेद नहीं था। जहाँ चक्की कील/धुरी होती है, वहीं उसके चारों ओर एक वृत्ताकार सा छेद था जिसमें गेंहूं अथवा अन्य अनाज धीरे धीरे डालते थे, और चक्की की परिधि से धीरे धीरे पिसा हुआ आटा झडता रहता था।<br><br>किसी ने सही ही कहा है:<br>दो पाटन के बीच में साबुत गया न कोई, <br><br>या फ़िर,<br><br>पाटी पाटी सब कहें तीली कहे न कोय, जो तीली से भिड गया वाका बाल न बांका होय। <br><br>नोट करें कि दूसरा Quote हमारे घर वाली चक्की के डिजाइन पर कहा गया है।<br><br>क्या आपकी वाली चक्की के डिजाइन में कुछ फ़ायदा है? क्या इसमें मेहनत कम लगती है?<br><br>एक उत्तर दिमाग में आता है कि अगर अनाज डालने का छेद केन्द्र से दूर होगा तो Shear (For constant rpm, shear केन्द्र से दूरी के समानुपाती होगा) अधिक मिलेगा। हो सकता है, इसके चलते अनाज अधिक आसानी से पिस जाता है।<br><br>बहरहाल, इस प्रश्न पर कुछ प्रकाश डालियेगा।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22829156637799004112010-05-23T06:37:55.793+05:302010-05-23T06:37:55.793+05:30बहुत-सी प्रविष्टियाँ एक साथ पढ़ीं ! कुछ पर तो अभी भ...बहुत-सी प्रविष्टियाँ एक साथ पढ़ीं ! कुछ पर तो अभी भी कमेंट न हो सका । <br /><br />यह सब दुर्लभ चीजें हो गयी हैं अब ! इन्हें खाने का मन भी दुर्लभ ही है ! बहुत से शायद मौका मिलने पर इस खायेंगे नहीं ! <br />सही कहा आपने -"उसे खाना दिव्य अनुभूति है <b>गंवई मानुस </b>के लिये।"Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-68406895527999554182010-05-21T05:31:22.738+05:302010-05-21T05:31:22.738+05:30@विनोद - धन्यवाद टिप्पणी के लिये विनोद जी। पर आपका...<b>@विनोद -</b> धन्यवाद टिप्पणी के लिये विनोद जी। पर आपका प्रोफाइल न होने के कार आपके विषय में पता नहीं ल पा रहा!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-61686328517030608862010-05-20T21:55:27.654+05:302010-05-20T21:55:27.654+05:30चूनी, बेर्रा की रोटी, तेल, नमक और प्याज....गांव और...चूनी, बेर्रा की रोटी, तेल, नमक और प्याज....गांव और बचपन की याद दिला दी आपने। वरना शहर और रोजी रोटी की चक्की में तो हम पिस ही रहे हैं। आप अपने साथ साथ पाठक को भी जमीन से जोड्ते हैं, यह अच्छी बात है।विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशनhttps://www.blogger.com/profile/18173585318852399276noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-75816663926131322312010-05-19T07:23:02.356+05:302010-05-19T07:23:02.356+05:30मौलिक विचारों की कमी नहीं है आपके पास ...
चकरी माँ...मौलिक विचारों की कमी नहीं है आपके पास ...<br />चकरी माँ और सास दोनों के पास है ...कभी कभार चलायी भी है शौक से ...<br />चूनी की रोटी और चटनी का स्वाद घुल रहा है ...<br />बहुत अच्छी लगी यह प्रविष्टि ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-20896545697686849202010-05-19T04:54:33.124+05:302010-05-19T04:54:33.124+05:30@Neeraj Rohilla - आप शायद जांत की बात कह रहे हैं। ...@Neeraj Rohilla - आप शायद जांत की बात कह रहे हैं। यह चकरी है। आटा पीसने के काम नहीं आती। यह दाल आदि दलने के काम आती है। इससे बारीक पीसने का काम नहीं होता। <br />जांत मं गेंहूं या अन्य अनाज डालने का छेद केन्द्र के ज्यादा समीप होता है और पाट बड़े/भारी होते हैं!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-42071921089182711222010-05-19T02:46:24.786+05:302010-05-19T02:46:24.786+05:30एक सवाल है!
आपने चित्र में जो चक्की दिखायी है वो ह...एक सवाल है!<br />आपने चित्र में जो चक्की दिखायी है वो हमारे घर की चक्की से थोडी भिन्न है । आखिरी बार चक्की घर में तकरीबन १५ साल पहले छूकर देखी होगी, जब नवरात्रि के अवसर पर मैं और मेरी बहन ने मौज मौज में कुट्टू का आटा पीसा था।<br /><br />खैर, जो चक्की हमारे घर में थी उसमें इस प्रकार का अर्धवृत्ताकार छेद नहीं था। जहाँ चक्की कील/धुरी होती है, वहीं उसके चारों ओर एक वृत्ताकार सा छेद था जिसमें गेंहूं अथवा अन्य अनाज धीरे धीरे डालते थे, और चक्की की परिधि से धीरे धीरे पिसा हुआ आटा झडता रहता था।<br /><br />किसी ने सही ही कहा है:<br />दो पाटन के बीच में साबुत गया न कोई, <br /><br />या फ़िर,<br /><br />पाटी पाटी सब कहें तीली कहे न कोय, जो तीली से भिड गया वाका बाल न बांका होय। <br /><br />नोट करें कि दूसरा Quote हमारे घर वाली चक्की के डिजाइन पर कहा गया है।<br /><br />क्या आपकी वाली चक्की के डिजाइन में कुछ फ़ायदा है? क्या इसमें मेहनत कम लगती है?<br /><br />एक उत्तर दिमाग में आता है कि अगर अनाज डालने का छेद केन्द्र से दूर होगा तो Shear (For constant rpm, shear केन्द्र से दूरी के समानुपाती होगा) अधिक मिलेगा। हो सकता है, इसके चलते अनाज अधिक आसानी से पिस जाता है।<br /><br />बहरहाल, इस प्रश्न पर कुछ प्रकाश डालियेगा।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-85269517263755639532010-05-18T16:46:44.925+05:302010-05-18T16:46:44.925+05:30बाते चलताउ हैं पर जमीन से जुडी और अच्छी....सतीश कु...बाते चलताउ हैं पर जमीन से जुडी और अच्छी....सतीश कुमार चौहान भिलाई<br />satishkumarchouhan.blogspot.com<br />satishchouhanbhilaicg.blogspot.comसतीश कुमार चौहानhttps://www.blogger.com/profile/00624509331785485261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-12177886714900709452010-05-18T13:03:16.159+05:302010-05-18T13:03:16.159+05:30आनन्ददायक रिपोर्ताज ।आनन्ददायक रिपोर्ताज ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-83473585353543540962010-05-18T09:54:59.015+05:302010-05-18T09:54:59.015+05:30subah-subah muh mein paani aa gaya!!!subah-subah muh mein paani aa gaya!!!आशीष मिश्रा https://www.blogger.com/profile/18229458499389358840noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-39133233994849497262010-05-18T07:32:21.250+05:302010-05-18T07:32:21.250+05:30अच्छा लेख हैअच्छा लेख हैdrsatyajitsahu.blogspot.inhttps://www.blogger.com/profile/13453843563860464369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70064916658073871242010-05-18T04:23:22.644+05:302010-05-18T04:23:22.644+05:30इस सबके बाद भी किसान हमें खाना दे रहा है! ताज्जुब ...इस सबके बाद भी किसान हमें खाना दे रहा है! ताज्जुब है... नक्सली यूं ही अपनी पैठ नहीं बना पा रहे... कारण सामने दिखाई दे गया... स्वाद कुछ कसैला नहीं हो गया क्या???भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-55863306420635916312010-05-18T02:45:32.031+05:302010-05-18T02:45:32.031+05:30दिव्य अनुभूति पाने की इच्छा हम भी रखते है..चूनी का...दिव्य अनुभूति पाने की इच्छा हम भी रखते है..चूनी का पराँठा खाने के लिए चाहे चक्की ही क्यों न पीसनी पड़ॆ..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-65017053591624877982010-05-17T23:39:53.143+05:302010-05-17T23:39:53.143+05:30हम तो ललचिया गये...चूनी की रोटी से भी और ई पोस्ट स...हम तो ललचिया गये...चूनी की रोटी से भी और ई पोस्ट से भी.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-48205788284481913912010-05-17T23:36:17.060+05:302010-05-17T23:36:17.060+05:30जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/20...जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html और जलजला गुजर गया।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-90270286920708526632010-05-17T23:28:41.293+05:302010-05-17T23:28:41.293+05:30डिस्कस निकाल फेका >>> बहुत अच्छा किया ......डिस्कस निकाल फेका >>> बहुत अच्छा किया ...अनेक जगह इसके प्रयोग के बावजूद आप के यहाँ किसी प्रोफाइल से इस जालिम ने हमारी टीप स्वीकार ना की !<br /><br />.......बकिया हम क्या कहें ?प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30867193653688184872010-05-17T22:40:55.174+05:302010-05-17T22:40:55.174+05:30सबसे पहले तो हम वही कहना चाहेगे जो स्तुति ने बज़ प...सबसे पहले तो हम वही कहना चाहेगे जो स्तुति ने बज़ पर कहा कि ऎसी तस्वीरे वर्जित होनी चाहिये... घर से दूर रहने वाले घर भागने को प्रेरित होने लगते है.. :)<br /><br />चलिये हम दूर से ही चूनी की रोटी और आलू-टमाटर की लुटपुटार तरकारी का स्वाद लेते है, वाह :)<br /><br />थ्रेडेड टिप्पणी वाले जुगाड मे कुछ कमियाँ तो हैं.. जो आपने बतायी वही ज्यादा बडी है.. कोशिश कर रहा हू कि थोडा कोड के भीतर घुसा जाय.. देखता हूँ .. शायद कुछ हो सकेPankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-22574929485826852692010-05-17T22:20:31.638+05:302010-05-17T22:20:31.638+05:30तो हमें खिताब मिला मिस्टर गायब!तो हमें खिताब मिला मिस्टर गायब!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18147365340861012402010-05-17T21:43:18.717+05:302010-05-17T21:43:18.717+05:30अब मुझे कोई शक नहीं कि आप खाना-खजाना ब्लॉग का स्वा...अब मुझे कोई शक नहीं कि आप खाना-खजाना ब्लॉग का स्वामित्व भली भांति सम्भाल सकते हैं. हम तो अभी तक मकुनी तक ही नहीं पहुंच सके. कल कोशिश की जाएगी.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-86639493428274000772010-05-17T21:32:22.643+05:302010-05-17T21:32:22.643+05:30चूनी की रोटी की तरह से अब टिपण्णी देने का मजा आया,...चूनी की रोटी की तरह से अब टिपण्णी देने का मजा आया, अजी वो सिस्टम हम ने भी लगाया था दो घंटे मै ही निकाल फ़ेंका, आप की पोस्ट पढ कर मुझे हमारे घर की हाथ चक्की याद आ गई अगली बार गया तो उसे ढुढुगां कही सम्भाल कर रखी भी है या फ़िर पानी की टंकी पर जो छत है उसे भार देने के लिये ना रखी हो. चलिये अब हम जल्द ही चूनी की रोटी ज्रुरुर खायेगेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-6412900765667544302010-05-17T20:25:58.583+05:302010-05-17T20:25:58.583+05:30अगर शुद्ध खाद्द्य पदार्थ की कास्टिंग निकालेंगे तो ...अगर शुद्ध खाद्द्य पदार्थ की कास्टिंग निकालेंगे तो हमसे ज्यादा महंगा तो दुनिया मे कोई खाता ही नही होगा . आपके पास तो देशी अरहर है भी हम लोग तो आयतित अरहर दाल खा रहे है . <br />हम तो तरस गये भुनी अरहर को घर मे दल कर दाल बनाने को . क्योकि मां रही नही जब मां ही नही रही तो चक्की भी पता नही कहा पडी है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-70708209176581580442010-05-17T17:09:35.045+05:302010-05-17T17:09:35.045+05:30डिस्कस में मजा नही आ रहा था
अब सही है जी
चूनी की ...डिस्कस में मजा नही आ रहा था<br />अब सही है जी<br /><br />चूनी की रोटी के बारे में पहली बार जानकारी मिली<br />कभी खायेंगें आपके यहां आकर<br />साल भर पहले तो मेरे घर में अरहर की दाल ही नहीं बनती थी (शायद दादाजी को पसन्द नहीं थी) पिताजी को भी पसन्द नही है।<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.com