tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post1004046979158604367..comments2024-03-15T04:14:04.408+05:30Comments on मानसिक हलचल: बिल्लू की रिक्शा खटालGyan Dutt Pandeyhttp://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-47147182919105665472010-01-06T06:37:29.399+05:302010-01-06T06:37:29.399+05:30वाह...!
कलयुग का असर तो यहाँ भी है!
हमने दिसम्बर ...वाह...! <br />कलयुग का असर तो यहाँ भी है!<br />हमने दिसम्बर मे बसन्त-गीत लिखा और<br />यहाँ जनवरी में होली का आनन्द आया!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-31434087724966761042009-03-20T01:09:00.000+05:302009-03-20T01:09:00.000+05:30आप भी कैसे-कैसे मौज लेने की सोचते हैं !आप भी कैसे-कैसे मौज लेने की सोचते हैं !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-58660792824579251912009-03-10T20:15:00.000+05:302009-03-10T20:15:00.000+05:30बिल्लू की जिन्दगी आपसे न सपरेगी। बहुत जिगर का काम ...बिल्लू की जिन्दगी आपसे न सपरेगी। बहुत जिगर का काम है जी। आप इधरै अच्छे हो!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-43907082183348967162009-03-10T12:37:00.000+05:302009-03-10T12:37:00.000+05:30होली के समय में तो बिल्लुअटिक मौज ली ही जा सकती है...होली के समय में तो बिल्लुअटिक मौज ली ही जा सकती है...हम यहाँ चिट्ठाचर्चा से आये, हमें पता चला कि आप क्यों फिर से मंदी गुझिया और होली के बारे में लिखने लगे हैं हमने सोचा खुद आ के देख लेते हैं...बात सही है :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-84732865458363157822009-03-09T00:01:00.000+05:302009-03-09T00:01:00.000+05:30इलाके का इन्स्पेक्टर तो चाहेगा कि दो-चार बिल्लू और...इलाके का इन्स्पेक्टर तो चाहेगा कि दो-चार बिल्लू और बढ़ जाँय तो हलके से आमदनी में इजाफ़ा हो। <BR/><BR/>लेकिन मैं जानता हूँ कि मौका मिलने पर भी आप बिल्लू जैसी जिन्दगी नहीं जीना चाहेंगे। बहुत वाहियात आदमी है जी यह शराबी-शवाबी-कबाबी। धत्...।<BR/><BR/>होली के मौके पर यह मौज भी हो ली :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-14175954176559956322009-03-08T15:05:00.000+05:302009-03-08T15:05:00.000+05:30बिल्लू शायद इसलिये भी अधिक खुश है क्योंकि ना ही उस...बिल्लू शायद इसलिये भी अधिक खुश है क्योंकि ना ही उसको किसी ने संस्कार के पाश में बाँधा हुआ है और ना ही उसे अपनी ईमेज़ में कभी कुछ इजाफा करना है । वह जैसा है वैसा ही प्रदर्शित है । मर्यादा के मारे हम सब है और चाह के भी ’बिल्लुआटिक पथ’ पर प्रशस्थ नहीं हो सकते । लुभावने स्वपनों को सुबह होते ही भुलाना अच्छा है ।<BR/>सरकारी और सामाजिक क्षेत्र अन्तर्पाशित है । सामाजिक पहलुओं के माध्यम से सरकारी ज्ञान बाँटा जा सकता है । आचार संहिता और विचार प्रवाहिता, दोनों रहेंगे ।<BR/>प्रवीण पाण्डेयप्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5215801375689410022009-03-08T00:00:00.000+05:302009-03-08T00:00:00.000+05:30समाज का रोग हैँ ऐसे "बिल्लू" एक तरह के माफिया ही स...समाज का रोग हैँ ऐसे "बिल्लू"<BR/> एक तरह के माफिया ही समझिये -<BR/>कहीँ गैर कानूनी स्थान पर<BR/> मँदिर बनाकर ड्रग्ज़ बेचते लोग<BR/> तो कहीँ... कुछ और ..<BR/>अफसोस, रोग उन्मूलन,<BR/> आज भी<BR/> कामन "पर्सन" के हाथ नहीँ :-(<BR/>उनसा बनने से क्या लाभ ? <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-84788482865666774442009-03-07T23:45:00.000+05:302009-03-07T23:45:00.000+05:30बिल्लू को अपने रिक्शा निवेश पर जबरदस्त रिटर्न मिलत...<B>बिल्लू को अपने रिक्शा निवेश पर जबरदस्त रिटर्न मिलता रहा होगा।</B> <BR/>...और उस स्क्वैटर ने कभी अपने हिस्से का कर भी नहीं दिया. खैर, बिल्लू के मर्मान्तक बीमारियों से तड़प कर मरने के बाद आजकल उसका एक बेटा उसका धंधा आगे चला रहा है. बिलकुल बाप की तरह दिखता है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-80434408817140650402009-03-07T21:49:00.000+05:302009-03-07T21:49:00.000+05:30आपकी बिल्लू के प्रति धारणा सभी सामान्य जनों का प्र...आपकी बिल्लू के प्रति धारणा सभी सामान्य जनों का प्रतिनिधित्व करती है. पर जब वही सामान्य आदमी चाहे आप हों या मैं.. <BR/><BR/>अक्सर इन लोगों का कुछ कर नही पाता. या तो पैसे से खरीद लिया जायेगा और ज्यादा ही आदर्शवादी रहा तो किसी ताऊ के इशारे पर ऐसी जगह ट्रांसफ़र कर दिया जायेगा कि शेष जीवन वो तो क्या उसके बीबी बच्चे भी याद रखेंगे.<BR/><BR/>ये हमारे समाज के कोढ हैं. जिनको हम सहन करते आ रहे हैं. वाकई इन बिल्लुओं की करतूते खूण खोला देती हैं.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-5415959776785411512009-03-07T20:18:00.000+05:302009-03-07T20:18:00.000+05:30रविजी ने बिलकुल सही कहा। आप कुछ भी न कर पाते। आपके...रविजी ने बिलकुल सही कहा। आप कुछ भी न कर पाते। आपके रतलाम के कार्यकाल के अनुभव को आधार बना कर रहूं तो आप चाहते तो बहुत ही अध्रिक किन्तु कर पाते उतना ही कम। आपको भी तो उन्हीं लोगों से काम लेना होता है जिन पर आप कार्रवाई करते हैं। इस व्यवस्था में, देखती आंखों मक्खी निगलने के लिए कौन अभिशप्त नहीं है?<BR/><BR/>और हां, प्रवीणजी कहना बिलकुल मत मानिएगा। मुझे उस सलाह में सदाशयता तनिक भी नजर नहीं आ रही। इसके ठीक उलट मुझे तो साफ लग रहा है कि आचार संहिता से मुक्ति की पगडण्डी आपसे बनवा कर प्रवीणजी उसे सडक में बदलने को अकुला रहे हैं।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-88375249433528380032009-03-07T19:33:00.000+05:302009-03-07T19:33:00.000+05:30Praveen pandey ji ki baat 'gyanvardhak ' hain!1-हौ...Praveen pandey ji ki baat 'gyanvardhak ' hain!<BR/>1-हौलट और बकलोल में एक अन्तर bataya..<BR/>2-आचार संहिता में बँधे बगैर लिखें यही विनती है। <BR/>-'Biloo bhayankar'!ab bhi footpathon ke aas paas kayee shahron mein dikhtey hongeyAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-30174130101261380902009-03-07T16:44:00.000+05:302009-03-07T16:44:00.000+05:30बिल्लु बादशाह.. शायद ज्यादा प्लान नहीं बनाता.. और ...बिल्लु बादशाह.. <BR/><BR/>शायद ज्यादा प्लान नहीं बनाता.. और मौज लेता है.. "हमसे कम समझदार जो है"रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-7931258881016553722009-03-07T16:24:00.000+05:302009-03-07T16:24:00.000+05:30आपने बिल्लू की खटाल के माध्यम से बड़ा सामाजिक सन्दे...आपने बिल्लू की खटाल के माध्यम से बड़ा सामाजिक सन्देश दिया सर, आभार इसका बहुत बहुत।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-73524952410560375822009-03-07T15:55:00.000+05:302009-03-07T15:55:00.000+05:30ये भारत देश महान बिल्लू कीभरमार।।। होली मुबारकये भारत देश महान बिल्लू कीभरमार।।। होली मुबारकAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-78929820045176294312009-03-07T13:23:00.000+05:302009-03-07T13:23:00.000+05:30ज्ञानदत्त ऎसे बिल्लु हर शहर मै मिलते होगे, अलग अलग...ज्ञानदत्त ऎसे बिल्लु हर शहर मै मिलते होगे, अलग अलग धंधो मे, लेकिन पुलिस वाले इन का कुछ नही कर सकते , क्योकि इन की पहुच उन दल बदलुयो से है जो बदकिस्मती से हमारे नेता कहलाते है, उन्हे वोटो का जुगाड भी तो यह बिल्लू टाईप के जानवर ही करते है.<BR/>धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये, जिस मे आप ने अपने नही हम सब के मन की बात कही है, चाहते तो सभी है...<BR/>आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीगी भीगी बधाई।<BR/>बुरा न मानो होली है। होली है जी होली हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-32783973749730395742009-03-07T12:57:00.000+05:302009-03-07T12:57:00.000+05:30बिल्लुआटिक मौज, नये शब्द गढने में आपका सानी नहीं।...बिल्लुआटिक मौज, नये शब्द गढने में आपका सानी नहीं।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-9776275044776143972009-03-07T11:09:00.000+05:302009-03-07T11:09:00.000+05:30बिल्लू का किस्सा और आपका लिखने का अंदाज दोनों गजब ...बिल्लू का किस्सा और आपका लिखने का अंदाज दोनों गजब !mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-81663159454253572582009-03-07T10:27:00.000+05:302009-03-07T10:27:00.000+05:30अब होली के हौल्टीय मूड में आ गए हैं आप -इसी में पु...अब होली के हौल्टीय मूड में आ गए हैं आप -इसी में पुराने सभी गलत गम कर लीजिये -अभी आप की उम्र ही कितनी हुयी है -अभी से ये निह्स्वास ठीक नही लगते ! <BR/>तो कुछ हो जाय प्रामिस्कुअस इस होली में ( यह केवल सेक्सुअल कहाँ है ? बल्कि मनमौजी रिश्ते को इंगित करता है ! )Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-26802557817890573722009-03-07T09:25:00.000+05:302009-03-07T09:25:00.000+05:30क्या केने क्या केने, बिल्लूजी के। अच्छा आपने वो भू...क्या केने क्या केने, बिल्लूजी के। <BR/>अच्छा आपने वो भूत वाला इलाका रिविजिट किया कि नहीं, जहां पर्याप्त जनसंख्या थी भूतों की। बहुत दिनों से वहां की रिपोर्ट ना दी आपने, जनसंख्या बढ़ी या नहीं, या क्या सीन है वहां का। भरतलालजी से कालोबेरेशन करके भुतहा रिपोर्ट दीजिये। इधर नेताओं पर इतना पढ़ना सुनना पड़ रहा है कि भूतों की सुनकर कुछ राहत मिलेगी।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-18053929134303214992009-03-07T09:17:00.000+05:302009-03-07T09:17:00.000+05:30promiscuous यह शब्द पहली बार पढ़ा और जाना। इस के अ...promiscuous यह शब्द पहली बार पढ़ा और जाना। इस के अर्थों में एक अर्थ यह भी कि जो एक यौन साथी से बंधा न रहे। यह शब्द स्त्रियों के लिए भी प्रयुक्त हो सकता है। प्रोमिसकुअस होने के लिए जरूरी नहीं कि वह बिल्लू की तरह का ही हो। हर तरह से कायदे कानून को मानने वाले भी ऐसे हो सकते हैं। आप का बताया हौलट शब्द इन दिनों तो होली से जुड़ गया है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-35216962791102819562009-03-07T09:15:00.000+05:302009-03-07T09:15:00.000+05:30असल में कष्ट यह था कि एक तीस-चालीस रिक्शों की खटाल...असल में कष्ट यह था कि एक तीस-चालीस रिक्शों की खटाल (यानी निवेश लगभग दो लाख) से बिल्लू इतनी मौज कैसे कर रहा है, और हम दिन रात रेल परिचालन में ऐसी तैसी कराते रहते हैं। <BR/><BR/><BR/>बिल्लू का किस्सा मजेदार रहा.....<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-50458970392283846262009-03-07T08:09:00.000+05:302009-03-07T08:09:00.000+05:30ज्ञान भैया,मौका अच्छा है बिल्लुआटिक मौज लेने का,और...ज्ञान भैया,मौका अच्छा है बिल्लुआटिक मौज लेने का,और द बेस्टेस्ट होलीयाटिक फ़ेस्टिव बहाना भी है,बचने के लिये। हा हा हा………………………………………।<BR/><BR/>बुरा न मानो होली है।<BR/><BR/>होली की रंग-बिरंगी बधाई,आपको,आपके परिवार को,अभी से।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-11650781122319270652009-03-07T07:30:00.000+05:302009-03-07T07:30:00.000+05:30"...पर छोटा मोटा भी प्रशासनिक/पुलीस अधिकारी रहा हो...<B>"...पर छोटा मोटा भी प्रशासनिक/पुलीस अधिकारी रहा होता मोहद्दीपुर इलाके का तो शायद एक बार तो बिल्लू की फुटपाथ घेर कर बनाई खटाल उखड़वाता। ..."</B><BR/><BR/>मैं शर्त लगाकर कह सकता हूं कि आप कतई ऐसा नहीं कर सकते थे. सोच भी नहीं सकते थे, क्योंकि बिल्लू आपकी आशा से अधिक आपकी मुट्ठी गर्म करता रहता!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-28492697344424734222009-03-07T06:59:00.000+05:302009-03-07T06:59:00.000+05:30न जाने कितने BILLU इसी तरह जिन्दगी काट रहे होंगे...न जाने कितने BILLU इसी तरह जिन्दगी काट रहे होंगे ?dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7822286262846371486.post-87847179136242905672009-03-07T06:28:00.000+05:302009-03-07T06:28:00.000+05:30बिल्लुआटिक मौज-ऐसी भी क्या मायूसी..लिजिये न!! आप भ...बिल्लुआटिक मौज-ऐसी भी क्या मायूसी..लिजिये न!! आप भी दफ्तर की टेबल पर स्टील का गिलास सजा कर बैठ जायें. कई अधिकारी बैठते हैं. मैने देखा है.<BR/><BR/>बाकी तो प्रॉमिस्कुअस और जिन्दगी के बाकी सो-काल्ड मजे- इस पर क्या प्रकाश डालूँ. स्टील के गिलास के माध्यम से आधा रास्ता दिखा दिया बाकी खुद तय हो जायेगा. :)<BR/><BR/>हाँ... प्रवीण जी की टिप्पणी बहुत अच्छी लगी. ...आचार संहिता में बँधे बगैर लिखें ??? मुझे लगा कि सरकारी नौकरी में इससे बँधे रहना आवश्यक है..शायद मै गलत होऊँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com